रोहतक स्थित पीटीसी सुनारिया में आज सुबह 8 बजे से पासिंग आउट परेड आयोजित की जा रही है। जिसमें मुख्यातिथि के तौर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी मौजूद हैं। कार्यक्रम को लेकर सीएम सैनी ने परेड का निरीक्षण किया है। प्रशिक्षण लेने वाले पुलिस के जवानों को शपथ दिलाई गई है। शपथ के बाद सीएम नायब सैनी से आगे के कार्यक्रम की अनुमति ली गई। राष्ट्रीय ध्वज व पीटीसी सुनारिया के ध्वज को सलामी दी गई है। रोहतक स्थित पीटीसी सुनारिया में आज सुबह 8 बजे से पासिंग आउट परेड आयोजित की जा रही है। जिसमें मुख्यातिथि के तौर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी मौजूद हैं। कार्यक्रम को लेकर सीएम सैनी ने परेड का निरीक्षण किया है। प्रशिक्षण लेने वाले पुलिस के जवानों को शपथ दिलाई गई है। शपथ के बाद सीएम नायब सैनी से आगे के कार्यक्रम की अनुमति ली गई। राष्ट्रीय ध्वज व पीटीसी सुनारिया के ध्वज को सलामी दी गई है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में चढ़ूनी के बयान से कांग्रेस घिरी:किसान नेता बोले- हमने माहौल बनाया, हुड्डा की गलती से सरकार नहीं बनी; BJP बोली- कांग्रेस-SKM का राजनीतिक गठबंधन
हरियाणा में चढ़ूनी के बयान से कांग्रेस घिरी:किसान नेता बोले- हमने माहौल बनाया, हुड्डा की गलती से सरकार नहीं बनी; BJP बोली- कांग्रेस-SKM का राजनीतिक गठबंधन हरियाणा के किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी के बयान से BJP ने कांग्रेस को घेर लिया है। भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के प्रधान गुरनाम चढ़ूनी ने कहा कि हमने कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाया लेकिन भूपेंद्र हुड्डा की गलतियों से कांग्रेस सरकार नहीं बनी। BJP प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने इस मुद्दे पर कहा कि चढ़ूनी के बयान से साफ है कि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और कांग्रेस के बीच राजनीतिक गठबंधन है। SKM किसानों की नहीं बल्कि राजनीतिक बात कर रहा था। राहुल गांधी और कांग्रेस को किसानों से माफी मांगनी चाहिए। वहीं कांग्रेस में हुड्डा विरोधी गुट के नेता सांसद रणदीप सुरजेवाला ने इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। रणदीप सुरजेवाला ने कहा वे (चढ़ूनी) हमारी पार्टी में नहीं हैं। उनकी अलग पार्टी है। वे अपनी राय रख सकते हैं। मैं क्यों उनके साथ वाद-विवाद में पड़ूं। किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी की अहम बातें… 1. कांग्रेस को हमें टिकट देनी चाहिए थी गुरनाम चढ़ूनी ने कहा- भूपेंद्र हुड्डा बुद्धिहीन है। हरियाणा में कांग्रेस के पक्ष में जो माहौल बना, वह हमने बनाया। वह किसान वर्ग ने बनाया था। मेरे को टिकट नहीं दी तो किसी दूसरे 2 किसान नेताओं को दे देते। कम से कम लोगों के अंदर मैसेज तो जाता। अब किसान क्या करें, BJP वैसे ही किसानों की दुश्मन है। कांग्रेसी नजदीक नहीं लगाते। इसीलिए मैं खड़ा हुआ। रमेश दलाल और हर्ष छिकारा खड़ा हुआ। 2. भूपेंद्र हुड्डा ने किसी से समझौता नहीं किया
भूपेंद्र हुड्डा ने किसी से समझौता नहीं किया और कांग्रेस ने सब इनके ऊपर छोड़ दी। मैं कांग्रेस हाईकमान को ये कहना चाहता हूं कि विपक्ष का नेता हुड्डा को न बनाएं। पिछले 10 साल हुड्डा ने भूमिका नहीं निभाई बल्कि किसान यूनियन ने इसका रोल निभाया। अब भी हुड्डा को बनाया तो कांग्रेस राज आने की उम्मीद न करे। 3. पार्टी के वफादारों को हुड्डा ने किनारे किया
BKU अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा है कि पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा ने उन सब लोगों को साइडलाइन कर दिया, जो पार्टी के वफादार थे। चढ़ूनी बोले, ‘इसने (भूपेंद्र हुड्डा) रमेश दलाल को साइडलाइन किया, जो राजीव गांधी मर्डर केस अपनी जान जोखिम में डालकर लड़ा था। मुझे किनारे किया। जबकि, मैंने चुनाव में भी इसकी मदद की थी। हर्ष छिकारा को किनारे किया, बलराज कुंडू को किनारे किया। एक किसान लीडरों को ग्रुप और गया था इसके पास, उन्हें किनारे किया। इसने कुमारी सैलजा, किरण चौधरी, रणदीप सुरजेवाला को किनारे किया। आम आदमी पार्टी (AAP) को किनारे किया। अभय चौटाला को भी साइड किया। गुरनाम चढ़ूनी ने कहा- भूपेंद्र हुड्डा ने सभी को किनारे किया, परमात्मा ने अब इसे ही किनारे लगा दिया। BJP के राष्ट्रीय प्रवक्ता की अहम बातें … 1. किसानों का मकसद कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाना था
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा- उन्होंने पहली बार खुले तौर पर स्वीकार किया है कि उनका मकसद कांग्रेस के पार्टी के पक्ष में माहौल बनाना था। मतलब, ये साफ हो गया कि कांग्रेस पार्टी हरियाणा के अंदर किसानों के साथ अन्याय करना चाहती थी। चढ़ूनी को चुनाव में सिर्फ 1,170 वोट मिले। BJP प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा- भूपेंद्र हुड्डा हों या चढ़ूनी जी हों, यह स्पष्ट हो जाता है कि ये सब के सब लोग, कांग्रेस के इंटरनल कार्यकर्ता हैं। कोई फ्रंट पर है। 2. कांग्रेस SKM को फ्रंट की तरह इस्तेमाल करना चाहती थी
मगर, यह बहुत चिंता की बात है कि कांग्रेस संयुक्त किसान मोर्चा को फ्रंट की तरह इस्तेमाल करना चाहती थी। जिससे वह हरियाणा की जनता और किसानों के बीच झूठ को आगे ले जा सकें। कांग्रेस और राहुल गांधी को राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए किसानों और संयुक्त किसान मोर्चा का इस्तेमाल करने के लिए माफी मांगनी चाहिए। यह साफ है कि जमीन पर किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है। तभी उन्होंने कांग्रेस और संयुक्त किसान मोर्चा के राजनीतिक गठबंधन को नकार दिया है। 3. चढ़ूनी खुद को SKM को दिखाएंगे लेकिन झोला कांग्रेस का ओढ़ा
अब यह स्पष्ट हो चुका है कि संयुक्त किसान मोर्चा किसानों की बात नहीं बल्कि कांग्रेस की बात कर रहा था। चढ़ूनी जैसे लोग खुद को संयुक्त किसान मोर्चा का दिखाएंगे लेकिन पीछे झोला कांग्रेस का ओढ़ा हुआ है। इससे स्पष्ट है कि इन सबके आका राहुल गांधी हैं। राहुल गांधी ने पिछले डेढ़ महीने में किसानों की भलाई नहीं चाहते थे बल्कि चढ़ूंनी जैसे लोगों को फ्रंट इस्तेमाल करना चाहते थे, ताकि वे किसानों में भेदभाव पैदा कर सकें।
दुष्यंत चौटाला ने चलाई बाइक, पुलिस ने काटा चालान:2 हजार जुर्माना लगाया; पूर्व डिप्टी सीएम ने निकाली थी रैली, हेलमेट पूछने पर ना कहा
दुष्यंत चौटाला ने चलाई बाइक, पुलिस ने काटा चालान:2 हजार जुर्माना लगाया; पूर्व डिप्टी सीएम ने निकाली थी रैली, हेलमेट पूछने पर ना कहा हरियाणा के फरीदाबाद में पुलिस ने जजपा नेता पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला के बिना हेलमेट ड्राइविंग पर उनकी चलाई बाइक का चालान काट दिया। दुष्यंत ने एक बाइक रैली के दौरान यह बाइक चलाई थी। हालांकि ये बाइक दुष्यंत चौटाला नहीं बल्कि उनके समर्थक के नाम पर है। पुलिस ने जो चालान रसीद जारी की है, उसमें दुष्यंत चौटाला बाइक चलाते हुए नजर आ रहे हैं। हालांकि उनके चेहरे को पुलिस ने धुंधला कर दिया है। पुलिस जांच के मुताबिक पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने जो लाल रंग की बुलेट बाइक चलाई थी, वह रियासत अली के नाम पर रजिस्टर्ड है। चूंकि इस पर दुष्यंत चौटाला और उनके पीछे एक और व्यक्ति बिना हेलमेट के बैठे हुए थे तो उनका 2 हजार का चालान काटा गया है। खास बात यह है कि बाइक रैली का एक वीडियो सामने आया है। जिसमें जब दुष्यंत चौटाला को पीछे से हेलमेट के बारे में कहा गया तो उन्होंने सिर हिलाकर ना कर दिया। दुष्यंत चौटाला की बाइक चलाते और चालान की फोटो… जनसभा से पहले निकाली रैली, लाल रंग की बाइक चलाई
जानकारी के मुताबिक रविवार यानी 25 अगस्त को डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला फरीदाबाद के गोंछी में रैली करने पहुंचे थे। यहां जजपा नेता करामत अली ने जनसभा की थी। जनसभा से पहले जजपा ने बाइक रैली निकाली थी। यह बाइक रैली सोहना मोड़ टी-पॉइंट से गोंछी तक गई थी। जिसमें दुष्यंत चौटाला ने लाल रंग की बुलेट बाइक (HR51BL-7786) चलाई। दुष्यंत समेत बाकी समर्थकों ने हेलमेट नहीं पहना
इस दौरान उन्होंने हेलमेट नहीं पहना था। इसके अलावा रैली में ज्यादातर बाइक सवारों ने हेलमेट नहीं पहना था। दुष्यंत ने यह रैली JJP के लोकसभा उम्मीदवार रहे नलिन हुड्डा के समर्थन में की थी। बिना हेलमेट बाइक रैली निकालने का वीडियो वायरल होकर पुलिस तक पहुंच गया। पुलिस प्रवक्ता बोले- कुल 15 चालान किए
इस मामले में फरीदाबाद पुलिस के प्रवक्ता यशपाल ने कहा कि हमें जिन बाइकों के नंबर मिले थे, उन सभी का चालान कर दिया गया है। फिलहाल 15 चालान हुए हैं। बिना हेलमेट वालों का एक हजार और जिसमें 2 लोग बिना हेलमेट सवार थे, उनका 2 हजार का चालान किया गया है। साढ़े 4 साल डिप्टी सीएम रहे दुष्यंत, लोकसभा से पहले टूटा गठबंधन
दुष्यंत चौटाला साढ़े 4 साल हरियाणा के डिप्टी सीएम रहे। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 90 में से 40 ही सीटें जीत पाई थी। जिसके बाद भाजपा ने 10 सीटों वाली दुष्यंत चौटाला की JJP से गठबंधन किया। इसके बाद सीएम मनोहर लाल के साथ दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम बनाए। हालांकि मई महीने में हुए लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग की बात पर दुष्यंत ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया। अब वह चंद्रशेखर रावण की आजाद समाज पार्टी के साथ मिलकर हरियाणा में चुनाव लड़ रहे हैं।
हरियाणा में AAP की एंट्री से कांग्रेस चिंतित:इंडिया ब्लॉक से अलग होने के बाद खूब हुई रैलियां, वोटों का ध्रुवीकरण बिगाड़ सकता है खेल
हरियाणा में AAP की एंट्री से कांग्रेस चिंतित:इंडिया ब्लॉक से अलग होने के बाद खूब हुई रैलियां, वोटों का ध्रुवीकरण बिगाड़ सकता है खेल हरियाणा में आम आदमी पार्टी ने इंडिया ब्लॉक से खुद को अलग कर लिया है। कांग्रेस से नाता तोड़ने के बाद आप ने प्रदेश की सभी 90 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। आप के सभी नेता पूरे प्रदेश में रैलियां कर रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल से लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री और सांसद संजय सिंह तक, सभी जनसभाएं कर केजरीवाल की गारंटियां गिना रहे हैं। ऐसे में आप के आने से किसे नुकसान होगा और किसे फायदा? यह सबसे बड़ा सवाल है। राजनेताओं की मानें तो भले ही कांग्रेस ने सभी 90 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया हो, लेकिन आप के आने से कांग्रेस को नुकसान होने की संभावना ज्यादा है। अगर चुनाव के दौरान वोटों का ध्रुवीकरण हुआ तो खेल भी बिगड़ सकता है। क्योंकि आप ने प्रदेश के कई जिलों में अपनी पकड़ पहले ही बना ली है। इनमें पंजाब की सीमा से सटे जिलों अंबाला, कैथल, कुरुक्षेत्र, सिरसा और फतेहाबाद में आप ने अपना संगठन मजबूत करने की पूरी कोशिश की है। इसके अलावा शहरी क्षेत्र के कई अन्य इलाकों में भी आप का संगठन खड़ा हो चुका है। कांग्रेस के लिए चुनौती आप राजनीतिक जानकार बताते हैं कि आम आदमी पार्टी का हरियाणा में उभरना सीधे तौर पर कांग्रेस के वोट बैंक पर असर डालेगा। खासकर शहरी और युवा वोटर्स को आप अपनी तरफ आकर्षित कर सकती है। शहरी युवा भ्रष्टाचार और सुशासन के मुद्दे पर आप की नीतियों की तरफ आकर्षित हो सकते हैं। जिससे भाजपा को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिल सकता है। क्योंकि विपक्ष के वोट का बिखराव भाजपा की जीत की संभावनाओं को बढ़ा सकता है। ये समीकरण दोनों पार्टियों के अलग राह चुनने के बाद बनते दिख रहे हैं। गठबंधन के बाद कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा इस बार लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इंडिया ब्लॉक के तहत मिलकर चुनाव लड़ा तो आप को 1 सीट मिली जबकि कांग्रेस ने 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। हालांकि आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कुरुक्षेत्र से चुनाव हार गए, लेकिन कांग्रेस पांच लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही। 2019 में भाजपा का वोट शेयर 58.20% था। लोकसभा चुनाव के बाद अब यह घटकर 46.30% रह गया है। जबकि 2019 में कांग्रेस का वोट शेयर 28.50% था, जो अब बढ़कर 43.80% हो गया है। आप ने पिछले लोकसभा चुनाव में तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन इस बार उसने सिर्फ एक सीट पर उम्मीदवार उतारा। इसके बावजूद उसका वोट शेयर 0.36% से बढ़कर 3.94% हो गया। यानी गठबंधन में आप का वोट शेयर बढ़ा है। चुनाव में अभी 3 महीने से ज्यादा का समय बाकी है। ऐसे में आप की कोशिश वोट शेयर बढ़ाने के साथ-साथ कुछ सीटें जीतने की भी है। अगर विधानसभा चुनाव में आप का वोट शेयर बढ़ता है तो इसका सीधा असर कांग्रेस पर पड़ेगा। वोटों का ध्रुवीकरण कांग्रेस के लिए नुकसान, भाजपा को फायदे हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो हरियाणा की कुल 90 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 44 सीटों पर सबसे ज्यादा वोट हासिल किए हैं। इस लिहाज से कांग्रेस भाजपा के काफी करीब है। कांग्रेस ने 42 सीटों पर बढ़त भी बना ली है। जबकि आप 4 सीटों पर आगे है। इनेलो और जेजेपी किसी भी विधानसभा क्षेत्र में बढ़त नहीं बना पाई। राजनीति पर गहरी पकड़ रखने वालों का मानना है कि अगर आप और कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव भी साथ मिलकर लड़ते तो भाजपा को नुकसान होता। लेकिन अब दोनों ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में भाजपा को बड़े नुकसान से राहत मिल सकती है। चूंकि हरियाणा में भाजपा को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा के रणनीतिकारों को भी लगता है कि इस नुकसान की भरपाई विपक्षी दलों के बीच वोटों के बंटवारे से ही हो सकती है। क्योंकि हरियाणा की आबादी में सबसे अहम जाट और एससी वोटर पहले ही लोकसभा चुनाव में उनके लिए खतरे की घंटी बजा चुके हैं।