हुड्डा खाप ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री और हरियाणा के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। जिसमें बॉलीवुड फिल्म दो पत्ती के खिलाफ दोनों से मिलने का समय मांगा है। ताकि फिल्म में हुड्डा खाप के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर मुलाकात करके इसको हटवाया जा सके। जिसका हुड्डा खाप ने विरोध किया। बता दें कि रोहतक के गांव बसंतपुर में रविवार (10 नवंबर) को हुड्डा खाप के 45 गांव की महापंचायत हुई थी। जिसकी अध्यक्षता हुड्डा खाप के प्रधान ओमप्रकाश ने की। महापंचायत में हुड्डा गोत्र को लेकर फिल्म में की गई टिप्पणी पर रोष जताया गया और सामाजिक बहिष्कार का फैसला लिया। साथ ही एक महीने में हुड्डा गौत्र पर की गई टिप्पणी को हटाने का अल्टीमेटम दिया था। टिप्पणी ना हटाने पर एक माह बाद पंचायत करके बड़ा फैसला लेने और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी। सुरेंद्र हुड्डा करेंगे प्रसारण मंत्री व सीएम से मिलने के लिए पत्राचार सर्व हुड्डा खाप के महासचिव कृष्ण लाल हुड्डा ने पत्र जारी करके खाप की उच्च अधिकार कमेटी (हाई पावर कमेटी) के सदस्य सुरेंद्र सिंह हुड्डा को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री और हरियाणा के सीएम से मिलने के लिए पत्राचार के लिए अधिकृत किया। यह दायित्व दो पत्ती फिल्म निर्माता व फिल्म प्रसारण करने वाले ओटीटी प्लेटफार्म द्वारा हुड्डा गौत्र को बदनाम करने के लिए की गई टिप्पणी मामले के निपटारे तक ही सीमित है। हुड्डा खाप ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री और हरियाणा के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। जिसमें बॉलीवुड फिल्म दो पत्ती के खिलाफ दोनों से मिलने का समय मांगा है। ताकि फिल्म में हुड्डा खाप के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर मुलाकात करके इसको हटवाया जा सके। जिसका हुड्डा खाप ने विरोध किया। बता दें कि रोहतक के गांव बसंतपुर में रविवार (10 नवंबर) को हुड्डा खाप के 45 गांव की महापंचायत हुई थी। जिसकी अध्यक्षता हुड्डा खाप के प्रधान ओमप्रकाश ने की। महापंचायत में हुड्डा गोत्र को लेकर फिल्म में की गई टिप्पणी पर रोष जताया गया और सामाजिक बहिष्कार का फैसला लिया। साथ ही एक महीने में हुड्डा गौत्र पर की गई टिप्पणी को हटाने का अल्टीमेटम दिया था। टिप्पणी ना हटाने पर एक माह बाद पंचायत करके बड़ा फैसला लेने और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी। सुरेंद्र हुड्डा करेंगे प्रसारण मंत्री व सीएम से मिलने के लिए पत्राचार सर्व हुड्डा खाप के महासचिव कृष्ण लाल हुड्डा ने पत्र जारी करके खाप की उच्च अधिकार कमेटी (हाई पावर कमेटी) के सदस्य सुरेंद्र सिंह हुड्डा को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री और हरियाणा के सीएम से मिलने के लिए पत्राचार के लिए अधिकृत किया। यह दायित्व दो पत्ती फिल्म निर्माता व फिल्म प्रसारण करने वाले ओटीटी प्लेटफार्म द्वारा हुड्डा गौत्र को बदनाम करने के लिए की गई टिप्पणी मामले के निपटारे तक ही सीमित है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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पेंशन के इंतजार में स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी का निधन:हरियाणा में 12 साल तक लड़ीं, नाम में गड़बड़ी; कोर्ट से तारीख पर तारीख मिली
पेंशन के इंतजार में स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी का निधन:हरियाणा में 12 साल तक लड़ीं, नाम में गड़बड़ी; कोर्ट से तारीख पर तारीख मिली हरियाणा के महेंद्रगढ़ में अपने स्वतंत्रता सेनानी पति की पेंशन का इंतजार करते-करते बुजुर्ग महिला का निधन हो गया। महिला ने पेंशन पाने के लिए कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से भी केवल तारीख ही मिली। अब अगली तारीख 13 दिसंबर है, जब पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है। हालांकि, इस सुनवाई को देखने और फैसला सुनने के लिए अब वह बुजुर्ग महिला दुनिया में नहीं है। दिवंगत बुजुर्ग महिला के परिजन बताते हैं कि नाम और उपनाम में गड़बड़ी होने के कारण उन्हें पति की पेंशन नहीं मिल पाई। इसके लिए उन्होंने करीब 12 साल तक इंतजार किया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ लड़े थे सुल्तान राम
बुजुर्ग महिला का नाम बर्फी देवी था। वह महेंद्रगढ़ के नांगल चौधरी में सिलारपुर गांव की रहने वाली थीं। उनके पति का नाम सुल्तान राम था, जो एक स्वतंत्रता सेनानी थे। बर्फी देवी की बेटियां सुमित्रा देवी और ज्ञान देवी बताती हैं कि उनके पिता सुल्तान राम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ लड़े थे। उन्होंने बताया कि सन 1942 में पिता सुल्तान राम आजाद हिंद फौज का हिस्सा बने। इसके बाद 1944 में उन्हें फ्रांस में बंदी बना लिया गया। इस दौरान उन्होंने करीब साढ़े 3 साल फ्रांस की जेल में ही काटे। वहां देश की आजादी के लिए यातनाएं सहीं। इसके बाद देश आजाद होने के साथ ही 1947 में वह जेल से बाहर आ गए। 1972 में मिला स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा
सुमित्रा और ज्ञान देवी ने बताया कि सुल्तान राम को 1972 में स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा मिला। इसके बाद लगातार उन्हें राज्य सरकार से पेंशन मिलती रही। जब 2011 में उनकी मौत हुई तब भी राज्य सरकार की ओर से उन्हें पेंशन मिलती रही, लेकिन केंद्र से मिलने वाली पेंशन शुरू नहीं की गई। दरअसल, सुल्तान राम का जीवन प्रमाण पत्र अपडेट नहीं हुआ था। जब उनकी पत्नी बर्फी देवी ने केंद्र में पेंशन के लिए अप्लाई किया तो वहां नाम और उपनाम की दिक्कत सामने आई। वहां बताया गया कि अलग-अलग प्रमाण पत्रों में बर्फी देवी का नाम बर्फी देवी और बरफी देवी है। पेंशन के लिए अदालत पहुंची बर्फी देवी
वहीं, सुल्तान राम का नाम भी पैन कार्ड और बैंक पासबुक में सुल्तान सिंह और सुल्तान राम है। इस कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से हरियाणा सरकार से बर्फी देवी के नाम और पहचान से जुड़ी जानकारियां मांगी गईं। तब महेंद्रगढ़ के तत्कालीन उपायुक्त (DC) ने ये जानकारियां गृह मंत्रालय को उपलब्ध कराईं। हालांकि, इसके बाद भी बर्फी देवी को उनके स्वतंत्रता सेनानी पति सुल्तान राम की पेंशन नहीं दी। इसके लिए बर्फी देवी ने सालों इंतजार किया। अंत में बर्फी देवी अदालत की चौखट पर पहुंचीं। उन्होंने साल 2023 में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की और पति की पेंशन बहाल करने की गुहार लगाई। कोर्ट ने केंद्र सरकार पर जुर्माना लगाया
कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी। हालांकि, केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को भी दरकिनार करते हुए मामले की रिपोर्ट नहीं सौंपी। इसके बाद हाईकोर्ट ने अप्रैल 2024 में केंद्र सरकार पर 15 हजार का जुर्माना लगाया। इसके बाद भी जब केंद्र से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला तो कोर्ट ने 24 जुलाई 2024 को अगली सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार पर 25 हजार का जुर्माना लगाया। जुर्माना लगने के बाद भी केंद्र सरकार ने बर्फी देवी की पेंशन शुरू नहीं की। अब 9 नवंबर 2024 को बर्फी देवी का निधन हो चुका है। बेटी बोली- मुद्दे से भावनात्मक रूप से जुड़ी थी मां
सुल्तान सिंह की पेंशन लेने के लिए न तो खुद सुल्तान राम रहे और न ही अब उनकी पत्नी बर्फी देवी रहीं। अब उनके 2 बेटे और 2 बेटियां हैं। सुल्तान राम के बड़े बेटे रंजीत सिंह हैं जो आर्मी में हैं। वहीं, छोटे बेटे रामचंद्र सिंह हैं, जो नारनौल में ही रजिस्ट्री क्लर्क थे। वहीं, दोनों बेटियों सुमित्रा देवी और ज्ञान देवी की भी शादी हो चुकी है और वे चंडीगढ़ में रहती हैं। अब इस पेंशन मामले में अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होनी है। सुमित्रा देवी और ज्ञान देवी का कहना है कि उनकी मां इस मुद्दे से भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई थीं, क्योंकि उन्हें अपने उस पति की पेंशन नहीं मिल पा रही थी, जिसने इस देश की आजादी में अपना योगदान दिया। जबकि, उनके पास पूरे दस्तावेज थे। केंद्र सरकार की ओर से उनकी अनदेखी की गई। उन्होंने कहा कि गांव में जब दस्तावेज बनाए जाते हैं, तब इस तरह की वर्तनी की गलतियां अक्सर हो जाती हैं। यहां लोग इतने शिक्षित नहीं होते। वे समझ नहीं पाते कि क्या सही है और क्या गलत। इस पर ध्यान देना चाहिए। गृह मंत्रालय को भेजे संदेशों का रिकॉर्ड सुरक्षित
वहीं, इस मामले में बर्फी देवी के वकील रहे रविंद्र ढुल ने बताया कि उन्होंने हाईकोर्ट के सामने बर्फी देवी का मामला रखा। पिछले साल यह मामला दायर किया गया था। महत्वपूर्ण बात यह है कि परिवार ने पिछले कुछ वर्षों में गृह मंत्रालय को भेजे गए संदेशों का एक बड़ा रिकॉर्ड भी संभाल कर रखा हुआ है।
सोनीपत में मोबाइल टावर से उपकरण चोरी, नेटवर्क ठप:दो स्थानों से तीन RRU चुराए; टेक्नीशियन के पहुंचने पर खुलासा
सोनीपत में मोबाइल टावर से उपकरण चोरी, नेटवर्क ठप:दो स्थानों से तीन RRU चुराए; टेक्नीशियन के पहुंचने पर खुलासा हरियाणा के सोनीपत में मोबाइल टावर से महत्वपूर्ण उपकरणों की चोरी का मामला सामने आया है। इससे मोबाइल फोन की रेंज चली गई। टेक्नीशियन मौके पर पहुंचे तो चोरी का पता चला। एक सप्ताह में इस प्रकार की तीन वारदात हो चुकी हैं। आरएस सिक्योरिटी कंपनी के सुपरवाइजर संदीप ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि इंडस टावर लिमिटेड कंपनी के दो टावरों से आरआरयू (RRU) उपकरण चोरी हो गए हैं। एक आरआरयू उपकरण भी चोरी उन्होंने बताया कि चोरी की जानकारी तब सामने आई जब सेक्टर डाउन होने पर सुबह इंजीनियर ने जांच की। चिल्ड्रन पार्क स्थित टावर (इंडस आईडी-1373160) से दो आरआरयू उपकरण जिनका सीरियल नंबर R.R.U चोरी हो गए। इसके अलावा गांव सेरसा में स्थित टावर (इंडस आईडी-3172578) से एक आरआरयू उपकरण भी चोरी कर लिया गया। टेक्नीशियन कुलदीप द्वारा सूचना मिलने के बाद मौके पर जांच की गई, जिसमें उपकरणों की चोरी की पुष्टि हुई। इस मामले में कुंडली थाने में धारा 303 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। चोरी के कारण क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क सेवाएं प्रभावित हुई हैं, जिससे स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
खट्टर के दिल्ली जाने से नहीं हो रहा डैमेज कंट्रोल:CM सिटी के 5 बड़े नेता पार्टी छोड़ गए; केवल एक को ही मना पाए सैनी
खट्टर के दिल्ली जाने से नहीं हो रहा डैमेज कंट्रोल:CM सिटी के 5 बड़े नेता पार्टी छोड़ गए; केवल एक को ही मना पाए सैनी हरियाणा के पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर के सांसद बनने पर करनाल छोड़ने से भाजपा के हाथ से जिले की पकड़ भी ढीली होती जा रही है। यहां लगातार नेताओं के इस्तीफे आ रहे हैं और पार्टी में बगावती सुर भी मुखर हो रहे हैं। मौजूदा CM नायब सैनी करनाल में डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन बात नहीं बन रही, क्योंकि पार्टी ने नायब सैनी को भी करनाल छोड़ लाडवा से उम्मीदवार बनाया है। जबकि सैनी खुद चाहते थे कि वह करनाल से ही विधानसभा चुनाव लड़ें। पार्टी की रिपोर्ट में बताया गया है कि नायब सैनी को बाहरी होने के कारण करनाल की जनता नापसंद कर रही थी, इसलिए उन्हें करनाल की बजाय लाडवा से कैंडिडेट घोषित किया गया है। जगमोहन आनंद को लोकल होने के चलते करनाल सीट पर खड़ा किया गया है, लेकिन पार्टी से अलग हुए नेता हरपाल कलामपुरा कह चुके हैं कि सैनी को पार्टी ने ही परेशान कर लाडवा भेजा है। करनाल में राजनीति के जानकार मानते हैं कि जब तक यहां से मनोहर लाल खट्टर विधायक रहे और 2 बार CM बने, तब तक पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक था। क्योंकि यहां के ज्यादातर नेता खट्टर के जरिए ही पार्टी में लाए गए, और उनसे ही इन नेताओं को विधानसभा चुनाव में टिकट दिलवाने की आशा थी। खट्टर के दिल्ली की राजनीति में इन्वॉल्व होने से करनाल के नेता टिकट से भी वंचित रह गए। इसका असर यह हुआ कि जिले के 5 बड़े नेता अब तक पार्टी छोड़ चुके हैं। करनाल में भाजपा के हालात बिगड़ने के 3 प्रमुख कारण… 1. पूर्व सीएम खट्टर की दूरी
केंद्रीय मंत्री बनने के बाद मनोहर लाल खट्टर की करनाल से दूरी बढ़ गई, जबकि खट्टर ही वह धागा थे, जिससे करनाल के नेता एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। उनके केंद्र में चले जाने से इन नेताओं को भाजपा का कोई अन्य बड़ा नेता संभाल नहीं पाया, जिससे पार्टी यहां कमजोर हो चली है और नेतृत्व भटकता नजर आ रहा है। 2. टिकट कटने से नाराजगी
खट्टर पंजाबी समाज से आते हैं। लोकसभा में जाने के बाद उपचुनाव में नायब सैनी को यहां से चुनाव लड़वाया गया। उस समय भी बाहरी होने का मुद्दा उठा था, लेकिन खट्टर इसे कंट्रोल कर गए। इसके चलते सैनी को उपचुनाव में जीत मिली। लोकल-बाहरी का मुद्दा इस बार न बने, इसलिए पार्टी ने सैनी को लाडवा विधानसभा भेज दिया और पंजाबी चेहरा जगमोहन आनंद को यहां से उम्मीदवार बना दिया। हालांकि, कार्यकर्ता यहां विरोध जगमोहन आनंद का भी कर रहे हैं, क्योंकि उनकी कहना है कि जगमोहन यहां एक्टिव नहीं रहे। इनके लिए पार्टी ने खट्टर के करीबी 4 नेताओं रेणु बाला गुप्ता, मुकेश अरोड़ा, अशोक सुखीजा और जय प्रकाश को दरकिनार कर दिया। 3. बागी नेताओं को नहीं मनाया गया
तीसरा मुख्य कारण यह भी माना जा रहा है कि टिकट कटने से नाराज नेताओं को मनाने के लिए न तो CM नायब सैनी पहुंचे और न ही पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर पहुंच पाए। इस कारण असंध से जिले राम शर्मा, करनाल से पूर्व मंत्री जय प्रकाश, इंद्री से कर्ण देव कंबोज, करनाल से हरपाल कलामपुरा और युवा नेता सुरेंद्र उड़ाना पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। पूर्व मेयर को मना लिया, लेकिन प्रचार से दूरी
करनाल की पूर्व मेयर रेणु बाला गुप्ता भी टिकट न मिलने से नाराज हो गई थीं, लेकिन भाजपा ने उन्हें मना लिया है। मुख्यमंत्री सैनी खुद उन्हें मनाने के लिए पहुंचे थे। मनोहर लाल खट्टर ने भी उनके घर जाकर उनसे बात की। इसके बाद रेणु बाला ने भाजपा चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया और शनिवार को हुई प्रधानमंत्री की पब्लिक मीटिंग में भी शामिल हुईं। हालांकि, भाजपा कैंडिडेट जगमोहन आनंद के चुनाव प्रचार से उन्होंने दूरी बनाई हुई है, जबकि रेणु बाला को मनाने और उनका समर्थन मांगने के लिए उनके घर जगमोहन आनंद भी गए थे। करनाल से बाहर भी BJP में घमासान
इंद्री में पूर्व राज्य मंत्री और पूर्व विधायक कर्ण देव कंबोज ने BJP को ‘गद्दारों की पार्टी’ बताते हुए छोड़ दिया। उन्हें मनाने के लिए CM नायब सैनी पहुंचे थे, लेकिन कंबोज इतने नाराज थे कि उन्होंने सैनी से हाथ तक नहीं मिलाया। इसके बाद कंबोज कांग्रेस में शामिल हो गए। इंद्री में ही प्रदेश मीडिया कोआर्डिनेटर सुरेंद्र उड़ाना ने भी BJP को अलविदा कह दिया और BSP-INLD के उम्मीदवार बनकर मैदान में उतर गए। उधर, जिलेराम शर्मा ने भी पार्टी छोड़ दी। उन्होंने 6 महीने पहले ही पूर्व CM मनोहर लाल के नेतृत्व में BJP जॉइन की थी। 2014 में करनाल की पांचों सीटें जीती भाजपा
2014 के विधानसभा चुनाव में मोदी की लहर के दम पर करनाल की पांचों सीटें करनाल, इंद्री, असंध, नीलोखेड़ी और घरौंडा भाजपा ने जीती थीं। इसके बाद 2019 के चुनाव में भी भाजपा ने घरौंडा, करनाल और इंद्री में जीत का सिलसिला जारी रखा, लेकिन असंध और नीलोखेड़ी को भाजपा ने गंवा दिया। दोनों चुनाव खट्टर के नेतृत्व में ही लड़े गए। इस बार पार्टी ने करनाल और असंध सीट पर चेहरे बदले हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं में असंतोष बना हुआ है। इसके बीच पार्टी के लिए पिछले 2 बार जैसे प्रदर्शन को दोहराना बड़ी चुनौती होगी।