कांगड़ा जिला के पठानकोट- जोगिंदरनगर रेल सेवा की बहाली को लेकर नंदपुर विकास संघर्ष समिति ने रविवार को एक विशाल आक्रोश रैली निकाली। रैली में बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया और रेलवे विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। नंदपुर भटोली के रैना के तालाब के पास एकत्रित हुए प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां लेकर डीआरएम फिरोजपुर को जगाने और कांगड़ा घाटी की ट्रेनों को बहाल करने की मांग की। उन्होंने कहा कि रेलवे प्रबंधन कांगड़ा घाटी की रेल सेवाओं के साथ दोहरा मापदंड अपना रहा है। संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुखलाल गोदारा ने कहा कि नूरपुर से गुलेर तक सफल ट्रायल होने के बावजूद भी रेलवे विभाग रेलगाड़ियों को बहाल करने में आनाकानी कर रहा है। उन्होंने कहा कि रेलवे विभाग करोड़ों रुपए ट्रैक के रखरखाव पर खर्च करता है, फिर भी बरसात के मौसम में ट्रेन सेवाएं बंद कर देता है। 15 दिन बाद भी नहीं हटा मलबा
समिति के उपाध्यक्ष सुदेश धीमान ने रानीताल में गिरे मलबे को हटाने में हो रही देरी पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस आधुनिक युग में 15 दिनों में मलबा हटाया जा सकता था, लेकिन रेलवे विभाग की लापरवाही के कारण अभी तक मलबा हटाया नहीं गया है।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर एक सप्ताह के भीतर नूरपुर से गुलेर तक रेल सेवाएं बहाल नहीं की गईं तो जनता उग्र आंदोलन करने को मजबूर होगी। कांगड़ा जिला के पठानकोट- जोगिंदरनगर रेल सेवा की बहाली को लेकर नंदपुर विकास संघर्ष समिति ने रविवार को एक विशाल आक्रोश रैली निकाली। रैली में बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया और रेलवे विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। नंदपुर भटोली के रैना के तालाब के पास एकत्रित हुए प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां लेकर डीआरएम फिरोजपुर को जगाने और कांगड़ा घाटी की ट्रेनों को बहाल करने की मांग की। उन्होंने कहा कि रेलवे प्रबंधन कांगड़ा घाटी की रेल सेवाओं के साथ दोहरा मापदंड अपना रहा है। संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुखलाल गोदारा ने कहा कि नूरपुर से गुलेर तक सफल ट्रायल होने के बावजूद भी रेलवे विभाग रेलगाड़ियों को बहाल करने में आनाकानी कर रहा है। उन्होंने कहा कि रेलवे विभाग करोड़ों रुपए ट्रैक के रखरखाव पर खर्च करता है, फिर भी बरसात के मौसम में ट्रेन सेवाएं बंद कर देता है। 15 दिन बाद भी नहीं हटा मलबा
समिति के उपाध्यक्ष सुदेश धीमान ने रानीताल में गिरे मलबे को हटाने में हो रही देरी पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस आधुनिक युग में 15 दिनों में मलबा हटाया जा सकता था, लेकिन रेलवे विभाग की लापरवाही के कारण अभी तक मलबा हटाया नहीं गया है।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर एक सप्ताह के भीतर नूरपुर से गुलेर तक रेल सेवाएं बहाल नहीं की गईं तो जनता उग्र आंदोलन करने को मजबूर होगी। हिमाचल | दैनिक भास्कर