लखनऊ के रहमानखेड़ा और आसपास के गांवों में 88 दिन से घूम रहा बाघ वन विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद अब तक नहीं पकड़ा गया है। बाघ की पकड़ के लिए अब तक अनुमानित 80 लाख से अधिक खर्च हो चुके हैं, लेकिन अब भी ग्रामीणों में दहशत बरकरार है। वन विभाग लगातार नई तरकीबें आजमा रहा है, लेकिन बाघ हर बार चकमा देकर निकल जाता है। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, बाघ इंसान की गंध से दूर भाग रहा है। इस वजह से ट्रैपिंग केज में गाय के गोबर का लेप किया गया है ताकि बाघ को शक न हो। इसके अलावा, कैचिंग केज की लोकेशन बदलकर उसमें बकरी की जगह भैंस का बच्चा रखा गया है, ताकि बाघ को आकर्षित किया जा सके। अप्रैल तक रेस्क्यू की उम्मीद, अब तक नाकामी
वन विभाग का दावा है कि अप्रैल तक बाघ को पकड़ लिया जाएगा, लेकिन 2 दिसंबर 2024 से अब तक 88 दिन बीत चुके हैं और बाघ पकड़ में नहीं आया। इस दौरान उसने 23 जानवरों का शिकार कर दिया है। 80 लाख खर्च, फिर भी बाघ नहीं आया जाल में वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक, बाघ को पकड़ने के लिए अब तक 80 लाख रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं। इसमें ड्रोन सर्विलांस, कॉम्बिंग ऑपरेशन, ट्रैपिंग केज, ट्रैंकुलाइजर गन, हाइ-टेक कैमरे, हाथियों की तैनाती जैसे इंतजाम शामिल हैं। वन विभाग की नई रणनीति तीन जिलों के डीएफओ तैनात, 100 से अधिक वनकर्मी लगे
बाघ को पकड़ने के लिए हरदोई, सीतापुर और पीलीभीत के डीएफओ को तैनात किया गया है। इसके अलावा, 100 से अधिक वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इस अभियान में जुटे हैं। डायना और सुलोचना नाम की दो हथिनियां भी कॉम्बिंग में मदद कर रही हैं। लोकेशन: 20 किमी के दायरे में घूम रहा बाघ
वन विभाग के मुताबिक, बाघ 20 किलोमीटर के इलाके में घूम रहा है। मीठे नगर, उलरापुर, दुगौली, बेहता नाला, CISH सेंटर और आसपास के जंगलों में उसकी लोकेशन ट्रैक की जा रही है। 15 ट्रैप कैमरे, ड्रोन और ट्रैंकुलाइजर गन से निगरानी रखी जा रही है। ग्रामीणों में दहशत, डर से खेतों में नहीं जा रहे लोग
लगातार बाघ की मौजूदगी से ग्रामीण डरे हुए हैं। लोग खेतों में जाने से बच रहे हैं। कई परिवारों ने रात में घर से निकलना बंद कर दिया है। बोर्ड परीक्षाओं को देखते हुए सभी स्कूल-कॉलेजों के पास वन विभाग के कर्मचारी तैनात किए गए हैं। कब पकड़ा जाएगा बाघ
वन विभाग के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि बाघ को अप्रैल तक रेस्क्यू कर लिया जाएगा, लेकिन फिलहाल सारी तरकीबें नाकाम साबित हो रही हैं। अब देखना यह है कि 80 लाख के बाद और कितने लाख खर्च करने पड़ेंगे, तब जाकर बाघ पकड़ा जाएगा? लखनऊ के रहमानखेड़ा और आसपास के गांवों में 88 दिन से घूम रहा बाघ वन विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद अब तक नहीं पकड़ा गया है। बाघ की पकड़ के लिए अब तक अनुमानित 80 लाख से अधिक खर्च हो चुके हैं, लेकिन अब भी ग्रामीणों में दहशत बरकरार है। वन विभाग लगातार नई तरकीबें आजमा रहा है, लेकिन बाघ हर बार चकमा देकर निकल जाता है। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, बाघ इंसान की गंध से दूर भाग रहा है। इस वजह से ट्रैपिंग केज में गाय के गोबर का लेप किया गया है ताकि बाघ को शक न हो। इसके अलावा, कैचिंग केज की लोकेशन बदलकर उसमें बकरी की जगह भैंस का बच्चा रखा गया है, ताकि बाघ को आकर्षित किया जा सके। अप्रैल तक रेस्क्यू की उम्मीद, अब तक नाकामी
वन विभाग का दावा है कि अप्रैल तक बाघ को पकड़ लिया जाएगा, लेकिन 2 दिसंबर 2024 से अब तक 88 दिन बीत चुके हैं और बाघ पकड़ में नहीं आया। इस दौरान उसने 23 जानवरों का शिकार कर दिया है। 80 लाख खर्च, फिर भी बाघ नहीं आया जाल में वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक, बाघ को पकड़ने के लिए अब तक 80 लाख रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं। इसमें ड्रोन सर्विलांस, कॉम्बिंग ऑपरेशन, ट्रैपिंग केज, ट्रैंकुलाइजर गन, हाइ-टेक कैमरे, हाथियों की तैनाती जैसे इंतजाम शामिल हैं। वन विभाग की नई रणनीति तीन जिलों के डीएफओ तैनात, 100 से अधिक वनकर्मी लगे
बाघ को पकड़ने के लिए हरदोई, सीतापुर और पीलीभीत के डीएफओ को तैनात किया गया है। इसके अलावा, 100 से अधिक वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इस अभियान में जुटे हैं। डायना और सुलोचना नाम की दो हथिनियां भी कॉम्बिंग में मदद कर रही हैं। लोकेशन: 20 किमी के दायरे में घूम रहा बाघ
वन विभाग के मुताबिक, बाघ 20 किलोमीटर के इलाके में घूम रहा है। मीठे नगर, उलरापुर, दुगौली, बेहता नाला, CISH सेंटर और आसपास के जंगलों में उसकी लोकेशन ट्रैक की जा रही है। 15 ट्रैप कैमरे, ड्रोन और ट्रैंकुलाइजर गन से निगरानी रखी जा रही है। ग्रामीणों में दहशत, डर से खेतों में नहीं जा रहे लोग
लगातार बाघ की मौजूदगी से ग्रामीण डरे हुए हैं। लोग खेतों में जाने से बच रहे हैं। कई परिवारों ने रात में घर से निकलना बंद कर दिया है। बोर्ड परीक्षाओं को देखते हुए सभी स्कूल-कॉलेजों के पास वन विभाग के कर्मचारी तैनात किए गए हैं। कब पकड़ा जाएगा बाघ
वन विभाग के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि बाघ को अप्रैल तक रेस्क्यू कर लिया जाएगा, लेकिन फिलहाल सारी तरकीबें नाकाम साबित हो रही हैं। अब देखना यह है कि 80 लाख के बाद और कितने लाख खर्च करने पड़ेंगे, तब जाकर बाघ पकड़ा जाएगा? उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
लखनऊ में इंसान की गंध से बच रहा बाघ:गोबर की तरकीब आजमाई; 88 दिन में खर्च किए 80 लाख, 23 शिकार के बाद भी पकड़ से बाहर
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