पंजाब के लुधियाना में मोबाइल झटपमारी की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही। रोज गार्डन के नजदीक एक युवती से मोबाइल झपटमारी की घटना सामने आई है। ये घटना बीते दिन की है। युवती कपड़ों की दुकान पर काम करती है। जब काम से वापस घर जा रही थी तो अचानक उसे किसी का फोन आ गया। 30 मीटर तक युवती को बदमाश ने घसीटा जैसे ही वह फोन सुनने लगी तो सफेद स्कूटी पर झपटमार उसका मोबाइल छीन कर भाग गया। बहादुरी दिखाते हुए युवती ने उसका पीछा किया। झपटमार ने स्कूटी नहीं रोकी, बल्कि तेज रफ्तार से भगाई। बदमाश युवती को करीब 30 मीटर तक घसीट कर ले गया। बदमाश जब फरार हुआ तो उसके पीछे ही पीसीआर की गाड़ी भी आ रही थी। पुलिस घटना स्थल पर रुक गई इतने में बदमाश भाग गया। SHO बलविंदर कौर बोली- युवती को आई चोट जानकारी देते हुए थाना डिवीजन नंबर 8 की एसएचओ बलविंदर कौर ने कहा कि युवती पहचान अभी जगजाहिर नहीं की जा सकती। वह कपड़ों की दुकान पर काम करती है। युवती अभी डरी हुई है। उसके कुछ चोटें भी आई है। पुलिस को उसके परिवार ने बयान दर्ज करवा दिए है। इस केस में पुलिस हर एंगल से काम करेगी। एक्टिवा सवार बदमाश को जल्द दबोचा जाएगा। पंजाब के लुधियाना में मोबाइल झटपमारी की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही। रोज गार्डन के नजदीक एक युवती से मोबाइल झपटमारी की घटना सामने आई है। ये घटना बीते दिन की है। युवती कपड़ों की दुकान पर काम करती है। जब काम से वापस घर जा रही थी तो अचानक उसे किसी का फोन आ गया। 30 मीटर तक युवती को बदमाश ने घसीटा जैसे ही वह फोन सुनने लगी तो सफेद स्कूटी पर झपटमार उसका मोबाइल छीन कर भाग गया। बहादुरी दिखाते हुए युवती ने उसका पीछा किया। झपटमार ने स्कूटी नहीं रोकी, बल्कि तेज रफ्तार से भगाई। बदमाश युवती को करीब 30 मीटर तक घसीट कर ले गया। बदमाश जब फरार हुआ तो उसके पीछे ही पीसीआर की गाड़ी भी आ रही थी। पुलिस घटना स्थल पर रुक गई इतने में बदमाश भाग गया। SHO बलविंदर कौर बोली- युवती को आई चोट जानकारी देते हुए थाना डिवीजन नंबर 8 की एसएचओ बलविंदर कौर ने कहा कि युवती पहचान अभी जगजाहिर नहीं की जा सकती। वह कपड़ों की दुकान पर काम करती है। युवती अभी डरी हुई है। उसके कुछ चोटें भी आई है। पुलिस को उसके परिवार ने बयान दर्ज करवा दिए है। इस केस में पुलिस हर एंगल से काम करेगी। एक्टिवा सवार बदमाश को जल्द दबोचा जाएगा। पंजाब | दैनिक भास्कर
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किसान नेता डल्लेवाल का मणरणव्रत 60वें दिन में दाखिल:डॉ. स्वाईमान सिंह का फेसबुक पेज ब्लॉक, इस महीने दो प्रोग्राम करेंगे किसान फसलों की एमएसपी की लीगल गारंटी समेत 13 मांगों को लेकर खनौरी बॉर्डर पर चल रहा किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का मरणव्रत आज (शुक्रवार) को 60वें दिन में दाखिल हो गया है। अब उनकी हालत में सुधार हो रहा है। दूसरी तरफ किसान आंदोलन में डल्लेवाल को डॉक्टरी सहायता देने वाली समाजसेवी संस्था के प्रमुख डॉ स्वाईमान का फेसबुक पेज बंद कर दिया है। यह अकाउंट उस समय बंद हुआ है, जब पिछले दिनों डॉ स्वाईमान ने कहा था कि केंद्र सरकार को किसानों से मीटिंग तुरंत करनी चाहिए। मरणव्रत पर चल रहे किसान नेता को मेडिकल सहारे जीवित रखना भी मुश्किल है। हालांकि अकाउंट बंद होने पर उन्होंने कहा कि उनकी तरफ से जो बात कही गई है। वह बिल्कुल सही है। सोशल मीडिया से वह कौन सा पैसे कमा रहे हैं। डल्लेवाल के लिए नया कमरा जल्दी होगा तैयार डॉक्टरों ने मेडिकल बुलेटिन जारी करते हुए कहा कि ताजी हवा और धूप में आने के बाद डल्लेवाल की सेहत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। दूसरी तरफ किसान नेताओं ने बताया कि डल्लेवाल के लिए्र बनाए जा रहे कमरे का काम भी तेजी से चल रहा है। जब तक कमरे का निर्माण नहीं होता है, तब तक वह अति आधुनिक सुविधाओं वाली ट्रॉली में रहेंगे। वहीं, राजिंद्रा अस्पताल के डॉक्टरों की टीम लगातार शिफ्टों में मोर्चे पर डयूटी दे रही हैं। ताकि उन्हें किसी भी तरह की परेशानी नहीं उठानी पड़े। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर टेस्ट भी किए जा रहे हैं। इस महीने किसानों ने दो प्रोग्राम किए गए तय 1. 26 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) एवम किसान मजदूर मोर्चा द्वारा निकाले जाने वाले ट्रैक्टर मार्च को लेकर भी तैयारियां चल रही है। पूरे देश में 12 से 1.30 बजे तक किसानों के ट्रैक्टर सड़कों पर होंगे । यह मार्च देश भर में शॉपिंग मॉल, साइलोज, टोल प्लाजा, बीजेपी नेताओं दफ्तरों व घरों के सामने निकाले जाएंगे। इसके लिए सभी किसान नेता अपने एरिया में एक्टिव रहेंगे। सारे नेताओं की सूची तैयारी की जा रही है। इसके बाद दिल्ली कूच को लेकर भी किसानों की एक अहम मीटिंग होगी। 2. 28 जनवरी को दातासिंहवाला-खनौरी किसान मोर्चे पर अखंड पाठ आरम्भ होगा और 30 जनवरी को भोग पड़ेंगे । इसमें बड़ी संख्या में किसानों से मोर्चे पर पहुंचने की अपील की गई है। जबकि 14 फरवरी को चंडीगढ़ में किसानों व केंद्र सरकार के अधिकारियों के बीच मीटिंग होगी। जिसमें किसानों के मुददे पर चर्चा होगी। सुप्रीम कोर्ट ने गठित की हुई है कमेटी किसान आंदोलन का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा हुआ है। वहीं, किसानों के मामलों का हल निकालने के लिए सुप्रीम ने एक हाईपावर कमेटी गठित की है। कमेटी के चेयरमैन रिटायॅर्ड जस्टिस नवाब सिंह हैं। जबकि कमेटी में विभिन्न क्षेत्रों के माहिर शामिल हैं। यह कमेटी किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मुलाकात कर चुकी है। कमेटी की तरफ से अंतरिम रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दी जा चुकी है। जल्दी ही अपनी दूसरी रिपोर्ट पेश करेगी। वहीं, इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अब फरवरी महीने में होगी।
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बंदी छोड़ दिवस के लिए अकाल तख्त साहिब से आदेश:कहा- सिख नरसंहार की याद में घी के दीये जलाएं; बिजली की सजावट से बचें
बंदी छोड़ दिवस के लिए अकाल तख्त साहिब से आदेश:कहा- सिख नरसंहार की याद में घी के दीये जलाएं; बिजली की सजावट से बचें पंजाब के अमृतसर में गोल्डन टेंपल स्थित श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सिख समुदाय के लिए बंदी छोड़ दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। उन्होंने 1 नवंबर 2024 को गुरु हरगोबिंद साहिब जी की याद में केवल घी के दीये जलाने की सलाह दी है और किसी भी प्रकार की बिजली की सजावट न करने का अनुरोध किया है। यह निर्देश 1 नवंबर 1984 को हुए सिख नरसंहार की 40वीं बरसी के मद्देनजर दिया गया है। ज्ञानी रघबीर सिंह ने घोषणा की है कि इस साल केवल गोल्डन टेंपल और श्री अकाल तख्त साहिब पर ही बिजली की सजावट की जाएगी। दुनिया भर की सिख संगत को सलाह दी गई है कि वे अपने घरों और गुरुद्वारों में केवल घी के दीये जलाएं और बिजली की सजावट से परहेज करें। अकाल तख्त साहिब के सचिवालय द्वारा जारी एक लिखित बयान में उन्होंने 1984 के सिख नरसंहार को याद किया, जो कांग्रेस सरकार के शासन के दौरान हुआ था। 110 शहरों में हुआ था सिख नरसंहार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि दिल्ली सहित देश के 110 शहरों में सिखों का नरसंहार किया गया और इसे एक “सिख नरसंहार” के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। ज्ञानी रघबीर सिंह ने इस घटना को सिख समुदाय के लिए एक गहरे घाव के रूप में याद किया जो आने वाली पीढ़ियों तक उनके मन में रहेगा। उन्होंने कहा कि 1 नवंबर का दिन बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जो श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी के ग्वालियर किले से रिहाई और श्री अमृतसर साहिब आगमन की याद में मनाया जाता है। दिल्ली में बिगड़े थे हालात 1984 का सिख नरसंहार भारत के इतिहास का एक ऐसा काला अध्याय है जो सिख समुदाय के लिए गहरे दर्द और त्रासदी के रूप में आज भी ताजा है। यह नरसंहार 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद शुरू हुआ था। इंदिरा गांधी की हत्या की खबर फैलते ही दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों में सिख समुदाय के खिलाफ हिंसा की आग भड़क उठी। भीड़ ने घरों, गुरुद्वारों, दुकानों और संपत्तियों को निशाना बनाना शुरू किया, सिख पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को मार डाला और संपत्तियों को जला दिया। कई जगहों पर ट्रेन के डिब्बों में सिखों को जलाया गया और उनके घरों को तबाह कर दिया गया। जान-माल का भारी नुकसान और भय का माहौल अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में लगभग 3000 से अधिक सिखों की हत्या कर दी गई थी, जबकि अन्य शहरों में भी हिंसा फैल गई। हालांकि, अनौपचारिक आंकड़े इससे कहीं अधिक हैं, क्योंकि हिंसा के बाद के कई वर्षों तक सटीक आंकड़ों का अभाव रहा। सिख समुदाय के घरों, गुरुद्वारों, दुकानों और अन्य संपत्तियों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा।