पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने सोमवार को बिजली विभाग की SDO नेहा पंचाल और उसके सहायक को 15000 रुपए की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। SSP रविंदरपाल सिंह संधू ने कहा कि यह मामला लुधियाना में गगनदीप कॉलोनी, भट्टियां बेट के निवासी और पितामास प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, लुधियाना में जनरल मैनेजर सुशील कुमार द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया है। 7,08,000 रुपए का वार्षिक बिल करवाना था पास शिकायत के अनुसार उक्त कंपनी नगर निगम लुधियाना के कमिश्नर के अधीन लुधियाना स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए IEEC सलाहकार के रूप में सेवाएं प्रदान कर रही है और फर्म को 1 अक्तूबर 2023 से 30 सितंबर 2024 तक निविदा (टेंडर) आवंटित किया गया था। शिकायतकर्ता ने विजिलेंस ब्यूरो से संपर्क कर बताया कि उक्त कंपनी का कुल 7,08,000 रुपए का वार्षिक बिल स्मार्ट सिटी के नगर निगम जोन-डी, लुधियाना स्थित कार्यालय में जमा करवाया गया था। SDO की बातचीत की रिकार्डिंग से हुआ खुलासा शिकायतकर्ता ने बताया कि जब वह कार्यालय में गया तो SDO नेहा पांचाल ने उक्त बिल पास करने के लिए 15000 रुपए या कुल बिल राशि का 2 प्रतिशत रिश्वत की मांग की तथा शिकायतकर्ता ने SDO नेहा के साथ अपनी बातचीत की रिकार्डिंग भी कर ली है। SSP संधू ने बताया कि शिकायत में लगाए गए आरोपों की पुष्टि के बाद विजिलेंस ब्यूरो की टीम ने जाल बिछाया, जिसके दौरान SDO नेहा पांचाल के सहायक को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया, जिसे उसने दो सरकारी गवाहों की मौजूदगी में शिकायतकर्ता से 15000 रुपए की रिश्वत लेने के लिए भेजा था। इसके बाद इस मामले में SDO नेहा को भी गिरफ्तार कर लिया गया। इस संबंध में विजिलेंस ब्यूरो के लुधियाना रेंज के थाने में दोनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। दोनों आरोपियों को कल अदालत में पेश किया जाएगा। पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने सोमवार को बिजली विभाग की SDO नेहा पंचाल और उसके सहायक को 15000 रुपए की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। SSP रविंदरपाल सिंह संधू ने कहा कि यह मामला लुधियाना में गगनदीप कॉलोनी, भट्टियां बेट के निवासी और पितामास प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, लुधियाना में जनरल मैनेजर सुशील कुमार द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया है। 7,08,000 रुपए का वार्षिक बिल करवाना था पास शिकायत के अनुसार उक्त कंपनी नगर निगम लुधियाना के कमिश्नर के अधीन लुधियाना स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए IEEC सलाहकार के रूप में सेवाएं प्रदान कर रही है और फर्म को 1 अक्तूबर 2023 से 30 सितंबर 2024 तक निविदा (टेंडर) आवंटित किया गया था। शिकायतकर्ता ने विजिलेंस ब्यूरो से संपर्क कर बताया कि उक्त कंपनी का कुल 7,08,000 रुपए का वार्षिक बिल स्मार्ट सिटी के नगर निगम जोन-डी, लुधियाना स्थित कार्यालय में जमा करवाया गया था। SDO की बातचीत की रिकार्डिंग से हुआ खुलासा शिकायतकर्ता ने बताया कि जब वह कार्यालय में गया तो SDO नेहा पांचाल ने उक्त बिल पास करने के लिए 15000 रुपए या कुल बिल राशि का 2 प्रतिशत रिश्वत की मांग की तथा शिकायतकर्ता ने SDO नेहा के साथ अपनी बातचीत की रिकार्डिंग भी कर ली है। SSP संधू ने बताया कि शिकायत में लगाए गए आरोपों की पुष्टि के बाद विजिलेंस ब्यूरो की टीम ने जाल बिछाया, जिसके दौरान SDO नेहा पांचाल के सहायक को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया, जिसे उसने दो सरकारी गवाहों की मौजूदगी में शिकायतकर्ता से 15000 रुपए की रिश्वत लेने के लिए भेजा था। इसके बाद इस मामले में SDO नेहा को भी गिरफ्तार कर लिया गया। इस संबंध में विजिलेंस ब्यूरो के लुधियाना रेंज के थाने में दोनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। दोनों आरोपियों को कल अदालत में पेश किया जाएगा। पंजाब | दैनिक भास्कर
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बच्ची के दादा ने आरोप लगाया कि इस दौरान बच्ची को एक ऐसा इंजेक्शन लगा दिया गया, जो शायद उसे रिएक्शन कर गया और उसके शरीर पर सूजन शुरू हो गई और सख्त हो गया। इसके बाद 6 जनवरी को डॉक्टर ने उन्हें बकाया पेमेंट जमा करवाने के लिए कहा और कहा कि लड़की का ऑपरेशन होगा। इसे पीजीआई में ले जाए और साथ ही सभी प्राइवेट डॉक्टर अपने अस्पताल में बुला लिए। बाद में बच्ची को अमृतसर के एक अस्पताल में रेफर कर दिया गया, जहां पर साढ़े 11 बजे पहुंचे। बच्ची के दादा का कहना है कि इलाज के दौरान अमृतसर के डॉक्टर ने स्वीकार किया कि बच्ची को पहली गलत इलाज दिया गया है। जिसके चलते उसकी हालत बिगड़ी है। परिवार के पास सबूत भी है। उन्होंने मांग की कि अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उधर बच्ची का इलाज करने वाले डॉक्टर चेतन नंदा का कहना है कि बच्चा जन्म के समय ही कई बीमारियों से ग्रस्त था और उसका दिल भी कमजोर था। परिवार उसे उनके पास लेकर आया था, मगर वह कई दिनों से दूध नहीं पी रहा था। इसके बारे में परिवार को पहले ही बता दिया जा चुका था कि उसकी हालत गंभीर है, मगर परिवार ने बच्चे का उपचार करने की मिन्नतें की तो उन्होंने इलाज शुरू किया था। इसमें उनकी किसी भी तरह की लापरवाही नहीं है। उसकी मौत का कारण भी कई दिनों से दूध न पीने पर इन्फेक्शन है।
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