लुधियाना में एक व्यक्ति ले फांसी का फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। मृतक पेंट का काम करता था। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। घटना लुधियाना के बाडेवाल की है। जहां पास ही फ्लैट में एक प्रवासी मजदूर रहता था। मृतक के भाई नंदलाल निवासी यूपी ने बताया कि वह काम पर गया हुआ था और उसका बड़ा भाई अमरनाथ काम पर नहीं गया, बल्कि घर पर ही रुक गया। देर शाम को जब वह घर लौटा तो देखा कि उसके भाई ने पंखे से फंदा लगा रखा था। जिसके बाद पुलिस को सूचित किया गया। तीन बच्चों का पिता है अमरनाथ नंदलाल ने बताया कि उसका 36 वर्षीय बड़ा भाई अमरनाथ तीन बच्चों का पिता था। मृतक के भाई नंदलाल ने बताया कि सात साल पहले लुधियाना में रोजी रोटी कमाने आया था। उसने बताया कि उसका भाई पेंट का काम करता था। घर में किसी से कोई झगडा नहीं था। उसने खुदकुशी क्यों की इसका कुछ पता नहीं। पुलिस ने शुरू की जांच जांच करने पहुंचे पुलिस अधिकारी ने कहा कि मृतक के भाई के बयान पर पुलिस ने अगली कार्रवाई शुरू कर दी है। शव का पोस्टमार्टम करवाने के बाद ही मौत के कारणों का पता लग सकेगा। लुधियाना में एक व्यक्ति ले फांसी का फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। मृतक पेंट का काम करता था। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। घटना लुधियाना के बाडेवाल की है। जहां पास ही फ्लैट में एक प्रवासी मजदूर रहता था। मृतक के भाई नंदलाल निवासी यूपी ने बताया कि वह काम पर गया हुआ था और उसका बड़ा भाई अमरनाथ काम पर नहीं गया, बल्कि घर पर ही रुक गया। देर शाम को जब वह घर लौटा तो देखा कि उसके भाई ने पंखे से फंदा लगा रखा था। जिसके बाद पुलिस को सूचित किया गया। तीन बच्चों का पिता है अमरनाथ नंदलाल ने बताया कि उसका 36 वर्षीय बड़ा भाई अमरनाथ तीन बच्चों का पिता था। मृतक के भाई नंदलाल ने बताया कि सात साल पहले लुधियाना में रोजी रोटी कमाने आया था। उसने बताया कि उसका भाई पेंट का काम करता था। घर में किसी से कोई झगडा नहीं था। उसने खुदकुशी क्यों की इसका कुछ पता नहीं। पुलिस ने शुरू की जांच जांच करने पहुंचे पुलिस अधिकारी ने कहा कि मृतक के भाई के बयान पर पुलिस ने अगली कार्रवाई शुरू कर दी है। शव का पोस्टमार्टम करवाने के बाद ही मौत के कारणों का पता लग सकेगा। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
विधायक सुखपाल खैहरा की जमानत रद्द करने वाले याचिका खारिज:ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी याचिका; खैहरा बोले-राजनीति से प्रेरित था केस
विधायक सुखपाल खैहरा की जमानत रद्द करने वाले याचिका खारिज:ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी याचिका; खैहरा बोले-राजनीति से प्रेरित था केस पंजाब में कपूरथला के भुलत्थ क्षेत्र से कांग्रेसी MLA सुखपाल सिंह खैहरा की जमानत याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची ईडी की याचिका का खारिज कर दिया गया है। इस बारे में कांग्रेस के एमएलए सुखपाल सिंह खैहरा ने खुद वीडियो जारी कर जानकारी साझा की। विधायक खैहरा ने कहा- साथियों, मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि आज सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की उस अर्जी को खारिज कर दिया है, जिसमें मेरी जमानत रद्द करने की मांग की गई थी। जोकि मेरे खिलाफ राजनीति से प्रेरित मामले में 2022 में कोर्ट में दायर की गई थी। विधायक बोले- करोड़ों गबन करने वालों के पीछे जाए ईडी कांग्रेस के विधायक सुखपाल सिंह खैहरा ने कहा- वाहेगुरु की कृपा से आज सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला लिया है। साल 2021 में मेरे घर पर ईडी ने रेड किया था। चुनाव से पहले मुझे अरेस्ट कर पटियाला जेल भेजा गया। बाद में हाईकोर्ट से मुझे उक्त केस में रैगुलर बेल मिली। उसके बाद से ही ईडी की कोशिश थी कि किसी तरह से मुझे दोबारा जेल भेजा जाए और मुझे अरेस्ट किया जा सके। विधायक खैहरा ने आगे कहा- सच्ची बात में बहुत ताकत होती है। मैंने कुछ गलत नहीं किया किसी के साथ। खैहरा ने आगे कहा- मेरा ईडी से आग्रह है कि करोड़ों रुपए लूटने वाले लोगों को छोड़कर आम लोगों को परेशान न करें। ऐसे ही पंजाब सरकार ने भी मेरे पर केस दर्ज किया था। इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत में उक्त केस में कार्रवाई पर रोक लगाई थी।
फाजिल्का में कार की टक्कर से युवक की मौत:ई-बाइक से जा रहा था, कार ड्राइवर फरार, 2 बच्चों का पिता था
फाजिल्का में कार की टक्कर से युवक की मौत:ई-बाइक से जा रहा था, कार ड्राइवर फरार, 2 बच्चों का पिता था फाजिल्का के अबोहर में तेज रफ्तार कार ने उनकी ई-बाइक को टक्कर मार दी, जिससे ई-बाइक युवक की मौत हो गई। कार ड्राइवर कार को मौके पर छोड़कर फरार हो गया। वारदात गांव घल्लू की है। मृतक की पहचान 37 वर्षीय सतनाम सिंह के तौर पर हुई है, जो मंगलवार रात को ई-बाइक से खिप्पांवाली जा रहा था। मृतक सतनाम सिंह मेहनत-मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। उनके दो छोटे बच्चे – एक लड़का और एक लड़की हैं। घटना की सूचना मिलते ही परिवार मौके पर पहुंचा और शव को अस्पताल की मोर्चरी में रखा किया गया। गांव की पंचायत ने पीड़ित परिवार से मुलाकात कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। मृतक के पिता गुरदीप सिंह ने न्याय की मांग की है। थाना बोदीवाला पुलिस मामले की जांच कर रही है।
लुधियाना में मनाया शहीद सराभा का बलिदान दिवस:मंत्री सोंध बोले-एयरपोर्ट का नाम उनके नाम पर रखेंगे सीएम, शहीदी का जज्बा गुरुओं से मिला
लुधियाना में मनाया शहीद सराभा का बलिदान दिवस:मंत्री सोंध बोले-एयरपोर्ट का नाम उनके नाम पर रखेंगे सीएम, शहीदी का जज्बा गुरुओं से मिला पंजाब के लुधियाना में आज राज्य स्तरीय शहीद करतार सिंह सराभा का शहीदी दिवस आयोजित किया गया। इस मौके कैबिनेट मंत्री तरूणप्रीत सिंह सोंध उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे। मंत्री सोंध ने कहा कि हमें शहीदों को रास्ते पर चलना चाहिए। आज यदि हमारे में शहीदी का जज्जबा है तो वह गुरुओं के कारण है। सोंध ने कहा कि शहीद कौम का और देश का गर्व है। आने वाली पीढ़ी को शहीदों के बारे में बताना जरूरी है। गदर लहर सरदार सोहन जी की अगुआई में चली थी, लेकिन उसमें सबसे युवा इंसान जुड़े था तो वह करतार सिंह सराभा थे। जो महज 19 साल की आयु में शहीद हो गए। पंजाब के इतिहास में यदि नजर दौड़ाई जाए तो देश की आजादी के लिए अधिकतर पंजाबियों ने शहादत दी है। शहीद सराभा के साथ 6 अन्य गदरी भी शहीद हुए थे। आज उन्हें भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। आने वाले समय में मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान हलवारा एयरपोर्ट का नाम शहीद करतार सिंह सराभा के नाम से रख सकते है। जानिए कौन थे ‘करतार सिंह’ सराभा
करतार सिंह का जन्म पंजाब के लुधियाना जिले के सराभा गांव में 24 मई 1896 को हुआ था। करतार ने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया था। उसके बाद उनका पालन पोषण दादा ने किया था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा लुधियाना से ही हुई थी। वे पढ़ने में होशियार थे। यही कारण था कि उन्हें पढ़ने के लिए अमेरिका भेजा गया था। 1912 में जब वे अमेरिका पहुंचे तब वे 15 साल के हो गए थे। जब वे पढ़ाई कर रहे थे, तब वे अपने गांव के एक युवक के साथ ही रहे। हालांकि वे अमेरिका पढ़ने आए थे, लेकिन भारत में चल रहे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने की चाह करतार में पनपता रहा। इसका परिणाम यह रहा कि उनका अमेरिका में बसे भारतीयों के बीच दब-दबा बढ़ता रहा। 1915 में गदर पार्टी स्थापना हुई। जिसमें यह निर्णय लिया गया कि कनाडा और अमेरिका में रहने वाले भारतीयों को अपनी सुख सुविधाएं छोड़कर भारत की आजादी में अपना सहयोग देने के लिए भारत जाएंगे। इस आह्वान के बाद करीब 8 हजार भारतीय समुद्री जहाजों से भारत पहुंचे। जब करतार सिंह भारत आए तो उन्हें सलाह दी गई कि वे भारत छोड़कर कहीं और चले जाएं नहीं तो उन्हें पकड़ लिया जाएगा। लेकिन उन्होंने अपना विद्रोह जारी रखा और उन्हें मात्र 19 वर्ष की आयु में पकड़ लिया गया और फांसी दे दी गई।