पंजाब के लुधियाना में आज राज्य स्तरीय शहीद करतार सिंह सराभा का शहीदी दिवस आयोजित किया गया। इस मौके कैबिनेट मंत्री तरूणप्रीत सिंह सोंध उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे। मंत्री सोंध ने कहा कि हमें शहीदों को रास्ते पर चलना चाहिए। आज यदि हमारे में शहीदी का जज्जबा है तो वह गुरुओं के कारण है। सोंध ने कहा कि शहीद कौम का और देश का गर्व है। आने वाली पीढ़ी को शहीदों के बारे में बताना जरूरी है। गदर लहर सरदार सोहन जी की अगुआई में चली थी, लेकिन उसमें सबसे युवा इंसान जुड़े था तो वह करतार सिंह सराभा थे। जो महज 19 साल की आयु में शहीद हो गए। पंजाब के इतिहास में यदि नजर दौड़ाई जाए तो देश की आजादी के लिए अधिकतर पंजाबियों ने शहादत दी है। शहीद सराभा के साथ 6 अन्य गदरी भी शहीद हुए थे। आज उन्हें भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। आने वाले समय में मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान हलवारा एयरपोर्ट का नाम शहीद करतार सिंह सराभा के नाम से रख सकते है। जानिए कौन थे ‘करतार सिंह’ सराभा
करतार सिंह का जन्म पंजाब के लुधियाना जिले के सराभा गांव में 24 मई 1896 को हुआ था। करतार ने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया था। उसके बाद उनका पालन पोषण दादा ने किया था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा लुधियाना से ही हुई थी। वे पढ़ने में होशियार थे। यही कारण था कि उन्हें पढ़ने के लिए अमेरिका भेजा गया था। 1912 में जब वे अमेरिका पहुंचे तब वे 15 साल के हो गए थे। जब वे पढ़ाई कर रहे थे, तब वे अपने गांव के एक युवक के साथ ही रहे। हालांकि वे अमेरिका पढ़ने आए थे, लेकिन भारत में चल रहे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने की चाह करतार में पनपता रहा। इसका परिणाम यह रहा कि उनका अमेरिका में बसे भारतीयों के बीच दब-दबा बढ़ता रहा। 1915 में गदर पार्टी स्थापना हुई। जिसमें यह निर्णय लिया गया कि कनाडा और अमेरिका में रहने वाले भारतीयों को अपनी सुख सुविधाएं छोड़कर भारत की आजादी में अपना सहयोग देने के लिए भारत जाएंगे। इस आह्वान के बाद करीब 8 हजार भारतीय समुद्री जहाजों से भारत पहुंचे। जब करतार सिंह भारत आए तो उन्हें सलाह दी गई कि वे भारत छोड़कर कहीं और चले जाएं नहीं तो उन्हें पकड़ लिया जाएगा। लेकिन उन्होंने अपना विद्रोह जारी रखा और उन्हें मात्र 19 वर्ष की आयु में पकड़ लिया गया और फांसी दे दी गई। पंजाब के लुधियाना में आज राज्य स्तरीय शहीद करतार सिंह सराभा का शहीदी दिवस आयोजित किया गया। इस मौके कैबिनेट मंत्री तरूणप्रीत सिंह सोंध उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे। मंत्री सोंध ने कहा कि हमें शहीदों को रास्ते पर चलना चाहिए। आज यदि हमारे में शहीदी का जज्जबा है तो वह गुरुओं के कारण है। सोंध ने कहा कि शहीद कौम का और देश का गर्व है। आने वाली पीढ़ी को शहीदों के बारे में बताना जरूरी है। गदर लहर सरदार सोहन जी की अगुआई में चली थी, लेकिन उसमें सबसे युवा इंसान जुड़े था तो वह करतार सिंह सराभा थे। जो महज 19 साल की आयु में शहीद हो गए। पंजाब के इतिहास में यदि नजर दौड़ाई जाए तो देश की आजादी के लिए अधिकतर पंजाबियों ने शहादत दी है। शहीद सराभा के साथ 6 अन्य गदरी भी शहीद हुए थे। आज उन्हें भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। आने वाले समय में मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान हलवारा एयरपोर्ट का नाम शहीद करतार सिंह सराभा के नाम से रख सकते है। जानिए कौन थे ‘करतार सिंह’ सराभा
करतार सिंह का जन्म पंजाब के लुधियाना जिले के सराभा गांव में 24 मई 1896 को हुआ था। करतार ने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया था। उसके बाद उनका पालन पोषण दादा ने किया था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा लुधियाना से ही हुई थी। वे पढ़ने में होशियार थे। यही कारण था कि उन्हें पढ़ने के लिए अमेरिका भेजा गया था। 1912 में जब वे अमेरिका पहुंचे तब वे 15 साल के हो गए थे। जब वे पढ़ाई कर रहे थे, तब वे अपने गांव के एक युवक के साथ ही रहे। हालांकि वे अमेरिका पढ़ने आए थे, लेकिन भारत में चल रहे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने की चाह करतार में पनपता रहा। इसका परिणाम यह रहा कि उनका अमेरिका में बसे भारतीयों के बीच दब-दबा बढ़ता रहा। 1915 में गदर पार्टी स्थापना हुई। जिसमें यह निर्णय लिया गया कि कनाडा और अमेरिका में रहने वाले भारतीयों को अपनी सुख सुविधाएं छोड़कर भारत की आजादी में अपना सहयोग देने के लिए भारत जाएंगे। इस आह्वान के बाद करीब 8 हजार भारतीय समुद्री जहाजों से भारत पहुंचे। जब करतार सिंह भारत आए तो उन्हें सलाह दी गई कि वे भारत छोड़कर कहीं और चले जाएं नहीं तो उन्हें पकड़ लिया जाएगा। लेकिन उन्होंने अपना विद्रोह जारी रखा और उन्हें मात्र 19 वर्ष की आयु में पकड़ लिया गया और फांसी दे दी गई। पंजाब | दैनिक भास्कर