रेवाड़ी में मनाने का दौर खत्म-अब कार्रवाई की बारी:कांग्रेस और बीजेपी हाईकमान की बागियों पर नजर; दोनों दलों ने बनाई टीमें

रेवाड़ी में मनाने का दौर खत्म-अब कार्रवाई की बारी:कांग्रेस और बीजेपी हाईकमान की बागियों पर नजर; दोनों दलों ने बनाई टीमें

हरियाणा के रेवाड़ी जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के सामने भीतरघात करने वाले साइलेंट बागियों से निपटना चुनौती बना हुआ हैं। इन्हें मनाने की कोशिशें भी खूब हुई, लेकिन फिर भी यह पार्टी के प्रत्याशी के प्रचार से पूरी तरह दूरी बनाए हुए हैं। ना पार्टी छोड़ी और ना ही पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में वोट की अपील कर रहे है। ऐसे में हाईकमान ने ऐसे नेताओं पर नजर रखनी शुरू कर दी है। दोनों ही दलों की तरफ से टीमें भी बनाई गई है, जो इन साइलेंट बागियों की हर गतिविधि पर नजर रख रही है। रिपोर्ट मिलने के बाद हाईकमान इनके खिलाफ कार्रवाई करेगी। बता दें कि जिले में रेवाड़ी के अलावा कोसली और बावल विधानसभा सीटें हैं। रेवाड़ी सीट पर कांग्रेस ने चिरंजीव राव, कोसली में जगदीश यादव और बावल में डॉ. एमएल रंगा को प्रत्याशी बनाया है। इसी तरह बीजेपी ने रेवाड़ी में लक्ष्मण सिंह यादव, कोसली में अनिल डहीना और बावल में डॉ. कृष्ण कुमार को चुनावी मैदान में उतारा हुआ है। रेवाड़ी सीट पर कांग्रेस के चिरंजीव राव को छोड़कर बाकी पांचों उम्मीदवार के सामने सबसे बड़ी चुनौती बागी है। कुछ बागी होकर निर्दलीय चुनाव में उतर चुके हैं। लेकिन हर सीट पर 2 से 3 नेता ऐसे हैं, जिन्होंने टिकट कटने के बाद नाराजगी दिखाई और फिर भी पार्टी नहीं छोड़ी। इतना ही नहीं उन्हें मनाने की तमाम कोशिशें की गई लेकिन फिर भी ये नेता प्रत्याशी के प्रचार से पूरी तरह दूर हैं। कांग्रेस में यादवेंद्र सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती कोसली सीट पर हैं। यहां से एंटी रामपुरा हाउस की राजनीति करने वाले जगदीश यादव को प्रत्याशी बनाए जाने से रामपुरा हाउस के सदस्य पूर्व विधायक राव यादवेंद्र सिंह का टिकट काटा गया है। वह 2 बार इस सीट से विधायक चुने जा चुके है। हालांकि पिछले 2 चुनाव में उन्हें हार का मुंह भी देखना पड़ा। पिछले चुनाव में तो वह बुरी तरह हार गए थे। उन्हें सिर्फ 40189 वोट मिले थे जबकि 78813 वोट लेकर बीजेपी के लक्ष्मण सिंह यादव चुनाव जीते थे। कोसली रामपुरा हाउस की पैतृक सीट रही है। यहां से राव यादवेंद्र के बड़े भाई केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के बीजेपी में जाने के बाद से दोनों बार उनके समर्थित नेता की ही जीत हुई है। कांग्रेस के लिए कोसली सीट इसलिए चुनौती बन गई क्योंकि यहां से रामपुरा हाउस के खिलाफ की राजनीति करने वाले जगदीश यादव को टिकट दे दिया गया। राव यादवेंद्र खुलकर जगदीश यादव का विरोध करने की बात तो कह चुके हैं लेकिन उन्होंने कांग्रेस नहीं छोड़ी है। ऐसे में पार्टी को भीतरघात की पूरी संभावनाएं दिख रही है। बीजेपी के लिए तीनों सीट पर परेशानी बीजेपी की बात करें तो रेवाड़ी की तीनों सीटों पर बड़ी परेशानी हैं। कोसली में राव इंद्रजीत सिंह समर्थित अनिल डहीना को टिकट मिलने से नाराज पूर्व मंत्री बिक्रम ठेकेदार सहित कई पदाधिकारी प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं। टिकट वितरण के बाद इन्होंने बगावती तेवर भी दिखाए, लेकिन इसके बाद शांत रहकर चुनावी प्रचार से दूरी बना ली। इसी तरह रेवाड़ी सीट पर पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास और डॉ. अरविंद यादव बीजेपी प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह यादव के प्रचार से पूरी तरह दूर हैं। इन दोनों ही नेताओं को मनाने की कोशिशें भी हुई। सीएम नायब सैनी से लेकर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्‌टर ने भी बात की। जिसके बाद बागी होकर चुनाव तो नहीं लड़ा, लेकिन प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं। इसी तरह बावल सीट पर पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारी लाल का टिकट कटने से वह खासे नाराज हैं। टिकट वितरण के अंतिम दौर तक बावल सीट को लेकर काफी खिंचतान हुई। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल डॉ. बनवारी लाल को टिकट दिलाने की पैरवी कर रहे थे, जबकि केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह किसी दूसरे नेता को टिकट दिलाने पर अड़े हुए थे। आखिर में राव इंद्रजीत सिंह की चली और हेल्थ डिपार्टमेंट में डायरेक्टर पद से नौकरी छोड़ तुरंत बीजेपी जॉइन करने वाले डॉ. कृष्ण कुमार को टिकट मिल गई। डॉ. बनवारी लाल को भी राव इंद्रजीत सिंह का खास माना जाता था, लेकिन टिकट नहीं मिलने से नाराज डॉ. बनवारी ने ना केवल बीजेपी प्रत्याशी बल्कि राव इंद्रजीत सिंह से भी दूरियां बना ली है। वे चुनावी प्रचार से पूरी तरह दूर हैं। हाईकमान रख रहा बागियों पर नजर मनाने की कोशिशें करने के बाद भी प्रत्याशियों के पक्ष में नहीं उतरने वाले नेताओं पर कांग्रेस और बीजेपी हाईकमान ने नजर रखनी शुरू कर दी है। बकायदा दोनों दलों की तरफ से ऐसी टीम बनाई गई है जो ऐसे नेताओं की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख रही है। जो टिकट नहीं मिलने से नाराज होने के बाद भीतरघात कर सकते हैं। हर दिन की रिपोर्ट हाईकमान तक पहुंचाई जा रही है। ऐसे में साइलेंट बागियों पर कभी भी कार्रवाई भी हो सकती है। हरियाणा के रेवाड़ी जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के सामने भीतरघात करने वाले साइलेंट बागियों से निपटना चुनौती बना हुआ हैं। इन्हें मनाने की कोशिशें भी खूब हुई, लेकिन फिर भी यह पार्टी के प्रत्याशी के प्रचार से पूरी तरह दूरी बनाए हुए हैं। ना पार्टी छोड़ी और ना ही पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में वोट की अपील कर रहे है। ऐसे में हाईकमान ने ऐसे नेताओं पर नजर रखनी शुरू कर दी है। दोनों ही दलों की तरफ से टीमें भी बनाई गई है, जो इन साइलेंट बागियों की हर गतिविधि पर नजर रख रही है। रिपोर्ट मिलने के बाद हाईकमान इनके खिलाफ कार्रवाई करेगी। बता दें कि जिले में रेवाड़ी के अलावा कोसली और बावल विधानसभा सीटें हैं। रेवाड़ी सीट पर कांग्रेस ने चिरंजीव राव, कोसली में जगदीश यादव और बावल में डॉ. एमएल रंगा को प्रत्याशी बनाया है। इसी तरह बीजेपी ने रेवाड़ी में लक्ष्मण सिंह यादव, कोसली में अनिल डहीना और बावल में डॉ. कृष्ण कुमार को चुनावी मैदान में उतारा हुआ है। रेवाड़ी सीट पर कांग्रेस के चिरंजीव राव को छोड़कर बाकी पांचों उम्मीदवार के सामने सबसे बड़ी चुनौती बागी है। कुछ बागी होकर निर्दलीय चुनाव में उतर चुके हैं। लेकिन हर सीट पर 2 से 3 नेता ऐसे हैं, जिन्होंने टिकट कटने के बाद नाराजगी दिखाई और फिर भी पार्टी नहीं छोड़ी। इतना ही नहीं उन्हें मनाने की तमाम कोशिशें की गई लेकिन फिर भी ये नेता प्रत्याशी के प्रचार से पूरी तरह दूर हैं। कांग्रेस में यादवेंद्र सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती कोसली सीट पर हैं। यहां से एंटी रामपुरा हाउस की राजनीति करने वाले जगदीश यादव को प्रत्याशी बनाए जाने से रामपुरा हाउस के सदस्य पूर्व विधायक राव यादवेंद्र सिंह का टिकट काटा गया है। वह 2 बार इस सीट से विधायक चुने जा चुके है। हालांकि पिछले 2 चुनाव में उन्हें हार का मुंह भी देखना पड़ा। पिछले चुनाव में तो वह बुरी तरह हार गए थे। उन्हें सिर्फ 40189 वोट मिले थे जबकि 78813 वोट लेकर बीजेपी के लक्ष्मण सिंह यादव चुनाव जीते थे। कोसली रामपुरा हाउस की पैतृक सीट रही है। यहां से राव यादवेंद्र के बड़े भाई केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के बीजेपी में जाने के बाद से दोनों बार उनके समर्थित नेता की ही जीत हुई है। कांग्रेस के लिए कोसली सीट इसलिए चुनौती बन गई क्योंकि यहां से रामपुरा हाउस के खिलाफ की राजनीति करने वाले जगदीश यादव को टिकट दे दिया गया। राव यादवेंद्र खुलकर जगदीश यादव का विरोध करने की बात तो कह चुके हैं लेकिन उन्होंने कांग्रेस नहीं छोड़ी है। ऐसे में पार्टी को भीतरघात की पूरी संभावनाएं दिख रही है। बीजेपी के लिए तीनों सीट पर परेशानी बीजेपी की बात करें तो रेवाड़ी की तीनों सीटों पर बड़ी परेशानी हैं। कोसली में राव इंद्रजीत सिंह समर्थित अनिल डहीना को टिकट मिलने से नाराज पूर्व मंत्री बिक्रम ठेकेदार सहित कई पदाधिकारी प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं। टिकट वितरण के बाद इन्होंने बगावती तेवर भी दिखाए, लेकिन इसके बाद शांत रहकर चुनावी प्रचार से दूरी बना ली। इसी तरह रेवाड़ी सीट पर पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास और डॉ. अरविंद यादव बीजेपी प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह यादव के प्रचार से पूरी तरह दूर हैं। इन दोनों ही नेताओं को मनाने की कोशिशें भी हुई। सीएम नायब सैनी से लेकर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्‌टर ने भी बात की। जिसके बाद बागी होकर चुनाव तो नहीं लड़ा, लेकिन प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं। इसी तरह बावल सीट पर पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारी लाल का टिकट कटने से वह खासे नाराज हैं। टिकट वितरण के अंतिम दौर तक बावल सीट को लेकर काफी खिंचतान हुई। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल डॉ. बनवारी लाल को टिकट दिलाने की पैरवी कर रहे थे, जबकि केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह किसी दूसरे नेता को टिकट दिलाने पर अड़े हुए थे। आखिर में राव इंद्रजीत सिंह की चली और हेल्थ डिपार्टमेंट में डायरेक्टर पद से नौकरी छोड़ तुरंत बीजेपी जॉइन करने वाले डॉ. कृष्ण कुमार को टिकट मिल गई। डॉ. बनवारी लाल को भी राव इंद्रजीत सिंह का खास माना जाता था, लेकिन टिकट नहीं मिलने से नाराज डॉ. बनवारी ने ना केवल बीजेपी प्रत्याशी बल्कि राव इंद्रजीत सिंह से भी दूरियां बना ली है। वे चुनावी प्रचार से पूरी तरह दूर हैं। हाईकमान रख रहा बागियों पर नजर मनाने की कोशिशें करने के बाद भी प्रत्याशियों के पक्ष में नहीं उतरने वाले नेताओं पर कांग्रेस और बीजेपी हाईकमान ने नजर रखनी शुरू कर दी है। बकायदा दोनों दलों की तरफ से ऐसी टीम बनाई गई है जो ऐसे नेताओं की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख रही है। जो टिकट नहीं मिलने से नाराज होने के बाद भीतरघात कर सकते हैं। हर दिन की रिपोर्ट हाईकमान तक पहुंचाई जा रही है। ऐसे में साइलेंट बागियों पर कभी भी कार्रवाई भी हो सकती है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर