पंजाब के लुधियाना में शेरपुर मछली मंडी में आज हंगामा हो गया। विधायक राजिंदरपाल कौर छीना ने पुलिस बल की मदद से मछली मंडी में छापा मारा। पुलिस के सामने ही मछली मंडी के पूर्व प्रधान और मछली विक्रेताओं में झड़प हो गई। किसी तरह पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया। पुलिस ने मंडी से भारी मात्रा में प्रतिबंधित मांगुर मछली बरामद की। जानकारी के मुताबिक, दुकानदार को थप्पड़ मारने वाले का नाम राम प्रसाद है। विधायक छीना ने कहा- हाईकोर्ट के आदेश के बाद मांगुर मछली पर प्रतिबंध लगा है विधायक राजिंदरपाल कौर छीना ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें आज गुप्त सूचना मिली थी कि शेरपुर मछली मंडी में खुलेआम प्रतिबंधित मांगुर मछली बेची जा रही है। इस मछली को बेचना गैरकानूनी है। हाईकोर्ट ने इस मछली की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है। कैंसर का कारण बनती है मांगुर मछली चीन ने बताया कि इस मछली के कारण लोगों को कैंसर जैसी बीमारियां हो रही हैं। आज पुलिस ने बाजार से बड़ी मात्रा में मछली बरामद की है। शेरपुर पुलिस चौकी और मोती नगर थाने की पुलिस को मौके पर बुलाया गया है। पुलिस लगातार दुकानदारों से पूछताछ कर रही है कि मांगुर मछली कहां से लाई जा रही है। आने वाले दिनों में मछली बाजारों में छापेमारी जारी रहेगी। आज कुछ दुकानदारों ने विरोध किया लेकिन उन्हें प्रतिबंधित मछली न बेचने के लिए समझाया जा रहा है। कुछ दुकानदार और मोहल्ले के प्रधान आपस में बहस कर रहे थे जिन्हें शांत करा दिया गया। पंजाब के लुधियाना में शेरपुर मछली मंडी में आज हंगामा हो गया। विधायक राजिंदरपाल कौर छीना ने पुलिस बल की मदद से मछली मंडी में छापा मारा। पुलिस के सामने ही मछली मंडी के पूर्व प्रधान और मछली विक्रेताओं में झड़प हो गई। किसी तरह पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया। पुलिस ने मंडी से भारी मात्रा में प्रतिबंधित मांगुर मछली बरामद की। जानकारी के मुताबिक, दुकानदार को थप्पड़ मारने वाले का नाम राम प्रसाद है। विधायक छीना ने कहा- हाईकोर्ट के आदेश के बाद मांगुर मछली पर प्रतिबंध लगा है विधायक राजिंदरपाल कौर छीना ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें आज गुप्त सूचना मिली थी कि शेरपुर मछली मंडी में खुलेआम प्रतिबंधित मांगुर मछली बेची जा रही है। इस मछली को बेचना गैरकानूनी है। हाईकोर्ट ने इस मछली की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है। कैंसर का कारण बनती है मांगुर मछली चीन ने बताया कि इस मछली के कारण लोगों को कैंसर जैसी बीमारियां हो रही हैं। आज पुलिस ने बाजार से बड़ी मात्रा में मछली बरामद की है। शेरपुर पुलिस चौकी और मोती नगर थाने की पुलिस को मौके पर बुलाया गया है। पुलिस लगातार दुकानदारों से पूछताछ कर रही है कि मांगुर मछली कहां से लाई जा रही है। आने वाले दिनों में मछली बाजारों में छापेमारी जारी रहेगी। आज कुछ दुकानदारों ने विरोध किया लेकिन उन्हें प्रतिबंधित मछली न बेचने के लिए समझाया जा रहा है। कुछ दुकानदार और मोहल्ले के प्रधान आपस में बहस कर रहे थे जिन्हें शांत करा दिया गया। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
बठिंडा पिता-बेटे का कत्ल, महिला घायल:पालतू कुत्ते को लेकर हुआ विवाद; गांव के नशेड़ी युवकों ने तेजधार हथियारों से परिवार को काटा
बठिंडा पिता-बेटे का कत्ल, महिला घायल:पालतू कुत्ते को लेकर हुआ विवाद; गांव के नशेड़ी युवकों ने तेजधार हथियारों से परिवार को काटा पंजाब के तलवंडी साबो में डबल मर्डर को अंजाम दिया गया है। तेजधार हथियारों से देर रात आधा दर्जन के करीब नशे के आदी बदमाशों ने बेटे को गेट पर बुला कर काट डाला। बचाव के लिए आए पिता की भी हत्या कर दी। इतना ही नहीं, घर में मौजूद मां पर भी हमला कर घायल कर दिया। ये पूरा विवाद एक घरेलू कुत्ते को लेकर हुआ। पुलिस ने शव कब्जे में लेकर आरोपियों को पकड़ने के लिए छापेमारी शुरू कर दी है। मरने वाले बाप-बेटे की पहचान तलवंडी साबो के गांव जीवन सिंह निवासी मंदर सिंह (55) और अमरीक सिंह (32) के तौर पर हुई है। घटना रात 9.30 बजे घटी। गांव के दो नशेड़ी युवक मंदर सिंह के घर के बाहर पहुंचे और बेटे अमरीक सिंह को बाहर आने के लिए कहा। दोनों आरोपियों के साथ 4 और घात लगाए बैठे थे। तीनों के बीच बहस हुई तो नशेड़ियों के साथ-साथ उनके साथियों ने तेजधार हथियारों के साथ अमरीक सिंह पर हमला कर दिया। ये देख बेटे को बचाने के लिए मंदर सिंह बाहर आया, लेकिन नशेड़ियों ने उन्हें भी काट दिया। घटना को देख मंदर सिंह की पत्नी दर्शन कौर भी बाहर आई, लेकिन आरोपियों ने उसे भी घायल कर दिया। दर्शन कौर को स्थानीय प्राइवेट अस्पताल में दाखिल करवाया गया है, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। कुत्ते को लेकर हुआ विवाद मिली जानकारी के अनुसार ये पूरा विवाद पालतू कुत्ते को लेकर हुआ। दरअसल, अमरीक सिंह गांव से एक कुत्ता घर ले आया था। उसे लगा कि कुत्ता आवारा है। लेकिन ये कुत्ता आरोपी युवकों का था। गुस्से में युवक रात को अमरीक सिंह को ढूंढते हुए उसके घर पहुंच गए और तेजधार हथियारों से कत्ल कर दिया। पुलिस ने जांच की शुरू घटना के बाद देर रात ही पुलिस मौके पर पहुंच गई। बठिंडा के डीएसपी ईशान सिंगला मौके पर पहुंचे। शवों को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस ने आरोपियों को आइडेंटिफाई कर लिया है और उन्हें पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी कर रही है।
अबोहर में जीजा की मौत-साला घायल:कार ने ई-रिक्शा को मारी टक्कर, देर शाम जा रहे थे घर
अबोहर में जीजा की मौत-साला घायल:कार ने ई-रिक्शा को मारी टक्कर, देर शाम जा रहे थे घर अबोहर के मलोट रोड़ पर कल देर रात एक तेजगति कार ने ई-रिक्शा में जा रहे जीजा साले को टक्कर मार दी। जिससे वे दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। आसपास के लोगों की मदद से संस्था ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया। जहां से उन्हें तुरंत रेफर कर दिया गया। लेकिन श्रीगंगानगर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान जीजा की मौत हो गई। इधर आज सुबह पुलिस ने मृतक के शव का पोस्टमार्टम करवाते हुए परिजनों के बयान दर्ज किए। कार ने ई-रिक्शा में मारी टक्कर जानकारी के अनुसार मलोट बाइपास निवासी करीब 35 वर्षीय आकाश पुत्र सुरेश कुमार और उसका साला कृष्ण पुत्र सुनील कुमार आयु करीब 16 साल ई-रिक्शा में सवार होकर अबोहर से वापस अपने घर देर शाम को जा रहे थे। जब वे मलोट रोड हुंडई शोरूम के निकट से मुड़ने लगे तो मलोट की ओर से आ रही एक तेजगति कार ने ई-रिक्शा में टक्कर मार दी। देर रात हुई जीजा की मौत यह टक्कर इतनी भयानक थी कि दोनों जीजा साले की टांगें बुरी तरह कुचल गई। लोगो ने इसकी सूचना नर सेवा नारायण सेवा समिति को दी। जिस पर मोनू ग्रोवर व अन्य सदस्य तुरंत मौके पर पहुंचे और घायलों को ऐम्बुलेंस से अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें इलाज के लिए रेफर कर दिया। जिस पर परिजन उन्हें श्रीगंगानगर ले गए। जहां बीती रात आकाश की मौत हो गई।
माघी मेला, मुगल की कब्र पर जूते मारते हैं श्रद्धालु:यहां लगती 100 करोड़ की घोड़ा मंडी, जिसका चैंपियन हरियाणा का बुर्ज खलीफा
माघी मेला, मुगल की कब्र पर जूते मारते हैं श्रद्धालु:यहां लगती 100 करोड़ की घोड़ा मंडी, जिसका चैंपियन हरियाणा का बुर्ज खलीफा पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब में आज माघी का शाही स्नान हो रहा है। यहां गुरुद्वारा श्री टूटी गंडी साहिब के सरोवर में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। यह गुरुद्वारा श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की दया और सिखों के पुनर्मिलन का प्रतीक है। यहां उनसे जुड़े 8 प्रमुख गुरुद्वारे हैं। जिनमें शामिल गुरुद्वारा दातनसर साहिब में एक मुगल सैनिक की कब्र है। जिस पर सिख श्रद्धालू जूते–चप्पल मारते हैं। इस सैनिक ने गुरू गोबिंद सिंह जी पर हमला किया था। यह पूरा इतिहास खिदराने की लड़ाई से जुड़ा हुआ है। जिसकी विस्तृत जानकारी आगे पढ़ सकते हैं। करीब 5 किमी एरिया में होने वाले इस मेले में 100 करोड़ की घोड़ा मंडी भी लगती है। जिसमें 2 लाख से लेकर 2 करोड़ तक के अलग–अलग नस्ल के घोड़े आते हैं। पिछली बार घोड़ों की चैंपियनशिप में 71 इंच हाइट का हरियाणा का बुर्ज खलीफा चैंपियन रहा था। माघी मेला, घोड़ा मंडी और गुरू गोबिंद सिंह जी की खिदराने की जंग से जुड़ी कहानियां… गर्मी की वजह से मेले का महीना बदला गया
माघी मेला सिख इतिहास में बैसाखी और बंदी छोड़ दिवस (दीवाली) के बाद तीसरा बड़ा त्योहार है। यह मेला उन 40 सिखों की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने पहले गुरू गोबिंद सिंह जी के लिए लड़ने से इनकार कर दिया। मगर, माई भागो की प्रेरणा से ऐसी लड़ाई लड़ी कि अपने प्राण तक बलिदान कर दिए। इन्हें सिख इतिहास में गुरु गोबिंद सिंह जी के “चाली मुकते” (चालीस मुक्त हुए सिख योद्धा) कहा जाता है। यह लड़ाई 3 मई 1705 यानी बिक्रमी कैलेंडर के मुताबिक 21 वैसाख 1762 को हुई थी। शुरू में यह मेला वैसाख में ही लगता था, लेकिन गर्मी और पानी की कमी के कारण इसे सर्दियों के माघ महीने में मनाने की परंपरा शुरू हुई। नानकशाही कैलेंडर में इसे जनवरी यानी माघ महीने में मनाना तय किया गया है। इस बार यह मेला 11 जनवरी से शुरू हो चुका है। 14 जनवरी को यहां अखंड पाठ के भोग डाले जाएंगे। 15 जनवरी को नगर कीर्तन निकालने के साथ निहगों की घुड़दौड़, घोड़ों के मुकाबले होंगे। जिसके बाद पारंपरिक तौर पर मेले की समाप्ति हो जाएगी। माघी मेले से जुड़ी फोटोज… मंडी में 400 से ज्यादा घोड़े, कीमत 100 करोड़
माघी मेले में सबसे आकर्षण घोड़ा मंडी रहती है। यहां 400 से ज्यादा घोड़े आते हैं, जिसमें नुकरा (सफेद घोड़ा), मारवाड़ी (राजस्थान) और मज्जुका नस्ल के घोड़े सबसे ज्यादा फेमस है। इन घोड़ों की कीमत 2 लाख से लेकर 2 करोड़ तक होती है। इस मंडी में ज्यादातर भारतीय नस्लें ही बेची और खरीदी जाती हैं। विदेशी घोड़ों को इन मंडियों में नहीं ले जाया जाता है। यहां हॉर्स शो भी होता है। पिछले साल हुए मुकाबले में मेल कैटेगरी में पहला स्थान हरियाणा के बुर्ज खलीफा को मिला था। जिसकी हाइट 71 इंच थी। बुर्ज खलीफा तब पौने 4 साल का था। फीमेल कैटेगरी में 5 साल की मारवाड़ी घोड़ी हिना जीती थी। जिसकी हाइट 66 इंच थी। जानिए कौन था मुगल नूरदीन, जिसने गुरू गोबिंद सिंह जी पर हमला किया
सिख इतिहास के मुताबिक मुगलों से हुई खिदराने की जंग के बाद गुरू गोबिंद सिंह जी मुक्तसर में रुके थे। यहां जिस जगह पर गुरूद्वारा दातनसर साहिब बना हुआ है, यहां एक बार गुरू गोबिंद सिंह जी दातुन कर रहे थे। तभी मुगल सैनिक नूरदीन चोरी–छुपे वहां आया और किसी नुकीली चीज से उन पर हमला करने की कोशिश की। हालांकि उन्होंने तुरंत एक बर्तन उठाया और मुगल नूरदीन को ही मार दिया। जिसके बाद यहां उसकी कब्र बनाई गई है। जिसे सिख अन्याय और गुरु साहिब के खिलाफ की गई साजिश का प्रतीक मानते हैं। गुरुद्वारे के दर्शन के बाद श्रद्धालु यहां कब्र पर जूते–चप्पल मारते हैं। जो इस बात का संदेश देता है कि अन्याय और विश्वासघात का अंत निश्चित है। खिदराने की जंग: 40 सिख लड़ाई से हटे, फिर ऐसे लड़े कि जान तक बलिदान कर दी 1. मुगल सैनिकों से लड़ रहे थे गुरू गोबिंद सिंह जी, 40 सिखों ने भूख–प्यास से साथ छोड़ा
सिख इतिहासकारों के मुताबिक बिक्रमी संवत 1761 में दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी किला आनंदपुर साहिब में मुगल सैनिकों से लड़ रहे थे। किले में राशन–पानी खत्म होता जा रहा था। यह देख 40 सिखों ने कहा कि वह भूखे–प्यासे लड़ाई नहीं लड़ सकते। इस पर गुरू गोबिंद सिंह जी ने उनसे कहा कि लिखकर दे दो कि मैं तुम्हारा गुरू नहीं और तुम मेरे शिष्य नहीं। उन्होंने लिखकर दिया और लड़ाई छोड़ अपने घर चले गए। 2. गुरू गोबिंद सिंह जी के 2 साहिबजादों ने शहीदी प्राप्त की
किला आनंदपुर की लड़ाई के बाद गुरू गोबिंद सिंह जी चमकौर साहिब की गढ़ी में जा पहुंचे। वहां मुगल सैनिकों के साथ उनका मुकाबला हुआ। इसमें गुरू गोबिंद सिंह जी के 2 साहिबजादे भाई अजीत सिंह और भाई जुझार सिंह ने शहीदी प्राप्त की। 3. परिजनों ने 40 सिखों के घर लौटने पर खूब कोसा
चमकौर की गढ़ी से गुरू गोबिंद सिंह जी ने खिदराने की ढाब (मुक्तसर) के ऊंचे रेतीले टिब्बों में अपना डेरा लगा लिया। इधर, 40 सिखों ने घर में लड़ाई छोड़कर आने की बात बताई ताे परिवार के लोगों ने उन्हें खूब कोसा। उन्होंने कहा कि मुसीबत के वक्त गुरू गोबिंद सिंह जी का साथ छोड़ना चाहिए था। परिवार की महिलाओं ने कहा कि आप सब घर बैठो, हम गुरू जी के साथ सेना बनकर लडेंगी। तब माई भागो ने भी 40 सिखों को लड़ने के लिए प्रेरित किया। 4. वापस लौटे 40 सिख, मुगल सेना को घुटनों पर ला दिया
घरवालों के ताने सुन और माई भागो के प्रेरित करने पर वे फिर से गुरू गोबिंद सिंह जी की खोज में निकल पड़े। वह खिदराने की ढाब पहुंच गए, जहां गुरू गोबिंद सिंह जी ठहरे हुए थे। उन्होंने भी एक जलाशय के पास अपने डेरे लगा लिए। तभी गुरू गोबिंद सिंह जी को ढूंढते हुए मुगल सेना भी वहां आ पहुंची। उन्होंने इन्हीं 40 सिखों पर हमला किया। तब ये 40 सिख ऐसे लड़े कि मुगल सेना को घुटने पर ला दिया। मुगल सेना को वहां से भागना पड़ा। इस लड़ाई में 39 सिख शहीद हो गए। एक भाई महा सिंह घायल पड़े थे। तब श्री गुरू गोबिंद सिंह जी वहां पहुंचे और महा सिंह का सिर अपनी गोद में रखते हुए कहा कि आप सब लोगों ने आज सिख धर्म की लाज रख ली। 5. गुरू गोबिंद सिंह ने पत्र फाड़कर कहा, यह 40 मुक्तों की धरती
गुरू गोबिंद सिंह जी ने महा सिंह से कहा कि जो मांगना चाहते हो मांग लो। इस पर महा सिंह ने कहा कि हमें माफी दे दीजिए और आनंदपुर के किले में उन्होंने जो पत्र (बेदावा) दिया था, उसे फाड़ दीजिए। हमारी टूटी गांठ जोड़ दीजिए यानी हमें अपना शिष्य बना लीजिए। तब गुरू गोबिंद सिंह जी ने अपनी कमर से वह पत्र निकाला और फाड़ दिया। उन्होंने कहा कि यह स्थान खिदराना नहीं बल्कि मुक्ति का धाम है। बाद में महा सिंह ने भी शहीदी प्राप्त कर ली। 6. 40 सिखों का अपने हाथ से अंतिम संस्कार किया
इसके बाद गुरू गोबिंद सिंह जी ने युद्ध के मैदान से सभी 40 सिखों की पार्थिव देह को इकट्ठा किया। इसके बाद एक बड़ी चिता बनाई। फिर गुरू गोबिंद सिंह जी ने अपने हाथ से सभी 40 सिखों का अंतिम संस्कार किया। इसी जगह पर अब गुरूद्वारा शहीद गंज बना हुआ है। जहां पर बेदावा (पत्र) फाड़ा, वहां गुरुद्वारा टुट्टी गंडी साहिब बना। मुक्तसर में श्री गुरू गोबिंद सिंह से जुड़े 8 गुरुद्वारे…