भास्कर न्यूज | रोहतक रोटरी क्लब ऑफ रोहतक हार्मनी की ओर से सड़कों पर हादसों का कारण बन रहे बेसहारा गोवंश को लेकर मंगलवार को अभियान चलाया गया। क्लब के सदस्यों ने प्रधान हेमंत बख्शी के नेतृत्व में रात के समय सड़कों पर बैठे गोवंश के गले में रेडियम टेप के पट्टे डाले, ताकि रात के समय अंधेरे में कोई वाहन गोवंश से टकराकर हादसे का शिकार न हो। और न ही गोवंश को नुकसान पहुंचे। रोटरी क्लब ऑफ रोहतक हार्मनी के प्रधान हेमंत बख्शी ने कहा कि सड़कों में घूमने वाले गोवंश अक्सर हादसे का कारण बनते हैं। अब तक सैकड़ों हादसे गोवंश के कारण हो चुके हैं। इसमें कुछ लोगों को तो अपनी जान तक गंवानी पड़ी है। सड़कों पर घूमने वाले बेसहारा गोवंश को लेकर प्रशासन का रवैया उदासीन बना है। रात में चलेगा अभियान 1000 पट्टे डालने का लक्ष्य उन्होंने कहा कि अक्सर दुर्घटनाएं होने के बाद भी प्रशासन की नींद नहीं टूट रही। नगर निगम की तरफ से अभियान चलाकर गोवंश को पकड़ने का दावा किया जाता है, लेकिन सड़कों पर बैठा गोवंश निगम के दावों की पोल खोल रहा है। एक हजार रेडियम टेप के पट्टे गोवंश डाले जाएंगे, ताकि रात के समय अंधेरे में कोई वाहन गोवंश के कारण हादसे का शिकार न हो। भास्कर न्यूज | रोहतक रोटरी क्लब ऑफ रोहतक हार्मनी की ओर से सड़कों पर हादसों का कारण बन रहे बेसहारा गोवंश को लेकर मंगलवार को अभियान चलाया गया। क्लब के सदस्यों ने प्रधान हेमंत बख्शी के नेतृत्व में रात के समय सड़कों पर बैठे गोवंश के गले में रेडियम टेप के पट्टे डाले, ताकि रात के समय अंधेरे में कोई वाहन गोवंश से टकराकर हादसे का शिकार न हो। और न ही गोवंश को नुकसान पहुंचे। रोटरी क्लब ऑफ रोहतक हार्मनी के प्रधान हेमंत बख्शी ने कहा कि सड़कों में घूमने वाले गोवंश अक्सर हादसे का कारण बनते हैं। अब तक सैकड़ों हादसे गोवंश के कारण हो चुके हैं। इसमें कुछ लोगों को तो अपनी जान तक गंवानी पड़ी है। सड़कों पर घूमने वाले बेसहारा गोवंश को लेकर प्रशासन का रवैया उदासीन बना है। रात में चलेगा अभियान 1000 पट्टे डालने का लक्ष्य उन्होंने कहा कि अक्सर दुर्घटनाएं होने के बाद भी प्रशासन की नींद नहीं टूट रही। नगर निगम की तरफ से अभियान चलाकर गोवंश को पकड़ने का दावा किया जाता है, लेकिन सड़कों पर बैठा गोवंश निगम के दावों की पोल खोल रहा है। एक हजार रेडियम टेप के पट्टे गोवंश डाले जाएंगे, ताकि रात के समय अंधेरे में कोई वाहन गोवंश के कारण हादसे का शिकार न हो। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा विधानसभा चुनाव में खट्टर का UPS का दांव:2.5 लाख सरकारी कर्मचारी; OPS को मुद्दा बना रही कांग्रेस, IAS खेमका साथ आए
हरियाणा विधानसभा चुनाव में खट्टर का UPS का दांव:2.5 लाख सरकारी कर्मचारी; OPS को मुद्दा बना रही कांग्रेस, IAS खेमका साथ आए हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर लगातार BJP नए दांव खेल रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर नाराज चल रहे कर्मचारियों को लेकर बड़ा दांव खेल दिया है। उन्होंने संकेत दे दिया कि यदि हरियाणा में BJP तीसरी बार सत्ता में आती है तो कर्मचारियों के हित में केंद्र की यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) स्कीम को लागू करेंगे। बीजेपी अपने मेनिफेस्टो में भी नई स्कीम को लागू करने का वादा करेगी। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस OPS को प्रदेश में लागू करने का वादा कर रही है। इस बीच केंद्र की UPS पर हरियाणा के एक सीनियर IAS अशोक खेमका ने भी अपना समर्थन दिया है। अब पढ़िए बीजेपी के ऐलान के पीछे की 3 वजह हरियाणा में ढाई लाख सरकारी कर्मचारी
हरियाणा में चुनाव से ठीक पहले केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के इस दांव को चलने की खास वजह प्रदेश के ढाई लाख कर्मचारी हैं। ये कर्मचारी OPS को लेकर पिछले एक साल से आंदोलनरत हैं। इसके लिए कर्मचारियों के एक गुट ने OPS संघर्ष मोर्चा भी बनाया हुआ है। लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को कर्मचारियों की नाराजगी का सामना करना पड़ा था। खट्टर ने इस बड़े सरकारी कर्मचारी वर्ग को साधने के लिए ये दांव चला है। 40 हजार कर्मचारी केंद्र में कर रहे नौकरी
हरियाणा के 2.5 लाख कर्मचारियों में 40 हजार कर्मचारी केंद्र सरकार में काम कर रहे हैं। हालांकि ये हरियाणा के ही वोटर हैं, केंद्र की UPS का केंद्रीय कर्मचारियों को सीधा लाभ मिलेगा। ये प्रदेश में चुनाव के दौरान यूपीएस के पक्ष में माहौल बनाने में पार्टी की अच्छी मदद कर सकते हैं। राज्य में 90 हजार कर्मचारी ऐसे हैं, जो 2004 के पहले से काम कर रहे हैं। हिमाचल में दिखा था OPS का असर
हिमाचल प्रदेश में 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को ओपीएस के चक्कर में ही करारी हार का सामना करना पड़ा था। हिमाचल हरियाणा का सीमावर्ती स्टेट है, इसलिए भाजपा नहीं चाहती कि वहां का कोई भी मुद्दा हरियाणा में प्रभावी हो। यही वजह है कि खट्टर कर्मचारियों की नाराजगी को दूर करने में लगे हुए हैं। अब यहां समझिए UPS क्या है? कब से लागू होगी
दिसंबर 2003 तक सरकारी कर्मचारियों के लिए OPS लागू थी। जनवरी 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार इसे हटाकर न्यू पेंशन स्कीम यानी NPS लाई। NPS पर कई तरह के सवाल उठ रहे थे। मोदी सरकार ने अप्रैल 2023 में टीवी सोमनाथन की अगुआई में एक कमेटी बनाई। इस कमेटी ने हर राज्य के वित्तीय सचिव, नेताओं, सैकड़ों कर्मचारी यूनियन के साथ चर्चा की। उसके बाद कमेटी ने कैबिनेट को न्यू पेंशन स्कीम में बदलाव के लिए कुछ सिफारिशें कीं। 24 अगस्त 2024 को मोदी सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी UPS को मंजूरी दी है। इसे अगले वित्त वर्ष यानी 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा। यहां पढ़िए यूपीएस और ओपीएस में क्या हैं 3 बड़े अंतर… UPS-OPS में पेंशन कैलकुलेट करने का अलग तरीका यूपीएस और ओपीएस दोनों ही पेंशन स्कीमों में सरकारी कर्मचारियों को एश्योर्ड पेंशन देने का प्रावधान है। लेकिन पेंशन की गणना करने के तौर तरीकों में बड़ा अंतर है। ओपीएस में सरकारी कर्मचारी के रिटायरमेंट से ठीक पहले की आखिरी बेसिक सैलेरी और महंगाई भत्ता का 50% पेंशन के तौर पर दिया जाता है। जबकि यूनिफाइड पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट से पहले की 12 महीने की बेसिक सैलेरी और डीए का जो औसत बनेगा वही एश्योर्ड पेंशन के तौर पर दिया जाएगा। UPS में योगदान जरूरी, OPS में ये प्रावधान नहीं यूपीएस में कर्मचारियों को यूपीएस में अपने बेसिक पे और डीए का 10 फीसदी पेंशन फंड में देना होगा जैसे वे एनपीएस में करते आए हैं। सरकार, कर्मचारी के लिए पेंशन फंड में अपनी तरफ से 18.5% का योगदान करेगी जिसकी लिमिट एनपीएस में 14 फीसदी थी। ओपीएस में कर्मचारियों को अपनी ओर से पेंशन फंड में कोई योगदान नहीं करना पड़ता था। पेंशन पाने के लिए OPS में 20 साल, UPS में 25 साल जरूरी यूपीएस में कम से कम 25 वर्षों तक के सर्विस के बाद ही तय फॉर्मूले के तहत सरकारी कर्मचारी एश्योर्ड पेंशन पाने का हकदार होंगे। ओपीएस में नियम कुछ और था। ओल्ड पेंशन स्कीम में केंद्रीय कर्मचारी 20 साल की नौकरी के बाद ही पेंशन पाने का हकदार हो जाते थे। यानी यूनिफाइड पेंशन स्कीम में एश्योर्ड पेंशन के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम से 5 साल ज्यादा लंबे समय तक सर्विस करना होगा। यूपीएस पर हरियाणा में इन वजहों से फंस रहा पेंच 1. एक अप्रैल 2025 से लागू होने वाली यूपीएस के लिए 25 वर्ष की सेवा को अनिवार्य किया गया है। इससे पहले ओपीएस में सिर्फ 20 वर्ष की नौकरी का प्रावधान था। हरियाणा के कर्मचारियों को सरकार का यह बाध्यता ठीक नहीं लग रही है। 2. एक आंकड़े के तहत प्रदेश में काफी संख्या में लोग 40 वर्ष के बाद नौकरी में आते हैं। इस तरह से करीब आधे कर्मचारी इस योजना में शामिल ही नहीं हो सकते हैं। वहीं कर्मचारियों के वेतन से जो 10 फीसदी पैसा कटेगा उसे उसे सरकार अपने पास रखेगी। सेवानिवृत्त के बाद कर्मचारियों को इसमें से कुछ भी नहीं मिलेगा। 3. यूपीएस में मेडिकल व डीए की बात नहीं की गई है। कर्मचारियों को सेवानिवृत्त के समय महज 6 महीने का वेतन ही दिया जाएगा। हालांकि इसमें सरकार अपना शेयर 14 से 18.5 फीसदी करने जा रही है, लेकिन कर्मचारी इसमें अपना कोई लाभ नहीं देख रहे हैं। 4. हरियाणा के कर्मचारी संगठनों का कहना है कि पहले केंद्र सरकार एनपीएस में कमी नहीं मान रही थी। लेकिन जब उसे कमी महसूस हुई तो यूपीएस बनाने के लिए एक बार भी केंद्र सरकार ने उन्हें सुझाव के लिए नहीं बुलाया। पेंशन बहाली संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र धारीवाल ने कहा कि हमारी मांग ओपीएस बहाली की थी और ओपीएस बहाली तक ही आंदोलन जारी रहेगा। IAS अशोक खेमका समर्थन में आए हरियाणा के चर्चित आईएएस अधिकारी एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. अशोक खेमका ने केंद्र सरकार की ओर से घोषित यूपीएस योजना का समर्थन किया है। सोशल प्लेटफार्म X पर लिखी पोस्ट में खेमका ने कहा कि 2004 के बाद के केंद्रीय कर्मचारियों को यूपीएस योजना की घोषणा से बड़ी राहत मिली है। मुझे आशा है कि जल्द ही राज्यों द्वारा बिना देरी किए इसे लागू किया लाएगा। वहीं प्रदेश के कई अन्य आईएएस अफसरों ने भी यूपीएस को एनपीएस से बेहतर बताया है।
रोहतक में AAP प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष भाजपा पर तंज:अनुराग ढांडा बोले- 10 साल में बर्बाद की शिक्षा, युवा विदेश जाने को मजबूर
रोहतक में AAP प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष भाजपा पर तंज:अनुराग ढांडा बोले- 10 साल में बर्बाद की शिक्षा, युवा विदेश जाने को मजबूर रोहतक में आम आदमी पार्टी के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने कहा कि भाजपा को न तो हरियाणा के छात्रों की चिंता है और न ही युवाओं के रोजगार की। भाजपा ने पिछले 10 सालों में पूरे हरियाणा की शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर दिया है। साढ़े 9 साल तक मनोहर लाल शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करके चले गए। उन्हें सीएम पद से हटा दिया गया। अब नायब सैनी आए हैं, उनके कार्यकाल में भी वही स्थिति है जो पिछले साढ़े 9 सालों से चल रही है। उन्होंने कहा कि अगर हरियाणा के सरकारी स्कूलों में पीजीटी शिक्षकों की स्थिति की बात करें तो पीजीटी के 10 हजार से ज्यादा पद खाली हैं। वहीं सरकारी स्कूलों में पीजीटी और टीजीटी के 28 हजार से ज्यादा पद खाली हैं। भाजपा सरकार हरियाणा की शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करना चाहती है। जब बच्चे पढ़कर तमाम मुश्किलों का सामना करके बाहर निकलते हैं तो हरियाणा सरकार के पास उनके लिए नौकरियां नहीं होती हैं। 2 लाख सरकारी नौकरियां खाली पड़ी हैं। युवा जमीन बेचकर विदेश जाने को मजबूर अनुराग ढांडा ने कहा कि हरियाणा के युवा नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। वहीं अपनी जमीन बेचकर विदेश जाने को मजबूर हैं। लेकिन भाजपा उनके लिए कुछ नहीं सोच रही। इसलिए आज युवा दुखी है और विद्यार्थी परेशान हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं ने इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को हरियाणा में हाफ कर दिया। जिसकी पिछली बार 10 सीटें थी, वह इस बार 5 पर सिमट गई। अगर नायब सैनी युवाओं के रोजगार की मांग पूरी नहीं कर पाई तो आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार को युवा उखाड़ फेकेंगे।
हरियाणा में प्रॉपर्टी ID और PPP की होगी समीक्षा:लोकसभा चुनाव में था सबसे बड़ा मुद्दा; PWD मंत्री बोले-CM के सामने रखी मांग
हरियाणा में प्रॉपर्टी ID और PPP की होगी समीक्षा:लोकसभा चुनाव में था सबसे बड़ा मुद्दा; PWD मंत्री बोले-CM के सामने रखी मांग हरियाणा में लोकसभा चुनाव के दौरान सबसे बड़ा मुद्दा बनकर सामने आए परिवार पहचान पत्र (PPP), प्रॉपर्टी आईडी, एनडीसी, बीपीएल कार्ड की परेशानियों को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार अब इनकी समीक्षा करेगी। बकायदा इसके लिए ग्राउंड लेवल पर डिपार्टमेंट से फीडबैक लिया जा रहा हैं। बीजेपी सरकार को पोर्टल की वजह से प्रदेश में बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। सीनियर लेवल के अधिकारी ऑल इज वेल कहते रहे और निचलने स्तर पर चुनाव में बड़ा नुकसान हो गया। इसलिए सरकार अब निचले स्तर पर कर्मचारियों से फीडबैक ले रही है। प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने शनिवार को रेवाड़ी में बताया कि लोकसभा चुनाव की समीक्षा को लेकर सीएम नायब सैनी ने सभी विधायकों की बैठक ली थी। विधायकों की मीटिंग ली थी। सभी विधायकों से बात की। सीएम ने पूछा कि चुनाव के समय में क्या-क्या समस्याएं आई, जिसकी वजह से हमारा ग्राफ गिरा। जिसमें विधायकों ने बताया कि शहर में प्रॉपर्टी आईडी, फैमिली आईडी, गांवों में लोगों के बीपीएल कार्ड कट गए जैसी समस्याएं थी। ये समस्याएं पोर्टल पर ठीक नहीं हो रही है, जिसकी वजह से लोगों में रोष है। हमने सीएम से कहा कि इसे ऑफलाइन किया जाए। इसके बाद सीएम ने समीक्षा कराने की बात कही हैं। चुनाव में 5 सीटों का नुकसान हुआ बता दें कि लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद जैसे ही आचार संहिता हटी। तुरंत प्रदेश सरकार एक्टिव हो गई। क्योंकि बीजेपी को इस चुनाव में 5 सीटों का नुकसान हुआ हैं। जिन सीटों पर जीत मिली, वहां भी कांटे का ही मुकाबला रहा। चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा प्रॉपर्टी आईडी और फैमिली आईडी का ही था। जिसकी लेकर बीजेपी सरकार को बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ा। सरकार को लोगों के रोष का पता नहीं चल पाया। ऐसे में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री नायब सैनी पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा बनाई गई इन योजनाओं की समीक्षा करा रहे हैं। दरअसल, प्रॉपर्टी आईडी और फैमिली आईडी को लेकर गुस्सा का आकलन प्रदेश सरकार को पहले भी था, लेकिन लोगों में ये गुस्सा इतना हावी रहेगा ये सरकार तक नहीं पहुंच पाया। अधिकारी सब कुछ ठीक होने का हवाला देते रहे पोर्टल से संबंधित चंडीगढ़ में बड़े लेवल पर अधिकारियों की बैठक होती रही। निचले लेवल पर बैठे अधिकारी सरकार को सब कुछ ठीक होने का फीडबैक देते रहे और सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। आखिर में लोकसभा चुनाव में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। विपक्ष भी पूर्व मुख्यमंत्री की पोर्टल योजनाओं को लेकर सवाल खड़े करता रहा, लेकिन सरकार तक इसकी गूंज नहीं पहुंची। निचले लेवल पर कर्मचारियों से लिया जा रहा फीडबैक बता दें कि 12 मार्च को मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफा देने के बाद नायब सैनी मुख्यमंत्री बने। इसके तुरंत बाद ही आचार संहित लग गई। जिसकी वजह से ज्यादा काम करने का मौका नहीं मिल पाया। लेकिन चुनाव में हुए नुकसान का आकलन लगाने के बाद सरकार ने पोर्टल की योजनाओं की समीक्षा शुरू कर दी है। सरकार की तरफ से निचले स्तर पर निकाय विभाग के कर्मचारियों से फीडबैक लिया जा रहा है। उनसे दो ही सवाल किए जा रहे है। पहला प्रॉपर्टी आईडी और परिवार पहचान पत्र में किस तरह की समस्या है और दूसरा इन समस्याओं को कैसे दूर किया जा सकता हैं। क्योंकि विधानसभा चुनाव में 4 माह का समय बचा है। ऐसे में कहीं से मुद्दा विधानसभा चुनाव में भी बड़ा बनकर न रह जाए इसलिए सरकार इसके सुधार की तरफ कदम उठा रही है।