वाराणसी में ट्रेन से कटने वाले परिवार की कहानी:4 महीने से मांगकर जुटा रहे थे 2 वक्त की रोटी, आधार कार्ड नहीं बना तो योजना का लाभ कैसे मिलता?

वाराणसी में ट्रेन से कटने वाले परिवार की कहानी:4 महीने से मांगकर जुटा रहे थे 2 वक्त की रोटी, आधार कार्ड नहीं बना तो योजना का लाभ कैसे मिलता?

‘टीटू और उसकी पत्नी पूजा दोनों बहुत परेशान थे। ईंट भट्टा बंद था। ऐसे में काम की जगह भीख मांगकर गुजारा कर रहे थे। अक्सर रात में दोनों में झगड़ा होता था। उसके बच्चे रोते तो हम लोग खाना दे देते थे। 19 तारीख की सुबह टीटू अपनी पत्नी और बच्चों के साथ घर से निकला था। लेकिन, वापस नहीं आया। रात 8 बजे हमें पता चला की वो ट्रेन से कट गए।’ ये बात टीटू के छोटे भाई रिंकू की पत्नी सरिता ने कही। बोलीं- साहब हम लोग को कुछ नहीं होगा न। वो ट्रेन के सामने कूद गए। उनके में रोज झगड़ा होता था। बुढ़वा-बुढ़िया (सास-ससुर) बहुत समझाते थे पर टीटू नहीं मानता था। वो दिन भर भीख मांगते। रात में घर आते खाना बनाते, आपस में लड़ते झगड़ते और रोज रात में शराब पीकर सो जाते थे। अक्सर उनके बच्चे भूख से तड़पते तो हम उन्हें खाना देते थे। रविवार की रात बिरापट्टी रेलवे स्टेशन से 400 मीटर दूर पति-पत्नी ने बच्चों के साथ रेलवे ट्रैक पर मिले। जहां पत्नी और मासूम बच्ची की मौत हो गई। वहीं, बेटा और पति घायल हो गया। जिन्हें पुलिस ने ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया। आखिर क्यों और कैसे? एक परिवार मौत को गले लगाने अपने घर से 12 किलोमीटर दूर रेलवे ट्रैक पर पहुंचा। इन सवालों का जवाब जानने दैनिक भास्कर वाराणसी से 35 किलोमीटर दूर नेहिया गांव की वनवासी बस्ती पहुंचा। घायल टीटू के परिजनों से बात की। सबसे पहले हमने टीटू, उसकी पत्नी और परिजनों के रिश्ते को खंगाला। साथ ही टीटू की मानसिक स्थिति पर बात की…. टीबी का मरीज था टीटू…परिजनों से नहीं था कोई मतलब
हम नेहिया गांव पहुंचे, तो यहां वनवासी बस्ती में टीटू के मकान के पास कुछ महिलाएं बैठीं थीं। इसमें एक टीटू के बड़े भाई और एक छोटे भाई की पत्नी थी। बड़े भाई की पत्नी सीमा ने बताया कि उन्हें किसी से कोई मतलब नहीं था। जब से शादी हुई है, तब से ही वो अपनी अलग मड़ई डालकर रह रहे थे। सास ने बताया था इनको टीबी थी। अपना खाना बनाते थे और खाते थे। सीमा ने बताया टीटू काफी मेहनती हैं पर 4 महीने से भट्ठा बंद होने से उनके पास कोई काम नहीं था, जिस वजह से वो लोग परेशान थे। मांगकर खाना खाने को मजबूर था टीटू का परिवार
टीटू के छोटे भाई की पत्नी सरिता ने बताया- वो दोनों ही ईंट भट्टे पर काम करते थे। मेला खत्म होने के बाद फिर से ईंट भट्टा पर काम शुरू होता। हम लोग धान के खेत में काम करते हैं और गुजरा कर रहे हैं। लेकिन, टीटू और उसकी पत्नी भीख मांगकर गुजरा करते थे। दोनों कब घर से निकलते थे और कब घर वापस आते थे। ये किसी को नहीं पता था। अक्सर दोनों में झगड़ा होता था। पर कभी कोई कुछ बोलने नहीं जाता था। दोनों रोज रात में खाना खाने के बाद शराब पीते थे। अक्सर उसके घर में खाना रात में 8 बजे के बाद बनता था। चार महीने से आर्थिक स्थिति नहीं थी ठीक
सरिता से हमने माइक पर बात करनी चाही, तो वो असहज हो गई। बोली-साहब इसे अंदर रख लें। ऐसे जो पूछेंगे बता देंगे। इसके बाद सरिता ने बताया-चार महीने से काम नहीं था। सब परेशान थे। पर हम लोग इनके-उनके खेतों में काम करके गुजारा कर रहे हैं। टीटू को हमारी सास ने समझाया था, पर वो माना नहीं। मांग कर अपना और परिवार का गुजरा करता था। पैसों को लेकर अक्सर बवाल होता था। हम लोग मरें या जिएं किसी से कोई मतलब नहीं
सरिता ने बताया- शनिवार को टीटू और उसकी पत्नी पूजा अपने दोनों बच्चों के साथ घर निकली है। उस दौरान टीटू ने कहा था-हम लोग कहीं जाएं, खाएं या मरे किसी से कोई मतलब नहीं। उसके बाद कल रात में हमें यही खबर मिली की वो लोग ट्रेन से कट गए। सरिता ने कहा- जाते-जाते यही कहा था कि न मां-बाप और भाई-भौजाई से कोई मतलब नहीं है। टीटू का आधार कार्ड तक नहीं बना नेहिया गांव की प्रधान पूजा सिंह के पति और ग्राम प्रधान प्रतिनिधि संदीप सिंह ने बताया- गांव की वनवासी बस्ती में कुल 13 आवास पास हुए हैं। इसमें घायल टीटू के पिता मुन्नू और उसके बड़े भाई को आवास मिला है मिला है। टीटू का आधार कार्ड नहीं बना है। राशन कार्ड भी अलग से नहीं है। बल्कि अभी तक पिता के नाम राशन कार्ड में नाम है। कुटुंब रजिस्टर में उसका नाम है, लेकिन वो अपने परिवार से अलग रहता था। अब जानिए घर से घटनास्थल की दूरी और पुलिस की थ्योरी
रविवार को हावड़ा-काठगोदाम भाग एक्सप्रेस बाराबंकी में चल रहे काम की वजह से छपरा-बलिया-गाजीपुर-वाराणसी होते हुए लखनऊ की तरफ रवाना हुई थी। इस दौरान बिरापट्टी स्टेशन से 4 मीटर दूर चार लोगों के ट्रेन से कटने की सूचना के बाद हड़कंप मंच गया। वाराणसी जंक्शन से जयपुर जाने वाली मरुधर एक्सप्रेस ट्रेन जो बाघ एक्सप्रेस के पीछे आ रही थी। उसे रोक दिया गया। करीब डेढ़ घंटा बिरापट्टी स्टेशन के आगे आकर ट्रेन रुकी रही। यहां देर रात पहुंचे डीसीपी गोमती जोन ने बताया की घायल ने बताया है कि उसने टिकट लिया था ट्रेन में था वहां से गिरा था। जबकि मृतक महिला और बच्ची का शव रेलवे ट्रक पर मिला था। 10 किलोमीटर दूर है मृतक का घटनास्थल से गांव
बिरापट्टी स्टेशन से करीब 10 किलोमीटर दूर नेहिया गांव के टीटू और पूजा वहां क्या कर रहे थे। इसका जवाब टीटू ही सही होने पर दे पाएगा। इस समय टीटू और उसका बेटा शुभम ट्रॉमा सेंटर में एडमिट है। वहीं पत्नी पूजा और बेटी शिवानी की डेथ हो गई। दैनिक भास्कर नेहिया गांव से 10 किलोमीटर दूर बीरपट्टी स्टेशन पहुंचा और घटनास्थल को देखा। बच्ची से 20 स्लीपर दूर मिला मां का शव
बीरपट्टी स्टेशन से 400 मीटर दूर फोरेंसिक टीम ने स्पॉट चिह्नित किए थे। इसमें ट्रेन से टक्कर का स्पॉट, ब्लड का स्पॉट और कई जगह निशान पटरी पर लगाए गए थे। इन्ही में से एक जगह स्लीपर पर लिखा मिला लड़की का शव, वहां से तकरीबन 20 स्लीपर बाद लिखा था- महिला शव। ये वो स्पॉट थे जहां शव ट्रेन की पटरी के बीचों बीच थे। यहां से करीब 100 मीटर दूर तक महिला की साड़ी के टुकड़े पटरी में जगह-जगह फंसे हुए थे। पुलिस ने बताया वाराणसी से कहीं जाने के लिए ट्रेन में थे मौजूद
इंस्पेक्टर बड़ागांव ने बताया- रात में हमें सूचना मिली थी। जिस पर हम लोग मौके पर पहुंचे और आला अधिकारियों को सूचित किया गया था। ग्रामीणों ने घायलों को निजी चिकित्सालय में घायलों को भर्ती कराया था। इसमें टीटू ने बताया की हम लोग ट्रेन में थे, अचानक पूजा; बेटी को लेकर ट्रेन से कूद गई, जिसके पीछे मैं भी कूदा। इससे ज्यादा वो कुछ बता नहीं पा रहा है। फिलहाल पुलिस ने शव को देर शाम पोस्टमॉर्टम के लिए भेजवा दिया था। वहीं टीटू और शुभम का इलाज चल रहा है। शुभम की रीढ़ की हड्डी में चोट है और टीटू के पैर में चोट है। अब जानिए रविवार रात क्या हुआ था ?
वाराणसी में रविवार की देर शाम पति-पत्नी और उनके दो बच्चे बाघ एक्सप्रेस से कट गए। मां-बेटे की मौत हो गई। जबकि पिता और उसका बड़ा बेटा घायल है। हादसे के बाद पिता अपने घायल बेटे को सीने और पेट से चिपका कर कराहते दिखा। वह कभी घायल बेटे के सिर पर हाथ फेरता तो कभी उसकी पीठ सहला रहा था। घटना बड़ागांव के बीरापट्टी स्टेशन के पास की है। मौके पर पुलिस फोर्स ने घायलों को पहले दीनदयाल अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से उन्हें BHU ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया। यह हादसा है या परिवार आत्महत्या करने के लिए ट्रेन के सामने कूदा, इसकी पुष्टि नहीं हुई है। फिलहाल, पुलिस मामले की तफ्तीश में लगी हुई है। ………………………………….. यह खबर भी पढ़ें ऑक्सीजन सिलेंडर में ब्लास्ट, 6 लोगों का पूरा परिवार खत्म: पति-पत्नी, दो बेटे और बेटी की मौत; दो मंजिला मकान ढहा; रातभर चला रेस्क्यू बुलंदशहर में सोमवार रात 8 बजे एक मकान में ऑक्सीजन सिलेंडर फट गया। धमाका इतना तेज था कि पूरा मकान ध्वस्त हो गया। हादसे के बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई। धमाके की आवाज सुनकर लोग मदद के लिए दौड़कर पहुंचे। पढ़ें पूरी खबर… ‘टीटू और उसकी पत्नी पूजा दोनों बहुत परेशान थे। ईंट भट्टा बंद था। ऐसे में काम की जगह भीख मांगकर गुजारा कर रहे थे। अक्सर रात में दोनों में झगड़ा होता था। उसके बच्चे रोते तो हम लोग खाना दे देते थे। 19 तारीख की सुबह टीटू अपनी पत्नी और बच्चों के साथ घर से निकला था। लेकिन, वापस नहीं आया। रात 8 बजे हमें पता चला की वो ट्रेन से कट गए।’ ये बात टीटू के छोटे भाई रिंकू की पत्नी सरिता ने कही। बोलीं- साहब हम लोग को कुछ नहीं होगा न। वो ट्रेन के सामने कूद गए। उनके में रोज झगड़ा होता था। बुढ़वा-बुढ़िया (सास-ससुर) बहुत समझाते थे पर टीटू नहीं मानता था। वो दिन भर भीख मांगते। रात में घर आते खाना बनाते, आपस में लड़ते झगड़ते और रोज रात में शराब पीकर सो जाते थे। अक्सर उनके बच्चे भूख से तड़पते तो हम उन्हें खाना देते थे। रविवार की रात बिरापट्टी रेलवे स्टेशन से 400 मीटर दूर पति-पत्नी ने बच्चों के साथ रेलवे ट्रैक पर मिले। जहां पत्नी और मासूम बच्ची की मौत हो गई। वहीं, बेटा और पति घायल हो गया। जिन्हें पुलिस ने ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया। आखिर क्यों और कैसे? एक परिवार मौत को गले लगाने अपने घर से 12 किलोमीटर दूर रेलवे ट्रैक पर पहुंचा। इन सवालों का जवाब जानने दैनिक भास्कर वाराणसी से 35 किलोमीटर दूर नेहिया गांव की वनवासी बस्ती पहुंचा। घायल टीटू के परिजनों से बात की। सबसे पहले हमने टीटू, उसकी पत्नी और परिजनों के रिश्ते को खंगाला। साथ ही टीटू की मानसिक स्थिति पर बात की…. टीबी का मरीज था टीटू…परिजनों से नहीं था कोई मतलब
हम नेहिया गांव पहुंचे, तो यहां वनवासी बस्ती में टीटू के मकान के पास कुछ महिलाएं बैठीं थीं। इसमें एक टीटू के बड़े भाई और एक छोटे भाई की पत्नी थी। बड़े भाई की पत्नी सीमा ने बताया कि उन्हें किसी से कोई मतलब नहीं था। जब से शादी हुई है, तब से ही वो अपनी अलग मड़ई डालकर रह रहे थे। सास ने बताया था इनको टीबी थी। अपना खाना बनाते थे और खाते थे। सीमा ने बताया टीटू काफी मेहनती हैं पर 4 महीने से भट्ठा बंद होने से उनके पास कोई काम नहीं था, जिस वजह से वो लोग परेशान थे। मांगकर खाना खाने को मजबूर था टीटू का परिवार
टीटू के छोटे भाई की पत्नी सरिता ने बताया- वो दोनों ही ईंट भट्टे पर काम करते थे। मेला खत्म होने के बाद फिर से ईंट भट्टा पर काम शुरू होता। हम लोग धान के खेत में काम करते हैं और गुजरा कर रहे हैं। लेकिन, टीटू और उसकी पत्नी भीख मांगकर गुजरा करते थे। दोनों कब घर से निकलते थे और कब घर वापस आते थे। ये किसी को नहीं पता था। अक्सर दोनों में झगड़ा होता था। पर कभी कोई कुछ बोलने नहीं जाता था। दोनों रोज रात में खाना खाने के बाद शराब पीते थे। अक्सर उसके घर में खाना रात में 8 बजे के बाद बनता था। चार महीने से आर्थिक स्थिति नहीं थी ठीक
सरिता से हमने माइक पर बात करनी चाही, तो वो असहज हो गई। बोली-साहब इसे अंदर रख लें। ऐसे जो पूछेंगे बता देंगे। इसके बाद सरिता ने बताया-चार महीने से काम नहीं था। सब परेशान थे। पर हम लोग इनके-उनके खेतों में काम करके गुजारा कर रहे हैं। टीटू को हमारी सास ने समझाया था, पर वो माना नहीं। मांग कर अपना और परिवार का गुजरा करता था। पैसों को लेकर अक्सर बवाल होता था। हम लोग मरें या जिएं किसी से कोई मतलब नहीं
सरिता ने बताया- शनिवार को टीटू और उसकी पत्नी पूजा अपने दोनों बच्चों के साथ घर निकली है। उस दौरान टीटू ने कहा था-हम लोग कहीं जाएं, खाएं या मरे किसी से कोई मतलब नहीं। उसके बाद कल रात में हमें यही खबर मिली की वो लोग ट्रेन से कट गए। सरिता ने कहा- जाते-जाते यही कहा था कि न मां-बाप और भाई-भौजाई से कोई मतलब नहीं है। टीटू का आधार कार्ड तक नहीं बना नेहिया गांव की प्रधान पूजा सिंह के पति और ग्राम प्रधान प्रतिनिधि संदीप सिंह ने बताया- गांव की वनवासी बस्ती में कुल 13 आवास पास हुए हैं। इसमें घायल टीटू के पिता मुन्नू और उसके बड़े भाई को आवास मिला है मिला है। टीटू का आधार कार्ड नहीं बना है। राशन कार्ड भी अलग से नहीं है। बल्कि अभी तक पिता के नाम राशन कार्ड में नाम है। कुटुंब रजिस्टर में उसका नाम है, लेकिन वो अपने परिवार से अलग रहता था। अब जानिए घर से घटनास्थल की दूरी और पुलिस की थ्योरी
रविवार को हावड़ा-काठगोदाम भाग एक्सप्रेस बाराबंकी में चल रहे काम की वजह से छपरा-बलिया-गाजीपुर-वाराणसी होते हुए लखनऊ की तरफ रवाना हुई थी। इस दौरान बिरापट्टी स्टेशन से 4 मीटर दूर चार लोगों के ट्रेन से कटने की सूचना के बाद हड़कंप मंच गया। वाराणसी जंक्शन से जयपुर जाने वाली मरुधर एक्सप्रेस ट्रेन जो बाघ एक्सप्रेस के पीछे आ रही थी। उसे रोक दिया गया। करीब डेढ़ घंटा बिरापट्टी स्टेशन के आगे आकर ट्रेन रुकी रही। यहां देर रात पहुंचे डीसीपी गोमती जोन ने बताया की घायल ने बताया है कि उसने टिकट लिया था ट्रेन में था वहां से गिरा था। जबकि मृतक महिला और बच्ची का शव रेलवे ट्रक पर मिला था। 10 किलोमीटर दूर है मृतक का घटनास्थल से गांव
बिरापट्टी स्टेशन से करीब 10 किलोमीटर दूर नेहिया गांव के टीटू और पूजा वहां क्या कर रहे थे। इसका जवाब टीटू ही सही होने पर दे पाएगा। इस समय टीटू और उसका बेटा शुभम ट्रॉमा सेंटर में एडमिट है। वहीं पत्नी पूजा और बेटी शिवानी की डेथ हो गई। दैनिक भास्कर नेहिया गांव से 10 किलोमीटर दूर बीरपट्टी स्टेशन पहुंचा और घटनास्थल को देखा। बच्ची से 20 स्लीपर दूर मिला मां का शव
बीरपट्टी स्टेशन से 400 मीटर दूर फोरेंसिक टीम ने स्पॉट चिह्नित किए थे। इसमें ट्रेन से टक्कर का स्पॉट, ब्लड का स्पॉट और कई जगह निशान पटरी पर लगाए गए थे। इन्ही में से एक जगह स्लीपर पर लिखा मिला लड़की का शव, वहां से तकरीबन 20 स्लीपर बाद लिखा था- महिला शव। ये वो स्पॉट थे जहां शव ट्रेन की पटरी के बीचों बीच थे। यहां से करीब 100 मीटर दूर तक महिला की साड़ी के टुकड़े पटरी में जगह-जगह फंसे हुए थे। पुलिस ने बताया वाराणसी से कहीं जाने के लिए ट्रेन में थे मौजूद
इंस्पेक्टर बड़ागांव ने बताया- रात में हमें सूचना मिली थी। जिस पर हम लोग मौके पर पहुंचे और आला अधिकारियों को सूचित किया गया था। ग्रामीणों ने घायलों को निजी चिकित्सालय में घायलों को भर्ती कराया था। इसमें टीटू ने बताया की हम लोग ट्रेन में थे, अचानक पूजा; बेटी को लेकर ट्रेन से कूद गई, जिसके पीछे मैं भी कूदा। इससे ज्यादा वो कुछ बता नहीं पा रहा है। फिलहाल पुलिस ने शव को देर शाम पोस्टमॉर्टम के लिए भेजवा दिया था। वहीं टीटू और शुभम का इलाज चल रहा है। शुभम की रीढ़ की हड्डी में चोट है और टीटू के पैर में चोट है। अब जानिए रविवार रात क्या हुआ था ?
वाराणसी में रविवार की देर शाम पति-पत्नी और उनके दो बच्चे बाघ एक्सप्रेस से कट गए। मां-बेटे की मौत हो गई। जबकि पिता और उसका बड़ा बेटा घायल है। हादसे के बाद पिता अपने घायल बेटे को सीने और पेट से चिपका कर कराहते दिखा। वह कभी घायल बेटे के सिर पर हाथ फेरता तो कभी उसकी पीठ सहला रहा था। घटना बड़ागांव के बीरापट्टी स्टेशन के पास की है। मौके पर पुलिस फोर्स ने घायलों को पहले दीनदयाल अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से उन्हें BHU ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया। यह हादसा है या परिवार आत्महत्या करने के लिए ट्रेन के सामने कूदा, इसकी पुष्टि नहीं हुई है। फिलहाल, पुलिस मामले की तफ्तीश में लगी हुई है। ………………………………….. यह खबर भी पढ़ें ऑक्सीजन सिलेंडर में ब्लास्ट, 6 लोगों का पूरा परिवार खत्म: पति-पत्नी, दो बेटे और बेटी की मौत; दो मंजिला मकान ढहा; रातभर चला रेस्क्यू बुलंदशहर में सोमवार रात 8 बजे एक मकान में ऑक्सीजन सिलेंडर फट गया। धमाका इतना तेज था कि पूरा मकान ध्वस्त हो गया। हादसे के बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई। धमाके की आवाज सुनकर लोग मदद के लिए दौड़कर पहुंचे। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर