रोहतक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम में पहुंचे राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा ने भिवानी में वीरांगनाओं को लेकर दिए अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि अहिल्याबाई होल्कर की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में युवाओं को प्रेरित कर रहा था। अहिल्याबाई के जीवन पर प्रकाश डालते हुए मोटिवेशनल तरीके से अपनी बात कही थी, जिसे कुछ ओर ही रूप दिया जा रहा है। ज्ञात रहे कि, रामचंद्र जांगड़ा ने भिवानी में गत दिवस वीरांगनाओं को लेकर कहा था कि पहलगाम हमले के समय पर्यटक महिलाओं में वीरांगना का भाव नहीं था। उनमें जोश नहीं था, जज्बा नहीं था, दिल नहीं था। जिनकी मांग का सिंदूर छीन लिया गया, अगर उन्होंने अहिल्याबाई का इतिहास पढ़ा होता तो उनके सामने उनके पति को कोई गोली नहीं मार सकता था। रामचंद्र जांगड़ा ने कहा कि महिलाएं देवी अहिल्याबाई की तर्ज पर संघर्ष करती तो इस घटना में न केवल आतंकवादी मारे जाते, बल्कि भारतीय नागरिकों के जीवन की क्षति भी कम होती। अगर उनमें अहिल्या बाई और झांसी की रानी का जज्बा होता तो वे हाथ जोड़कर याचना नहीं करती, बल्कि उनका मुकाबला करती। इस बयान पर काफी विवाद छिड़ा हुआ है। हाथ जोड़ने से छोड़ने वाले नहीं थे आतंकवादी
रामचंद्र जांगड़ा ने कहा कि पहलगाम में आतंकवादी तो मारने के लिए आए थे, वो हाथ जोड़ने से छोड़ने वाले तो नहीं थे। उनका मतलब यही था कि अगर ऐसी परिस्थितियां कभी आए तो मुकाबला करें। इसके अलावा उनके कहने का कोई अन्य मतलब नहीं था। युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए ऐसा कहा था। राहुल गांधी को कोई गंभीरता से नहीं लेता
रामचंद्र जांगड़ा ने कहा कि पूरा देश एकजुट है और भारत जल्द पहली अर्थव्यवस्था भी बनेगा। राहुल गांधी को लेकर रामचंद्र जांगड़ा ने कहा कि राहुल गांधी को गंभीरता से नहीं लेता। उसकी बात करना बेकार है। अब तो जनता भी उसे सीरियस नहीं लेती। जब जनता ही सीरियस नहीं ले रही, फिर हम क्यों लें। रोहतक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम में पहुंचे राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा ने भिवानी में वीरांगनाओं को लेकर दिए अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि अहिल्याबाई होल्कर की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में युवाओं को प्रेरित कर रहा था। अहिल्याबाई के जीवन पर प्रकाश डालते हुए मोटिवेशनल तरीके से अपनी बात कही थी, जिसे कुछ ओर ही रूप दिया जा रहा है। ज्ञात रहे कि, रामचंद्र जांगड़ा ने भिवानी में गत दिवस वीरांगनाओं को लेकर कहा था कि पहलगाम हमले के समय पर्यटक महिलाओं में वीरांगना का भाव नहीं था। उनमें जोश नहीं था, जज्बा नहीं था, दिल नहीं था। जिनकी मांग का सिंदूर छीन लिया गया, अगर उन्होंने अहिल्याबाई का इतिहास पढ़ा होता तो उनके सामने उनके पति को कोई गोली नहीं मार सकता था। रामचंद्र जांगड़ा ने कहा कि महिलाएं देवी अहिल्याबाई की तर्ज पर संघर्ष करती तो इस घटना में न केवल आतंकवादी मारे जाते, बल्कि भारतीय नागरिकों के जीवन की क्षति भी कम होती। अगर उनमें अहिल्या बाई और झांसी की रानी का जज्बा होता तो वे हाथ जोड़कर याचना नहीं करती, बल्कि उनका मुकाबला करती। इस बयान पर काफी विवाद छिड़ा हुआ है। हाथ जोड़ने से छोड़ने वाले नहीं थे आतंकवादी
रामचंद्र जांगड़ा ने कहा कि पहलगाम में आतंकवादी तो मारने के लिए आए थे, वो हाथ जोड़ने से छोड़ने वाले तो नहीं थे। उनका मतलब यही था कि अगर ऐसी परिस्थितियां कभी आए तो मुकाबला करें। इसके अलावा उनके कहने का कोई अन्य मतलब नहीं था। युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए ऐसा कहा था। राहुल गांधी को कोई गंभीरता से नहीं लेता
रामचंद्र जांगड़ा ने कहा कि पूरा देश एकजुट है और भारत जल्द पहली अर्थव्यवस्था भी बनेगा। राहुल गांधी को लेकर रामचंद्र जांगड़ा ने कहा कि राहुल गांधी को गंभीरता से नहीं लेता। उसकी बात करना बेकार है। अब तो जनता भी उसे सीरियस नहीं लेती। जब जनता ही सीरियस नहीं ले रही, फिर हम क्यों लें। हरियाणा | दैनिक भास्कर
