लखनऊ में साइबर ठगों का गैंग फोन चोरी और लूट की घटनाओं को अंजाम दे रहा है। जिसके बाद मोबाइल से कनेक्ट अकाउंट खाली कर दे रहे हैं। झारखंड के तीन पहाड़ इलाके से यह पूरा गैंग ऑपरेट हो रहा है। लखनऊ में इस गैंग के तीन लोगों की गिरफ्तारी के बाद यह चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इसको लेकर साइबर थाना की टीम इस गैंग की धरपकड़ के लिए लग गई है। साइबर टीम जल्द ही गिरोह के अन्य सदस्यों का गिरफ्तार करने का दावा कर रही है। साइबर थाना प्रभारी ब्रजेश यादव ने बताया कि आजकल शहर में मोबाइल चोरी कर साइबर ठगी का नया तरीका सामने आया है। जिसको झारखंड में बैठे साइबर ठग चला रहे हैं। लखनऊ में कर्नल समेत चार लोगों के साथ हुआ फ्राड पिछले दिनों कर्नल संतोष कुमार मिश्रा का साथ भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के पास फल खरीदते वक्त मोबाइल चोरी हो गया था। उसके बाद से उनके उस फोन में पड़े नंबर से लिंक खातों और क्रेडिट कार्ड से 7.50 लाख रुपए निकाल लिए गए। जिसकी पीजीआई थाने में उन्होंने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसी गोमतीनगर विस्तार में व्यापारी राम का आई फोन चोरी हुआ और कई बार में लाखों रुपए निकल गए। इसी तरह की कई शिकायतें थानों, साइबर सेल और साइबर थाने पर आना शुरू हो गई। जिसके बाद साइबर टीम की जांच में खुलासा हुआ कि इसके पीछे झारखंड का एक गिरोह शामिल है। जिसकी तलाश तेज कर दी गई है। इस तरह हुआ गैंग का खुलासा
पुलिस के मुताबिक पीजीआई में दर्ज कर्नल की शिकायत पर मुकदमे साइबर टीम ने जांच शुरू की। जिसके आधार पर तीन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। जिसमें एक नाबालिग था। उनके पास से चोरी के 7 मोबाइल फोन बरामद हुए थे। पकड़े गए गोविंदा कुमार महतो और सूरज नोनिया के साथ नाबालिग भी झारखंड के साहेबगंज के तीन पहाड़ गांव के रहने वाले थे। उन्होंने बताया कि वह लोग चोरी के मोबाइल का डाटा अपने साथियों को भेजते हैं। जिसके बाद ठगी होती है। कैसे करते थे साइबर फ्रॉड की वारदात
साइबर टीम को पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उनका टारगेट आई फोन और कीमती मोबाइल पर होता है। इसके लिए नाबालिगों को लगाया जाता है। वहीं उनके पीछे गैंग के लोग रहते हैं, ताकि पकड़े जाने पर भीड़ से बच्चा बताकर बचा सकें। इसके बाद चोरी के मोबाइल फोन का लॉक व आई क्लाउड लॉक को तुड़वाकर फोन में पड़े सिमकार्ड से लिंक बैंक अकाउंट का डिजिटल ई-वॉलेट बनाकर अपने खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं। इसके लिए यह क्रेड एप का भी प्रयोग करते हैं। चोरी के मोबाइल को नेपाल और बांग्लादेश देते बेंच
पुलिस पड़ताल में सामने आया कि साइबर ठगी के बाद चोरी और लूट के मोबाइल फोन को नेपाल और बांग्लादेश भेजकर बेंच देते हैं। जिससे पुलिस इनको ट्रेस नहीं कर पाती। गंगा नदी में नाव पर चलता है गिरोह का ऑफिस
साइबर थाना प्रभारी का कहना है कि यह लोग बहुत शातिर हैं। पुलिस की पकड़ से बचने के लिए नदी में बैठकर ठगी करते हैं। जिससे पुलिस के पहुंचने से पहले नाव लेकर भाग जाए। जांच में सामने आया है कि झारखंड में तीन पहाड़ गांव गंगा नदी के किनारे है। यहां के डेढ़ सौ घर में से सौ में इसी तरह का काम आजकल हो रहा है। भरतपुर की तरह यहां के भी लोगों का मूल काम चोरी हुआ करता था। यहां के लोगों ने समय के साथ मोबाइल चोरी के साथ साइबर ठगी का काम शुरू कर दिया। यह गैंग यूपी, एमपी, राजस्थान और मुंबई में भी घटनाओं को अंजाम दे रहा है। लखनऊ में साइबर ठगों का गैंग फोन चोरी और लूट की घटनाओं को अंजाम दे रहा है। जिसके बाद मोबाइल से कनेक्ट अकाउंट खाली कर दे रहे हैं। झारखंड के तीन पहाड़ इलाके से यह पूरा गैंग ऑपरेट हो रहा है। लखनऊ में इस गैंग के तीन लोगों की गिरफ्तारी के बाद यह चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इसको लेकर साइबर थाना की टीम इस गैंग की धरपकड़ के लिए लग गई है। साइबर टीम जल्द ही गिरोह के अन्य सदस्यों का गिरफ्तार करने का दावा कर रही है। साइबर थाना प्रभारी ब्रजेश यादव ने बताया कि आजकल शहर में मोबाइल चोरी कर साइबर ठगी का नया तरीका सामने आया है। जिसको झारखंड में बैठे साइबर ठग चला रहे हैं। लखनऊ में कर्नल समेत चार लोगों के साथ हुआ फ्राड पिछले दिनों कर्नल संतोष कुमार मिश्रा का साथ भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के पास फल खरीदते वक्त मोबाइल चोरी हो गया था। उसके बाद से उनके उस फोन में पड़े नंबर से लिंक खातों और क्रेडिट कार्ड से 7.50 लाख रुपए निकाल लिए गए। जिसकी पीजीआई थाने में उन्होंने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसी गोमतीनगर विस्तार में व्यापारी राम का आई फोन चोरी हुआ और कई बार में लाखों रुपए निकल गए। इसी तरह की कई शिकायतें थानों, साइबर सेल और साइबर थाने पर आना शुरू हो गई। जिसके बाद साइबर टीम की जांच में खुलासा हुआ कि इसके पीछे झारखंड का एक गिरोह शामिल है। जिसकी तलाश तेज कर दी गई है। इस तरह हुआ गैंग का खुलासा
पुलिस के मुताबिक पीजीआई में दर्ज कर्नल की शिकायत पर मुकदमे साइबर टीम ने जांच शुरू की। जिसके आधार पर तीन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। जिसमें एक नाबालिग था। उनके पास से चोरी के 7 मोबाइल फोन बरामद हुए थे। पकड़े गए गोविंदा कुमार महतो और सूरज नोनिया के साथ नाबालिग भी झारखंड के साहेबगंज के तीन पहाड़ गांव के रहने वाले थे। उन्होंने बताया कि वह लोग चोरी के मोबाइल का डाटा अपने साथियों को भेजते हैं। जिसके बाद ठगी होती है। कैसे करते थे साइबर फ्रॉड की वारदात
साइबर टीम को पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उनका टारगेट आई फोन और कीमती मोबाइल पर होता है। इसके लिए नाबालिगों को लगाया जाता है। वहीं उनके पीछे गैंग के लोग रहते हैं, ताकि पकड़े जाने पर भीड़ से बच्चा बताकर बचा सकें। इसके बाद चोरी के मोबाइल फोन का लॉक व आई क्लाउड लॉक को तुड़वाकर फोन में पड़े सिमकार्ड से लिंक बैंक अकाउंट का डिजिटल ई-वॉलेट बनाकर अपने खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं। इसके लिए यह क्रेड एप का भी प्रयोग करते हैं। चोरी के मोबाइल को नेपाल और बांग्लादेश देते बेंच
पुलिस पड़ताल में सामने आया कि साइबर ठगी के बाद चोरी और लूट के मोबाइल फोन को नेपाल और बांग्लादेश भेजकर बेंच देते हैं। जिससे पुलिस इनको ट्रेस नहीं कर पाती। गंगा नदी में नाव पर चलता है गिरोह का ऑफिस
साइबर थाना प्रभारी का कहना है कि यह लोग बहुत शातिर हैं। पुलिस की पकड़ से बचने के लिए नदी में बैठकर ठगी करते हैं। जिससे पुलिस के पहुंचने से पहले नाव लेकर भाग जाए। जांच में सामने आया है कि झारखंड में तीन पहाड़ गांव गंगा नदी के किनारे है। यहां के डेढ़ सौ घर में से सौ में इसी तरह का काम आजकल हो रहा है। भरतपुर की तरह यहां के भी लोगों का मूल काम चोरी हुआ करता था। यहां के लोगों ने समय के साथ मोबाइल चोरी के साथ साइबर ठगी का काम शुरू कर दिया। यह गैंग यूपी, एमपी, राजस्थान और मुंबई में भी घटनाओं को अंजाम दे रहा है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
लखनऊ में साइबर ठग गैंग चुरा रहा मोबाइल:झारखंड के तीन पहाड़ गांव से ऑपरेट हो रहा, साइबर टीम कर रही धरपकड़
![लखनऊ में साइबर ठग गैंग चुरा रहा मोबाइल:झारखंड के तीन पहाड़ गांव से ऑपरेट हो रहा, साइबर टीम कर रही धरपकड़](https://images.bhaskarassets.com/thumb/1000x1000/web2images/521/2025/02/12/ezgif-6-c1691fc6b11728440283_1739329114.gif)