लखनऊ में पद्मश्री गजल गायिका बेगम अख्तर की 50 वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी गई। ठकुरगंज में बनी उनकी मजार पर लोगों ने दीप जलाकर, फूल चढ़ाकर दुआ मांगी। इस अवसर पर बेगम अख्तर की मजार पर बायोस्कोप और सराका द्वारा खास कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मशहूर गायका राधिका चोपड़ा ने अपनी गजल गायकी से समा बांधा। दिल्ली की प्रख्यात गजल गायिका डॉ. राधिका चोपड़ा ने कहा ये उनके लिए बहुत सम्मान की बात है कि बेगम अख्तर की कब्र पर उनके चाहने वालों के सामने गजल सुनाने का अवसर मिला। उन्होंने बताया कि वो बेगम अख्तर की शिष्या पद्मश्री शांति हिरानंद की शिष्या हैं। गुरु शांति हीरानंद बेगम अख्तर का इतना सम्मान करती थी। जिसको शब्दों में बयान करना असंभव है। हम लोग बेगम अख्तर को सुनकर बड़े हुए हैं, उनसे सुर लगाना सीखा है। बेगम साहिब को ‘मल्लिका-ए-ग़ज़ल’ कहा जाता था। यह हमारे लिए फक्र की बात है की ग़ज़ल की दुनिया को बेगम साहिबा जैसी शानदार शख्सियत मिली। कलाकारों ने अपनी कला से दी श्रधांजलि
कार्यक्रम में आए मशहूर सारंगी वादक मुराद अली खां ने कहा कि ये पहला अवसर है कि वो बेगम अख्तर की मज़ार पर अपनी सारंगी बजा रहे हैं। हारमोनियम वादक नफीस अहमद ने बताया कि बेगम अख्तर जैसी महान कलाकार की पुण्यतिथि पर अपनी कला का प्रदर्शन करना उनके लिए सौभाग्य की बात है। दिल्ली से आए तबला वादक अमजद खान ने कहा कि बेगम अख्तर के परिवार से उनके गहरे रिश्ते थे। बेगम अख्तर की कब्र पर प्रस्तुति देना सौभाग्य की बात है। ‘सरकार बेगम के नाम से शुरू करे सम्मान’
बेगम अख्तर को श्रद्धांजलि देने पहुंचे नवाब मसूद अब्दुल्ला ने कहा बेगम अख्तर के कला की जितनी तारीफ की जाए कम है। बेगम अख्तर ने लखनऊ समेत प्रदेश का नाम पूरे विश्व में ऊंचा किया। मगर अफसोस की बात है कि आज तक उनके नाम पर उत्तर प्रदेश की किसी भी सरकार ने कुछ नहीं किया। हमारी मांग है कि सरकार उनके नाम पर स्कॉलरशिप और सम्मान शुरू करे। गायकी और कला के छात्रों को बेगम अख्तर के बारे में पढ़ना चाहिए और उनकी गजलों को सुनना चाहिए। लखनऊ में पद्मश्री गजल गायिका बेगम अख्तर की 50 वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी गई। ठकुरगंज में बनी उनकी मजार पर लोगों ने दीप जलाकर, फूल चढ़ाकर दुआ मांगी। इस अवसर पर बेगम अख्तर की मजार पर बायोस्कोप और सराका द्वारा खास कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मशहूर गायका राधिका चोपड़ा ने अपनी गजल गायकी से समा बांधा। दिल्ली की प्रख्यात गजल गायिका डॉ. राधिका चोपड़ा ने कहा ये उनके लिए बहुत सम्मान की बात है कि बेगम अख्तर की कब्र पर उनके चाहने वालों के सामने गजल सुनाने का अवसर मिला। उन्होंने बताया कि वो बेगम अख्तर की शिष्या पद्मश्री शांति हिरानंद की शिष्या हैं। गुरु शांति हीरानंद बेगम अख्तर का इतना सम्मान करती थी। जिसको शब्दों में बयान करना असंभव है। हम लोग बेगम अख्तर को सुनकर बड़े हुए हैं, उनसे सुर लगाना सीखा है। बेगम साहिब को ‘मल्लिका-ए-ग़ज़ल’ कहा जाता था। यह हमारे लिए फक्र की बात है की ग़ज़ल की दुनिया को बेगम साहिबा जैसी शानदार शख्सियत मिली। कलाकारों ने अपनी कला से दी श्रधांजलि
कार्यक्रम में आए मशहूर सारंगी वादक मुराद अली खां ने कहा कि ये पहला अवसर है कि वो बेगम अख्तर की मज़ार पर अपनी सारंगी बजा रहे हैं। हारमोनियम वादक नफीस अहमद ने बताया कि बेगम अख्तर जैसी महान कलाकार की पुण्यतिथि पर अपनी कला का प्रदर्शन करना उनके लिए सौभाग्य की बात है। दिल्ली से आए तबला वादक अमजद खान ने कहा कि बेगम अख्तर के परिवार से उनके गहरे रिश्ते थे। बेगम अख्तर की कब्र पर प्रस्तुति देना सौभाग्य की बात है। ‘सरकार बेगम के नाम से शुरू करे सम्मान’
बेगम अख्तर को श्रद्धांजलि देने पहुंचे नवाब मसूद अब्दुल्ला ने कहा बेगम अख्तर के कला की जितनी तारीफ की जाए कम है। बेगम अख्तर ने लखनऊ समेत प्रदेश का नाम पूरे विश्व में ऊंचा किया। मगर अफसोस की बात है कि आज तक उनके नाम पर उत्तर प्रदेश की किसी भी सरकार ने कुछ नहीं किया। हमारी मांग है कि सरकार उनके नाम पर स्कॉलरशिप और सम्मान शुरू करे। गायकी और कला के छात्रों को बेगम अख्तर के बारे में पढ़ना चाहिए और उनकी गजलों को सुनना चाहिए। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
लखनऊ में बेगम अख्तरी की मजार पर जलाए गए दीपक:50 वीं पुण्यतिथि पर दी गई श्रद्धांजलि, राधिका चोपड़ा की गजल सुनकर झूमे लोग
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