एनडीए की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने जाति जनगणना की मांग की है। राहुल गांधी और अखिलेश यादव पहले ही जाति जनगणना की मांग करके भाजपा को घेर रहे हैं। इस तरह अब अनुप्रिया भी राहुल-अखिलेश की राह पर चल पड़ी हैं। इससे भाजपा की मुसीबत बढ़ सकती है। अनुप्रिया पटेल ने रविवार को लखनऊ में सहकारिता भवन में पार्टी प्रदेश कार्य समिति की बैठक बुलाई। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने आउटसोर्सिंग से हो रही भर्तियों पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा- आउटसोर्सिंग कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक है। आउटसोर्सिंग में आरक्षण का मानक लागू नहीं किया जाता है, यह पिछले वर्ग के लिए कैंसर जैसा ही है। वहीं, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने केंद्र सरकार से जातिगत जनगणना करने की भी मांग की। केंद्रीय मंत्री ने कहा- जातिगत जनगणना से ही समाज का विकास संभव है। केंद्रीय मंत्री ने मांग रखी कि देश में न्यायिक सेवा आयोग का गठन किया जाए और न्यायपालिका में समाज के सभी वर्ग को प्रतिनिधित्व मिले। आउटसोर्सिंग में नियुक्ति में वंचितों की गुंजाइश खत्म नियुक्तियों में आउटसोर्सिंग के जरिए चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी की भर्तियां हो रही हैं, उसमें आरक्षण का पालन नहीं हो रहा है। चतुर्थ श्रेणी की जो नौकरियां होती थीं, उनमें जो वंचित वर्ग और दबे-कुचले वर्ग को मिली थीं। अब आउटसोर्सिंग के जरिए भर्तियां हो रही हैं और उसमें आरक्षण का कोई नियम लागू नहीं है। इससे वंचित वर्ग की जॉब पाने कि जो गुंजाइश थी, वो खत्म हो गई। हमारी पार्टी चाहती है कि जो नियुक्ति हो, उसके आरक्षण का नियम पालन हो। बैठक के बाद अनुप्रिया पटेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। इस दौरान भाजपा में चल रहे संगठन और सरकार के खींचतान के सवाल पर कहा कि संगठन के ही माध्यम से सरकार बनती है। किसी भी पार्टी के लिए यही नियम लागू होता है। संगठन रहेगा तभी आप सरकार में रह पाएंगे। उन्होंने नजूल विधेयक को गैर जरूरी बताया। अयोध्या में दलित किशोरी से रेप मामले पर अनुप्रिया पटेल ने कहा कि अपराधी की ना कोई जाति होती है ना कोई धर्म होता है। महिला अपराधों के मामले में कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए जांच की जा रही है, जो भी दोषी हो उसको बख्शा नहीं जाएगा। योगी सरकार से पहले से ही चल रही तकरार…
अपना दल (एस) और योगी सरकार के बीच लोकसभा चुनाव के बाद से टकराव तेजी से बढ़ा है। जानकार मानते हैं, इसकी शुरुआत 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती से ही हो गई थी। अपना दल (एस) का नेतृत्व इस बात से नाराज है कि सरकार की मशीनरी का चुनाव के दौरान व्यवहार ठीक नहीं था। सरकार के स्तर से भी कोई मदद नहीं मिली। 1- शिक्षक भर्ती में आरक्षण: बेसिक शिक्षा परिषद में 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में SC और OBC को आरक्षण के नियमानुसार लाभ न मिलने का मुद्दा अपना दल (एस) ने ही उठाया था। इस विवाद का आज तक हल नहीं निकला। जबकि, योगी सरकार नियमानुसार आरक्षण का लाभ देने का दावा कर रही है। 2- सीएम योगी को लिखा पत्र: अनुप्रिया पटेल ने 27 जून को मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखा। इसमें आरोप लगाया कि सरकारी विभागों में हो रही भर्ती में SC-ST और OBC के आरक्षण नियमों का पालन नहीं हो रहा। इन कैटेगरी के योग्य अभ्यर्थी नहीं मिलने के नाम पर उनके पद सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को दिए जा रहे हैं। सरकार ने अनुप्रिया के पत्र का जवाब देते हुए बताया कि सभी विभागों की सरकारी भर्ती में आरक्षण नियमों का पालन किया जा रहा है। 3- प्रमुख सचिव का विवाद: अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष और योगी सरकार में प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल का विभाग के प्रमुख सचिव एम. देवराज से विवाद हो गया। मंत्री आशीष पटेल ने एम. देवराज की ओर से किए जा रहे तबादलों पर आपत्ति जताई। मंत्री ने तबादले की पत्रावली मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दी। नतीजा यह रहा कि विभाग में तबादला सत्र शून्य रहा। अपना दल (एस) के पदाधिकारी मानते हैं कि एम. देवराज को सरकार का संरक्षण है। 4- मंच से आरक्षण का मुद्दा फिर उठाया: अपना दल (एस) के संस्थापक सोनेलाल पटेल की जयंती पर लखनऊ में कार्यक्रम हुआ। इस दौरान अनुप्रिया ने सरकारी विभागों की भर्ती में SC-ST और OBC के आरक्षण का मुद्दा उठाया। उन्होंने लोकतंत्र में राजा EVM से पैदा होने की बात भी दोहराई। 5- टोल टैक्स का मुद्दा उठाया: अनुप्रिया पटेल ने वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर अहरौरा में अतिरिक्त टोल बूथ लगाने पर आपत्ति जताई। उनका कहना है, NHAI के नियमों के अनुसार एक टोल से दूसरे टोल के बीच की दूरी 40 किलोमीटर होनी चाहिए। लेकिन, मार्ग में 20 किलोमीटर की दूरी फत्तेपुर और अहरौरा में दो टोल प्लाजा लगाकर वाहन स्वामियों से गलत टोल वसूला जा रहा है। 6- अनुप्रिया पटेल ने योगी सरकार के नजूल संपत्ति विधेयक का विरोध किया। उन्होंने X पोस्ट में लिखा- नजूल भूमि संबंधी विधेयक को विमर्श के लिए प्रवर समिति को भेजा गया है। बिना विमर्श के यह विधेयक लाया गया। उन्होंने विधेयक को गैर जरूरी बताया। यह भी कहा कि ये विधेयक आम जनमानस की भावनाओं के खिलाफ है। यूपी सरकार को इसे वापस लेना चाहिए। इस मामले में जिन अधिकारियों ने गुमराह किया है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। अब पढ़िए अपना दल की मजबूती और कमजोरी यह भी पढ़ें:- यूपी में सरकार से अलग रास्ता तलाश रहीं अनुप्रिया:बंद कमरों में सुलझने वाले विवादों पर वार-पलटवार; एक्सपर्ट बोले-सौदेबाजी का खेल प्रदेश की योगी सरकार और सूबे में NDA के सबसे बड़े सहयोगी अपना दल (एस) के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। योगी सरकार 1.0 में जहां मनमुटाव की बातें बंद कमरों तक होती थी, सरकार 2.0 में जगजाहिर हो गया। अपना दल (एस) की ओर से सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस पर सरकार की ओर से भी उतने ही तल्ख अंदाज में पलटवार किया जा रहा। पढ़ें पूरी खबर… एनडीए की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने जाति जनगणना की मांग की है। राहुल गांधी और अखिलेश यादव पहले ही जाति जनगणना की मांग करके भाजपा को घेर रहे हैं। इस तरह अब अनुप्रिया भी राहुल-अखिलेश की राह पर चल पड़ी हैं। इससे भाजपा की मुसीबत बढ़ सकती है। अनुप्रिया पटेल ने रविवार को लखनऊ में सहकारिता भवन में पार्टी प्रदेश कार्य समिति की बैठक बुलाई। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने आउटसोर्सिंग से हो रही भर्तियों पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा- आउटसोर्सिंग कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक है। आउटसोर्सिंग में आरक्षण का मानक लागू नहीं किया जाता है, यह पिछले वर्ग के लिए कैंसर जैसा ही है। वहीं, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने केंद्र सरकार से जातिगत जनगणना करने की भी मांग की। केंद्रीय मंत्री ने कहा- जातिगत जनगणना से ही समाज का विकास संभव है। केंद्रीय मंत्री ने मांग रखी कि देश में न्यायिक सेवा आयोग का गठन किया जाए और न्यायपालिका में समाज के सभी वर्ग को प्रतिनिधित्व मिले। आउटसोर्सिंग में नियुक्ति में वंचितों की गुंजाइश खत्म नियुक्तियों में आउटसोर्सिंग के जरिए चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी की भर्तियां हो रही हैं, उसमें आरक्षण का पालन नहीं हो रहा है। चतुर्थ श्रेणी की जो नौकरियां होती थीं, उनमें जो वंचित वर्ग और दबे-कुचले वर्ग को मिली थीं। अब आउटसोर्सिंग के जरिए भर्तियां हो रही हैं और उसमें आरक्षण का कोई नियम लागू नहीं है। इससे वंचित वर्ग की जॉब पाने कि जो गुंजाइश थी, वो खत्म हो गई। हमारी पार्टी चाहती है कि जो नियुक्ति हो, उसके आरक्षण का नियम पालन हो। बैठक के बाद अनुप्रिया पटेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। इस दौरान भाजपा में चल रहे संगठन और सरकार के खींचतान के सवाल पर कहा कि संगठन के ही माध्यम से सरकार बनती है। किसी भी पार्टी के लिए यही नियम लागू होता है। संगठन रहेगा तभी आप सरकार में रह पाएंगे। उन्होंने नजूल विधेयक को गैर जरूरी बताया। अयोध्या में दलित किशोरी से रेप मामले पर अनुप्रिया पटेल ने कहा कि अपराधी की ना कोई जाति होती है ना कोई धर्म होता है। महिला अपराधों के मामले में कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए जांच की जा रही है, जो भी दोषी हो उसको बख्शा नहीं जाएगा। योगी सरकार से पहले से ही चल रही तकरार…
अपना दल (एस) और योगी सरकार के बीच लोकसभा चुनाव के बाद से टकराव तेजी से बढ़ा है। जानकार मानते हैं, इसकी शुरुआत 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती से ही हो गई थी। अपना दल (एस) का नेतृत्व इस बात से नाराज है कि सरकार की मशीनरी का चुनाव के दौरान व्यवहार ठीक नहीं था। सरकार के स्तर से भी कोई मदद नहीं मिली। 1- शिक्षक भर्ती में आरक्षण: बेसिक शिक्षा परिषद में 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में SC और OBC को आरक्षण के नियमानुसार लाभ न मिलने का मुद्दा अपना दल (एस) ने ही उठाया था। इस विवाद का आज तक हल नहीं निकला। जबकि, योगी सरकार नियमानुसार आरक्षण का लाभ देने का दावा कर रही है। 2- सीएम योगी को लिखा पत्र: अनुप्रिया पटेल ने 27 जून को मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखा। इसमें आरोप लगाया कि सरकारी विभागों में हो रही भर्ती में SC-ST और OBC के आरक्षण नियमों का पालन नहीं हो रहा। इन कैटेगरी के योग्य अभ्यर्थी नहीं मिलने के नाम पर उनके पद सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को दिए जा रहे हैं। सरकार ने अनुप्रिया के पत्र का जवाब देते हुए बताया कि सभी विभागों की सरकारी भर्ती में आरक्षण नियमों का पालन किया जा रहा है। 3- प्रमुख सचिव का विवाद: अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष और योगी सरकार में प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल का विभाग के प्रमुख सचिव एम. देवराज से विवाद हो गया। मंत्री आशीष पटेल ने एम. देवराज की ओर से किए जा रहे तबादलों पर आपत्ति जताई। मंत्री ने तबादले की पत्रावली मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दी। नतीजा यह रहा कि विभाग में तबादला सत्र शून्य रहा। अपना दल (एस) के पदाधिकारी मानते हैं कि एम. देवराज को सरकार का संरक्षण है। 4- मंच से आरक्षण का मुद्दा फिर उठाया: अपना दल (एस) के संस्थापक सोनेलाल पटेल की जयंती पर लखनऊ में कार्यक्रम हुआ। इस दौरान अनुप्रिया ने सरकारी विभागों की भर्ती में SC-ST और OBC के आरक्षण का मुद्दा उठाया। उन्होंने लोकतंत्र में राजा EVM से पैदा होने की बात भी दोहराई। 5- टोल टैक्स का मुद्दा उठाया: अनुप्रिया पटेल ने वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर अहरौरा में अतिरिक्त टोल बूथ लगाने पर आपत्ति जताई। उनका कहना है, NHAI के नियमों के अनुसार एक टोल से दूसरे टोल के बीच की दूरी 40 किलोमीटर होनी चाहिए। लेकिन, मार्ग में 20 किलोमीटर की दूरी फत्तेपुर और अहरौरा में दो टोल प्लाजा लगाकर वाहन स्वामियों से गलत टोल वसूला जा रहा है। 6- अनुप्रिया पटेल ने योगी सरकार के नजूल संपत्ति विधेयक का विरोध किया। उन्होंने X पोस्ट में लिखा- नजूल भूमि संबंधी विधेयक को विमर्श के लिए प्रवर समिति को भेजा गया है। बिना विमर्श के यह विधेयक लाया गया। उन्होंने विधेयक को गैर जरूरी बताया। यह भी कहा कि ये विधेयक आम जनमानस की भावनाओं के खिलाफ है। यूपी सरकार को इसे वापस लेना चाहिए। इस मामले में जिन अधिकारियों ने गुमराह किया है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। अब पढ़िए अपना दल की मजबूती और कमजोरी यह भी पढ़ें:- यूपी में सरकार से अलग रास्ता तलाश रहीं अनुप्रिया:बंद कमरों में सुलझने वाले विवादों पर वार-पलटवार; एक्सपर्ट बोले-सौदेबाजी का खेल प्रदेश की योगी सरकार और सूबे में NDA के सबसे बड़े सहयोगी अपना दल (एस) के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। योगी सरकार 1.0 में जहां मनमुटाव की बातें बंद कमरों तक होती थी, सरकार 2.0 में जगजाहिर हो गया। अपना दल (एस) की ओर से सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस पर सरकार की ओर से भी उतने ही तल्ख अंदाज में पलटवार किया जा रहा। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर