लखनऊ में सरकारी डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर शासन सख्त:75 जिलों से रिपोर्ट तलब, 20 फरवरी तक देने के निर्देश

लखनऊ में सरकारी डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर शासन सख्त:75 जिलों से रिपोर्ट तलब, 20 फरवरी तक देने के निर्देश

उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सकों और चिकित्सा शिक्षकों द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस के मामले में कड़ाई शुरू हो गई है। सभी जिलाधिकारियों (DM) और मुख्य चिकित्साधिकारियों (CMO) से इस संबंध में 20 फरवरी तक रिपोर्ट मांगी गई है। सभी 75 जिलों के डीएम और CMO से जांच कर कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट मांगी गई थी। इसके बाद भी ज्यादातर जिलों से अभी तक रिपोर्ट नहीं आई है। हाईकोर्ट ने विभाग से तलब की थी रिपोर्ट
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत चिकित्सकों एवं चिकित्सा शिक्षकों के प्राइवेट प्रैक्टिस करने की शिकायतें मिल रही हैं। इस संबंध में डा. अरविंद गुप्ता बनाम राज्य व अन्य मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने भी विभाग से रिपोर्ट तलब की थी। इस बीच हाईकोर्ट में 10 फरवरी को हुई सुनवाई में ये मामला जनहित याचिका में बदल दी गई है। ऐसे में चिकित्सा स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने सभी जिलाधिकारियों, मुख्य चिकित्साधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को निर्देश जारी किया है। अब तक आई शिकायतों पर एक्शन
यदि किसी चिकित्सक अथवा चिकित्सा शिक्षक के खिलाफ ऐसी शिकायतें आई हों तो तत्काल समिति की बैठक कर उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को संस्तुति भेजी जाए। इसके लिए 20 फरवरी तक का समय दिया गया है। उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सकों और चिकित्सा शिक्षकों द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस के मामले में कड़ाई शुरू हो गई है। सभी जिलाधिकारियों (DM) और मुख्य चिकित्साधिकारियों (CMO) से इस संबंध में 20 फरवरी तक रिपोर्ट मांगी गई है। सभी 75 जिलों के डीएम और CMO से जांच कर कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट मांगी गई थी। इसके बाद भी ज्यादातर जिलों से अभी तक रिपोर्ट नहीं आई है। हाईकोर्ट ने विभाग से तलब की थी रिपोर्ट
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत चिकित्सकों एवं चिकित्सा शिक्षकों के प्राइवेट प्रैक्टिस करने की शिकायतें मिल रही हैं। इस संबंध में डा. अरविंद गुप्ता बनाम राज्य व अन्य मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने भी विभाग से रिपोर्ट तलब की थी। इस बीच हाईकोर्ट में 10 फरवरी को हुई सुनवाई में ये मामला जनहित याचिका में बदल दी गई है। ऐसे में चिकित्सा स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने सभी जिलाधिकारियों, मुख्य चिकित्साधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को निर्देश जारी किया है। अब तक आई शिकायतों पर एक्शन
यदि किसी चिकित्सक अथवा चिकित्सा शिक्षक के खिलाफ ऐसी शिकायतें आई हों तो तत्काल समिति की बैठक कर उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को संस्तुति भेजी जाए। इसके लिए 20 फरवरी तक का समय दिया गया है।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर