बुलडोजर को ब्रांड से ‘कांड’ बनाना पड़ा महंगा:SC के डायरेक्शन का क्या तोड़ निकाल पाएगी यूपी सरकार? उत्तर प्रदेश में माफिया, गुंडों और अपराधियों की प्रॉपर्टी पर बुलडोजर एक्शन को लेकर योगी सरकार देशभर में चर्चा में आई। या यूं कहें कि बुलडोजर एक्शन योगी सरकार का ब्रांड बन गया। मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड जैसे कई राज्यों ने भी सीएम योगी के नक्शेकदम पर चलकर अपने राज्यों में यह फॉर्मूला लागू किया। अब यही बुलडोजर एक्शन अफसरों की मनमानी के कारण ‘कांड’ बन गया है। बुलडोजर के ब्रांड से कांड बनने का ही नतीजा है कि सुप्रीम कोर्ट को यह कहना पड़ा, सरकारें जज नहीं बन सकतीं, जो किसी आरोपी के घर पर बुलडोजर चलाने का फैसला दे दें। सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा कि मनमाने तरीके से बुलडोजर चलाने वाली सरकारें कानून हाथ में लेने की दोषी हैं। साथ ही 15 डायरेक्शन भी दिए हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है, क्या योगी सरकार 15 डायरेक्शन का तोड़ निकाल पाएगी? सरकार पर सख्ती के बाद विपक्ष भी इसे उपचुनाव और 2027 के चुनाव में मुद्दा बनाएगा। राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्रनाथ भट्ट मानते हैं, बुलडोजर की कार्रवाई से सरकार ने माफिया और अपराधियों के बीच दहशत कायम की। लेकिन, इसमें भी कोई दो-राय नहीं कि प्रशासन और पुलिस अधिकारियों ने यूपी में मनमाने तरीके से बुलडोजर की कार्रवाई कर लोगों की वैध संपत्ति को भी नष्ट किया। हाल ही में बहराइच और महसी में बिना कानूनी प्रक्रिया के अधिकारी बुलडोजर लेकर दौड़ पड़े। इससे संदेश गया कि प्रशासन केवल एक समुदाय विशेष को निशाना बना रहा है। फैसले का सीधा असर क्या होगा? अब तक की कार्रवाई पर सवालिया निशान
यूपी में अब तक माफिया, गुंडे और अपराधियों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने की प्रभावी कार्रवाई की गई। लखनऊ में माफिया मुख्तार अंसारी, प्रयागराज में अतीक अहमद सहित अन्य कई बड़े अपराधियों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया गया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सरकार की अब तक की कार्रवाई पर भी सवालिया निशान लगेगा। सरकार और भाजपा को घेरेगा विपक्ष
जानकार मानते हैं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष को सरकार और भाजपा के खिलाफ बड़ा हथियार मिल गया है। कांग्रेस, सपा और बसपा सहित तमाम विपक्षी दल बुलडोजर एक्शन का पहले से विरोध कर रहे थे। इस फैसले के बाद विपक्ष न केवल उपचुनाव, विधानसभा चुनाव- 2027 में भी इसे मुद्दा बनाकर जनता के बीच सरकार को घेरेगा। सीनियर जर्नलिस्ट आनंदराय मानते हैं, बुलडोजर की कार्रवाई से निश्चित तौर पर यूपी में कानून का राज कायम हुआ था। अपराधियों और माफिया में दहशत थी। बुलडोजर एक ब्रांड बन गया था। सीएम योगी की ‘बुलडोजर बाबा’ के नाम से लोकप्रियता भी बढ़ी। इससे भाजपा को विधानसभा चुनाव 2022 में फायदा भी मिला। लेकिन, अफसरों की कारगुजारी से कई जगह बुलडोजर की मनमानी कार्रवाई हुई। उनका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद अफसरों की दशहत और मनमानी कम होगी। विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा बनाएगा। उसको आगे बढ़कर सरकार को घेरने का मौका मिलेगा। अब बुलडोजर चलाना सरकार के लिए आसान नहीं होगा
इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रंगनाथ पांडेय का मानना है, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब बुलडोजर की कार्रवाई आसान नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इसमें अब अधिकारियों और कर्मचारियों की भी जवाबदेही तय होगी। सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद भी देखा गया कि कुछ जगह अधिकारी बुलडोजर लेकर पहुंच गए थे। बिकरू कांड से चर्चा में आया बुलडोजर
2 जुलाई, 2020 की रात को कानपुर के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे ने साथियों के साथ मिलकर 8 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था। पुलिस ने गैंग को मिटाने की शपथ ले ली। विकास दुबे गैंग के एक-एक आदमी को एनकाउंटर में मारकर गिराया जाने लगा। 40 थानों की पुलिस फोर्स की मौजूदगी में विकास दुबे के घर पर बुलडोजर चला। चार बुलडोजर लगाकर विकास दुबे की अपराध से बनाई संपत्ति, चाहे मकान हो या फिर गाड़ियां, सब को तहस-नहस कर दिया गया। यूं पड़ा बुलडोजर बाबा नाम
विधानसभा चुनाव, 2022 के दौरान 20 जनवरी को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अयोध्या में चुनावी रैली के दौरान से कहा- जो जगहों का नाम बदलते थे, आज एक अखबार ने उनका ही नाम बदल दिया। अखबार अभी गांवों में नहीं पहुंचा होगा। हम बता देते हैं, उनका नया नाम रखा है, बाबा बुलडोजर। अखिलेश के बाबा बुलडोजर कहते ही योगी आदित्यनाथ और भाजपा ने बुलडोजर का प्रचार शुरू किया। अगले दिन योगी ने कहा था- बुलडोजर हाईवे भी बनाता है, बाढ़ रोकने का काम भी करता है। साथ ही माफिया से अवैध कब्जे को भी मुक्त करता है। 25 फरवरी को जब योगी रैली के लिए निकले, तो उन्होंने हेलिकॉप्टर की एक फोटो शेयर की। उन्हें अपनी रैली में कई बुलडोजर खड़े नजर आए थे। बड़े माफिया पर कब-कब बुलडोजर एक्शन नगरीय क्षेत्रों में अधिकार सुरक्षित
जानकार मानते हैं, सरकार के पास नगरीय क्षेत्रों में विकास प्राधिकरण और नगर निगम को अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। एक्ट के तहत नोटिस देकर पहले संबंधित से जवाब-तलब किया जाता है। जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर निकाय या प्राधिकरण अवैध निर्माण को ध्वस्त कर सकती है। अब आखिर में जानिए…सरकार क्या तोड़ निकाल पाएगी? जवाब है नहीं….नया एक्ट बनाकर भी तोड़ नहीं निकाल सकती सरकार
हाईकोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट जयदीप नारायण माथुर का कहना है, राज्य सरकारें बुलडोजर से डरा रही थीं। अब वो डर खत्म हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश और गाइडलाइन संवैधानिक आधार पर दी हैं। इस कारण राज्य सरकार अब कोई कानून लाकर भी इस फैसले का तोड़ नहीं निकाल सकती। सरकार ऐसा कोई कानून नहीं बना सकती, जिसमें किसी अपराधी या सजायाफ्ता मुजरिम का वैध घर तोड़ दिया जाए। सरकार को सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार ही काम करना होगा। ——————- ये खबर भी पढ़ें… बुलडोजर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागतयोग्य- योगी सरकार, यूपी में बुलडोजर सशर्त चलता रहेगा, 15 पॉइंट में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन यूपी की राजनीति के केंद्र बुलडोजर पर अब सुप्रीम कोर्ट ने लगाम लगा दी है। कोर्ट ने 15 पॉइंट की गाइडलाइन जारी की है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कई सवाल खड़े हुए हैं। क्या अपराधियों के घर अब बुलडोजर एक्शन पहले की तरह नहीं हो पाएगा? योगी सरकार अब आगे क्या करेगी? हालांकि, यूपी सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, वह स्वागत योग्य है। यह केस दिल्ली से संबंधित था और उत्तर प्रदेश सरकार इसमें पार्टी नहीं थी। पढ़ें पूरी खबर…