रोहतक IIM निदेशक को राहत:हाईकोर्ट ने बोर्ड ऑफ गवर्नर्स मीटिंग की परमिशन दी; वित्तीय रिकॉर्ड में हेराफेरी की जांच कर रहा केंद्र

रोहतक IIM निदेशक को राहत:हाईकोर्ट ने बोर्ड ऑफ गवर्नर्स मीटिंग की परमिशन दी; वित्तीय रिकॉर्ड में हेराफेरी की जांच कर रहा केंद्र

हरियाणा के रोहतक आईआईएम निदेशक डॉ. धीरज शर्मा द्वारा उनके खिलाफ जांच करने और उन्हें लंबी छुट्टी पर भेजने के आदेश को रद्द करने के लिए दायर याचिका पर कार्रवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग को आगे बढ़ने की अनुमति दे दी है। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया है कि लिया गया कोई भी निर्णय अगली सुनवाई तक स्थगित रखा जाएगा। जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने यह निर्देश तब दिया जब याचिका पर बहस पूरी नहीं हो सकी। पीठ के समक्ष उपस्थित हुए भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन ने केंद्र सरकार की वकील श्रेयांसी वर्मा के साथ बहस पूरी करने के लिए और समय मांगा है। उन्होंने पीठ को बताया कि वे पूर्ण पीठ की सुनवाई में व्यस्त हैं। उन्हें पूर्ण न्यायालय संदर्भ के लिए भी उपस्थित होना था। जस्टिस भारद्वाज ने मामले की अगली सुनवाई 2 अप्रेल की डेट फिक्स की है। याचिका में इन बिंदुओं की दी गई दलील याचिकाकर्ता ने वकील चेतन मित्तल और विवेक सिंगला के जरिए से तर्क दिया है कि प्रतिवादियों ने 5 मार्च को आपत्तिजनक आदेश पारित किया है। जिसमें वित्तीय अनियमितताओं और पहले सत्र के लिए स्नातक की डिग्री न देने के कारण जांच का आदेश दिया गया है। उन्होंने तर्क दिया कि बर्खास्त कर्मचारियों द्वारा की गई शिकायतों से यह कार्रवाई की गई, जिसकी जांच 2023 में CAG द्वारा की गई और इसे बंद कर दिया गया। आदेश अधिकार क्षेत्र से बाहर थे। आदेशों में एक्ट की अनदेखी की गई संबंधित मंत्रालय ने भारतीय प्रबंधन संस्थान अधिनियम की धारा 10A के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच का आदेश दिया। इसे 16 अगस्त, 2023 से प्रभावी रूप से शामिल और लागू किया गया, जबकि जांच का आदेश पहले की अवधि के लिए दिया गया था। इसमें कहा गया, स्थापित कानून यह है कि संशोधन प्रकृति में भावी होता है जब तक कि इसे विशेष रूप से पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं किया जाता है। क्या है पूरा मामला केंद्र सरकार ने वित्तीय गड़बडिय़ों से घिरे आईआईएम रोहतक के निदेशक धीरज शर्मा को निलंबित करने या फिर उन्हें लंबी छुट्‌टी पर भेजने का एक सप्ताह पहले निर्देश दिया था। यह निर्देश राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के 5 मार्च के आदेश के बाद आया था।, इस आदेश में शर्मा के कार्यकाल की जांच शुरू की गई थी। जांच 3 महीने के भीतर पूरी होनी है। प्रारंभिक जांच में कई उल्लंघनों की पहचान की गई, जिसमें वित्तीय रिकॉर्ड में हेराफेरी करना भी शामिल है, जिसका कथित तौर पर 2018-19 से प्रत्येक वर्ष शर्मा को 1 करोड़ रुपए से अधिक परिवर्तनीय वेतन देने को उचित ठहराने के लिए उपयोग किया गया था। नहीं उपलब्ध कराए दस्तावेज राष्ट्रपति के आदेश में कहा गया है कि शर्मा के शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्र उनके पहले कार्यकाल (2017-2022) के दौरान बार-बार मांगे गए, लेकिन उनका कार्यकाल समाप्त होने तक उन्हें उपलब्ध नहीं कराया गया। जांच में आईआईएम रोहतक में भर्ती अन्य स्टाफ सदस्यों की साख की भी जांच की जाएगी। राष्ट्रपति के कड़े रुख के बाद केंद्र ने आईआईएम-रोहतक के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को निर्देश दिया कि वे निदेशक धीरज शर्मा को या तो निलंबित करें या संस्थान में कथित वित्तीय गड़बड़ी की जांच का समाधान होने तक उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दें। शर्मा को अगले आदेश तक आईआईएम परिसर और उसके किराये के परिसर से दूर रहने का भी आदेश दिया गया है। अंतरिम निदेशक की नियुक्ति करें केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने आईआईएम रोहतक के बोर्ड के अध्यक्ष जय देव श्रॉफ को संस्थान के वित्तीय लेन-देन से असंबद्ध एक संकाय सदस्य को अंतरिम प्रमुख नियुक्त करने का निर्देश दिया। मंत्रालय ने आईआईएम नियम 2018 के उल्लंघन का हवाला देते हुए बोर्ड से नीरज कंसल को बोर्ड सदस्य के रूप में फिर से नामित करने के प्रस्ताव को रद्द करने को भी कहा। अनुचित खरीद प्रथाओं और मोबाइल फोन एवं प्रलोभनों के अनधिकृत वितरण सहित अन्य उल्लंघनों का भी हवाला दिया गया। हरियाणा के रोहतक आईआईएम निदेशक डॉ. धीरज शर्मा द्वारा उनके खिलाफ जांच करने और उन्हें लंबी छुट्टी पर भेजने के आदेश को रद्द करने के लिए दायर याचिका पर कार्रवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग को आगे बढ़ने की अनुमति दे दी है। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया है कि लिया गया कोई भी निर्णय अगली सुनवाई तक स्थगित रखा जाएगा। जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने यह निर्देश तब दिया जब याचिका पर बहस पूरी नहीं हो सकी। पीठ के समक्ष उपस्थित हुए भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन ने केंद्र सरकार की वकील श्रेयांसी वर्मा के साथ बहस पूरी करने के लिए और समय मांगा है। उन्होंने पीठ को बताया कि वे पूर्ण पीठ की सुनवाई में व्यस्त हैं। उन्हें पूर्ण न्यायालय संदर्भ के लिए भी उपस्थित होना था। जस्टिस भारद्वाज ने मामले की अगली सुनवाई 2 अप्रेल की डेट फिक्स की है। याचिका में इन बिंदुओं की दी गई दलील याचिकाकर्ता ने वकील चेतन मित्तल और विवेक सिंगला के जरिए से तर्क दिया है कि प्रतिवादियों ने 5 मार्च को आपत्तिजनक आदेश पारित किया है। जिसमें वित्तीय अनियमितताओं और पहले सत्र के लिए स्नातक की डिग्री न देने के कारण जांच का आदेश दिया गया है। उन्होंने तर्क दिया कि बर्खास्त कर्मचारियों द्वारा की गई शिकायतों से यह कार्रवाई की गई, जिसकी जांच 2023 में CAG द्वारा की गई और इसे बंद कर दिया गया। आदेश अधिकार क्षेत्र से बाहर थे। आदेशों में एक्ट की अनदेखी की गई संबंधित मंत्रालय ने भारतीय प्रबंधन संस्थान अधिनियम की धारा 10A के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच का आदेश दिया। इसे 16 अगस्त, 2023 से प्रभावी रूप से शामिल और लागू किया गया, जबकि जांच का आदेश पहले की अवधि के लिए दिया गया था। इसमें कहा गया, स्थापित कानून यह है कि संशोधन प्रकृति में भावी होता है जब तक कि इसे विशेष रूप से पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं किया जाता है। क्या है पूरा मामला केंद्र सरकार ने वित्तीय गड़बडिय़ों से घिरे आईआईएम रोहतक के निदेशक धीरज शर्मा को निलंबित करने या फिर उन्हें लंबी छुट्‌टी पर भेजने का एक सप्ताह पहले निर्देश दिया था। यह निर्देश राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के 5 मार्च के आदेश के बाद आया था।, इस आदेश में शर्मा के कार्यकाल की जांच शुरू की गई थी। जांच 3 महीने के भीतर पूरी होनी है। प्रारंभिक जांच में कई उल्लंघनों की पहचान की गई, जिसमें वित्तीय रिकॉर्ड में हेराफेरी करना भी शामिल है, जिसका कथित तौर पर 2018-19 से प्रत्येक वर्ष शर्मा को 1 करोड़ रुपए से अधिक परिवर्तनीय वेतन देने को उचित ठहराने के लिए उपयोग किया गया था। नहीं उपलब्ध कराए दस्तावेज राष्ट्रपति के आदेश में कहा गया है कि शर्मा के शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्र उनके पहले कार्यकाल (2017-2022) के दौरान बार-बार मांगे गए, लेकिन उनका कार्यकाल समाप्त होने तक उन्हें उपलब्ध नहीं कराया गया। जांच में आईआईएम रोहतक में भर्ती अन्य स्टाफ सदस्यों की साख की भी जांच की जाएगी। राष्ट्रपति के कड़े रुख के बाद केंद्र ने आईआईएम-रोहतक के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को निर्देश दिया कि वे निदेशक धीरज शर्मा को या तो निलंबित करें या संस्थान में कथित वित्तीय गड़बड़ी की जांच का समाधान होने तक उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दें। शर्मा को अगले आदेश तक आईआईएम परिसर और उसके किराये के परिसर से दूर रहने का भी आदेश दिया गया है। अंतरिम निदेशक की नियुक्ति करें केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने आईआईएम रोहतक के बोर्ड के अध्यक्ष जय देव श्रॉफ को संस्थान के वित्तीय लेन-देन से असंबद्ध एक संकाय सदस्य को अंतरिम प्रमुख नियुक्त करने का निर्देश दिया। मंत्रालय ने आईआईएम नियम 2018 के उल्लंघन का हवाला देते हुए बोर्ड से नीरज कंसल को बोर्ड सदस्य के रूप में फिर से नामित करने के प्रस्ताव को रद्द करने को भी कहा। अनुचित खरीद प्रथाओं और मोबाइल फोन एवं प्रलोभनों के अनधिकृत वितरण सहित अन्य उल्लंघनों का भी हवाला दिया गया।   हरियाणा | दैनिक भास्कर