‘साल भर हम जिन घरों में बच्चा होने पर बधाई लेने जाते हैं। उनके बच्चों की दीर्घायु के लिए पिछले तीन सालों से मैं छठी मईया का व्रत कर रही हूं। इस व्रत में मेरी गुरु मां और मेरे समुदाय के लोग मेरी मदद करते हैं।’ ये कहते हुए अंशिका किन्नर की आंखे भर आईं। अंशिका किन्नर फुलवरिया की रहने वाली हैं। तीन साल पहले उन्होंने अपनी गुरु मां की प्रेरणा से छठी मईया का कठिन व्रत करना शुरू किया था। गुरुवार को गाजे-बाजे के साथ नाचते हुए किन्नरों के साथ अंशिका जब फुलवरिया के वरुणा तट पर पहुंची तो उनके साथ किन्नर समुदाय की राष्ट्रीय अध्यक्ष सलमान किन्नर भी थीं। सुबह अंशिका ने इसी तट पर दोबारा पहुंच कर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। दैनिक भास्कर ने व्रत रखने वाली किन्नर अंशिका और किन्नर समाज की राष्ट्रीय अध्यक्ष सलमान किन्नर से बात की। पहले अंशिका की छठ पूजा से जुड़ी 4 तस्वीरें… समय शाम के 4 बजकर 30 मिनट हुए हैं। अचानक से मशीनी बीर बाबा मंदिर स्थित वरुणा तट पर शोर बढ़ गया। ढोल और ताशे के धुन पर किन्नर समुदाय के लोग घाट की तरफ बढ़ रहे थे। नाचते हुए चल रहे किन्नर समुदाय के लोगों के साथ पीली साड़ी व्रती किन्नर अंशिका चल रही थी। उसके साथ मोहल्ले की महिलाएं थी जो इस व्रत को पूरा करवाने के लिए मौजूद थीं और अंशिका को एक-एक चीज बता रहीं थी। कुछ ही देर बाद सभी की मांग में किन्नरों ने सिन्दूर भरने की परंपरा निभाई और एक-दूसरे को परंपरा अनुसार नाक से सिर के बीच तक सिंदूर लगाया। सभी किन्नर हाथ जोड़े वेदी पर अंशिका को दिया जलाते और पूजा करते देख रहे थे। फुलवरिया की रहने वाली हैं अंशिका किन्नर
पीली साड़ी में नाक से सिर के बीच तक सिंदूर लगाए वरुणा में खड़ीं अंशिका किन्नर हाथ में दीया और अगरबत्ती लिए सूर्य के डूबने का इंतजार कर रहीं थी। अंशिका ने सूर्य डूबने के बाद सूर्य उपासना की और लोगों ने बारी-बारी उसके सूप पर पानी से अर्घ्य दिया। अंशिका ने बताया वह फुलवरिया की रहने वाली हैं।
अंशिका ने बताया- छठ का व्रत सबसे कठिन माना जाता है। गुरु मां ने जब इस व्रत को करने की बात कही तो पहले मुझे लगा कि कैसे कर पाऊंगी। लेकिन फिर उन लोगों ने मेरी मदद की और आज तीसरे साल लगातार मैंने छठी मईया का व्रत रखा और अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया है। जहां जाती हूं बधाई मांगने, उनके बच्चों के लिए व्रत
अंशिका से जब पूछा गया कि आप छठ पूजा क्यों करती हैं? तो उन्होंने बताया- साल भर हम जिस भी घर में बधाई मांगने जाते हैं। वहां बच्चों को आशीर्वाद देते हैं। ऐसे में उनकी दीर्घायु के लिए यह व्रत शुरू किया। व्रत में पूरा समाज देता है साथ
अंशिका ने बताया- नहाय-खाय, खरना और फिर सूर्य को अर्घ्य देने तक किन्नर समाज बहुत हेल्प करता है। हमारी गुरु मां के अलावा अन्य किन्नर भी हमारी मदद करते हैं ताकि यह व्रत पूरे विधि-विधान से संपन्न हो सके। अब किन्नर समुदाय की राष्ट्रीय अध्यक्ष सलमान किन्नर की बात पढ़िए… जो हमें धर्म से अलग समझते हैं, उनके लिए सन्देश
इस मौके पर मौजूद किन्नर समाज की राष्ट्रीय अध्यक्ष सलमान किन्नर ने बताया- छठ के शुभ अवसर पर देश-विदेश में इस व्रत को किया जाता है। जो की बहुत कठिन है। हमारी किन्नर समुदाय की अंशिका ने यहां व्रत रख कर और सूर्य को अर्घ्य देकर पूरे देश को, समाज को; जो हमसे हीन भावना रखते हैं और हमें पिछड़ा समझते हैं। हमें धर्म से दूर रखते हैं। उनके लिए यह प्रेरणा है कि हम भी मां की कोख से ही पैदा हुए हैं और जिस मंदिर में, मस्जिद में आप सिर झुकाते हैं। वहां हम भी सिर झुका सकते हैं। यह अभी पहला स्टेप
सलमान किन्नर ने बताया- जिस तरह से माताएं-बहनें छठ पूजा पर घाटों पर आती हैं। उसी प्रकार अब किन्नर समाज भी घाटों पर छठ पूजा करने के लिए आएगा। हमारा किन्नर समाज ऐसे ही छठ व्रत करता रहेगा। अभी ये पहला स्टेप है। जिसमें अंशिका किन्नर अपने जजमान, अन्नदाता, युवाओं, उनकी नौकरियों , देश के जवान जो देश की रक्षा कर रहे हैं। उनके लिए हमारे किन्नर समाज ने छठ व्रत किया है ताकि देश की जनता खुश और स्वस्थ रहे। ‘साल भर हम जिन घरों में बच्चा होने पर बधाई लेने जाते हैं। उनके बच्चों की दीर्घायु के लिए पिछले तीन सालों से मैं छठी मईया का व्रत कर रही हूं। इस व्रत में मेरी गुरु मां और मेरे समुदाय के लोग मेरी मदद करते हैं।’ ये कहते हुए अंशिका किन्नर की आंखे भर आईं। अंशिका किन्नर फुलवरिया की रहने वाली हैं। तीन साल पहले उन्होंने अपनी गुरु मां की प्रेरणा से छठी मईया का कठिन व्रत करना शुरू किया था। गुरुवार को गाजे-बाजे के साथ नाचते हुए किन्नरों के साथ अंशिका जब फुलवरिया के वरुणा तट पर पहुंची तो उनके साथ किन्नर समुदाय की राष्ट्रीय अध्यक्ष सलमान किन्नर भी थीं। सुबह अंशिका ने इसी तट पर दोबारा पहुंच कर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। दैनिक भास्कर ने व्रत रखने वाली किन्नर अंशिका और किन्नर समाज की राष्ट्रीय अध्यक्ष सलमान किन्नर से बात की। पहले अंशिका की छठ पूजा से जुड़ी 4 तस्वीरें… समय शाम के 4 बजकर 30 मिनट हुए हैं। अचानक से मशीनी बीर बाबा मंदिर स्थित वरुणा तट पर शोर बढ़ गया। ढोल और ताशे के धुन पर किन्नर समुदाय के लोग घाट की तरफ बढ़ रहे थे। नाचते हुए चल रहे किन्नर समुदाय के लोगों के साथ पीली साड़ी व्रती किन्नर अंशिका चल रही थी। उसके साथ मोहल्ले की महिलाएं थी जो इस व्रत को पूरा करवाने के लिए मौजूद थीं और अंशिका को एक-एक चीज बता रहीं थी। कुछ ही देर बाद सभी की मांग में किन्नरों ने सिन्दूर भरने की परंपरा निभाई और एक-दूसरे को परंपरा अनुसार नाक से सिर के बीच तक सिंदूर लगाया। सभी किन्नर हाथ जोड़े वेदी पर अंशिका को दिया जलाते और पूजा करते देख रहे थे। फुलवरिया की रहने वाली हैं अंशिका किन्नर
पीली साड़ी में नाक से सिर के बीच तक सिंदूर लगाए वरुणा में खड़ीं अंशिका किन्नर हाथ में दीया और अगरबत्ती लिए सूर्य के डूबने का इंतजार कर रहीं थी। अंशिका ने सूर्य डूबने के बाद सूर्य उपासना की और लोगों ने बारी-बारी उसके सूप पर पानी से अर्घ्य दिया। अंशिका ने बताया वह फुलवरिया की रहने वाली हैं।
अंशिका ने बताया- छठ का व्रत सबसे कठिन माना जाता है। गुरु मां ने जब इस व्रत को करने की बात कही तो पहले मुझे लगा कि कैसे कर पाऊंगी। लेकिन फिर उन लोगों ने मेरी मदद की और आज तीसरे साल लगातार मैंने छठी मईया का व्रत रखा और अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया है। जहां जाती हूं बधाई मांगने, उनके बच्चों के लिए व्रत
अंशिका से जब पूछा गया कि आप छठ पूजा क्यों करती हैं? तो उन्होंने बताया- साल भर हम जिस भी घर में बधाई मांगने जाते हैं। वहां बच्चों को आशीर्वाद देते हैं। ऐसे में उनकी दीर्घायु के लिए यह व्रत शुरू किया। व्रत में पूरा समाज देता है साथ
अंशिका ने बताया- नहाय-खाय, खरना और फिर सूर्य को अर्घ्य देने तक किन्नर समाज बहुत हेल्प करता है। हमारी गुरु मां के अलावा अन्य किन्नर भी हमारी मदद करते हैं ताकि यह व्रत पूरे विधि-विधान से संपन्न हो सके। अब किन्नर समुदाय की राष्ट्रीय अध्यक्ष सलमान किन्नर की बात पढ़िए… जो हमें धर्म से अलग समझते हैं, उनके लिए सन्देश
इस मौके पर मौजूद किन्नर समाज की राष्ट्रीय अध्यक्ष सलमान किन्नर ने बताया- छठ के शुभ अवसर पर देश-विदेश में इस व्रत को किया जाता है। जो की बहुत कठिन है। हमारी किन्नर समुदाय की अंशिका ने यहां व्रत रख कर और सूर्य को अर्घ्य देकर पूरे देश को, समाज को; जो हमसे हीन भावना रखते हैं और हमें पिछड़ा समझते हैं। हमें धर्म से दूर रखते हैं। उनके लिए यह प्रेरणा है कि हम भी मां की कोख से ही पैदा हुए हैं और जिस मंदिर में, मस्जिद में आप सिर झुकाते हैं। वहां हम भी सिर झुका सकते हैं। यह अभी पहला स्टेप
सलमान किन्नर ने बताया- जिस तरह से माताएं-बहनें छठ पूजा पर घाटों पर आती हैं। उसी प्रकार अब किन्नर समाज भी घाटों पर छठ पूजा करने के लिए आएगा। हमारा किन्नर समाज ऐसे ही छठ व्रत करता रहेगा। अभी ये पहला स्टेप है। जिसमें अंशिका किन्नर अपने जजमान, अन्नदाता, युवाओं, उनकी नौकरियों , देश के जवान जो देश की रक्षा कर रहे हैं। उनके लिए हमारे किन्नर समाज ने छठ व्रत किया है ताकि देश की जनता खुश और स्वस्थ रहे। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर