वाराणसी: महाशिवरात्रि इस वजह से होती है खास, नगरवासी कुछ इस अंदाज में निकलती है बाबा की बाराती

वाराणसी: महाशिवरात्रि इस वजह से होती है खास, नगरवासी कुछ इस अंदाज में निकलती है बाबा की बाराती

<p style=”text-align: justify;”><strong>Maha Shivratri 2025:</strong> माता पार्वती और भगवान शंकर के विवाह उत्सव के रूप में मनाए जाने वाले महाशिवरात्रि को पूरे देश में लोग काफ़ी उत्साह के साथ मनाते हैं. लेकिन जब बात महादेव की नगरी काशी की हो तो यहां पर महाशिवरात्रि को लेकर एक अलग ही उमंग देखा जाता है. वाराणसी की महाशिवरात्रि पूरे देश में सबसे अलग मानी जाती है क्योंकि इस शहर के अनेक विरासत भगवान शंकर से सीधे जुड़े हुए हैं. इसके अलावा काशी वाले खुद भगवान शंकर को अपने परिवार का सदस्य ही मानते हैं. उनके लिए महाशिवरात्रि सिर्फ एक तिथि पर्व ही नहीं बल्कि अपने घर का मांगलिक आयोजन की तरह होता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>काशी के प्राचीन परंपराओं के जानकार पं. अजय शर्मा ने बताया कि साल के 365 दिन काशी में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं लेकिन महाशिवरात्रि का काशी में पौराणिक महत्व भी है. इसके अलावा इस उत्सव के लिए लोगों के मन में एक अलग ही उमंग देखा जाता है. भगवान शंकर और माता पार्वती के वैवाहिक उत्सव को मानो काशी का प्रत्येक व्यक्ति अपना मानता है. सुबह से ही लोगों की तरफ से इसकी तैयारी शुरू हो जाती है. अपने घर के मंदिर, देवालय को तो लोगों द्वारा सजाया ही जाता है, लोग खुद भी बाबा के बाराती बनने के लिए सजते संवरते हैं. दोपहर होते-होते पूरा शहर मानो शिवमय माहौल में डूब जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/dOg7z1aVnQ0?si=mWppGOOtFVgVqd2S” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>महाशिवरात्री पर दिखता है काशी में अद्भुत नजारा</strong><br />अलग-अलग जगह से निकलने वाले शिव बारात, मंदिर के श्रृंगार कार्यक्रम, देवालय पर पूजन अर्चन सहित भगवान शंकर और माता पार्वती के वैवाहिक उत्सव से जुड़े अनेक कार्यक्रम को लेकर ही उसकी पूरी तैयारी देखी जाती हैं. सबसे विशेष बात की अपने सामर्थ्य अनुसार हर वर्ग के लोग भगवान शंकर के मांगलिक आयोजन में शामिल होने के लिए उत्सुक दिखाई देते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एक विशेष बात यह भी है कि भगवान शंकर के बारात में नगर के लोग इस प्रकार शामिल होते हैं जैसे उनके परिवार के किसी सदस्य का विवाह आयोजन हो. वह इसमें शामिल भी बड़े शान से होते हैं. बारात अलग-अलग मार्ग से होकर गुजरती है. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा शहर का हर शिव मंदिर एक अलग ही छवि देखी जाती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>महाशिवरात्रि के पर्व पर बाबा के शिव बारात से लेकर अलग-अलग मंदिरों में दर्शन पूजन का क्रम लगातार जारी रहता है. महाशिवरात्रि के पहले से लेकर इस तिथि के बाद तक कुल 48 घंटे तक काशी एक अलग ही माहौल में देखी जाती है. इसलिए <a title=”महाशिवरात्रि” href=”https://www.abplive.com/topic/mahashivratri-2023″ data-type=”interlinkingkeywords”>महाशिवरात्रि</a> सिर्फ प्राचीन शिव मंदिर में दर्शन पूजन तक ही नहीं बल्कि एक अटूट परंपरा से जुड़ा हुआ भी एक प्रमुख पर्व माना जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/maha-kumbh-2025-news-dirty-water-from-tents-on-sangam-beach-dumped-in-pit-near-river-ann-2890440″><strong>Maha Kumbh 2025: संगम तट पर टेंटों से निकलता गंदा पानी, गड्ढे में किया जा रहा डंप, प्रशासन के दावों की खुली पोल</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Maha Shivratri 2025:</strong> माता पार्वती और भगवान शंकर के विवाह उत्सव के रूप में मनाए जाने वाले महाशिवरात्रि को पूरे देश में लोग काफ़ी उत्साह के साथ मनाते हैं. लेकिन जब बात महादेव की नगरी काशी की हो तो यहां पर महाशिवरात्रि को लेकर एक अलग ही उमंग देखा जाता है. वाराणसी की महाशिवरात्रि पूरे देश में सबसे अलग मानी जाती है क्योंकि इस शहर के अनेक विरासत भगवान शंकर से सीधे जुड़े हुए हैं. इसके अलावा काशी वाले खुद भगवान शंकर को अपने परिवार का सदस्य ही मानते हैं. उनके लिए महाशिवरात्रि सिर्फ एक तिथि पर्व ही नहीं बल्कि अपने घर का मांगलिक आयोजन की तरह होता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>काशी के प्राचीन परंपराओं के जानकार पं. अजय शर्मा ने बताया कि साल के 365 दिन काशी में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं लेकिन महाशिवरात्रि का काशी में पौराणिक महत्व भी है. इसके अलावा इस उत्सव के लिए लोगों के मन में एक अलग ही उमंग देखा जाता है. भगवान शंकर और माता पार्वती के वैवाहिक उत्सव को मानो काशी का प्रत्येक व्यक्ति अपना मानता है. सुबह से ही लोगों की तरफ से इसकी तैयारी शुरू हो जाती है. अपने घर के मंदिर, देवालय को तो लोगों द्वारा सजाया ही जाता है, लोग खुद भी बाबा के बाराती बनने के लिए सजते संवरते हैं. दोपहर होते-होते पूरा शहर मानो शिवमय माहौल में डूब जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/dOg7z1aVnQ0?si=mWppGOOtFVgVqd2S” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>महाशिवरात्री पर दिखता है काशी में अद्भुत नजारा</strong><br />अलग-अलग जगह से निकलने वाले शिव बारात, मंदिर के श्रृंगार कार्यक्रम, देवालय पर पूजन अर्चन सहित भगवान शंकर और माता पार्वती के वैवाहिक उत्सव से जुड़े अनेक कार्यक्रम को लेकर ही उसकी पूरी तैयारी देखी जाती हैं. सबसे विशेष बात की अपने सामर्थ्य अनुसार हर वर्ग के लोग भगवान शंकर के मांगलिक आयोजन में शामिल होने के लिए उत्सुक दिखाई देते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एक विशेष बात यह भी है कि भगवान शंकर के बारात में नगर के लोग इस प्रकार शामिल होते हैं जैसे उनके परिवार के किसी सदस्य का विवाह आयोजन हो. वह इसमें शामिल भी बड़े शान से होते हैं. बारात अलग-अलग मार्ग से होकर गुजरती है. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा शहर का हर शिव मंदिर एक अलग ही छवि देखी जाती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>महाशिवरात्रि के पर्व पर बाबा के शिव बारात से लेकर अलग-अलग मंदिरों में दर्शन पूजन का क्रम लगातार जारी रहता है. महाशिवरात्रि के पहले से लेकर इस तिथि के बाद तक कुल 48 घंटे तक काशी एक अलग ही माहौल में देखी जाती है. इसलिए <a title=”महाशिवरात्रि” href=”https://www.abplive.com/topic/mahashivratri-2023″ data-type=”interlinkingkeywords”>महाशिवरात्रि</a> सिर्फ प्राचीन शिव मंदिर में दर्शन पूजन तक ही नहीं बल्कि एक अटूट परंपरा से जुड़ा हुआ भी एक प्रमुख पर्व माना जाता है.</p>
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