रोहतक में करीब 97 लाख 50 हजार रुपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। जिसमें आरोपी ने जमीन बेचने का झांसा दिया। जिसके बाद पीड़ित से 97 लाख 50 हजार रुपए ठग लिए। जब इस धोखाधड़ी का पता लगा तो उसकी पुलिस को दे दी। पुलिस ने मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी। आर्य नगर निवासी संजय गर्ग ने सिटी थाना पुलिस में धोखाधड़ी की शिकायत दी। शिकायत में बताया कि 25 अक्टूबर 2023 को हर्षित जैन से जमीन खरीदने के लिए इकरारनामा किया। इसके बाद पीड़ित ने रोहतक में जमीन खरीदने के नाम पर पहले 20 लाख रुपए नकद व 20 लाख 19 सितंबर को दिए। वहीं 20 अक्टूबर को 30 लाख रुपए दिए। साढ़े 12 लाख रुपए 19 नवंबर को, 10 लाख रुपए 17 नवंबर को, 5 लाख रुपए दिए। आरोपी पर मामला दर्ज उन्होंने बताया कि धोखाधड़ी के बाद आरोपी महिला पैसे इकट्ठे करके विदेश भागने की में तैयारी थी। लेकिन सपने साकार नहीं हो सकता। लेकिन इससे पहले इस धोखाधड़ी का खुलासा हुआ। जिसके बाद मामले की शिकायत पुलिस को दे दी। शिकायत के आधार पर सिटी थाना पुलिस ने मामला दर्ज करके मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। वहीं आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। रोहतक में करीब 97 लाख 50 हजार रुपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। जिसमें आरोपी ने जमीन बेचने का झांसा दिया। जिसके बाद पीड़ित से 97 लाख 50 हजार रुपए ठग लिए। जब इस धोखाधड़ी का पता लगा तो उसकी पुलिस को दे दी। पुलिस ने मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी। आर्य नगर निवासी संजय गर्ग ने सिटी थाना पुलिस में धोखाधड़ी की शिकायत दी। शिकायत में बताया कि 25 अक्टूबर 2023 को हर्षित जैन से जमीन खरीदने के लिए इकरारनामा किया। इसके बाद पीड़ित ने रोहतक में जमीन खरीदने के नाम पर पहले 20 लाख रुपए नकद व 20 लाख 19 सितंबर को दिए। वहीं 20 अक्टूबर को 30 लाख रुपए दिए। साढ़े 12 लाख रुपए 19 नवंबर को, 10 लाख रुपए 17 नवंबर को, 5 लाख रुपए दिए। आरोपी पर मामला दर्ज उन्होंने बताया कि धोखाधड़ी के बाद आरोपी महिला पैसे इकट्ठे करके विदेश भागने की में तैयारी थी। लेकिन सपने साकार नहीं हो सकता। लेकिन इससे पहले इस धोखाधड़ी का खुलासा हुआ। जिसके बाद मामले की शिकायत पुलिस को दे दी। शिकायत के आधार पर सिटी थाना पुलिस ने मामला दर्ज करके मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। वहीं आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा विधानसभा भंग होने पर आज फैसला:2 कारणों से CM ने लिया फैसला; अर्जेंट बुलाई कैबिनेट, VIDEO कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ेंगे मंत्री हरियाणा में 12 सितंबर से पहले विधानसभा का मानसून सत्र बुलाने और विधानसभा भंग करने के संवैधानिक संकट के बीच हरियाणा सरकार ने अर्जेंट मंत्रिमंडल की बैठक बुला ली है। सूत्रों की माने तो इस बैठक में विधानसभा भंग करने का फैसला लिया जाएगा। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में सरकार के अधिकांश मंत्री शामिल होंगे। सुबह BJP के उम्मीदवारों के नॉमिनेशन के कारण मीटिंग का समय आज शाम 5 बजे तय किया गया है। मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से सैनी के मंत्रियों को इसकी सूचना भेजी जा चुकी है। कुछ मंत्रियों के बैठक में शामिल न होने की स्थिति में उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़ने के आदेश दिए गए हैं। संविधान विशेषज्ञों की राय के अनुसार, ऐसा करना सरकार के लिए जरूरी है। वजह साफ है कि 6 माह के अंतराल से पूर्व सदन का अगला सत्र बुलाना संवैधानिक अनिवार्यता है। बेशक प्रदेश विधानसभा के ताजा चुनाव घोषित कर दिए गए हो। विधानसभा भंग करना ही सिंगल ऑप्शन विधायी एवं संवैधानिक मामलों के जानकार हेमंत कुमार का कहना है कि बेशक चुनाव आयोग ने 15वीं हरियाणा विधानसभा के गठन के लिए आम चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी हो, उसमें भी सरकार सत्र बुला सकती है। उनका कहना है कि 14वीं हरियाणा विधानसभा, जिसका कार्यकाल 3 नवंबर 2024 तक है, एवं जिसका पिछला एक दिन का विशेष सत्र 5 माह पूर्व 13 मार्च 2024 को बुलाया गया था। ऐसे में संविधान के अनुच्छेद 174(1) की सख्त अनुपालना में मौजूदा प्रदेश विधानसभा का एक सत्र, बेशक वह एक दिन या आधे दिन की अवधि का ही क्यों न हो, वह आगामी 12 सितम्बर 2024 से पहले बुलाना अनिवार्य है। क्या कहता है संविधान ? संविधान में स्पष्ट उल्लेख है कि पिछले सत्र की अंतिम बैठक और अगले सत्र की प्रथम बैठक के बीच 6 महीने का अंतराल नहीं होना चाहिए। सरकार की ओर से पिछली कैबिनेट बैठक में मानसून सत्र पर कोई फैसला नहीं लिया गया था। ऐसे में अब सरकार के पास हरियाणा विधानसभा को समयपूर्व भंग करने के लिए राज्यपाल से सिफारिश करना ही एकमात्र विकल्प बचा है। हरियाणा में संवैधानिक संकट का कारण हरियाणा में चुनाव की घोषणा के बाद संवैधानिक संकट खड़ा हुआ है। इसकी वजह 6 महीने के भीतर एक बार विधानसभा सेशन बुलाना है। राज्य विधानसभा का अंतिम सेशन 13 मार्च को हुआ था। उसमें नए बने CM नायब सैनी ने विश्वास मत हासिल किया था। इसके बाद 12 सितंबर तक सेशन बुलाना अनिवार्य है। यह संवैधानिक संकट ऐतिहासिक भी है, क्योंकि देश आजाद होने के बाद कभी ऐसी स्थिति नहीं आई। हरियाणा में ही कोरोना के दौरान भी इस संकट को टालने के लिए 1 दिन का सेशन बुलाया गया था। 6 माह में सत्र न बुलाने का इतिहास में उदाहरण नहीं है। संविधान के जानकार मानते हैं कि वैसे तो यह महज कागजी औपचारिकता है, लेकिन संवैधानिक तौर पर अनिवार्य होने से इसे हर हाल में पूरा करना होगा। ऐसी सूरत में भी सेशन न बुलाया गया हो, ऐसा कोई उदाहरण देश में नहीं है। 14वीं विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक राज्य में इस समय 15वीं विधानसभा चल रही है। 15वीं विधानसभा के गठन के लिए चुनाव की घोषणा हो चुकी है। इसका नोटिफिकेशन 5 सितंबर को जारी हो गया है। 5 अक्टूबर को वोटिंग और 8 अक्टूबर को काउंटिंग होगी। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक है।
यादों के झरोखे से विधानसभा चुनाव:उम्मीदवार लोगों को बताता- वोट कैसे डाला जाता है, चुनावी प्रचार में लोग गाड़ी को देखने जाते थे
यादों के झरोखे से विधानसभा चुनाव:उम्मीदवार लोगों को बताता- वोट कैसे डाला जाता है, चुनावी प्रचार में लोग गाड़ी को देखने जाते थे एक समय था, जब लोग नेताओं के चुनावी प्रचार में उनके भाषण सुनने नहीं, उनकी गाड़ी को देखने जाते थे। कच्ची सड़कों पर धूल उड़ती थी, फिर भी बच्चे गाड़ियों के पीछे पर्चे उठाने के लिए भागते थे और लोग सड़कों के किनारे कतार लगाकर खड़े होते थे। हरियाणा में जब पहली बार चुनाव हुआ तो माहौल में इतना चकाचौंध नहीं था, सोशल मीडिया और इंटरनेट का जमाना भी नहीं था, उस वक्त चुनावी प्रचार करने में नेताओं के पसीने छूट जाया करते थे। एक गांव से दूसरे गांव पैदल चलकर जाना, घर-घर वोट मांगना, अपनी पहचान और पार्टी का नाम बताना और लोगों को वोट के महत्त्व के बारे में समझाना आज के समय से कहीं ज्यादा मुश्किल हुआ करता था। 1967 में हुआ था पहला विधानसभा चुनाव हरियाणा में कुछ ही दिनों बाद 15वां विधानसभा का चुनाव होने वाला है, सभी पार्टियां जोर आजमाइश कर रही हैं, किसकी हार होगी और किसकी जीत? यह तो तय नहीं है, मगर ये जरूर तय है कि सत्ता की कुर्सी किसी एक को ही मिलेगी। चुनाव जीतने के लिए सभी पार्टियां करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं, मगर एक वक्त था जब नेताओं के पास अपनी गाड़ी भी नहीं होती थी। उस वक्त चुनावी प्रचार के लिए नेता पैदल या साइकिल से जाते थे। उस दौर में लाउड स्पीकर/साउंड का जमाना नहीं था, इतने शोर-शराबे भी नहीं होते थे। ये बात उस समय की है जब देश अंग्रेजों के चंगुल से नया-नया आजाद हुआ था और पहली बार चुनाव हुआ। वो साल था 1951-52 का, लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे। तब हरियाणा और पंजाब एक ही राज्य हुआ करते थे। जब हरियाणा कटकर अलग हुआ तो 1967 में विधानसभा का पहला चुनाव हुआ। नेताओं के काफिले में बैलगाड़ी होती थी पलवल जिले के न्यू कॉलोनी में रहने वाले 92 वर्षीय तीर्थ दास रहेजा बताते हैं कि “पहले के समय में लोकसभा चुनाव को बड़ी वोट और विधानसभा की चुनाव को छोटी वोट बोला जाता था। आज के समय में उम्मीदवार पैसे को पानी की तरह बहाते हैं, लेकिन एक वक्त था जब उम्मीदवार पैदल-पैदल चलकर ही शहरों व गांवों में वोट मांगने जाया करते थे। उस समय सादगी पूर्ण तरीके से चुनाव प्रचार होता था। वो ऐसा वक्त था जब उम्मीदवार के पास न तो गाड़ी थी, न प्रचार के लिए माइक थे। गांवों में जाने के लिए पक्की सड़कें भी नहीं थी। प्रचार के लिए साधन के रूप में केवल साइकिल का इस्तेमाल होता था या फिर प्रत्याशी को पैदल ही जाना पड़ता था। आज के समय में नेताओं की रैली में हजारों लग्जरी गाड़ियों का काफिला निकलता है, पर उस समय रैली के नाम पर नेताओं के काफिले में बैलगाड़ी और तांगे चला करते थे। उसमें भी अधिकांश प्रत्याशी ऐसे होते, जो ये सुविधाएं भी नहीं जुटा पाते थे।” सोशल मीडिया और इंटरनेट का नहीं था जमाना तीर्थ दास बताते हैं, उस समय की भी अपनी कहानी है। आज के दौर में सोशल मीडिया और इंटरनेट का जमाना है, लोग घर बैठे नेताओं के भाषण सुन लेते हैं, क्षण-क्षण बदलते उनके बयान सुन लेते हैं, टीवी और इंटरनेट पर छपे विज्ञापनों में नेताओं का प्रचार देख लेते हैं। मगर उस दौर में प्रत्याशी को अपनी पहचान बताने के लिए घर-घर जाना पड़ता था, एक-एक व्यक्ति से मिलना पड़ता था। हां मगर उस समय आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला नहीं था, नेता उल्टी-सीधी बयानबाजी भी नहीं करते थे। आज के समय में सोशल मीडिया पर केवल एक पोस्ट वायरल हो जाने से रातों-रात नेताओं की छवि बदल जाती है, जिसका सीधा असर चुनावी नतीजे पर पड़ता है पर उस दौर में ऐसा कुछ भी नहीं होता था। वैलेट पेपर पर डाले जाते थे वोट तीर्थ दास पुरानी यादों के बारे में बताते हुए उस दौर का जिक्र करते हैं, जब देश में पहली बार लोकसभा और विधानसभा का चुनाव हुआ था। एक समस्या ये भी थी, कितने लोगों को पता ही नहीं था कि वोट कैसे डाला जाता है, उस टाइम ईवीएम मशीन प्रचलन में नहीं था, वैलेट पेपर पर वोट डाले जाते थे। कितने वोट तो गलत तरीके से डालने के कारण रद्द हो जाते थे। प्रत्याशी चुनावी प्रचार के दौरान वैलेट पेपर का एक नमुना अपने साथ ले जाते और उसे दिखाकर लोगों को वोट डालने के तरीके के बारे में भी समझाते थे। उस समय प्रत्याशी जब चुनाव प्रचार के लिए किसी गांव में पहुंचता तो लोग उसे देखने के लिए इकट्ठे हो जाते थे। तब शहर और गांवों को जोड़ने के लिए कच्चे रास्ते होते थे, पक्की सड़कें या गाड़ी तो थी ही नहीं। उस समय के चुनावों में प्रचार का जिम्मा प्रत्याशी के गांव के लोग, रिश्तेदार व सगे- संबंधी खुद संभालते थे और पैदल-पैदल गांवों में जाकर सादगी के साथ वोट मांगा करते थे। 1967 से 2024 तक चुनावी सफर उस समय चुनावी प्रचार में न तो बैंडबाजे होते थे, न ही लाउड स्पीकर, न जातिवाद न संप्रदायवाद केवल विकास ही मुद्दा होता था। उन्होंने बताया कि 1966 में जब हरियाणा बना तो चुनाव प्रचार में कुछ बदलाव आया। माइक व प्रचार में एक-दो अंबेसडर गाड़ी आ चुकी थी। चुनाव प्रचार के लिए जब गाड़ी गांव में पहुंचती थी तो लोग चुनाव प्रचार को कम, गाड़ी को देखने के लिए ज्यादा एकत्रित होते थे। लेकिन उस समय भी कच्चे रास्ते होते थे, गाड़ी जब निकलती थी तो धूल उड़ती थी, लेकिन उसके बाद भी बच्चे पर्चे लेने के लिए गाड़ी के पीछे काफी दूर तक दौड़ा करते थे। आज के समय में बहुत कुछ बदल गया है, चुनावी प्रचार के तरीके बदल गए, वोट मांगने तरीकों में भी बदलाव आ गया और मुद्दे भी बदल गए। मगर आज भी हरियाणा के कई पिछड़े गांव विकास की राह निहार रहे हैं। जो पक्की सड़क, बेहतर शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था से आज भी अछूते हैं। कौन हैं तीर्थ दास रहेजा? न्यू कॉलोनी पलवल निवासी तीर्थ दास रहेजा की उम्र 92 साल है। उनका जन्म 25 अक्टूबर 1932 को जिला डेरा गाजिखान तहसील जामपुर के नौसरा बैस्ट गांव में हुआ था। जो अब पाकिस्तान में पड़ता है। आठवीं तक की पढ़ाई भी उन्होंने पाकिस्तान के नौसरा बैस्ट गांव में ही की थी। उसके बाद अक्टूबर 1947 को जब हिन्दुस्तान-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो वे जालंधर आ गए। पंजाब में जालंधर से प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें अप्रैल 1948 को पलवल भेज दिया। पलवल में आकर उन्होंने 1952 में दसवीं पास किया और 1953 में करनाल से जेबीटी की। उस समय हरियाणा, पंजाब व हिमाचल एक थे और करनाल में ही जेबीटी केंद्र था। सितंबर 1953 में मेवात के नंदरायपुर बास स्कूल में वे जेबीटी अध्यापक नियुक्त हुए और 31 अक्टूबर 1990 में सेवानिवृत हो गए।
फतेहाबाद में ऑटो पलटने से 6 व्यक्ति घायल:खस्ताहाल रोड पर हुआ हादसा; खेतों में काम करने जा रहे थे 14 मजदूर
फतेहाबाद में ऑटो पलटने से 6 व्यक्ति घायल:खस्ताहाल रोड पर हुआ हादसा; खेतों में काम करने जा रहे थे 14 मजदूर हरियाणा के फतेहाबाद में खराब सड़क पर मंगलवार सुबह एक ऑटो रिक्शा पलटने से आधा दर्जन लोग घायल हो गए। उनको नागरिक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ऑटो में 14 के करीब लोग सवार थे, जो मजदूरी के लिए जा रहे थे। इनमें ज्यादातर नाबालिग युवक शामिल हैं। घायल 17 वर्षीय रामजी ने बताया कि उनके परिवार मजदूरी के काम करते हैं और यूपी-बिहार से आए हुए हैं। आज दो-तीन परिवार के लोग इकट्ठे होकर मिट्टी भराई की मजदूरी के लिए माजरा रोड की तरफ ऑटो पर सवार होकर जा रहे थे। ऑटो में बड़े-छोटों को मिलाकर कुल 14 लोग सवार थे। उसने बताया कि रास्ते में खराब सड़क पर अचानक ऑटो रिक्शा अनियंत्रित होकर पलट गया। हादसे में बिहार निवासी 15 वर्षीय मुकेश, यूपी निवासी 17 वर्षीय राम जी, उसका भाई 12 वर्षीय निहाल, यूपी निवासी 10 वर्षीय अंकित, 22 वर्षीय सोना, मोहिनी, 12 वर्षीय अंकित को चोटें लगी। बाकी लोग बाल-बाल बच गए।