लुधियाना में सिविल अस्पताल में तैनात एक डॉक्टर को संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लग गई। गोली डॉक्टर के पेट में लगी है। उन्हें डीएमसी अस्पताल में दाखिल कराया गया है, जहां उनकी हालत नाजुक बताई जा रही है। डॉक्टर इस समय ICU में है। मामला सिल्वर कुंज इलाके का है। यहां के रहने वाले 35 वर्षीय डॉक्टर रवि घई अपने पास पिस्तौल रखते हैं। वह अपने परिवार के साथ दिवाली मना रहे थे। कि इसी दौरान पिस्तौल से गलती से गोली चल गई और उनके पेट में जा लगी। खून से लथपथ डाक्टर को तुरंत परिजन डीएमसी अस्पताल लेकर गए। लुधियाना जेल और पुलिस लाइन में सेवा दे चुके डॉ. घई फिलहाल सिविल अस्पताल लुधियाना में तैनात हैं। उनका इलाज डीएमसी अस्पताल में चल रहा है। ACP दविंदर चौधरी ने कहा कि प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि यह एक दुर्घटना थी। हालांकि, डॉ. घई के बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस समय डॉक्टर घई ICU में दाखिल है। गौरतलब है कि डॉ. घई अकाली दल के नेता दीपू घई के भाई हैं। लुधियाना में सिविल अस्पताल में तैनात एक डॉक्टर को संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लग गई। गोली डॉक्टर के पेट में लगी है। उन्हें डीएमसी अस्पताल में दाखिल कराया गया है, जहां उनकी हालत नाजुक बताई जा रही है। डॉक्टर इस समय ICU में है। मामला सिल्वर कुंज इलाके का है। यहां के रहने वाले 35 वर्षीय डॉक्टर रवि घई अपने पास पिस्तौल रखते हैं। वह अपने परिवार के साथ दिवाली मना रहे थे। कि इसी दौरान पिस्तौल से गलती से गोली चल गई और उनके पेट में जा लगी। खून से लथपथ डाक्टर को तुरंत परिजन डीएमसी अस्पताल लेकर गए। लुधियाना जेल और पुलिस लाइन में सेवा दे चुके डॉ. घई फिलहाल सिविल अस्पताल लुधियाना में तैनात हैं। उनका इलाज डीएमसी अस्पताल में चल रहा है। ACP दविंदर चौधरी ने कहा कि प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि यह एक दुर्घटना थी। हालांकि, डॉ. घई के बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस समय डॉक्टर घई ICU में दाखिल है। गौरतलब है कि डॉ. घई अकाली दल के नेता दीपू घई के भाई हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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जगराओं में किसानों का पुलिस चौकी पर डेरा:चौकी इंचार्ज पर लगाया धमकाने का आरोप, बोले- गलत व्यवहार सहन नहीं जगराओं में पिछले करीब सवा महीने से गांव अखाड़ा में गैस फैक्ट्री बंद करवाने की मांग को लेकर चल रहे धरने में उस समय माहौल तनावपूर्ण बन गया, जब काऊंके कलां के चौकी इंचार्ज धरनाकारियों से उलझ पड़े। आरोप है कि चौकी इंचार्ज ने धरने पर बैठे लोगों को धमकाना शुरू कर दिया। शनिवार शाम आंदोलनकारियों ने पुलिस चौकी के बाहर ही डेरा डाल दिया। पुलिस चौकी के बाहर आंदोलनकारियों ने नारेबाजी की और एसएसपी नवनीस सिंह बैंस से चौकी इंचार्ज को बदलने की मांग की। इस मामले किसान नेता कवलजीत खन्ना, जिला अध्यक्ष जगतार सिंह देहडाका ने बताया कि गांव अखाड़ा निवासी भीषण गर्मी में गैस फैक्ट्री बंद करवाने के लिए पिछले सवा महीने से धरने पर बैठे हैं। इसे लेकर चौकी इंचार्ज किसान नेताओं को धमकियां देने साथ साथ गलत व्यवहार कर रहा है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ, इससे पहले भी चौकी इंचार्ज ने धरना उठाने के लिए किसानों को डराया व धमकाया था। जिसे लेकर डीएसपी सिटी से शिकायत की गई थी। शनिवार को फिर चोकी इंचार्ज ने किसानों को धमकियां दी है जिसे किसान कभी बर्दाशत नहीं करेंगे। इसी को लेकर शनिवार को चौकी काऊंके कलां का घेराव कर नारेबाजी की गई। इस दौरान गांव निवासियों समेत जिला अध्यक्ष जगतार सिंह देहडाका, जिला सचिव इंद्रजीत सिंह, ब्लॉक अध्यक्ष तरसेम सिंह बासुवाल, सुरजीत सिंह दोधर आदि ने मांग करते कहा कि चौकी इंचार्ज को अगर नहीं हटाया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
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किसान नेता डल्लेवाल 35 दिन से अनशन पर,अस्पताल नहीं गए:सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अफसर मनाने गए थे, विरोध के कारण लौटे खनौरी बॉर्डर पर 35 दिन से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत डल्लेवाल को पुलिस अस्पताल में भर्ती नहीं करा सकी। पूर्व ADGP जसकरन सिंह की अगुआई में पटियाला के DIG और SSP के साथ पहुंचे पुलिस फोर्स ने किसान नेताओं और डल्लेवाल से बातचीत की। किसान नेताओं ने कहा- यह आंदोलन खत्म करने की साजिश है, हम यहां से नहीं हटेंगे। डल्लेवाल ने भी अस्पताल जाने से इनकार कर दिया। किसान नेताओं के विरोध के कारण फोर्स को वापस लौटना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को आदेश दिया था कि 31 दिसंबर से पहले डल्लेवाल को अस्थायी अस्पताल में शिफ्ट करें। ऐसा नहीं हुआ तो चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी पर कोर्ट की अवमानना का केस चल सकता है। कल ही यानी 31 दिसंबर को इस केस की फिर सुनवाई है। डल्लेवाल ने रविवार रात अरोप लगाया था कि पंजाब सरकार मोर्चे पर हमला कराने की तैयारी में है। यह मोर्चे को कुचलने की कोशिश है। डल्लेवाल फसलों की न्यूनतम खरीद मूल्य (MSP) की गारंटी के कानून की मांग कर रहे हैं। कल के 2.36 मिनट के वीडियो में डल्लेवाल की 3 अहम बातें… 1. अंग्रेज सरकार भी सत्याग्रह को मानती थी
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक पंजाब सरकार भी मोर्चे पर हमला करने की तैयारी में है। दुख की बात है कि जब हमने अनशन शुरू किया है तो हमारा यह मानना था कि गांधीवादी तरीके से पीसफुली तरीके से सत्याग्रह करेंगे। अंग्रेज सरकार भी सत्याग्रह को मानती रही है। मगर, यह सरकार हमारी बात सुनने की बजाए हमारे मोर्चे को कुचलने की कोशिश कर रही है। 2. केंद्र के इशारे पर चल रही पंजाब सरकार
हमें आज सूचना मिल रही है कि भारी संख्या में फोर्स लेकर पंजाब सरकार केंद्र सरकार के इशारे पर सब मिलकर आंदोलन पर हमला करने की तैयारी कर आ रहे हैं। यह लड़ाई आपकी है। हमारा काम लड़ाई लड़ना है। इसको जीतना आपका काम है। जहां तक हमारी ऑडियो वीडियो जाती है। मैं सभी से निवेदन करता हूं कि सभी मोर्चे पर पहुंचे, ताकि मोर्चे को बचाया जा सके। डल्लेवाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 4 अहम सुनवाई में क्या–क्या हुआ… 1. पंजाब सरकार ढिलाई नहीं बरत सकती
इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार ने कहा कि डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनसे भावनाएं जुड़ी हुई हैं। राज्य को कुछ करना चाहिए। ढिलाई नहीं बरती जा सकती है। आपको हालात संभालने होंगे। 2. बिना टेस्ट कौन 70 साल के आदमी को ठीक बता रहा
इस सुनवाई में पंजाब सरकार ने दावा किया कि डल्लेवाल की तबीयत ठीक है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि 70 साल का आदमी 24 दिन से भूख हड़ताल पर है। कौन डॉक्टर है, जो बिना किसी टेस्ट के डल्लेवाल को सही बता रहा है?। आप कैसे कह सकते हैं डल्लेवाल ठीक हैं? जब उनकी कोई जांच नहीं हुई, ब्लड टेस्ट नहीं हुआ, ECG नहीं हुई। 3. उनकी सेहत पंजाब सरकार की जिम्मेदारी, अधिकारी निर्णय लें
इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डल्लेवाल की हालत रोज बिगड़ रही है। पंजाब सरकार उन्हें अस्पताल में शिफ्ट क्यों नहीं कराती है। यह उन्हीं की जिम्मेदारी है। डल्लेवाल के स्वास्थ्य की स्थिर स्थिति सुनिश्चित करना पंजाब सरकार की जिम्मेदारी है। यदि उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होती है तो अधिकारी निर्णय लेंगे। 4. पंजाब सरकार ने समस्या खड़ी की, डल्लेवाल पर दबाव
सुप्रीम कोर्ट में 28 दिसंबर को डल्लेवाल को अस्पताल भर्ती न कर पाने पर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें पंजाब सरकार के एडवोकेट जनरल ने कहा कि किसान डल्लेवाल को वहां से हटाने का विरोध कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने सख्त तेवर दिखाते हुए कहा पहले आप समस्या पैदा करते हैं और फिर कहते हैं कि आप कुछ नहीं कर सकते?। केंद्र की मदद से उन्हें अस्पताल में शिफ्ट करें। कोर्ट ने डल्लेवाल के अस्पताल शिफ्ट करने पर किसानों के विरोध को लेकर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। कोर्ट ने कहा कि किसी को अस्पताल ले जाने से रोकने का आंदोलन कभी नहीं सुना। यह आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा है। किस तरह के किसान नेता हैं जो चाहते हैं कि डल्लेवाल मर जाएं? डल्लेवाल पर दबाव दिखता है। जो लोग उनका अस्पताल में भर्ती होने का विरोध कर रहे हैं, वे उनके शुभचिंतक नहीं हैं। वे अस्पताल में रहकर अनशन जारी रख सकते हैं। डल्लेवाल अन्न के बाद पानी भी छोड़ चुके, इम्यूनिटी कमजोर हुई
डल्लेवाल की उम्र 70 साल है। वह कैंसर रोगी भी हैं। उनके आमरण अनशन का आज 30 दिसंबर को 35वां दिन है। उन्होंने पहले अन्न खाना छोड़ रखा था। अब पानी भी नहीं पी रहे, क्योंकि उन्हें उल्टियां हो रही हैं। डॉक्टरों के मुताबिक उनका ब्लड प्रेशर भी काफी लो हो चुका है। उनकी इम्यूनिटी भी काफी कमजोर हो चुकी है। उन्हें इन्फेक्शन का खतरा है। वह खुद चल भी नहीं पा रहे। कई बार वह आंदोलन के स्टेज पर नहीं आए। वहां इन्फेक्शन से बचाने के लिए उनके लिए कमरा भी बनाया गया है।