पंजाब के लुधियाना में पुलिस कमिश्नर कुलदीप चहल ने बंदूक रखने वालों पर सख्त कार्रवाई करते हुए हाल ही में 24 असला लाइसेंस रद्द किए हैं। रद्द करने के कई कारण हैं, जैसे कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर हथियारों के साथ पोज देते हैं, कुछ लोग दूसरों को प्रभावित करने के लिए सार्वजनिक रूप से हथियार दिखाते हैं, जबकि अन्य अपने विरोधियों पर हथियार तानते हैं। पुलिस कमिश्नरेट से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, इन 24 रद्द किए गए हथियारों के लाइसेंसों के अलावा, कई हथियारों के लाइसेंस भी विभिन्न कारणों से शीर्ष पुलिस अधिकारी द्वारा जांच के दायरे में रखे गए हैं और आने वाले दिनों में उन्हें रद्द किया जा सकता है। शीर्ष पुलिस अधिकारी द्वारा हथियार लाइसेंस धारकों को हथियारों का दुरुपयोग करने, सार्वजनिक रूप से हथियार दिखाने और सोशल मीडिया पर रील या पोस्ट बनाने से बचने की चेतावनी जारी करने के बाद भी लाइसेंस धारक निर्देशों का बहुत कम ध्यान रखते हैं। मीडिया से पुलिस कमिश्नर चहल बोले… मीडिया से बातचीत दौरान पुलिस कमिश्नर कुलदीप सिंह चहल ने कहा कि हथियार लाइसेंस रखने का मतलब यह नहीं है कि हथियार धारक सार्वजनिक रूप से भय पैदा करने के लिए हथियार दिखा सकता है या वह इसका इस्तेमाल जश्न मनाने के लिए फायरिंग के लिए कर सकता है। लाइसेंस संबंधित व्यक्ति की सुरक्षा के लिए जारी किया जा रहा है और किसी भी तरह का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। CP चहल ने कहा कि लाइसेंस प्राप्त हथियार रखने के मानदंडों का पालन न करने पर लुधियाना पुलिस ने 24 शस्त्र लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। असला लाइसेंस धारकों की कई फाइलें पहले से ही जांच के दायरे में हैं और पुलिस द्वारा संतुष्ट होने के बाद उन्हें रद्द कर दिया जाएगा कि व्यक्ति लाइसेंस प्राप्त हथियार रखने के लिए फिट नहीं है। रोजाना कमिश्नरेट में 10 से अधिक असला लाइसेंस बनाने के आते हैं आवेदन CP चहल ने खुलासा किया कि कमिश्नरेट में प्रतिदिन औसतन 10 से अधिक नए शस्त्र लाइसेंस बनाने के लिए आवेदन प्राप्त हो रहे हैं, लेकिन केवल उन्हीं व्यक्तियों को शस्त्र लाइसेंस दिया जाएगा, जिन्हें वास्तविक खतरा है। किसी अन्य व्यक्ति का शस्त्र लाइसेंस स्वीकृत नहीं किया जाएगा, जो केवल सामाजिक स्थिति या किसी अन्य कारण से शस्त्र लाइसेंस रखना चाहता है। 148 लोगों का होगा दोबारा डोप टेस्ट बता दें 148 लोग असला लाइसेंस भी खो सकते क्योंकि स्टिंग ऑपरेशन में फर्जी डोप टेस्ट प्रमाण पत्र जारी किए जाने का मामला में सामने आया है। उल्लेखनीय है कि जिले में 148 असला लाइसेंस धारकों को नवीनीकरण के लिए आवश्यक डोप टेस्ट फिर से देने के लिए कहा गया था, ऐसा न करने पर उनका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। लुधियाना पुलिस के पास इसकी रिकमंडेशन पहले ही पहुंच चुकी है। पूर्व सिविल सर्जन डॉ. जसबीर सिंह औलख ने अपने तबादले से एक दिन पहले डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी को 148 हथियार लाइसेंस धारकों की सूची भेजी थी और रिकमंडेशन की थी कि या तो लाइसेंस धारक दोबारा टेस्ट दें या फिर उनके हथियार लाइसेंस रद्द कर दिए जाएं। बार-बार याद दिलाने के बावजूद ये 148 हथियार लाइसेंस धारक दोबारा टेस्ट के लिए उपस्थित नहीं हुए हैं। दोबारा टेस्ट की स्थिति तब पैदा हुई जब लुधियाना के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. जसबीर सिंह औलख ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया और एक सिविल अस्पताल के लैब तकनीशियन को ‘फर्जी’ डोप टेस्ट सर्टिफिकेट बनाने के लिए रिश्वत लेते पकड़ा। पंजाब के लुधियाना में पुलिस कमिश्नर कुलदीप चहल ने बंदूक रखने वालों पर सख्त कार्रवाई करते हुए हाल ही में 24 असला लाइसेंस रद्द किए हैं। रद्द करने के कई कारण हैं, जैसे कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर हथियारों के साथ पोज देते हैं, कुछ लोग दूसरों को प्रभावित करने के लिए सार्वजनिक रूप से हथियार दिखाते हैं, जबकि अन्य अपने विरोधियों पर हथियार तानते हैं। पुलिस कमिश्नरेट से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, इन 24 रद्द किए गए हथियारों के लाइसेंसों के अलावा, कई हथियारों के लाइसेंस भी विभिन्न कारणों से शीर्ष पुलिस अधिकारी द्वारा जांच के दायरे में रखे गए हैं और आने वाले दिनों में उन्हें रद्द किया जा सकता है। शीर्ष पुलिस अधिकारी द्वारा हथियार लाइसेंस धारकों को हथियारों का दुरुपयोग करने, सार्वजनिक रूप से हथियार दिखाने और सोशल मीडिया पर रील या पोस्ट बनाने से बचने की चेतावनी जारी करने के बाद भी लाइसेंस धारक निर्देशों का बहुत कम ध्यान रखते हैं। मीडिया से पुलिस कमिश्नर चहल बोले… मीडिया से बातचीत दौरान पुलिस कमिश्नर कुलदीप सिंह चहल ने कहा कि हथियार लाइसेंस रखने का मतलब यह नहीं है कि हथियार धारक सार्वजनिक रूप से भय पैदा करने के लिए हथियार दिखा सकता है या वह इसका इस्तेमाल जश्न मनाने के लिए फायरिंग के लिए कर सकता है। लाइसेंस संबंधित व्यक्ति की सुरक्षा के लिए जारी किया जा रहा है और किसी भी तरह का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। CP चहल ने कहा कि लाइसेंस प्राप्त हथियार रखने के मानदंडों का पालन न करने पर लुधियाना पुलिस ने 24 शस्त्र लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। असला लाइसेंस धारकों की कई फाइलें पहले से ही जांच के दायरे में हैं और पुलिस द्वारा संतुष्ट होने के बाद उन्हें रद्द कर दिया जाएगा कि व्यक्ति लाइसेंस प्राप्त हथियार रखने के लिए फिट नहीं है। रोजाना कमिश्नरेट में 10 से अधिक असला लाइसेंस बनाने के आते हैं आवेदन CP चहल ने खुलासा किया कि कमिश्नरेट में प्रतिदिन औसतन 10 से अधिक नए शस्त्र लाइसेंस बनाने के लिए आवेदन प्राप्त हो रहे हैं, लेकिन केवल उन्हीं व्यक्तियों को शस्त्र लाइसेंस दिया जाएगा, जिन्हें वास्तविक खतरा है। किसी अन्य व्यक्ति का शस्त्र लाइसेंस स्वीकृत नहीं किया जाएगा, जो केवल सामाजिक स्थिति या किसी अन्य कारण से शस्त्र लाइसेंस रखना चाहता है। 148 लोगों का होगा दोबारा डोप टेस्ट बता दें 148 लोग असला लाइसेंस भी खो सकते क्योंकि स्टिंग ऑपरेशन में फर्जी डोप टेस्ट प्रमाण पत्र जारी किए जाने का मामला में सामने आया है। उल्लेखनीय है कि जिले में 148 असला लाइसेंस धारकों को नवीनीकरण के लिए आवश्यक डोप टेस्ट फिर से देने के लिए कहा गया था, ऐसा न करने पर उनका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। लुधियाना पुलिस के पास इसकी रिकमंडेशन पहले ही पहुंच चुकी है। पूर्व सिविल सर्जन डॉ. जसबीर सिंह औलख ने अपने तबादले से एक दिन पहले डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी को 148 हथियार लाइसेंस धारकों की सूची भेजी थी और रिकमंडेशन की थी कि या तो लाइसेंस धारक दोबारा टेस्ट दें या फिर उनके हथियार लाइसेंस रद्द कर दिए जाएं। बार-बार याद दिलाने के बावजूद ये 148 हथियार लाइसेंस धारक दोबारा टेस्ट के लिए उपस्थित नहीं हुए हैं। दोबारा टेस्ट की स्थिति तब पैदा हुई जब लुधियाना के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. जसबीर सिंह औलख ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया और एक सिविल अस्पताल के लैब तकनीशियन को ‘फर्जी’ डोप टेस्ट सर्टिफिकेट बनाने के लिए रिश्वत लेते पकड़ा। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
पंजाब की 13 सीटों पर कौन-कहां मजबूत?:AAP-कांग्रेस टफ फाइट में; दोनों में से कोई भी जीते फायदा I.N.D.I.A. का; हरसिमरत टक्कर में फंसी
पंजाब की 13 सीटों पर कौन-कहां मजबूत?:AAP-कांग्रेस टफ फाइट में; दोनों में से कोई भी जीते फायदा I.N.D.I.A. का; हरसिमरत टक्कर में फंसी पंजाब में चुनावी शोर थम चुका है। बीते कल यानी 1 जून को 13 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हुई। अब सभी की नजरें 4 जून पर टिक गई हैं, क्योंकि इस दिन रिजल्ट आने हैं। इलेक्शन कमीशन के ऐप वोटर टर्नआउट के मुताबिक 62.06% वोटिंग हुई, जोकि पिछले चुनाव की तुलना में 3.9% कम है। पिछले चुनाव में 65.96% वोटिंग हुई थी। लंबे समय के बाद पंजाब का ये पहला चुनाव है, जब कोई भी बड़ी पार्टी गठजोड़ में नहीं हैं। ऐसे में इस बार 6 से 8 सीटों पर कांग्रेस, 4 से 6 पर आम आदमी पार्टी (AAP), 2 पर भाजपा और 1 पर अकाली दल फाइट में दिख रहे हैं। हालांकि पंजाब में कांग्रेस और AAP दोनों INDIA गठबंधन के तहत नहीं उतरे, लेकिन अंत में दोनों की सीटें INDIA गठबंधन में जुड़ने वाली हैं। यानी INDA गठबंधन आसानी से 8 से 10 सीटों पर काबिज हो सकता है। पटियाला में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर का पटियाला में कांग्रेस के डॉ. धर्मवीर गांधी और AAP के कैंडिडेट बलबीर सिंह से मुकाबला है। दूसरी हॉट सीट लुधियाना है। यहां कांग्रेस छोड़ भाजपा में गए पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग मैदान में हैं, लेकिन AAP के अशोक पराशर पप्पी भी स्ट्रॉन्ग हैं। वहीं, पिछले 3 चुनाव में अकाली दल के कब्जे में बठिंडा सीट पर इस बार AAP व कांग्रेस के कैंडिडेट के कारण मुकाबला टफ है। इसके अलावा खडूर साहिब सीट नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के तहत जेल में बंद खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के कारण चर्चा में हैं। जेल से चुनाव लड़ने के बावजूद वह कांग्रेस और AAP कैंडिडेट के साथ क्लोज फाइट में है। किसान आंदोलन से बिगड़ा भाजपा का समीकरण
पंजाब में भाजपा इस बार चर्चा में हैं। हिंदू व शहरी वोटर भाजपा की तरफ झुका है, लेकिन किसानों ने भाजपा का समीकरण बिगाड़ दिया। पंजाब की 65% आबादी गांवों में हैं। पंजाब में 58% आबादी सिख है, जबकि 35% आबादी हिंदू है। मालवा व माझा के ग्रामीण इलाकों में किसान आंदोलन का असर है। वहीं अधिकतर सिख वोटों का रुझान भी भाजपा की तरफ नहीं है। तीन सीटों पर खालिस्तान समर्थक मैदान में, 2 पर टफ फाइट
पंजाब में 3 सीटों पर खालिस्तान समर्थक मैदान में हैं। इनमें सबसे पहला नाम सिमरनजीत सिंह मान का है, जो संगरूर से मौजूदा सांसद हैं। इस बार वोटर उनकी तरफ नहीं झुकता नहीं दिख रहा। दूसरा नाम देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे सरबजीत सिंह का हैं। वे इस समय फरीदकोट से चुनाव लड़ रहे हैं और क्लोज फाइट में हैं। तीसरी सीट खडूर साहिब है, जहां से वारिस पंजाब दे मुखी अमृतपाल सिंह मैदान में है। तीन सीटों में से 2 पर अमृतपाल सिंह व सरबजीत सिंह क्लोज फाइट में हैं। अब पढ़िए 13 सीटों पर क्या समीकरण बन रहे हैं… गुरदासपुर: कम वोटिंग से AAP को नुकसान
गुरदासपुर सीट पर अलग चुनाव लड़ने से अकाली दल व भाजपा को नुकसान होता दिख रहा है। यहां कांग्रेस ने पूर्व डिप्टी CM सुखजिंदर रंधावा तो AAP ने शैरी कलसी को मैदान में उतार रखा है, जिनमें क्लोज फाइट चल रही है। यहां इस बार 65.77% वोट मतदान हुआ। जबकि 2019 के चुनाव में कुल वोटिंग 69.26% थी। इसका सीधा नुकसान मौजूदा राज्य सरकार को दिख रहा है और फायदा कांग्रेस को। अमृतसर: भाजपा-कांग्रेस क्लोज फाइट में
अमृतसर जिले के 11 में से 9 विधानसभा हलके अमृतसर लोकसभा में आते हैं, जबकि दो बाबा बकाला व जंडियाला खडूर साहिब में आते हैं। 2019 में यहां 57.07% वोटिंग हुई थी, लेकिन इस साल 56.07% ही वोट पड़े हैं। आम आदमी पार्टी के मंत्री कुलदीप धालीवाल यहां से उम्मीदवार हैं, इसके बावजूद वे यहां वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने में असमर्थ रहे। यहां भाजपा शहर में मजबूत स्थिति में दिखी, लेकिन गांवों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मजूबत रही। जिसके चलते सांसद गुरजीत औजला को इस बार भाजपा के साथ क्लोज फाइट लड़नी पड़ रही है। खडूर साहिब: अमृतपाल के कारण सबसे चर्चित सीट
पंजाब में कई वीवीआईपी सीटों को पछाड़ खडूर साहिब राज्य की सबसे चर्चित सीट है। क्योंकि यहां से वारिस पंजाब दे मुखी अमृतपाल सिंह चुनाव लड़ रहा है। यहां भी आम आदमी पार्टी के मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर मैदान में हैं, लेकिन इस बार यहां वोटिंग में 3 प्रतिशत गिरावट आई। कुल 61.60% वोटिंग हुई है, जो मौजूदा सरकार के लिए सही नहीं है। वहीं, कांग्रेस के कुलबीर सिंह जीरा और भाजपा के मनजीत सिंह मियांविंड मैदान में हैं। यहां क्लोज फाइट अमृतपाल सिंह की लालजीत सिंह भुल्लर व कुलबीर सिंह जीरा के साथ है। जालंधर: दलबदलुओं से नाराज हुए वोटर
जालंधर की सीट शुरू से कांग्रेस की झोली में रही है, लेकिन 2022 के उपचुनाव में यहां AAP ने जीत हासिल की। इस बार कांग्रेस ने यहां पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को उतारा। जबकि AAP ने पहले यहां टिकट मौजूदा सांसद सुशील कुमार रिंकू को दी थी, लेकिन वे भाजपा में पलटी मार गए। इसके बाद AAP ने पवन कुमार टीनू को टिकट दी। इस बार यहां 59.67% वोटिंग हुई है, जो 2019 क चुनाव से करीब 4 प्रतिशत कम है। इसका नुकसान मौजूदा सरकार को होना संभावित है, वहीं कांग्रेस यहां बढ़त में दिख रही है। होशियारपुर: AAP को बढ़त, भाजपा की साख दांव पर
होशियारपुर को भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन टिकट बंटवारे की नाराजगी ने भाजपा को यहां कमजोर भी किया। इसका फायदा आम आदमी पार्टी को दिख रहा है। यहां आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को छोड़कर आए डॉ. राज कुमार चब्बेवाल को मैदान में उतारा। भाजपा ने इस बार केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश की पत्नी अनीता सोम प्रकाश को दिया। वहीं, कांग्रेस ने यामिनी गोमर को मैदान में उतारा। होशियारपुर में इस साल तकरीबन 4% गिरावट के साथ 58.86% वोट डले हैं। आनंदपुर साहिब: कांग्रेस स्ट्रॉन्ग, AAP क्लोज फाइट में
आनंदपुर साहिब में हिंदू वोटर अधिक हैं। यहां इस बार 60.02% वोटिंग हुई, जो 2019 के चुनाव से तकरीबन 3% कम है। पिछले 3 चुनाव में ये सीट दो बार कांग्रेस के पास रही। इस बार कांग्रेस ने अपना कैंडिडेट बदल विजय इंदर सिंगला को टिकट दी। वहीं आम आदमी पार्टी ने मालविंदर सिंह कंग को मैदान में उतारा। इसके अलावा अकाली दल ने प्रेम सिंह चंदूमाजरा व बसपा ने जसवीर गढ़ी को उतार समीकरण ही बदल दिए। जिसका फायदा आम आदमी पार्टी को दिख रहा है। इस बार वह टफ फाइट में हैं। ऐसे में मुकाबला कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच है। लुधियाना: पप्पी पराशर ने मुकाबला त्रिकोणीय बनाया
लुधियाना सीट हॉट सीटों में शामिल है। यहां से मौजूदा सांसद रवनीत बिट्टू चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले तक कांग्रेस में थे। इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें लुधियाना से ही कैंडिडेट बनाया। उन्हें हराने के लिए कांग्रेस ने प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को मैदान में उतारा। इस बीच AAP भी पीछे ना रही और लुधियाना सेंट्रल के विधायक अशोक पराशर पप्पी को मुकाबले में उतार दिया। यहां इस बार 59% वोट पड़े, जो 2019 के चुनाव के मुकाबले तकरीबन 3% कम है। पप्पी पराशर के मैदान में आने के बाद ये मुकाबला त्रिकोणीय हो चुका है। फतेहगढ़ साहिब: लोगों की नाराजगी कांग्रेस पर भारी
फतेहगढ़ साहिब लोकसभा सीट के लिए लड़ाई दिलचस्प है। AAP ने कांग्रेस के पूर्व नेता गुरप्रीत सिंह जीपी को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस के मौजूदा सांसद व उम्मीदवार अमर सिंह गैरमौजूदगी के कारण फंसते दिख रहे हैं। वहीं, पंजाब सफाई सेवक संघ का प्रतिनिधित्व कर चुके भाजपा के गेजा राम वाल्मीकि व अकाली दल के बिक्रमजीत सिंह ने चुनाव को रोचक बना दिया है। इस बार यहां चौकाना मुकाबला है। इस बार यहां 2019 के मुकाबले 4% कम वोटिंग हुई। इलेक्शन कमीशन के ऐप वोटर टर्नआउट के मुताबिक 61.18% वोटिंग हुई। फरीदकोट: AAP-आजाद उम्मीदवार के बीच कड़ा मुकाबला
यहां इस बार 63.17% वोटिंग हुई, जबकि 2019 के चुनाव में 63.25% मतदान हुआ था। इस सीट पर मौजूदा सांसद कांग्रेस के हैं, लेकिन इस बार समीकरण बदल चुके हैं। इस बार AAP उम्मीदवार करमजीत सिंह अनमोल और आजाद उम्मीदवार सरबजीत सिंह खालसा के बीच टफ फाइट मानी जा रही है। भाजपा ने यहां फेमस सूफी सिंगर हंसराज हंस को उतारा, लेकिन किसानों के विरोध के कारण नुकसान होता दिख रहा है। फिरोजपुर: अकाली दल की होम सीट पर कांग्रेस स्ट्रॉन्ग
बठिंडा की तरह फिरोजपुर को भी हमेशा अकाली दल की सीट माना जाता रहा है, लेकिन 2019 में अकाली दल छोड़ कांग्रेस में आए शेर सिंह घुबाया यहां स्ट्रॉन्ग दिख रहे हैं। यहां 2019 में वोट प्रतिशत 72.47% रहा था, लेकिन इस साल ये 65.95% रहा। यहां मौजूदा सांसद सुखबीर बादल हैं, लेकिन इस बार उन्होंने चुनाव न लड़ने की घोषणा की और नरदेव सिंह बॉबी मान को टिकट दी। यहां कंबोज बिरादरी काफी मजबूत है। रिपोर्ट्स के अनुसार उनका समर्थन घुबाया को मिल चुका है, जो उन्हें यहां स्ट्रॉन्ग कर रहा है। बठिंडा: अकाली दल अस्तित्व बचाने की कोशिश में
बठिंडा को अकाली दल का गढ़ माना जाता है। यहां मौजूदा सांसद और कैंडिडेट हरसिमरत कौर बादल हैं। 2019 के चुनाव के मुकाबले इस साल यहां करीब 8 प्रतिशत कम यानी 67.97% वोट डले। कांग्रेस के जीत मोहिंदर सिंह सिद्धू तो भाजपा के परमपाल कौर सिद्धू मैदान में हैं। हरसिमरत कौर के सामने AAP ने यहां पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल को हराने वाले गुरमीत सिंह खुडियां को मैदान में उतार रखा है। ऐसे में यहां मुकाबला टफ हो गया है। हरसिमरत 2014 के चुनाव में 1 लाख से अधिक वोटों से जीतीं थी और 2019 में ये जीत का मार्जिन तकरीबन 21 हजार रह गया था। यहां गुरमीत खुडि्डयां व हरसिमरत कौर बादल के बीच कड़ा मुकाबला चल रहा है। जीत-हार बताना मुश्किल है, लेकिन इतना स्पष्ट है कि जीत का मार्जिन काफी कम रहने वाला है। संगरूर; सीएम मान की साख दांव पर
संगरूर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का गृह जिला है। यहीं से वह 2 बार जीतकर संसद में गए, लेकिन आज ये सीट फंस चुकी है। कांग्रेस ने यहां मौजूदा विधायक सुखपाल खैहरा को टिकट दी। करीब 1 महीने वह यहां जुट रहे। कैंपेन इतना जबरदस्त रहा कि भगवंत मान को खुद आना पड़ा और वोटरों को AAP के समर्थन में वोट डालने को कहना पड़ा। इस बार यहां 64.63% वोटिंग हुई। 2019 के चुनाव में यहां 72.40% वोट पड़े। इस सीट पर AAP के मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर और कांग्रेस के सुखपाल खैहरा के बीच कड़ा मुकाबला है। यहां सीएम भगवंत मान की साख दांव पर है। पटियाला: मोती महल का असर कम हुआ, दो डॉक्टरों के बीच मुकाबला
मोती महल के कारण शाही सीट कही जाने वाली पटियाला में अधिकतर समय कैप्टन अमरिंदर सिंह व परनीत कौर के कारण कांग्रेस का कब्जा रहा है, लेकिन इस बार शाही घराने ने कांग्रेस को अलविदा कह कर भाजपा का दामन थाम लिया। जिसका फायदा AAP और कांग्रेस के मौजूदा उम्मीदवारों को दिख रहा है। भाजपा की टिकट पर महारानी परनीत कौर के होने के बावजूद मुकाबला कांग्रेस के डॉ. धर्मवीर गांधी व AAP के मौजूदा मंत्री डॉ. बलबीर सिंह के बीच है। इस बार यहां 63.63% वोटिंग हुई, जो 2019 के चुनाव से 4% कम है।
किसान आंदोलन से बंद शंभू बॉर्डर खुलवाने पर बवाल:अंबाला के आसपास के व्यापारी पहुंचे; किसानों का आरोप-BJP-AAP वर्करों ने स्टेज पर हमला किया
किसान आंदोलन से बंद शंभू बॉर्डर खुलवाने पर बवाल:अंबाला के आसपास के व्यापारी पहुंचे; किसानों का आरोप-BJP-AAP वर्करों ने स्टेज पर हमला किया हरियाणा और पंजाब के शंभू बॉर्डर पर रविवार को तनावपूर्ण हालात बन गए। किसानों की तरफ से शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन के लिए लगाए गए स्टेज पर अचानक करीब 100 युवक पहुंच गए। उन्होंने रास्ता खोलने की मांग की। किसानों का आरोप है कि ये हमला भाजपा नेताओं व लोकल AAP विधायकों के करीबियों ने माहौल खराब करने के लिए किया है। बॉर्डर पर पहुंचे लोगों का कहना है कि वे आसपास के गांवों के लोग हैं। शंभू बॉर्डर पर दोपहिया वाहनों की क्रॉसिंग को लेकर पहले भी मांग पत्र दिया था, जिस पर आज तक किसान नेताओं ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसलिए आज सभी गांवों के लोगों और व्यापारी एकजुट होकर शंभू बॉर्डर खोलने की मांग लेकर पहुंचे थे। स्टेज पर कब्जा करने का आरोप स्टेज पर मौजूद किसान नेता बलदेव सिंह जीरा, सविंदर संह चूताला, जसवीर सिंह सिद्धूपुर, जंग सिंह भटेड़ी, मान सिंह राजपुरा, करनैल सिंह लंग, गुरदेव सिंह गज्जू माजरा, गुरअमनीत सिंह मांगट, जसबीर सिंह पिंदी, सूरजभान फरीदकोट ने बताया कि दोपहर करीब एक बजे अंबाला के विशाल बत्रा, सोनू तपेला, मिंटू राजगढ़, जैगोपाल भिट्ठे वाला, दलबीर सिंह उर्फ बिट्टू बाबा राजगढ़ की अगुआई में 100 के करीब व्यक्तियों ने स्टेज पर कब्जा कर हमला करने की कोशिश की। उन ने किसानों पर रोड बंद करने का इल्जाम लगाया। ये सड़क 8 फरवरी से बंद है, जबकि किसान यहां 13 फरवरी को आए थे। हमला करने वालों पर माइनिंग का आरोप
किसानों ने आरोप लगाया कि शंभू बॉर्डर पर पहुंचे लोग माइनिंग का धंधा करते हैं। घग्गर से रेत निकाल उसकी कालाबाजारी करते हैं। मोर्चा लगने के कारण उनका कालाबजारी का धंधा बंद है, जबकि किसानों के आसपास के समर्थकों ने स्पष्ट किया कि यहां इकट्ठे हुए लोग विभिन्न पार्टियों के समर्थक हैं। 13 फरवरी से चल रहा प्रदर्शन
किसान 13 फरवरी से शंभू बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। वह न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत अन्य मांगों को लेकर दिल्ली कूच करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक लिया। इस दौरान किसानों व हरियाणा पुलिस और पैरा-मिलिट्री फोर्सेस के बीच तनाव भी हुआ। खनौरी बॉर्डर पर 21 फरवरी को युवा किसान शुभकरण सिंह गोली लगने से मौत भी हुई। जिसके बाद किसानों ने शंभू बॉर्डर पर ही बैठ प्रदर्शन करने का फैसला किया। इस प्रोटेस्ट को शुरू हुए 131 दिन हो चुके हैं। इस दौरान लोकसभा चुनाव भी संपन्न हुए। लेकिन किसान अभी भी मांगें माने जाने तक प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। किसान आंदोलन 0.2 के शुरू होने के बाद से अभी तक तकरीबन 16 किसानों की मौत विभिन्न कारणों से हो चुकी है। जबकि पहले किसान आंदोलन में तकरीबन 700 किसानों की जान गई थी।
जगराओं में किसानों ने टोल प्लाजा कराया बंद:नारेबाजी कर लगाया धरना, बिना पर्ची कटाए निकल रहे वाहन चालक, धान खरीद ना होने से परेशान
जगराओं में किसानों ने टोल प्लाजा कराया बंद:नारेबाजी कर लगाया धरना, बिना पर्ची कटाए निकल रहे वाहन चालक, धान खरीद ना होने से परेशान लुधियाना के जगराओं में धान की खरीद ना होने पर भड़के किसानों ने वीरवार को चौकीमान टोल प्लाजा पर धरना लगाकर टोल फ्री कर दिया, जिसके चलते टोल से गुजरने वाले वाहन चालक बिना पर्ची कटवाए निकलते रहे। जानकारी के अनुसार बीकेयू (उगराहां) द्वारा जिला लुधियाना (ग्रामीण) (ए-3) में टोल फ्री धरना प्रदर्शन शुरू किया गया। इस दौरान सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते किसानों ने कहा कि धान खरीद का काम धीमी गति से चल रहा है, जिस कारण किसानों को काफी परेशानी हो रही है। किसानों की मांग है कि मंडियों में धान की खरीद में तेजी लाई जाए, ताकि किसानों को कई-कई दिन मंडियों में बैठना ना पड़े। इस मौके सुदागर सिंह हरनेक सिंह गुरप्रीत सिंह चमकौर सिंह आदि उपस्थित रहे।