लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में 5 दिन के नवजात की जटिल सर्जरी कर डॉक्टरों ने नया जीवन दिया है। महज 5 दिन पहले जन्मे बच्चे का वजन 3 किलोग्राम था। बच्चा जन्मजात मलद्वार के विकार की समस्या से जूझ रहा था। बलरामपुर अस्पताल के जनरल सर्जरी विभाग की टीम ने बच्चे की नाजुक हालत को देखते हुए जरूरी जांच के उपरांत तत्काल सर्जरी करने के निर्देश दिए। सफल सर्जरी के बाद बच्चे की कंडीशन स्टेबल है और डॉक्टरों के मुताबिक वो स्वास्थ्य लाभ ले रहा है। बच्चे को एनेस्थीसिया देना था चैलेंज बलरामपुर अस्पताल में नवजात की सर्जरी करने वाले चिकित्सक डॉ.अखिलेश कुमार ने बताया कि 7 जनवरी को बच्चे को अस्पताल में भर्ती किया गया था।इसके अगले ही दिन सर्जरी की गई। डेढ़ घंटे तक चले जटिल ऑपेरशन के दौरान बच्चे को एनेस्थीसिया देना सबसे बड़ा चैलेंज था। पर राहत की बात ये रही कि बच्चे का मलद्वार बनाने में डॉक्टरों की टीम सफल रही। ऑपेरशन के बाद बच्चा तेजी से रिकवर कर रहा है। उसे डॉक्टरों की निगरानी में पीडियाट्रिक वार्ड-3 में रखा गया है। बच्चे के सभी शारीरिक मानक (पैरामीटर्स) स्थिर हैं। इनकी निगरानी में हुआ इलाज पीडियाट्रिक सर्जन डॉ.अखिलेश कुमार,डॉ. एमपी सिंह,डॉ. एसए मिर्जा,डॉ. जूही शामिल रहे। इनमें कृष्ण, निर्मला (स्टाफ नर्स इंचार्ज), राजू, सीमा शामिल रही। लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में 5 दिन के नवजात की जटिल सर्जरी कर डॉक्टरों ने नया जीवन दिया है। महज 5 दिन पहले जन्मे बच्चे का वजन 3 किलोग्राम था। बच्चा जन्मजात मलद्वार के विकार की समस्या से जूझ रहा था। बलरामपुर अस्पताल के जनरल सर्जरी विभाग की टीम ने बच्चे की नाजुक हालत को देखते हुए जरूरी जांच के उपरांत तत्काल सर्जरी करने के निर्देश दिए। सफल सर्जरी के बाद बच्चे की कंडीशन स्टेबल है और डॉक्टरों के मुताबिक वो स्वास्थ्य लाभ ले रहा है। बच्चे को एनेस्थीसिया देना था चैलेंज बलरामपुर अस्पताल में नवजात की सर्जरी करने वाले चिकित्सक डॉ.अखिलेश कुमार ने बताया कि 7 जनवरी को बच्चे को अस्पताल में भर्ती किया गया था।इसके अगले ही दिन सर्जरी की गई। डेढ़ घंटे तक चले जटिल ऑपेरशन के दौरान बच्चे को एनेस्थीसिया देना सबसे बड़ा चैलेंज था। पर राहत की बात ये रही कि बच्चे का मलद्वार बनाने में डॉक्टरों की टीम सफल रही। ऑपेरशन के बाद बच्चा तेजी से रिकवर कर रहा है। उसे डॉक्टरों की निगरानी में पीडियाट्रिक वार्ड-3 में रखा गया है। बच्चे के सभी शारीरिक मानक (पैरामीटर्स) स्थिर हैं। इनकी निगरानी में हुआ इलाज पीडियाट्रिक सर्जन डॉ.अखिलेश कुमार,डॉ. एमपी सिंह,डॉ. एसए मिर्जा,डॉ. जूही शामिल रहे। इनमें कृष्ण, निर्मला (स्टाफ नर्स इंचार्ज), राजू, सीमा शामिल रही। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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नाबालिगा से दुष्कर्म करते युवक को किया काबू
नाबालिगा से दुष्कर्म करते युवक को किया काबू भास्कर न्यूज | अमृतसर थाना कंबोह की पुलिस ने 14 वर्षीय नाबालिगा के साथ दुष्कर्म करते हुए काबू किया है। पकड़े गए आरोपी की पहचान जुगराज सिंह निवासी नौशहरा कलां के रूप में हुई है। पुलिस को दी शिकायत में पीड़ित व्यक्ति ने बताया कि 18 जून रात 9 बजे घर में खाना खाकर बातचीत कर रहे थे कि रिश्तेदार आ गए। जो उसने अपने बेटी को कोल्ड ड्रिंक लेने के लिए भेजा, लेकिन वो वापस नहीं आई। जिसको लेकर वह बेटी को ढूंढने के लिए नौशहरा कलां के आस-पास आए तो युवक उसकी बेटी से जबरन दुष्कर्म कर रहा था, जिसे काबू किया गया। उन्हांेने बताया कि आरोपी उनकी बेटी पर काफी समय से गंदी नजर रखता था और उसे तंग-परेशान करता था। पुलिस ने बताया कि इस मामले में आगे की जांच शुरू कर दी है।
यूपी सिपाही भर्ती की फाइनल ANSWER-KEY जारी, 25 सवाल निरस्त:अब कटऑफ जारी करने की तैयारी, 15 नवंबर के बाद आएगा रिजल्ट
यूपी सिपाही भर्ती की फाइनल ANSWER-KEY जारी, 25 सवाल निरस्त:अब कटऑफ जारी करने की तैयारी, 15 नवंबर के बाद आएगा रिजल्ट यूपी सिपाही भर्ती परीक्षा की फाइनल आंसर शीट जारी कर दी गई है। 25 सवाल निरस्त किए गए हैं। 29 के एक से ज्यादा सही विकल्प मिले हैं। सही जवाब वालों को अंक मिलेगा। इसके अलावा 16 प्रश्नों के विकल्पों मे परिवर्तन किया गया है।अभ्यर्थी बोर्ड की वेबसाइट पर जाकर फाइनल आंसर की देख सकते हैं। पुलिस के 60,244 पदों पर सीधी भर्ती के लिए अगस्त में लिखित परीक्षा हुई थी। भर्ती बोर्ड के चेयरमैन एवं डीजी राजीव कृष्ण ने बताया- 10 पारियों में कुल 70 प्रश्नों को लेकर आईं आपत्तियों को सही पाए जाने पर विचार किया गया। इसमें 25 सवालों के गलत मिलने पर निरस्त कर दिया गया। इनके अंकों का वितरण हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक व्यवस्था के हिसाब से होगा। 9 नवंबर तक उपलब्ध रहेगी आंसर की
भर्ती बोर्ड की ओर से बताया गया कि लिखित परीक्षा के परीक्षार्थियों से मिली आपत्तियों का परीक्षण किया गया। साथ ही विषय विशेषज्ञों से मिली रिपोर्ट के आधार पर फाइनल आंसर-की प्रकाशित की गई है। यह बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट uppbpb.gov.in पर 9 नवंबर तक उपलब्ध रहेगी। हर पाली के निरस्त प्रश्नों के अंक इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार होगा। बोर्ड की ओर उम्मीद जाहिर की गई है कि नवंबर के तीसरे सप्ताह में UPPRPB द्वारा चयन के अगले क्रम DVPST के लिए उपयुक्त अभ्यर्थियों की सूची प्रकाशित की जाएगी। 15 नवंबर के बाद आएगा रिजल्ट
यूपी सिपाही के लिए हुई लिखित परीक्षा का रिजल्ट 15 नवंबर के बाद कभी भी आ सकता है। भर्ती बोर्ड के अधिकारियों का कहना है, लिखित परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद जनवरी तक डॉक्यूमेंट वैरिफिकेशन और फिजिकल स्टैंडर्ड टेस्ट होगा। भर्ती बोर्ड के अधिकारियों ने बताया, लिखित परीक्षा के जो नतीजे आएंगे, उनसे आरक्षण के अनुसार मेरिट तय करके ढाई गुना लोगों को डॉक्यूमेंट वैरिफिकेशन और फिजिकल टेस्ट (DV-PST) के लिए बुलाया जाएगा। यानी डेढ़ लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों को DV-PST के लिए बुलावा भेजा जाएगा। नजदीकी जोनल मुख्यालय पर होगा फिजिकल टेस्ट
भर्ती बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि DV-PST जोनल मुख्यालय पर होगा। अभ्यर्थियों को उसके नजदीकी जोनल मुख्यालय पर दौड़ और अन्य फिजिकल मापदंडों की जांच के लिए बुलाया जाएगा। जो दूसरे राज्य के अभ्यर्थी हैं, उन्हें उनके राज्य के नजदीक जो जोन पड़ेगा, वहां बुलाया जाएगा। मसलन बिहार के अभ्यर्थियों को गोरखपुर और वाराणसी, राजस्थान के अभ्यर्थियों को आगरा, हरियाणा और पंजाब के अभ्यर्थियों को मेरठ बुलाया जाएगा। ट्रेनिंग के लिए करना पड़ेगा इंतजार
बताया जा रहा है, भर्ती पूरी होने में कम से कम 6 महीने का और समय लगेगा। भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रशिक्षण में भी लंबा समय लगेगा। क्योंकि प्रदेश सरकार के पास उतने संसाधन नहीं हैं कि इतनी बड़ी संख्या में सिपाहियों को एक साथ प्रशिक्षित कर सके। इसके लिए कम से कम तीन चरणों में व्यवस्था करनी होगी। अभी 12 हजार को ट्रेनिंग देने की क्षमता है
प्रदेश सरकार के पास पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण के लिए क्षमता करीब 12 हजार की है। इसके लिए 11 पुलिस प्रशिक्षण केंद्र, कॉलेज और स्कूल हैं। इसके अलावा विभिन्न PAC बटालियन को मिलाकर कुल 103 इकाइयां हैं, जहां पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाता है। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में चयनित अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण देना चुनौती होगी। हिंदी भाषी राज्यों की ली जा सकती है मदद
सूत्रों का कहना है, पुलिसकर्मियों का प्रशिक्षण कम समय में पूरा कराने के लिए हिंदी भाषी राज्यों की भी मदद ली जाएगी। इसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के अलावा अर्धसैनिक बलों की बटालियन में भी प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा सकती है। इससे पहले 2018 में 49 हजार 568 सिपाहियों की भर्ती हुई थी। उस समय न सिर्फ दूसरे राज्यों के प्रशिक्षण केंद्रों की मदद ली गई, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के प्रशिक्षण केंद्रों पर भी ट्रेनिंग दी गई। एक साल के बाद पक्की होती है नौकरी
भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद नौकरी पक्की होने में एक साल का समय लगता है। इसमें 6 महीने का बेसिक प्रशिक्षण होता है। जिसके बाद पासिंग आउट परेड होती है। प्रशिक्षण के बाद सिपाहियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए जिलों में तैनाती दी जाती है। 6 महीने का व्यावहारिक प्रशिक्षण पूरा होने के बाद ही नौकरी पक्की मानी जाती है। एक साल से जारी है मौजूदा भर्ती प्रक्रिया
मौजूदा भर्ती प्रक्रिया के लिए विज्ञप्ति अक्टूबर, 2023 में निकली थी। इसके लिए पहले फरवरी में परीक्षा हुई, लेकिन पेपर लीक होने के कारण परीक्षा दोबारा करानी पड़ी। अगस्त में इसकी परीक्षा संपन्न हुई। अब संबंधित एजेंसी इसका परिणाम जारी करने की तैयारी कर रही है। यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष राजीव कृष्ण कहते हैं- 60 हजार 244 पदों पर सिपाही भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। एजेंसी और बोर्ड दोनों पूरी तैयारी कर रहे हैं। पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ चल रही है। बोर्ड का पूरा फोकस इसी भर्ती पर है। यह भर्ती पूरी होने के बाद नई भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पुलिस में 27 हजार पदों पर भर्ती लंबित
उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के पास 27 हजार पदों भर्ती लंबित है। इनमें दरोगा, प्लाटून कमांडर, कंप्यूटर आपरेटर, फायरमैन समेत तमाम पद शामिल हैं। भर्ती के लिए जो प्रस्ताव DGP मुख्यालय भर्ती बोर्ड को भेजता है। 49 हजार सिपाहियों की भर्ती पूरी करने में लगे थे ढाई साल
योगी सरकार ने इससे पहले 49 हजार 568 पदों पर सिपाहियों की भर्ती के लिए नवंबर, 2018 में विज्ञापन निकाला था। इस भर्ती को पूरा होने में ढाई साल लग गए थे। क्योंकि बड़ी संख्या में हुई भर्ती के कारण प्रशिक्षण तीन चरणों में कराया गया था। हालांकि, तब प्रशिक्षण की क्षमता मात्र 6 हजार थी, जिसे बढ़ाकर 12 हजार किया जा चुका है। सुल्तानपुर और जालौन में नए प्रशिक्षण केंद्र खुले हैं। यहां पहली बार सिपाहियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। यह खबर भी पढ़ें नसीम ही नहीं…इकरा-इमरान मसूद भी जा चुके हैं मंदिर, अफजाल ने भगवान शिव को घंटा चढ़ाया था; बेटी ने भी की थी पूजा मुस्लिम नेताओं के मंदिर जाने की बात नई नहीं है। इससे पहले भी सपा के कई नेता अलग-अलग मंदिरों की चौखट पर न सिर्फ माथा टेक चुके हैं, बल्कि आरती और पूजा में भी हिस्सा ले चुके हैं। चुनाव जीतने के बाद सपा सांसद अफजाल अंसारी और इकरा हसन मंदिर पहुंचे थे। अफजाल ने तो मंदिर में घंटा भी चढ़ाया था। वहीं, लोकसभा चुनाव के वक्त अफजाल की बेटी नुसरत मंदिर गई थीं। चुनावी प्रचार के दौरान कांग्रेस सांसद इमरान मसूद भी मंदिर पहुंचे थे। इनकी चुनरी ओढ़े हुए तस्वीर सामने आई थी। हालांकि, किसी मौलाना ने इन नेताओं के खिलाफ कोई फतवा नहीं जारी किया था। यहां पढ़ें पूरी खबर
हिमाचल के नड्डा दूसरी बार बने केंद्रीय मंत्री:अनुराग के पिता से मतभेद के बाद छोड़ा हिमाचल, मोदी घर आते-जाते रहे, शाह के करीबी
हिमाचल के नड्डा दूसरी बार बने केंद्रीय मंत्री:अनुराग के पिता से मतभेद के बाद छोड़ा हिमाचल, मोदी घर आते-जाते रहे, शाह के करीबी हिमाचल से ताल्लुक रखने वाले जगत प्रकाश नड्डा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार में बतौर कैबिनेट मिनिस्टर शामिल किया है। BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर नड्डा इसी महीने 30 जून को अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं। 2024 का लोकसभा चुनाव भाजपा ने उन्हीं की अगुवाई में लड़ा। हिमाचल के बिलासपुर से संबंध रखने वाले जेपी नड्डा इस समय गुजरात से राज्यसभा के मेंबर हैं। 2 दिसंबर 1960 को जन्मे नड्डा केंद्र सरकार में दूसरी बार मंत्री बने हैं। उन्हें मंत्री बनाकर पीएम मोदी ने हिमाचल के साथ-साथ गुजरात को भी साधने की कोशिश की है। 64 साल के नड्डा, नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों के करीबी हैं। नड्डा की लाइफ का टर्निंग पॉइंट
हिमाचल में 2007 के विधानसभा में BJP को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद प्रेमकुमार धूमल दूसरी बार हिमाचल के CM बने। उनकी सरकार में नड्डा फॉरेस्ट मिनिस्टर बने, लेकिन उनका धूमल के साथ छत्तीस का आंकड़ा रहा। साल 2010 में नड्डा ने राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया और राज्यसभा सांसद बनकर दिल्ली शिफ्ट हो गए। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और संगठन में काम करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंच गए। धूमल सरकार से इस्तीफा देकर दिल्ली जाना नड्डा की लाइफ का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। मोदी का नड्डा के घर आना-जाना, शाह के खास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 1996 से 1998 तक हिमाचल प्रदेश भाजपा के प्रभारी रहे। नड्डा की उसी समय से उनसे नजदीकियां रही हैं। संगठन का काम करते हुए मोदी जब बिलासपुर जाते तो उनका नड्डा के घर आना-जाना रहता था। साल 2014 में भाजपा ने नरेंद्र मोदी को PM फेस घोषित किया। उसके बाद पार्टी ने जेपी नड्डा को चुनाव कैंपेनिंग की मॉनिटरिंग का जिम्मा सौंपा। नड्डा ने दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में रहते हुए पूरे देश में पार्टी की कैंपेनिंग की मॉनिटरिंग की। मोदी के अलावा वह अमित शाह के भी करीबी रहे हैं। BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर नड्डा का दूसरा कार्यकाल इसी महीने 30 जून को पूरा हो रहा है। इससे पहले ही उन्हें कैबिनेट में शामिल कर लिया गया। पटना में जन्म, स्कूलिंग भी वहीं से
जेपी नड्डा का जन्म हिमाचल प्रदेश नहीं बल्कि बिहार के पटना में हुआ है। नड्डा के पिता नारायण लाल नड्डा पटना यूनिवर्सिटी में टीचर थे। नड्डा का पालन-पोषण और बीए तक की पढ़ाई पटना में ही हुई। एलएलबी के लिए उन्होंने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। बड़ा मंत्रालय मिलना तय
कैबिनेट मिनिस्टर बनने के बाद नड्डा को केंद्र में बड़ा पोर्टफोलियो मिलना भी लगभग तय है। वर्ष 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी ने नड्डा को अपनी सरकार में शामिल करते हुए स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा सौंपा था। 2019 में दूसरी बार भाजपा की सरकार बनने के बाद मोदी-शाह ने नड्डा को BJP का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया। अब मोदी ने नड्डा को फिर से अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया है, ऐसे में उन्हें बड़ा मंत्रालय मिलना भी लगभग तय है। नड्डा के कारण अनुराग की छुट्टी
हिमाचल प्रदेश के कोटे से नड्डा के मंत्री बनने के साथ ही, हमीरपुर से 5वीं बार सांसद चुने गए अनुराग ठाकुर की केंद्रीय मंत्रिमंडल से छुट्टी हो गई। वर्ष 2019 में मोदी की अगुवाई वाली सरकार में केंद्रीय सूचना
एवं प्रसारण मंत्रालय संभालने वाले अनुराग ठाकुर इस बार भी मंत्रिपद के दावेदार थे लेकिन नड्डा के मिनिस्टर बन जाने के कारण वह चूक गए। हालांकि सूत्रों का कहना है कि अनुराग ठाकुर को अब भाजपा संगठन में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। जेपी नड्डा भी वर्ष 2010 में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री का दायित्व निभा चुके हैं। भाजपा ने तीसरी बार हिमाचल की चारों सीटें जीती
इस लोकसभा चुनाव में BJP ने एक बार फिर से क्लीन स्वीप करते हुए हिमाचल की चारों लोकसभा सीटें जीती है। 2014 और 2019 में भी पार्टी ने प्रदेश की चारों लोकसभा सीटें जीती थी। इस बार शिमला से सुरेश कश्यप, हमीरपुर से अनुराग ठाकुर, कांगड़ा से डॉ. राजीव भारद्वाज और मंडी से कंगना रनोट सांसद चुनी गईं हैं। चारों सांसद पिछले चार दिन से दिल्ली में ही हैं। ये खबरें भी पढ़ें… हरियाणा से 3 मंत्री बनाने के पीछे विधानसभा चुनाव:जीटी रोड बेल्ट समेत 2 इलाके साधे, 50 विस सीटों पर नजर; नॉन जाट पॉलिटिक्स पर अडिग शूटर रहे राव तीसरी बार मोदी कैबिनेट में:मोदी के PM फेस बनने के 10 दिन बाद छोड़ी कांग्रेस, पिता से मिलने चप्पल में पहुंची थीं इंदिरा हरियाणा के कृष्णपाल लगातार तीसरी बार मंत्री बने:सियासत की शुरुआत कॉलेज से, मोदी का करीबी होने पर मिला 2014 में टिकट; बेटा भी पॉलिटिक्स में मोदी को बाइक पर घुमाने वाले खट्टर बने मंत्री:दिल्ली का दुकानदार पहले CM और अब केंद्रीय मंत्री बना, गरीबी के कारण नहीं बन पाए डॉक्टर