<p style=”text-align: justify;”><strong>Patna University Student Union:</strong> पटना विश्वविद्यालय के छात्र संघ का चुनाव इस वर्ष 29 मार्च को होने वाला है. 10 मार्च से नामांकन फार्म 50 रुपये की दर से मिलने शुरू हो गए थे. छात्र संघ चुनाव को लेकर छात्रों के बीच गहमा गहमी का माहौल है. चुनाव के लिए अभी से ही प्रचार प्रचार शुरू हो गया है. माना जाता है कि बड़ी राजनीति के लिए छात्र संघ चुनाव पहला कदम होता है और पहली डिग्री राजनीति की होती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2012 से छात्र संघ चुनाव दोबारा शुरू हुआ</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार में कई ऐसे दिग्गज नेता हैं, जिनकी राजनीतिक शुरुआत छात्र नेता से हुई है. इनमें लालू प्रसाद यादव, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, स्वर्गीय सुशील मोदी, रवि शंकर प्रसाद ऐसे दिग्गज नेता पटना यूनिवर्सिटी के छात्र रहे थे और छात्र आंदोलन से ही यह लोग बड़े नेता के रूप में उभर कर आए. हालांकि आरजेडी के शासनकाल में कई सालों से पटना विश्वविद्यालय में छात्र संघ का चुनाव स्थगित कर दिया गया था, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2012 से छात्र संघ चुनाव फिर से करने की शुरुआत की.</p>
<p style=”text-align: justify;”>चुनाव में छात्र नेता बढ़ चढ़ कर भाग भी लेते हैं, लेकिन अब सवाल उठता है कि छात्र संघ से निकले नेता क्या आज देश और राज्य की राजनीति में हम भूमिका निभा रहे हैं. अब जो छात्र नेता उभर कर आ रहे हैं उनकी राजनीति भूमिका कैसी है. क्या इन नेताओं की तरह यह लोग पहुंच पाएंगे यह सबसे बड़ा सवाल है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वैसे तो छात्र संघ में छह पद पर चुनाव जीतकर आते हैं, लेकिन हम बात अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की करें तो सबसे पहले 2012 में पटना विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से आशीष सिन्हा जीते थे. अभी वह बीजेपी में प्रदेश युवा के मंत्री के पद पर है, पार्टी का झंडा ढो रहे हैं लेकिन पार्टी उन्हें अभी तक कोई विशेष पद से सम्मानित नहीं किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>2017 में दिव्यांशु भारद्वाज निर्दलीय से छात्र संघ के अध्यक्ष बने बाद में जेडीयू में शामिल हुए, पार्टी की ओर से युवा का अध्यक्ष बनाया गया. 2018 में मोहित प्रकाश जेडीयू से अध्यक्ष बने, पार्टी उनको सेटिंग लाइन में कर दिया है. 2020 में पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी के मनीष यादव अध्यक्ष बने. वह पार्टी कांग्रेस में विलय कर गई है, लेकिन वह पप्पू यादव के साथ लगे हुए हैं. कोई वजूद तलाश रहे हैं. 2022 में जेडीयू के आनंद मोहन छात्र संघ के अध्यक्ष बने. पार्टी ने उन्हें सम्मान दिया, लेकिन राजनीति भूमिका में वह नगण्य है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं 2012 में उपाध्यक्ष पद पर वाम दल के अंशुमान जीते थे, जो राजनीति छोड़कर वकालत कर रहे हैं. 2017 में उपाध्याय नीतीश पटेल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से बने, पार्टी ने उन्हें संटिंग लाइन में कर दिया है. कोई पद नहीं है अभी पार्टी में वह बने हुए हैं. 2018 में योशीता पटवर्धन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से उपाध्यक्ष बनी थीं. पार्टी ने कोई पद नहीं दिया वह अभी पढ़ाई कर रही है. 2020 में आरजेडी के निशांत यादव उपाध्यक्ष बने, लेकिन अभी तक पार्टी में उन्हें कोई जगह नहीं दी गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>समय-समय पर पार्टी का झंडा लेकर खड़े रहते हैं. 2022 में विक्रमादित्य उपाध्यक्ष बने जो जेडीयू के थे, लेकिन पार्टी में सक्रियता नहीं दिख रही है. 2020 में उपाध्यक्ष बने निशांत कुमार ने बताया कि छात्र संघ के नेता से लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, सुशील मोदी, रविशंकर प्रसाद ऐसे नेता आज बड़े के नेता के रूप में पहचान रखते है. लेकिन अभी जो स्थिति है कि छात्र नेताओं को वैल्यू नहीं दी जाती है. उसकी मुख्य वजह है कि कहीं ना कहीं परिवारवाद और अपनों को पार्टी में जगह दे रहे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>भले ही उन्हें राजनीति में कोई जानकारी नहीं हो लेकिन नेताओं के परिवार ही एमपी, एमएलसी बनते हैं. यह स्थिति कमोवेश सभी पार्टियों में है. यही वजह है कि छात्र स्तर से राजनीतिक करने के बाद भी उन्हें सही जगह नहीं मिल पाती है. वहीं 2012 में उपाध्यक्ष पद पर वाम दल के अंशुमान जीते थे जो राजनीति छोड़कर वकालत कर रहे हैं. 2017 में उपाध्याय नीतीश पटेल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से बने, पार्टी ने उन्हें संटिंग लाइन में कर दिया है, कोई पद नहीं है. अभी पार्टी में वह बने हुए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>2018 में योशीता पटवर्धन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से उपाध्यक्ष बनी थी. पार्टी ने कोई नहीं दिया वह अभी पढ़ाई कर रही है. 2020 में आरजेडी के निशांत यादव उपाध्यक्ष बने लेकिन अभी तक पार्टी में उन्हें कोई जगह नहीं दी गई है समय-समय पर पार्टी का झंडा लेकर खड़े रहते हैं. 2022 में विक्रमादित्य उपाध्यक्ष बने जो जेडीयू के थे, लेकिन पार्टी में सक्रियता नहीं दिख रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’छात्र स्तर से राजनीति करने के बाद भी नहीं मिलती जगह'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>2020 में उपाध्यक्ष बने निशांत कुमार ने बताया कि जिस समय छात्र संघ के नेता से लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार ,सुशील मोदी, रविशंकर प्रसाद ऐसे नेता आज बड़े नेता के रूप में पहचान रखा हैं, लेकिन अभी जो स्थिति है कि छात्र नेताओं को वैल्यू नहीं दी जाती है. उसकी मुख्य वजह है कि कहीं ना कहीं परिवारवाद और अपनों को पार्टी में जगह देना. भले ही राजनीति में कोई जानकारी नहीं हो, लेकिन नेताओं के परिवार ही एमपी, एमएलसी बनते हैं. यह स्थिति कमोबेश सभी पार्टियों में है. यही वजह है कि छात्र स्तर से राजनीति करने के बाद भी उन्हें सही जगह नहीं मिल पाती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ेंः <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/bihar-nawada-imam-mohammad-noman-akhtar-message-on-holi-and-ramzan-ann-2902735″>’धर्म के नाम पर राजनीति बंद करो’, नवादा के इमाम का सभी दलों को संदेश- होली और जुमा का करें सम्मान</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Patna University Student Union:</strong> पटना विश्वविद्यालय के छात्र संघ का चुनाव इस वर्ष 29 मार्च को होने वाला है. 10 मार्च से नामांकन फार्म 50 रुपये की दर से मिलने शुरू हो गए थे. छात्र संघ चुनाव को लेकर छात्रों के बीच गहमा गहमी का माहौल है. चुनाव के लिए अभी से ही प्रचार प्रचार शुरू हो गया है. माना जाता है कि बड़ी राजनीति के लिए छात्र संघ चुनाव पहला कदम होता है और पहली डिग्री राजनीति की होती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2012 से छात्र संघ चुनाव दोबारा शुरू हुआ</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार में कई ऐसे दिग्गज नेता हैं, जिनकी राजनीतिक शुरुआत छात्र नेता से हुई है. इनमें लालू प्रसाद यादव, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, स्वर्गीय सुशील मोदी, रवि शंकर प्रसाद ऐसे दिग्गज नेता पटना यूनिवर्सिटी के छात्र रहे थे और छात्र आंदोलन से ही यह लोग बड़े नेता के रूप में उभर कर आए. हालांकि आरजेडी के शासनकाल में कई सालों से पटना विश्वविद्यालय में छात्र संघ का चुनाव स्थगित कर दिया गया था, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2012 से छात्र संघ चुनाव फिर से करने की शुरुआत की.</p>
<p style=”text-align: justify;”>चुनाव में छात्र नेता बढ़ चढ़ कर भाग भी लेते हैं, लेकिन अब सवाल उठता है कि छात्र संघ से निकले नेता क्या आज देश और राज्य की राजनीति में हम भूमिका निभा रहे हैं. अब जो छात्र नेता उभर कर आ रहे हैं उनकी राजनीति भूमिका कैसी है. क्या इन नेताओं की तरह यह लोग पहुंच पाएंगे यह सबसे बड़ा सवाल है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वैसे तो छात्र संघ में छह पद पर चुनाव जीतकर आते हैं, लेकिन हम बात अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की करें तो सबसे पहले 2012 में पटना विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से आशीष सिन्हा जीते थे. अभी वह बीजेपी में प्रदेश युवा के मंत्री के पद पर है, पार्टी का झंडा ढो रहे हैं लेकिन पार्टी उन्हें अभी तक कोई विशेष पद से सम्मानित नहीं किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>2017 में दिव्यांशु भारद्वाज निर्दलीय से छात्र संघ के अध्यक्ष बने बाद में जेडीयू में शामिल हुए, पार्टी की ओर से युवा का अध्यक्ष बनाया गया. 2018 में मोहित प्रकाश जेडीयू से अध्यक्ष बने, पार्टी उनको सेटिंग लाइन में कर दिया है. 2020 में पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी के मनीष यादव अध्यक्ष बने. वह पार्टी कांग्रेस में विलय कर गई है, लेकिन वह पप्पू यादव के साथ लगे हुए हैं. कोई वजूद तलाश रहे हैं. 2022 में जेडीयू के आनंद मोहन छात्र संघ के अध्यक्ष बने. पार्टी ने उन्हें सम्मान दिया, लेकिन राजनीति भूमिका में वह नगण्य है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं 2012 में उपाध्यक्ष पद पर वाम दल के अंशुमान जीते थे, जो राजनीति छोड़कर वकालत कर रहे हैं. 2017 में उपाध्याय नीतीश पटेल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से बने, पार्टी ने उन्हें संटिंग लाइन में कर दिया है. कोई पद नहीं है अभी पार्टी में वह बने हुए हैं. 2018 में योशीता पटवर्धन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से उपाध्यक्ष बनी थीं. पार्टी ने कोई पद नहीं दिया वह अभी पढ़ाई कर रही है. 2020 में आरजेडी के निशांत यादव उपाध्यक्ष बने, लेकिन अभी तक पार्टी में उन्हें कोई जगह नहीं दी गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>समय-समय पर पार्टी का झंडा लेकर खड़े रहते हैं. 2022 में विक्रमादित्य उपाध्यक्ष बने जो जेडीयू के थे, लेकिन पार्टी में सक्रियता नहीं दिख रही है. 2020 में उपाध्यक्ष बने निशांत कुमार ने बताया कि छात्र संघ के नेता से लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, सुशील मोदी, रविशंकर प्रसाद ऐसे नेता आज बड़े के नेता के रूप में पहचान रखते है. लेकिन अभी जो स्थिति है कि छात्र नेताओं को वैल्यू नहीं दी जाती है. उसकी मुख्य वजह है कि कहीं ना कहीं परिवारवाद और अपनों को पार्टी में जगह दे रहे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>भले ही उन्हें राजनीति में कोई जानकारी नहीं हो लेकिन नेताओं के परिवार ही एमपी, एमएलसी बनते हैं. यह स्थिति कमोवेश सभी पार्टियों में है. यही वजह है कि छात्र स्तर से राजनीतिक करने के बाद भी उन्हें सही जगह नहीं मिल पाती है. वहीं 2012 में उपाध्यक्ष पद पर वाम दल के अंशुमान जीते थे जो राजनीति छोड़कर वकालत कर रहे हैं. 2017 में उपाध्याय नीतीश पटेल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से बने, पार्टी ने उन्हें संटिंग लाइन में कर दिया है, कोई पद नहीं है. अभी पार्टी में वह बने हुए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>2018 में योशीता पटवर्धन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से उपाध्यक्ष बनी थी. पार्टी ने कोई नहीं दिया वह अभी पढ़ाई कर रही है. 2020 में आरजेडी के निशांत यादव उपाध्यक्ष बने लेकिन अभी तक पार्टी में उन्हें कोई जगह नहीं दी गई है समय-समय पर पार्टी का झंडा लेकर खड़े रहते हैं. 2022 में विक्रमादित्य उपाध्यक्ष बने जो जेडीयू के थे, लेकिन पार्टी में सक्रियता नहीं दिख रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’छात्र स्तर से राजनीति करने के बाद भी नहीं मिलती जगह'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>2020 में उपाध्यक्ष बने निशांत कुमार ने बताया कि जिस समय छात्र संघ के नेता से लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार ,सुशील मोदी, रविशंकर प्रसाद ऐसे नेता आज बड़े नेता के रूप में पहचान रखा हैं, लेकिन अभी जो स्थिति है कि छात्र नेताओं को वैल्यू नहीं दी जाती है. उसकी मुख्य वजह है कि कहीं ना कहीं परिवारवाद और अपनों को पार्टी में जगह देना. भले ही राजनीति में कोई जानकारी नहीं हो, लेकिन नेताओं के परिवार ही एमपी, एमएलसी बनते हैं. यह स्थिति कमोबेश सभी पार्टियों में है. यही वजह है कि छात्र स्तर से राजनीति करने के बाद भी उन्हें सही जगह नहीं मिल पाती है.</p>
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