हरियाणा के रेवाड़ी शहर के मुख्य बाजार की खस्ता हालत और जलभराव की समस्या को लेकर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। बुधवार सुबह नगर परिषद की टीम कार्यकारी अधिकारी (ईओ) संदीप मलिक के नेतृत्व में मुख्य बाजार में पहुंची। रेलवे रोड से गोकल गेट तक जलभराव की समस्या से निपटने के लिए इंतजाम भी देखे गए। ईओ संदीप मलिक ने बताया कि एक दिन पहले ही शहर के सभी व्यापारी संगठनों ने डीसी राहुल हुड्डा और एडीसी एवं डीएमसी अनुपमा अंजलि से मुलाकात कर बाजार से जुड़ी कुछ समस्याएं रखी थीं। जिसके बाद अधिकारियों ने समस्याओं का तुरंत समाधान करने के निर्देश दिए। जिसके चलते ईओ के अलावा नगर परिषद के सचिव, एक्सईएन, सीएसआई, जेई समेत अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने दौरा कर लिया जायजा अधिकारियों ने रेलवे चौक से लेकर गोकल गेट और मोती चौक तक का दौरा किया। इस दौरान सबसे बड़ी समस्या जलभराव को लेकर व्यापारियों से बात की। गोकल गेट से लेकर मेन बाजार तक बरसात के मौसम में हालत बहुत ज्यादा खराब रहते हैं। इस बार नगर परिषद ने बरसात के मौसम से पहले नालों तक की सफाई तक नहीं कराई। ईओ संदीप मलिक ने कहा कि नालों की तुरंत सफाई कराई जाएगी, जिससे जलभराव जैसी समस्या ना हो। इसके अलावा अन्य समस्याओं के समाधान को लेकर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। 12 मांगों का सीएम के नाम सौंपा था पत्र बता दें कि एक दिन पहले मंगलवार को शहर के केवल बाजार ट्रेड एसोसिएशन, ज्वेलर्स एसोसिएशन, मोती चौक व्यापार संगठन, नया बाजार मार्केट एसोसिएशन, ब्रास मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन, काठमंडी व्यापार संगठन, सब्जी मंडी व्यापार संगठन, गोकल बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन, रेलवे रोड ट्रेड्स एसोसिएशन, व्यापार मंडल नई अनाज मंडी सहित अन्य संगठन ने अपनी 12 मांगों का एक पत्र डीसी और एडीसी को सौंपा था। जिसमें प्रमुख रूप से मार्केट की टूटी सड़कों को ठीक कराने, जलभराव की समस्या का समाधान कराने के अलावा बाजार में सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने के साथ ही रविवार को लगने वाली संडे मार्केट को बंद कराने जैसी मांगे रखी गई। हरियाणा के रेवाड़ी शहर के मुख्य बाजार की खस्ता हालत और जलभराव की समस्या को लेकर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। बुधवार सुबह नगर परिषद की टीम कार्यकारी अधिकारी (ईओ) संदीप मलिक के नेतृत्व में मुख्य बाजार में पहुंची। रेलवे रोड से गोकल गेट तक जलभराव की समस्या से निपटने के लिए इंतजाम भी देखे गए। ईओ संदीप मलिक ने बताया कि एक दिन पहले ही शहर के सभी व्यापारी संगठनों ने डीसी राहुल हुड्डा और एडीसी एवं डीएमसी अनुपमा अंजलि से मुलाकात कर बाजार से जुड़ी कुछ समस्याएं रखी थीं। जिसके बाद अधिकारियों ने समस्याओं का तुरंत समाधान करने के निर्देश दिए। जिसके चलते ईओ के अलावा नगर परिषद के सचिव, एक्सईएन, सीएसआई, जेई समेत अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने दौरा कर लिया जायजा अधिकारियों ने रेलवे चौक से लेकर गोकल गेट और मोती चौक तक का दौरा किया। इस दौरान सबसे बड़ी समस्या जलभराव को लेकर व्यापारियों से बात की। गोकल गेट से लेकर मेन बाजार तक बरसात के मौसम में हालत बहुत ज्यादा खराब रहते हैं। इस बार नगर परिषद ने बरसात के मौसम से पहले नालों तक की सफाई तक नहीं कराई। ईओ संदीप मलिक ने कहा कि नालों की तुरंत सफाई कराई जाएगी, जिससे जलभराव जैसी समस्या ना हो। इसके अलावा अन्य समस्याओं के समाधान को लेकर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। 12 मांगों का सीएम के नाम सौंपा था पत्र बता दें कि एक दिन पहले मंगलवार को शहर के केवल बाजार ट्रेड एसोसिएशन, ज्वेलर्स एसोसिएशन, मोती चौक व्यापार संगठन, नया बाजार मार्केट एसोसिएशन, ब्रास मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन, काठमंडी व्यापार संगठन, सब्जी मंडी व्यापार संगठन, गोकल बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन, रेलवे रोड ट्रेड्स एसोसिएशन, व्यापार मंडल नई अनाज मंडी सहित अन्य संगठन ने अपनी 12 मांगों का एक पत्र डीसी और एडीसी को सौंपा था। जिसमें प्रमुख रूप से मार्केट की टूटी सड़कों को ठीक कराने, जलभराव की समस्या का समाधान कराने के अलावा बाजार में सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने के साथ ही रविवार को लगने वाली संडे मार्केट को बंद कराने जैसी मांगे रखी गई। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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महासभा में विवाद से चर्चा में बिश्नोई समाज:महिला हिरण के बच्चे को दूध पिलाती है, शादी में फेरे नहीं, पेड़ बचाने को सिर कटाए
महासभा में विवाद से चर्चा में बिश्नोई समाज:महिला हिरण के बच्चे को दूध पिलाती है, शादी में फेरे नहीं, पेड़ बचाने को सिर कटाए बिश्नोई समाज इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है। इसका बड़ा कारण है पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई और बिश्नोई महासभा के प्रधान देवेंद्र के बीच चल रही तनातनी। हाल ही में दोनों ने संगठन में रहते हुए एक-दूसरे को अपने-अपने पदों से हटा दिया था। वहीं, बुधवार को बिश्नोई समाज ने बैठक कर 5 फैसले लिए हैं। इनमें सबसे बड़ा फैसला महासभा का संरक्षक पद खत्म करना था। इसके साथ ही फैसला लिया गया कि कुलदीप बिश्नोई से ‘बिश्नोई रत्न’ भी वापस लिया जाएगा। संगठन में चल रहे विवाद के कारण भले ही इस वक्त बिश्नोई समाज सुर्खियों में आ गया हो, लेकिन आपको बता दें कि प्रकृति से प्रेम करने वाला यह समाज वन्य जीवों के लिए त्याग करने के लिए समाज में एक मिसाल माना जाता है। बिश्नोई महिला हिरण के बच्चे को अपना दूध पिलाती है। पेड़ बचाने के लिए वह सिर तक कटा देते हैं। उनके यहां शादी में दूल्हा-दुल्हन फेरे नहीं लेते। महासभा में चल रहे विवाद के बीच बिश्नोई समाज की पूरी कहानी पढ़ें… सबसे पहले ये तस्वीर देखें… हिरण के बच्चे को अपना दूध पिला रही ये महिला बिश्नोई समाज की है। ये तस्वीर ही उस दस्तूर की बानगी है, जिसमें बिश्नोई समाज का जानवरों के प्रति अटूट प्रेम दिखता है। बिश्नोई… यह बीस और नौ शब्द से बना है. जिसका मतलब होता है 29 नियमों का पालन करने वाला एक पंथ। इसमें से एक है जानवरों पर दया करना। जहां-जहां बिश्नोई बसाहट है, वहां हिरण, मोर और काले तीतर के झुंड मिलेंगे। इनकी रक्षा के लिए यह पंथ अपनी जान तक दे देता है और इन्हें बचाने के लिए किसी की जान ले भी सकता है। बिश्नोई समाज को प्रह्लादपंथी कहा जाता है। ये भक्त प्रह्लाद को मानते हैं। इसलिए, होलिका दहन के दिन शोक मनाते हैं। उस दिन इनके घर में खिचड़ी बनती है। इसी तरह इस समाज में पेड़-पौधे को काटना मना है। इसलिए, मरने के बाद इन्हें जलाया नहीं जाता, बल्कि मिट्टी में दफना दिया जाता है। हर घर के आगे खेजड़ी का पेड़ होना भी जरूरी है। बिश्नोई समाज ने हिसार में 40 हजार करोड़ की टाउनशिप का प्लान शिफ्ट कराया हरियाणा के हिसार में गांव बड़ोपल से कुछ दूरी पर संकरी सड़क के दोनों ओर दूर तक जंगल है। आसपास कंटीली झाड़ियां और कुछ कोस पर कीकर और खेजड़ी के पेड़ हैं। यहां ब्लैक बक सेंचुरी है। इस सेंचुरी में केंद्र सरकार का 40,000 करोड़ रुपए का टाउनशिप का एक प्लान बिश्नोई समाज के लोगों ने लंबी लड़ाई लड़कर शिफ्ट करवाया है। इस जंगल में हिरण, सांप, नील गाय समेत अनेक जीव और खेजड़ी के पेड़ हैं। इस बारे में कुलदीप बिश्नोई कहते हैं, ‘गुरु जम्भेश्वर ने हमें 29 नियमों का मंत्र दिया था। उन्हीं को मानते हुए आज भी हम वन्यजीव और वन बचाने के लिए वचनबद्ध हैं। इसके लिए युवाओं की प्रबंधन कमेटियां बनाई गई हैं। बिश्नोइयों के इलाके में कोई शिकारी या लकड़ी तस्कर आने की हिम्मत नहीं करते।’ बिश्नोई समाज के जीव प्रेमी अनिल खिच्चड़ मंगाली बताते हैं, ‘यह हमारे लिए ये सब सामाजिक नहीं धार्मिक काम हैं। हिरण के लिए हम ज्यादा संवेदनशील है। इसकी वजह यह है कि यह सबसे ज्यादा निरीह और कमजोर है। इस वजह से इसके इंसान भी दुश्मन हैं और दूसरे जानवर भी। अबोहर और राजस्थान में बिश्नोई समाज के घरों में आमतौर पर हिरण आ जाते हैं। हिरण के छोटे बच्चे को महिलाएं अपना दूध पिलाकर बड़ा करती हैं।’ बिश्नोइयों को प्रह्लाद पंथी क्यों कहते हैं? कहा जाता है कि भक्त प्रह्लाद को भगवान विष्णु ने वचन दिया था कि वो कलयुग में उन जीवों का उद्धार करने के लिए आएंगे जो सतयुग में रह गए हैं। बिश्नोई समाज गुरु जम्भेश्वर को भी विष्णु का अवतार मानता है। ज्यादातर बिश्नोई जाट समाज से इस पंथ में आए हैं। इस समाज को मानने वाले राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में रहते हैं। हिसार शहर से 40 किलोमीटर दूर आदमपुर का गांव सदलपुर बिश्नोई बहुल समाज का गांव है। यहां बिश्नोई मंदिर है। इसमें गुरु जम्भेश्वर के सिवाय कोई और मूर्ति नहीं है। गुरु जम्भेश्वर की मूर्ति के सामने कुछ भी नहीं रखा जाता। हिंदू मंदिरों से तुलना करें तो यहां सब कुछ बेहद सादा है। गुरु जम्भेश्वर वचन का पाठ हो होता है। हवन के बाद आरती होती है। यहां हवन में गाय के गोबर के उपलों को जलाकर उस पर सूखे नारियल की गिरियां, शुद्ध घी, सौंफ, तिल और हवन सामग्री डाली जाती है। आरती की थाली गुरु जम्भेश्वर की मूर्ति की ओर नहीं रखी जाती। जो व्यक्ति आरती कर रहा है उसकी पीठ मूर्ति की ओर रहती है। इसकी वजह भगत राम बताते हैं, ‘गुरु जम्भेश्वर का कहना था कि मैं जोत में हूं, जिसका मुंह चारों ओर है। इसलिए, आरती उनकी मूर्ति को न दिखाकर चारों ओर दिखाई जाती है।’ गुरु जम्भेश्वर के भक्त घर या मंदिर में सुबह और शाम सिर्फ हवन करते हैं। गुरु जम्भेश्वर का कहना है कि कोई मूर्ति पूजा नहीं करनी है। घर में सुबह-शाम हवन करना है। बिश्नोई समाज में बच्चे का जन्म और शादी के रीति-रिवाज भी अलग होते हैं। बच्चा पैदा होने के बाद 29 दिन बच्चे और उसकी मां को अलग रखा जाता है। 30वें दिन हवन होता है और पाल-पानी रखा जाता है। गुरु जम्भेश्वर के 120 शब्दवाणी से इसे मंत्रित किया जाता है। इस पाल को बच्चे को पिलाया जाता है, जिसे पीने से वह बिश्नोई हो जाता है। उसके बाद वह घर के अंदर आकर बाकी परिवार के साथ सामान्य जीवन जीता है। दरअसल, पाल एक मंत्र फूंका हुआ पानी होता है जिसे यह लोग गंगाजल की तरह पवित्र मानते हैं। बिश्नोई समाज में शादी के रीति-रिवाज भी अलग हैं। इनके यहां फेरे नहीं होते हैं। बल्कि, दूल्हा और दुल्हन को दो अलग-अलग पीढ़े पर बैठा देते हैं। उनके सामने गुरु जम्भेश्वर की शब्दवाणी पढ़ी जाती है। पाल की कसम खिलाई जाती है। बस शादी हो गई। बिश्नोई समाज पुनर्जन्म में यकीन नहीं रखता है। उसका मानना है कि कर्म के हिसाब से जो है इसी जन्म में है। इनकी पूजा इबादत जो है, वह पर्यावरण से ही जुड़ी है। इसलिए, यह मरने के बाद शव को जलाते नहीं हैं, बल्कि उसे दफनाते हैं। बीते साल जोधपुर के गांव में शैतान सिंह ने एक शिकारी के चंगुल से एक हिरण को बचाने के लिए अपनी जान दे दी। इन लोगों के लिए जीव जंतु इतने अहम हैं कि मरने के बाद यह लोग इंसानों की ही तरह से पशु पक्षियों का दाह संस्कार करते हैं। बिश्नोई समाज के लोग होली भी नहीं मनाते हैं। वह होली के त्योहार को काला दिन मानते हैं, क्योंकि इस दिन होलिका भक्त प्रह्लाद को दहन करने के लिए अपनी गोद में लेकर बैठी थी। बिश्नोई समाज के लोग इस दिन सूतक रखते हैं। ये लोग इस दिन एक-दूसरे के घर जाते हैं। अफसोस करते हैं। गुरु जम्भेश्वर और भक्त प्रह्लाद की बातें करते हैं। शाम को जल्दी खाना खाकर सो जाते हैं। इस दिन वह बहुत ही सादा खाना खिचड़ा खाते हैं। कोई किसी से हंसी-मजाक नहीं करता है। इस दिन किसी के बच्चा हो जाए तो खुशी नहीं मनाई जाती है। सारे शुभ काम टाल दिए जाते हैं। होली के अगले दिन जब देखा जाता है कि भक्त प्रह्लाद जले नहीं हैं, भगवान विष्णु ने उन्हें बचा लिया है, तब खुशी मनाते हैं। खेजड़ी के पेड़ बचाने के लिए 363 बिश्नोइयों ने अपने सिर कटवाए
खेजड़ी इनका धार्मिक पेड़ है। हर बिश्नोई के घर के बाहर यह पेड़ आपको मिलेगा। इसके पीछे एक कहानी है। आज से लगभग 300 साल पहले की बात है। राजा अभय सिंह ने अपने महल के दरवाजे बनवाने के लिए हरे पेड़ों की लकड़ी कटवाने का आदेश दिया। उन्हें पता लगा कि बिश्नोई बहुल इलाके में सबसे ज्यादा पेड़ मिलेंगे। जब उनकी सेना वहां पेड़ काटने के लिए गई तब वहां बिश्नोई समाज की महिला ‘माता अमृता देवी’ ने इसका विरोध किया। जब उनकी बात नहीं सुनी गई तो उन्होंने अपना शीश कटा दिया। शीश कटवाने से पहले माता अमृता देवी ने उनसे कहा, ‘सिर सांटे रूख रहे, तो भी सस्तो जाणिये।’ कहने का मतलब है- अगर सिर कटवा देने से एक पेड़ भी बच जाता है तो यह मेरे लिए सस्ता सौदा है। इसके बाद से खेजड़ी के पेड़ की पूजा शुरू हो गई। उस वक्त 363 बिश्नोइयों ने भी अपना सिर कटवा दिया था। **************** ये खबर भी पढ़ें… अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा में बवाल:बैठक में लिए 5 फैसले; संरक्षक पद खत्म, कुलदीप से बिश्नोई रत्न वापस लिया जाए अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के प्रधान देवेंद्र बूड़िया और पूर्व सीएम भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई के बीच चल रहे विवाद में अब नया मोड आ गया है। बिश्नोई समाज के धार्मिक स्थल मुकाम धाम पर बुधवार को बैठक हुई। (पूरी खबर पढ़ें)
रोहतक के मनोज भी मेडल जीतकर हुए थे अयोग्य:बोले- देश का दबदबा नहीं, इसलिए मनमर्जी करते हैं; आज मकान पर 15 लाख का कर्ज
रोहतक के मनोज भी मेडल जीतकर हुए थे अयोग्य:बोले- देश का दबदबा नहीं, इसलिए मनमर्जी करते हैं; आज मकान पर 15 लाख का कर्ज विनेश फोगाट की तरह ही रोहतक के टोक्यो पैरालिंपियन मनोज मलिक को भी कांस्य पदक जीतने के एक दिन बाद ही अयोग्य घोषित कर दिया गया था। अब विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक में 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया। इस पर पैरालिंपियन मनोज मलिक ने कहा कि ऐसे मामलों में मनमानी साफ दिखती है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का कोई दबदबा नहीं है। प्रबंधन की ओर से भी कोई आवाज नहीं उठाई जाती। मनोज मलिक ने बताया कि वह डिस्कस थ्रो के खिलाड़ी हैं और एक हाथ और एक पैर से दिव्यांग हैं। उन्होंने टोक्यो 2021 में हिस्सा लिया था। उनकी कैटेगरी एफ-52 थी। इवेंट से एक हफ्ते पहले भी डॉक्टरों ने उनकी जांच की थी और उन्हें यह कैटेगरी दी थी। उन्होंने अपने खेल में अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने अपनी काबिलियत के दम पर कांस्य पदक जीता। पदक जीतने के बाद उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। उन्होंने कारण भी बताया कि आप इस कैटेगरी में नहीं आते। उस समय उन्होंने खुद पर भरोसा किया और अपनी लड़ाई लड़ी। लेकिन उन्हें आज तक न्याय नहीं मिला। मनोज मलिक ने कहा कि उनके ओलंपिक और पैरालिंपिक में मनमानी की जाती है। जिसका एक उदाहरण विनेश के साथ देखने को मिला। वहीं, वह खुद भी मनमानी का शिकार हुए हैं। ऐसी घटना को देखकर साफ पता चलता है कि देश का दबदबा नहीं है। प्रबंधन भी ठीक से आवाज नहीं उठाता। उन्होंने कहा कि विनेश का वजन बढ़ने से पहले उसने सिल्वर मेडल जीता था। इसलिए विनेश को सिल्वर मेडल मिलना चाहिए। सीएम के चक्कर काटे, लेकिन नहीं मिली कोई मदद मनोज मलिक ने कहा कि मेडल जीतने के बाद सभी ने बधाई दी। लेकिन मेडल जीतने के एक दिन बाद ही उसे अयोग्य घोषित कर दिया गया। इसके बाद वह मानदेय और नौकरी जैसी मदद के लिए मुख्यमंत्री के चक्कर काटे, लेकिन न तो कोई मदद मिली और न ही कोई नौकरी। जिसके चलते आज उसे घर का खर्च चलाने में परेशानी हो रही है। वह दो बेटियों (बड़ी 8 साल की बेटी और छोटी 4 साल की बेटी) का पिता है। मकान पर भी कर्ज उन्होंने बताया कि वह दोनों पैरों और एक हाथ से दिव्यांग हैं और व्हील चेयर पर रहते हैं। रियो पैरालिंपिक में दीपा मलिक को देखकर उन्होंने डिस्कस थ्रो खेलना शुरू किया था। पैरालिंपिक में जाने और खेलना शुरू करने से पहले वह किराने की दुकान चलाते थे। लेकिन अब वह घर का खर्च भी नहीं चला पा रहे हैं। उनके पास 72 गज का मकान है, जिस पर 15 लाख का कर्ज है। फिलहाल उन्हें सरकार से मदद की उम्मीद है, ताकि उन्हें नौकरी मिल सके।
घरौंडा में सरपंच पर भ्रष्टाचार के आरोप:ग्रामीण बोले- पंचायती जमीन पर कब्जा और पेड़ बेचे; DC ने जांच के आदेश दिए
घरौंडा में सरपंच पर भ्रष्टाचार के आरोप:ग्रामीण बोले- पंचायती जमीन पर कब्जा और पेड़ बेचे; DC ने जांच के आदेश दिए हरियाणा में करनाल जिले के घरौंडा कस्बे के अंतर्गत आने वाले झिंवरेहड़ी गांव के सरपंच व पूर्व सरपंच पर पंचायत की भूमि पर अवैध कब्जा, पेड़ों की अवैध कटाई और पंचायत फंड का दुरुपयोग करने के गंभीर आरोप लगे हैं। शहरी विकास एवं निकाय मंत्री को ग्रामीणों ने कष्ट निवारण समिति की बैठक में पूरे मामले की शिकायत करते हुए विजिलेंस जांच की मांग की थी। जिस पर मंत्री ने संज्ञान लिया और DC को जांच के आदेश दे दिए। DC ने DDPO को पूरे मामले की जांच कर एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट जमा करवाने के आदेश दिए हैं। शीशम के पेड़ों को काटकर बेचा झिंवरेहड़ी गांव के सलिंद्र कुमार व नंबरदार धर्मपाल ने शिकायत में आरोप लगाया है कि झिवरेहड़ी गांव की 7 हैक्टेयर खाली पड़ी पंचायत भूमि पर 2020-2021 में वन विभाग द्वारा 7700 शीशम के पेड़ लगाए गए थे। यह पेड़ 3 साल बाद पंचायत को सौंपे जाने थे, लेकिन सरपंच सुषमा देवी और उनके ससुर राजबीर ने मिलीभगत कर बिना वन विभाग की अनुमति के हजारों हरे-भरे पेड़ों को कटवाकर बेच दिया। इस मामले की शिकायत करनाल DC और सीएम विंडो को की गई थी। वन विभाग द्वारा की गई जांच में पेड़ों के अवशेष पाए गए और फोटोग्राफ्स भी लिए गए। वन विभाग ने इस शिकायत को सही पाया और BDPO को कार्रवाई के लिए लिखा गया, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। कब्जा कर मोबाइल टावर लगवाया उन्होंने कहा कि सरपंच ने डेरा सच्चा सौदा द्वारा 15 अगस्त 2021 को स्टेडियम में लगाए गए 160 पौधों को मिट्टी डलवाने की एवज में नष्ट कर दिया। यही नहीं, सरपंच ने पंचायत की भूमि पर अवैध कब्जा कर वहां मोबाइल टावर लगवाया और पंचायत फंड का दुरुपयोग करके चारदीवारी और गली बनाई। इसके अलावा, पूर्व सरपंच ने पंचायत की जमीन में रास्ता बनाया था, जिसे मौजूदा सरपंच ने रंजिश के चलते उखाड़ दिया और ईंटों को खुर्दबुर्द कर दिया। शिकायत में गांव के जोहड़ का पानी निकालने और मंदिर के पास वाले जोहड़ को मनरेगा के बजाए जेसीबी से खुदवाने के भी आरोप हैं। गांव में एक ही व्यक्ति तीन पोस्ट पर कार्यरत है और पंचायत के कार्यों में उसके परिवार के सदस्यों की दिहाड़ी चढ़ाई जाती है। DDPO कृष्ण लाल ने बताया कि आज में बाहर हूं। रिकॉर्ड चेक करके ही बताया जा सकता है कि झिंवरेहड़ी की कोई शिकायत कार्यालय में पहुंची है या नहीं। शिकायत के अनुसार जो भी कार्रवाई होगी, वह की जाएगी।