पंजाब बजट में ड्रग से निपटने और इंडस्ट्री पर फोकस:5% की बढ़ोतरी संभव; आर्थिक तंगी के चलते महिलाओं को ₹1100 महीना देना मुश्किल पंजाब सरकार वित्त वर्ष 2025-26 के लिए लगभग 2.15 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश करेगी। यह राशि पिछली बार से करीब 5% ज्यादा है। इस हिसाब से यह आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार का सबसे बड़ा बजट होगा। इस बजट में सरकार का मुख्य फोकस कृषि, इंडस्ट्री, पंजाब को नशा मुक्त बनाने और किसानों को साधने पर रहेगा। जबकि महिलाओं को 1100 रुपए महीने की गारंटी का वादा इस बार भी टल सकता है। इसकी प्रमुख वजह आर्थिक तंगी है, क्योंकि सरकार पहले ही 4 बड़ी गारंटियां पूरी कर चुकी है। इसलिए, इस योजना के लिए 13 हजार करोड़ रुपए का इंतजाम करना मुश्किल हो सकता है। बजट में इन 4 क्षेत्रों में बढ़ोतरी संभव… 1. कृषि के बजट में 5% वृद्धि संभावित 2. इंडस्ट्री में निवेश को आकर्षित करने की योजना 3. नशा मुक्त पंजाब पर रहेगा जोर 4. शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार स्वास्थ्य क्षेत्र को नए मेडिकल कॉलेज संभव AAP सरकार की प्राथमिकता में स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करना सबसे ऊपर रहा है। भगवंत मान सरकार ने अपने पिछले तीन बजटों में स्वास्थ्य क्षेत्र में कई अहम कदम उठाए और इस बार के बजट में भी हेल्थ सेक्टर को लेकर बड़े ऐलान हो सकते हैं। इस बार के बजट में संभावित बड़े ऐलान शिक्षा क्षेत्र में बदलाव लाने की तैयारी दिल्ली में AAP की हार के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को पंजाब का प्रभारी बनाया गया है। दिल्ली में शिक्षा सुधार का श्रेय सिसोदिया को ही जाता है, इसलिए अब पंजाब सरकार भी बजट में शिक्षा सुधार को लेकर फोकस कर सकती है। शिक्षा क्षेत्र में सुधार और विकास के लिए ये योजनाएं प्रस्तावित नशे के खिलाफ सरकार का एक्शन प्लान पंजाब सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में नशामुक्ति के लिए 70 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। वर्तमान में सरकार नशा मुक्ति के लिए 529 से अधिक ओओएटी क्लीनिक और 306 से अधिक पुनर्वास केंद्रों का नेटवर्क स्थापित किया गया है। सरकार की त्रिस्तरीय रणनीति में युवाओं को खेलों में शामिल करना, रोजगार के अवसर प्रदान करना और नशा तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शामिल है। इसके अलावा नशे की लत से उभरने वाले युवाओं के लिए रिहैबिलिटेशन की भी घोषणा सरकार कर चुकी है। 2025-26 बजट में एक बड़ा हिस्सा नशे को खत्म करने पर फोकस रहेगा। इसके साथ ही इन युवाओं को कौशल शिक्षा स्कूल प्रोग्राम के साथ जोड़ने का भी प्लान है, ताकि इन्हें उचित कोर्सेस करवा कर रोजगार के साथ जोड़ा जा सके। सरकार की आबकारी नीति में बदलाव
सरकार ने नई आबकारी नीति के तहत शराब की कीमतों में 10% तक वृद्धि करने और 10,350 करोड़ रुपए के राजस्व लक्ष्य की योजना बनाई है, जो नशे पर नियंत्रण के प्रयासों का हिस्सा हो सकती है। वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा की अगुआई में 5 मंत्रियों की एक उच्च-स्तरीय कमेटी गठित की गई है। पिछले एक महीने से सरकार के सभी विभाग मिलकर इस दिशा में काम कर रहे हैं। नशा तस्करों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है और ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ाया जा रहा है। नशे को रोकने के लिए ये उपाय करने की तैयारी इंडस्ट्री के लिया बढ़ाया जा सकता है बजट पंजाब में इंडस्ट्री का महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन किसान आंदोलन के कारण इसे काफी नुकसान हुआ है। पंजाब की माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंडस्ट्री (MSME), लुधियाना की वूलन इंडस्ट्री और जालंधर की स्पोर्ट्स मार्केट एसोसिएशन के अनुसार, पिछले 13 महीनों में राज्य की इंडस्ट्री को लगभग 20 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। व्यापारियों का कहना है कि किसानों का आंदोलन पहली बार साल 2020 में शुरू हुआ था। तब से अब तक पंजाब की इंडस्ट्री स्थिर नहीं हो पाई है। कई कारोबारी पंजाब से अपना व्यवसाय समेटकर हरियाणा और अन्य राज्यों में स्थानांतरित हो गए हैं। उनका अनुमान है कि दो-तीन वर्षों में हरियाणा का व्यवसाय 4 गुना बढ़ चुका है। ऐसे में पंजाब की इंडस्ट्री को बचाना बहुत जरूरी है। हालांकि, सरकार ने पंजाब ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टमेंट प्रमोशन का गठन किया हुआ है। साथ ही, यदि कोई उद्यमी पंजाब में इंडस्ट्री स्थापित करना चाहता है, तो उसे मात्र 16 दिनों में सभी आवश्यक एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) प्रदान कर दी जाती है, और 17वें दिन वह भूमि पूजन कर काम शुरू कर सकता है। इसके अलावा, सरकार ने कारोबारियों के लिए 2 वन-टाइम सेटलमेंट स्कीम लॉन्च की हैं। वहीं, इंडस्ट्री को उम्मीद है कि बिजली की दरों में राहत मिल सकती है। वर्तमान में प्रति यूनिट बिजली की दर 8 रुपए है। इन योजनाओं पर भी फोकस… 20 हजार नौकरियां देने की तैयारी
सरकार इस साल भी युवाओं पर फोकस करेगी और विभिन्न विभागों में करीब 20 हजार पदों पर भर्ती की तैयारी कर रही है। इसके अलावा, कर्मचारियों के छठे महंगाई भत्ते की बकाया राशि जारी कर दी जाएगी। अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम और ई-बसें
पंजाब सरकार जल्द ही आम लोगों को घर मुहैया कराने के लिए अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम शुरू करेगी, ताकि जरूरतमंदों को अपना घर मिल सके। यह स्कीम बड़े शहरों में लागू की जाएगी। इसके अलावा, लोगों के सफर को आसान बनाने के लिए ई-बसें खरीदने के लिए बजट में प्रावधान किया जाएगा। इस योजना के तहत चार्जिंग स्टेशन भी स्थापित किए जा रहे हैं, और तैयारियां जोरों पर हैं। महिलाओं को 1100 रुपए देने पर संशय, सरकार के सामने बजट की चुनौती AAP सरकार के सामने महिलाओं को 1100 रुपए प्रतिमाह देने की गारंटी पूरी करने को लेकर दुविधा बनी हुई है। CM भगवंत मान के लिए यह गारंटी पूरी करना न सिर्फ आर्थिक चुनौती है, बल्कि राजनीतिक रणनीति का भी अहम हिस्सा बन गया है। इसकी वजह से AAP को आगामी चुनाव में मुश्किल भी झेलनी पड़ सकती है। क्या गारंटी दी थी केजरीवाल ने
साल 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में सरकार बनने पर महिलाओं को हर महीने 1 हजार रुपए देने का वादा किया था, जिसे बाद में 1100 रुपए कर दिया गया। यह महिला सशक्तिकरण योजना के तहत लागू होना था, लेकिन 3 साल बीतने के बाद भी इस वादे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। दिल्ली की हार से पंजाब में दबाव
हाल ही में दिल्ली में चुनाव और लोकसभा चुनाव में हार के बाद AAP के अंदर इस गारंटी को पूरा करने को लेकर बहस छिड़ गई है। वहीं, हरियाणा की BJP सरकार ने बजट में महिलाओं को 2100 रुपए प्रतिमाह देने का प्रावधान कर दिया है, जिससे पंजाब सरकार पर भी दबाव बढ़ गया है। इससे पंजाब में AAP भी 2 धड़ों में बंट गई है। एक धड़ा इस साल ही महिलाओं को 1100 रुपए देने की योजना लागू करने के पक्ष में है। दूसरा धड़ा अगले साल यानी 2026-27 के बजट में इसे लागू करने के पक्ष में है, ताकि विधानसभा चुनाव से पहले इसे राजनीतिक रूप से भुनाया जा सके। 1.32 लाख करोड़ का सालाना बजट निकालना मुश्किल
पंजाब में लगभग 1.31 करोड़ महिलाएं हैं, जिनमें से यदि 1 करोड़ महिलाओं को भी 1100 रुपए प्रतिमाह दिए जाएं तो सरकार को हर महीने ₹11,000 करोड़ और सालभर में ₹1.32 लाख करोड़ का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा। पंजाब सरकार पहले ही वित्तीय संकट में है। ऐसे में यह खर्च पूरा करना आसान नहीं है। CM भगवंत मान पहले कह चुके हैं कि यह योजना तभी लागू होगी जब सरकार को पर्याप्त वित्तीय संसाधन मिलेंगे। अगर इस साल सरकार 1100 रुपए देने का सोचती है तो उन्हें अन्य योजनाओं में कटौती करनी होगी, जो नुकसानदेह हो सकती है।