संसद में वन नेशन-वन इलेक्शन से जुड़ा बिल पेश होने के बाद लखनऊ में भी इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है। स्टूडेंट्स भी इसको लेकर मुखर तरीके से बात कर रहे हैं। हालांकि इस मुद्दे पर लोग अभी एकमत होते नजर नहीं आ रहे हैं। दैनिक भास्कर ने राजधानी के बाबा साहब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के लॉ स्टूडेंट्स से जब इस विषय पर बात की तो लोगों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 70वें एपिसोड में बाबा साहब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (BBAU) के लॉ स्टूडेंट्स से बातचीत… सत्ता में काबिज रहने के लिए उठाया जा रहा कदम LLB 4th ईयर के छात्र अमय सोनकर ने कहा- ये निर्णय पूरी तरीके से सत्ता को हासिल करने के लिए लिया जा रहा है। डॉ.राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि जिंदा कौमें 5 साल का इंतजार नहीं करती। ऐसे में जो ये सोच रहे हैं कि वन नेशन वन इलेक्शन से वह 5 साल तक सत्ता में काबिज रहेंगे तो ये उनकी सबसे बड़ी गलतफहमी साबित होगी। पैसे और समय दोनों की होगी बचत लॉ स्टूडेंट आयुष गुप्ता ने बताया कि मेरा ये मानना है कि एक साथ इलेक्शन होने से सरकार का खर्च कम होगा। समय की भी बचत होगी। सबसे अहम बात ये है कि सब कुछ स्ट्रीम लाइन रहेगा। डेवलपमेंट में नहीं होगी कोई रुकावट लॉ स्टूडेंट स्नेह सिंह ने बताया कि इलेक्शन का नोटिफिकेशन जारी होता है, जिससे कई पब्लिक वेलफेयर स्कीम का संचालन बाधित होता है। डेवलपमेंट के लिए भी एक साथ इलेक्शन होना बेहद फायदेमंद साबित होगा। संसद में वन नेशन-वन इलेक्शन से जुड़ा बिल पेश होने के बाद लखनऊ में भी इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है। स्टूडेंट्स भी इसको लेकर मुखर तरीके से बात कर रहे हैं। हालांकि इस मुद्दे पर लोग अभी एकमत होते नजर नहीं आ रहे हैं। दैनिक भास्कर ने राजधानी के बाबा साहब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के लॉ स्टूडेंट्स से जब इस विषय पर बात की तो लोगों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 70वें एपिसोड में बाबा साहब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (BBAU) के लॉ स्टूडेंट्स से बातचीत… सत्ता में काबिज रहने के लिए उठाया जा रहा कदम LLB 4th ईयर के छात्र अमय सोनकर ने कहा- ये निर्णय पूरी तरीके से सत्ता को हासिल करने के लिए लिया जा रहा है। डॉ.राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि जिंदा कौमें 5 साल का इंतजार नहीं करती। ऐसे में जो ये सोच रहे हैं कि वन नेशन वन इलेक्शन से वह 5 साल तक सत्ता में काबिज रहेंगे तो ये उनकी सबसे बड़ी गलतफहमी साबित होगी। पैसे और समय दोनों की होगी बचत लॉ स्टूडेंट आयुष गुप्ता ने बताया कि मेरा ये मानना है कि एक साथ इलेक्शन होने से सरकार का खर्च कम होगा। समय की भी बचत होगी। सबसे अहम बात ये है कि सब कुछ स्ट्रीम लाइन रहेगा। डेवलपमेंट में नहीं होगी कोई रुकावट लॉ स्टूडेंट स्नेह सिंह ने बताया कि इलेक्शन का नोटिफिकेशन जारी होता है, जिससे कई पब्लिक वेलफेयर स्कीम का संचालन बाधित होता है। डेवलपमेंट के लिए भी एक साथ इलेक्शन होना बेहद फायदेमंद साबित होगा। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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डेंगू को लेकर हरियाणा में अलर्ट:CM की हेल्थ मिनिस्टर के साथ मीटिंग; जिलों में फॉगिंग के निर्देश, 4000 केस मिले, एक की मौत हरियाणा में डेंगू को लेकर सरकार अलर्ट हो गई है। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने डेंगू के बढ़ते मामलों को लेकर स्वास्थ्य मंत्री आरती राव के साथ रिव्यू मीटिंग की। मीटिंग के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि हमारे मामला संज्ञान में आया की डेंगू से बहुत सारे लोग पीड़ित हो रहे हैं। मीटिंग में डिस्कशन हुआ कि सभी DC को आदेश दिए गए हैं कि वो अपने स्तर पर फॉगिंग करवाएं। आज शाम से ही ये निर्देश लागू हो जाएंगे। हरियाणा में अब 4000 से अधिक डेंगू के मामले आ चुके हैं। डेंगू के नए मामलों में जहां पंचकूला जिला सबसे ऊपर है। वहीं जीटी रोड बेल्ट पर पड़ने वाले कई जिलों में डेंगू के केस लगातार रिपोर्ट हो रहे हैं, जिसके चलते स्थिति चिंताजनक है। पंचकूला और हिसार सहित हरियाणा में डेंगू के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हिसार और पंचकूला हॉट स्पॉट सेंटर बन गए हैं। हिसार के अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में डेंगू के कारण एक युवक की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में हिसार, पंचकूला, गुरुग्राम, करनाल, रेवाड़ी, सोनीपत और फरीदाबाद जिले हैं। बढ़ते केसों को लेकर सैंपलिंग में तेजी
डेंगू के बढ़ते केसों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सैंपलिंग तेजी से शुरू कर दी है। डेंगू के साथ वायरल भी बढ़ रहा है और डेंगू केस मिलने की सूचना नगर निगम को भी भेजी जाती है। ये भी बता दें कि घर-घर जाकर मच्छरों के प्रजनन स्रोतों की पहचान और उन्मूलन के लिए गतिविधियां चलाई जा रही हैं। अब तक कुल 3,56,74,860 घरों का दौरा किया गया और 1,79,875 घरों में लारवा पाया गया। 10 वर्ष में साल 2021 में सबसे ज्यादा 11836 केस आए
2015 में प्रदेश में कुल 9921 डेंगू के केस आए थे। वहीं 2016 में 2494 केस रिपोर्ट हुए। इसके बाद 2017 में 4550 और 2018 में नए मामलों में व्यापक स्तर पर कमी दर्ज की गई। इस साल बीमारी के कुल 1936 मामले रिपोर्ट हुए। फिर 2020 में 1377 केस कंफर्म हुए। इसके बाद 2021 में डेंगू के मामलों में कई गुना इजाफा हुआ है और एक साल की अवधि में 11836 मामले कंफर्म हुए। फिर अगले 2022 में 8996 नए केस आए। 2023 में 8081 मामले आ चुके हैं। इस साल अब तक 4 हजार से ज्यादा मामले रिपोर्ट हो चुके हैं। 10 वर्षों में इतने लोगों की हो चुकी है मौत
हरियाणा में बीमारी से अब तक 4 लोगों की जान जा चुकी है। हालांकि माना जा रहा है कि ज्यादा लोगों की मौत बीमारी से हुई है लेकिन विभाग द्वारा कुछ मौत को संदिग्ध की कैटेगरी में रखा है। वहीं ये भी बता दें कि पिछले साल 2022 में बीमारी से सबसे ज्यादा 18 लोगों की मौत हुई थी, वहीं 2015 में बीमारी ने 13 लोगों की जान ले ली। 2016 से लेकर साल 2020 तक 5 साल की अवधि में बीमारी से कोई मौत नहीं हुई। साल 2015 से लेकर 2023 तक 9 साल की अवधि में कुल 44 लोगों की मौत हुई है। इस लिहाज से हर साल औसतन 5 से ज्यादा लोगों की मौत बीमारी के चलते हुई है। साल 2024 में अब तक चार मरीजों की मौत बीमारी से हो चुकी है। महामारी की श्रेणी में डेंगू
हरियाणा में प्रचलित सभी चार वीबीडी को महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत 31 मार्च, 2027 तक अधिसूचित किया गया है और सभी निजी अस्पतालों/प्रयोगशालाओं को अधिसूचना जारी कर दी गई है कि वे प्रत्येक मामले की जानकारी पता लगने के 24 घंटे के भीतर स्वास्थ्य अधिकारियों को दें। मलेरिया के निदान के लिए सभी जिलों में घर-घर जाकर बुखार की निगरानी तेज कर दी गई है। मई से अक्टूबर तक हर महीने की 1 से 10 तारीख तक मलेरिया के लिए बुखार के मामलों की जांच के लिए सभी गांवों में रैपिड फीवर सर्वे किया गया। सभी जिलों में डेंगू की जांच को मजबूत किया गया है। सीएचसी/पीएचसी स्तर पर भी रक्त के नमूने लेने शुरू कर दिए गए हैं, जिसमें उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
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नवांशहर में युवक ने की आत्महत्या:पानी की टंकी से कूदकर दी जान, मानसिक रूप से था बीमार
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