हरियाणा के रोहतक जिले में बदमाशों द्वारा किसान के घर में घुसकर तोड़फोड़ करने का मामला सामने आया है। कार और बाइक पर आए आरोपी सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गए। जिन्होंने घर में घुसकर तोड़फोड़ की और जान से मारने की धमकी दी। जिसकी शिकायत पुलिस को दे दी। पुलिस ने केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी। जिले गांव चमारिया निवासी अनिल ने सदर थाना पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वह खेतीबाड़ी करता है। उसका करीब 3 साल पहले उनके चाचा के साथ झगड़ा हो गया था। उस बात को लेकर उसके चाचा के लड़के ऋतिक अपने साथ करीब 10-12 युवकों को लेकर आया। आरोपी कार बाइक पर सवार होकर आए थे। जो लाठी-डंडे लिए हुए थे। सभी आरोपी उनके घर में घुस गए। सीसीटीवी में कैद आरोपी उसने कहा कि आरोपियों ने घर में घुसकर उनकी बाइक को तोड़ दिया। वहीं घर के दरवाजे और बर्तनों को भी तोड़ दिए। वहीं आरोपी जान से मारने की धमकी देते हुए लाठी-डंडों सहित वहां से भाग गए। जिसके बाद डायल 112 पर कॉल करके इसकी सूचना दी। वहीं आरोपी बस स्टैंड के पास लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गए। सीसीटीवी में 2 बाइक और एक कार में आरोपी आते दिखाई दे रहे हैं। जिसके बाद मामले की शिकायत पुलिस को दे दी। पुलिस ने केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। हरियाणा के रोहतक जिले में बदमाशों द्वारा किसान के घर में घुसकर तोड़फोड़ करने का मामला सामने आया है। कार और बाइक पर आए आरोपी सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गए। जिन्होंने घर में घुसकर तोड़फोड़ की और जान से मारने की धमकी दी। जिसकी शिकायत पुलिस को दे दी। पुलिस ने केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी। जिले गांव चमारिया निवासी अनिल ने सदर थाना पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वह खेतीबाड़ी करता है। उसका करीब 3 साल पहले उनके चाचा के साथ झगड़ा हो गया था। उस बात को लेकर उसके चाचा के लड़के ऋतिक अपने साथ करीब 10-12 युवकों को लेकर आया। आरोपी कार बाइक पर सवार होकर आए थे। जो लाठी-डंडे लिए हुए थे। सभी आरोपी उनके घर में घुस गए। सीसीटीवी में कैद आरोपी उसने कहा कि आरोपियों ने घर में घुसकर उनकी बाइक को तोड़ दिया। वहीं घर के दरवाजे और बर्तनों को भी तोड़ दिए। वहीं आरोपी जान से मारने की धमकी देते हुए लाठी-डंडों सहित वहां से भाग गए। जिसके बाद डायल 112 पर कॉल करके इसकी सूचना दी। वहीं आरोपी बस स्टैंड के पास लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गए। सीसीटीवी में 2 बाइक और एक कार में आरोपी आते दिखाई दे रहे हैं। जिसके बाद मामले की शिकायत पुलिस को दे दी। पुलिस ने केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में घुसा हाथियों का परिवार:कलेसर के जंगलों में निवास ढूंढ रहा, नर-मादा के साथ 2 बच्चे, 20 दिन पहले हरिद्वार से निकला
हरियाणा में घुसा हाथियों का परिवार:कलेसर के जंगलों में निवास ढूंढ रहा, नर-मादा के साथ 2 बच्चे, 20 दिन पहले हरिद्वार से निकला उत्तराखंड से हाथियों का झुंड हरियाणा में दस्तक दी है। राज्य के यमुनानगर जिले के कलेसर राष्ट्रीय उद्यान में एक नर, दो मादा और दो शिशु हाथियों सहित पांच सदस्यों का एक हाथी परिवार देखा गया है। वन विभाग इनके आगमन को वन्यजीवों के लिए उद्यान की अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों का सकारात्मक संकेतक मान रहा है। वन्यजीव विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह परिवार संभवतः उत्तराखंड के देहरादून स्थित राजाजी राष्ट्रीय उद्यान से आया है, जहां हाथियों की आबादी बहुत अधिक है। बताया जा रहा है कि यह परिवार दिसंबर 2024 में कलेसर में दाखिल हुआ था और तब से इसे कई बार जंगल के अलग-अलग हिस्सों में घूमते देखा गया है। 20 दिन पहले दिखाई दिया परिवार यमुनानगर जिले के वन्यजीव विभाग के इंस्पेक्टर लीलू राम ने बताया, “हमने करीब 20 दिन पहले कलेसर नेशनल पार्क में एक नर और दो मादा हाथियों के साथ दो बच्चों का एक परिवार देखा था। इसके बाद, हमने उन्हें तीन या चार बार और देखा। इंस्पेक्टर राम ने अनुमान लगाया कि हाथी सुरक्षित आवास की तलाश में कलेसर चले गए होंगे। उन्होंने कहा, “कलेसर नेशनल पार्क एक घना जंगल है जो हाथियों सहित जंगली जानवरों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। हमें खुशी है कि हाथियों का एक परिवार यहां आया है। खाने के लिए आया ये परिवार हाथियों के पसंदीदा पेड़ रिहानी और अन्य वनस्पतियों की बहुतायत इस पार्क को इन शानदार जानवरों के लिए एक आदर्श निवास स्थान बनाती है। राम ने कहा, “कलेसर हाथियों की भोजन संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करता है क्योंकि इसमें उनके पसंदीदा पेड़ों की बहुतायत है।” 11,570 एकड़ में फैला कलेसर राष्ट्रीय उद्यान, घने जंगल के गलियारे के माध्यम से राजाजी राष्ट्रीय उद्यान से जुड़ा हुआ है, साथ ही कलेसर वन्यजीव अभयारण्य (13,209 एकड़) और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में शेर जंग राष्ट्रीय उद्यान भी है। शिवालिक तहलटी में है कलेसर उद्यान हरियाणा के कलेसर राष्ट्रीय उद्यान में कई तरह के जंगली जानवर पाए जाते हैं, जिनमें से तेंदुआ, हाथी, हिरण, चीतल, सांभर, वनबकरा, जंगली मुर्गा, तीतर, बटेर, खरगोश प्रमुख हैं। इसके अलावा यहां गिलहरी, भारतीय सियार, नीलगाय, गोरल, भारतीय कलगीदार साही, छोटी भारतीय सिवेट, कॉमन पाम सिवेट, ग्रे लंगूर भी यहां मिलते हैं। कलेसर राष्ट्रीय उद्यान, यमुनानगर जिले में स्थित है। यह शिवालिक की तलहटी में बना है और यहां सेमल, बहेड़ा, और अमलतास जैसे पेड़ पाए जाते हैं। इस उद्यान में कई खतरनाक जानवर जैसे तेंदुआ, घोरल, भौंकने वाला हिरण, सांभर, चीतल, अजगर, और किंग कोबरा भी रहते हैं।
सरबजोत को ढ़ाई करोड़-सरकारी नौकरी देगी हरियाणा सरकार:खेल मंत्री का ऐलान; मनु भाकर को ढ़ाई या 5 करोड़ मिलेंगे, इसकी घोषणा नहीं
सरबजोत को ढ़ाई करोड़-सरकारी नौकरी देगी हरियाणा सरकार:खेल मंत्री का ऐलान; मनु भाकर को ढ़ाई या 5 करोड़ मिलेंगे, इसकी घोषणा नहीं पेरिस ओलिंपिक में मिक्स शूटिंग इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले अंबाला के सरबजोत सिंह को हरियाणा सरकार ढ़ाई करोड़ रुपए देगी। इसके अलावा उसे सरकारी नौकरी भी मिलेगी। इसकी घोषणा हरियाणा के खेल राज्य मंत्री संजय सिंह ने की। वे बुधवार को अंबाला में सरबजोत के घर पहुंचे हुए थे। यहां उन्होंने कहा कि सरबजोत को सरकार की खेल नीति के हिसाब से बैनिफिट दिए जाएंगे। इसके अलावा उन्होंने सरबजोत के माता-पिता की भी सराहना की कि उनके समय और आर्थिक सपोर्ट की वजह से सरबजोत ने पूरे देश का नाम रोशन किया। वहीं एक ओलिंपिक में 2 मेडल जीतकर इतिहास रचने वाली झज्जर की शूटर मनु भाकर के लिए अभी सरकार की तरफ से कोई घोषणा नहीं की गई है। सरबजोत ने 10 मीटर पिस्टल शूटिंग इवेंट में मनु भाकर के साथ ही ब्रॉन्ज मेडल जीता था। हालांकि हरियाणा सरकार की खेल नीति ब्रॉन्ज मेडलिस्ट को ढ़ाई करोड़ रुपए देती है। मगर, मनु ने 2 ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं, ऐसे में उन्हें ढ़ाई करोड़ रुपए मिलेंगे या 5 करोड़, इसको लेकर सरकार ने कुछ नहीं कहा है। मंत्री ने CM से भी बात कराई
अंबाला पहुंचे खेल राज्य मंत्री संजय सिंह ने सरबजोत के पिता जतिंदर सिंह की फोन पर CM नायब सैनी से भी बात कराई। सीएम ने सरबजोत के परिवार को बधाई दी। सरबजोत के पिता ने मुख्यमंत्री को अंबाला से पहला मुख्यमंत्री होने की बधाई भी दी।वहीं सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने भी घर पहुंच परिवार को सम्मान देते हुए बधाई दी। साधारण परिवार से सरबजोत, पिता किसान
सरबजोत सिंह अंबाला के गांव धीन के साधारण परिवार से है। उनके पिता जतिंदर सिंह किसान और माता हरदीप कौर गृहिणी है। सरबजोत ने चंडीगढ़ के DAV कॉलेज से पढ़ाई की है। पहले ही ओलिंपिक मुकाबले में ब्रॉन्ज मेडल दिलाने वाले सरबजोत ने किराए की शूटिंग रेंज में प्रैक्टिस की। उनके पिता का कहना है कि वे पेरिस ओलिंपिक नहीं गए। इसकी वजह ये है कि उनका बेटा उन्हें देखकर भावुक हो जाता है। ओलिंपिक में उसकी हिम्मत न टूटे, इसके लिए उन्होंने उसके साथ न जाने का फैसला लिया। फुटबॉलर बनना चाहता था, एयरगन चलाते देख शूटिंग में आ गए
परिवार के मुताबिक सरबजोत फुटबॉलर बननाा चाहता था। 13 साल की उम्र में उसकी फुटबॉल में खूब दिलचस्पी थी। हालांकि एक बार स्कूल के समर कैंप में उसने कुछ बच्चों को एयरगन चलाते देखा। साल 2014 में सरबजोत ने पिता के पास आकर बताया कि वह शूटिंग करना चाहता है। चूंकि शूटिंग काफी महंगी गेम है, इसलिए पिता ने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन सरबजोत की जिद के चलते उन्होंने इसके लिए हामी भर दी। अब तक 13 मेडल जीत चुके सरबजोत
सरबजोत शूटिंग में अब तक 13 मेडल जीत चुके हैं। इनमें 10 मीटर एयर पिस्टल में सीनियर ISSF विश्व कप स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। वह 2 बार राष्ट्रीय चैंपियन बन चुके हैं। सरबजोत ने 2 विश्व चैंपियनशिप गोल्ड मेडल, 3 विश्व कप गोल्ड मेडल, 1 आईएसएसएफ जूनियर विश्व कप गोल्ड, आईएसएसएफ जूनियर कप में 1 गोल्ड और 2 सिल्वर और एशियाई चैंपियनशिप में 2 गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता है।
हरियाणा सरकार गांवों में कॉलोनियां काटेगी:मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में 56 एकड़ जमीन चुनी; HSVP की तर्ज पर प्लाटों की बिक्री, सभी खरीद सकेंगे
हरियाणा सरकार गांवों में कॉलोनियां काटेगी:मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में 56 एकड़ जमीन चुनी; HSVP की तर्ज पर प्लाटों की बिक्री, सभी खरीद सकेंगे हरियाणा की BJP सरकार शहरों की तरह गांवों में कॉलोनी काटकर प्लाट बेचेगी। इसकी शुरुआत प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कृष्णलाल पंवार के विधानसभा क्षेत्र पानीपत के इसराना से होगी। इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लिया जाएगा। इसके लिए पंचायत की 56 एकड़ जमीन का चयन किया गया है। इस कॉलोनी को शहरों की तरह आधुनिक सुविधाओं के साथ डेवलप किया जाएगा। प्लाटों की बिक्री हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) की तर्ज पर होगी। मंत्री बोले- हाउसिंग बोर्ड के जरिए यह प्रयोग कर चुके
मंत्री कृष्णलाल पंवार ने इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि इससे पहले वे हाउसिंग बोर्ड के जरिए यह प्रयोग कर चुके हैं। जब वे बोर्ड में चेयरमैन थे तो अपने कार्यकाल में उन्होंने इसराना विधानसभा क्षेत्र में हाउसिंग बोर्ड से मकान बनवाए थे। तब वह योजना सफल रही थी। इसलिए जिन गांवों में जहां जमीन उपलब्ध होगी, वहां पर शहरी सुविधाओं वाले प्लाट काटकर बेचने की योजना बनाई गई है। योजना के पीछे सरकार के 3 तर्क… 1.गांवों का विकास होगा
हरियाणा सरकार का कहना है कि इस फैसले से गांवों का विकास होगा। बड़ी कॉलोनियां डेवलप होने से गांवों में रोजगार के भी नए मौके पैदा होंंगे। लोगों को शहरों जैसी मूलभूत सुविधाएं गांवों में मिलेंगी, इससे गांवों से शहरों की ओर से पलायन भी रूकेगा। 2. फ्रॉड से बच सकेंगे लोग
गांवों में शहरों जैसी कॉलोनियों के कटने से लोग फ्रॉड से बच सकेंगे। अभी प्राइवेट कॉलोनाइजर्स के जरिए काटी गई कालोनियों में लोग प्लाट ले रहे हैं। इसमें लोगों के साथ कई बार फ्रॉड भी हो जाता है। ऐसे कई मामलों की शिकायतें सरकार के पास पहुंच रही हैं। चूंकि इस स्कीम में सरकार इन्वॉल्व रहेगी, ऐसे में जवाबदेही सरकार की होगी। 3. सस्ती दरों पर मिल सकेंगे प्लाट
लोगों को सरकार की इस योजना के जरिए सस्ती दरों पर प्लाट मिल सकेंगे। अभी प्राइवेट बिल्डर या कॉलोनाइजर्स अपने मनमाने रेट लेकर लोगों को प्लाट दे रहे हैं। सरकार इस योजना के जरिए HSVP की तरह बेस प्राइज तय कर प्लाट बेचेगी। इन कॉलोनियों में प्लॉट लेने के ये होंगे फायदे
हरियाणा में सरकार कॉलोनी काटेगी तो वह पूरी तरह से वैध होगी। ऐसे में इन कॉलोनियों के नक्शे स्वीकृत होंगे। बैंक से लोन आसानी से मिल सकेगा। सड़क, सीवरेज, पानी, स्ट्रीट लाइट जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इन कॉलोनियों में सरकार के द्वारा पक्की गलियां, पानी की लाइन, सीवर की लाइन, पार्क, सामुदायिक भवन जैसी सुविधाएं भी रहेंगी। इसके उलट अवैध कॉलोनियों में स्थानीय लोगों को सरकार की तरफ से कोई सुविधा नहीं मिल पाती। जहां प्लाट नहीं, वहां एक लाख रुपए देगी सरकार
सूबे के जिन गांवों के अंदर जमीन नहीं है और जो पात्र है, उनके लिए हरियाणा सरकार ने पात्र लोगों के खातों में एक लाख रुपए की राशि भेजेगी ताकि वे प्लाट खरीद सकें। इसके साथ ही हरियाणा विधानसभा में बिल आ चुका है, जिसके अंतर्गत किसी भी समाज के कोई भी व्यक्ति ने ग्राम पंचायत की जमीन पर 100 से 500 गज के एरिया में मकान बना लिया है और वह मकान 20 वर्ष पूर्व का बनाया हुआ है, लेकिन वह मकान किसी तालाब, फिरनी और कृषि भूमि में न हो, तो उसे इसका मालिकाना हक मिलेगा।