वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज कैंपस में मस्जिद के गेट पर ताला लगा दिया गया है। एक ताला मस्जिद की देख-रेख करने वाली कमेटी ने पहले लगाया था। बुधवार को गेट पर दूसरा ताला लगा मिला। इससे मुस्लिम पक्ष नाराज है। मामले की गंभीरता को देखते हुए मस्जिद के पूरब और दक्षिणी गेट पर पुलिस और पीएसी तैनात कर दी गई है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के पदाधिकारियों ने कमिश्नर मोहित अग्रवाल से मुलाकात की। लेटर भी दिया है। इसमें कहा कि मस्जिद पर लगे ताले को हटाया जाए। मुस्लिमों को नमाज पढ़नी है। हमें सुरक्षा भी दी जाए। फिलहाल, मस्जिद पर ताला किसने लगाया, इस पर न तो कॉलेज प्रशासन साफ बोल रहा है। न ही प्रशासन। कॉलेज के प्राचार्य डीके सिंह ने बताया कि मुझे इस बारे में कुछ पता नहीं। ऐसा लग रहा है कि दूसरा ताला पुलिस ने लगवाया है। विस्तार से जानिए पूरा मामला… छात्रों ने किया था प्रदर्शन, पुलिस जीप पर चढ़ गए थे
कॉलेज में मस्जिद और मजार के विवाद को लेकर छात्रों ने 6 दिसंबर को प्रदर्शन किया था। इसमें कई पूर्व छात्र जो अधिवक्ता हैं, शामिल हुए थे। इन लोगों ने कॉलेज परिसर में जबरन घुसने की कोशिश की, जिससे शांतिपूर्ण प्रदर्शन उग्र हो गया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को पकड़कर जीप में डाला, तो छात्र गुस्सा गए। जीप को घेर लिया। कुछ लोग जीप पर चढ़ गए। नारेबाजी करने लगे। यहां से मामला बिगड़ गया। पुलिस जीप पर चढ़कर हंगामा करने की तस्वीरों के वायरल होने पर कुछ लोगों ने इसे X पर पीएम और पीएमओ के साथ ही CM योगी को टैग कर दिया। पुलिस ने मामले में यूपी कॉलेज के प्रबंध समिति अध्यक्ष डीपी सिंह की कार को घेरकर उन्हें बंधक बनाने, हंगामा करने के मामले में एक छात्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। ACP बोले- हमें जानकारी नहीं
ACP कैंट विदुष सक्सेना ने बताया- हो सकता है कि दूसरा ताला कॉलेज की तरफ से लगाया गया हो। इसके बारे में हमें जानकारी नहीं है। उधर, पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण पीएमओ भी पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है। स्टेट की इंटेलिजेंस की एक टीम वाराणसी आई थी। टीम ने कॉलेज प्रबंधन, पुलिस और जिला प्रशासन से मस्जिद और मजार को लेकर वार्ता की। दस्तावेज देखने के बाद अपनी एक रिपोर्ट तैयार की और उसे पीएमओ को भेजी। अब जानिए कैसे शुरू हुआ विवाद?
25 नवंबर को सीएम योगी यूपी कालेज के 115वें संस्थापन समारोह में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि यूपी कॉलेज को यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाएंगे। उनके जाने के बाद सुन्नी सेंट्रल बोर्ड की यूपी कालेज की संपत्ति को लेकर 2018 में जारी नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल हुई। 29 नवंबर को 500 से अधिक नमाजी यूपी कॉलेज पहुंचे। मस्जिद में नमाज अदा की। इससे पहले वहां 5-10 लोग ही नमाज अदा करने आते थे। कॉलेज कैंपस में धर्म विशेष से जुड़े लोगों की भारी संख्या में मौजूदगी को लेकर कालेज एडमिनिस्ट्रेशन ने पुलिस प्रशासन से गहरी आपत्ति जताते हुए माहौल बिगड़ने की आशंका जताई। 3 दिसंबर को कालेज के छात्रों ने मस्जिद से 50 मीटर दूर हनुमान चालीसा का पाठ करके पुलिस प्रशासन को चेतावनी दी थी कि मुस्लिम पक्ष नमाज अदा करने आएगा, तो वह भी हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। विरोध-प्रदर्शन के बीच पुलिस ने परिसर में होने वाली नमाज को सुरक्षा और परीक्षा का हवाला देते हुए बंद करवा दिया था। 3 दिसंबर से ही कैंपस के अंदर नमाजी नमाज अदा करने नहीं जा रहे हैं। 4 दिसंबर को लिखा था पत्र मस्जिद, मस्जिद और मजार विवाद के कारण कॉलेज में चप्पे-चप्पे पर फोर्स तैनात कर दी गई। 4 दिसंबर को कॉलेज को एक और पत्र वक्फ बोर्ड का मिला। जिसमें कहा गया कि 2018 के दावे से संबंधित नोटिस को 2021 में ही खारिज कर दिया गया है। मस्जिद को कॉलेज परिसर से हटाने, नमाज अदा नहीं किए जाने की मांग को लेकर 6 दिसंबर को छात्रों ने कॉलेज परिसर के बाहर प्रदर्शन किया। जुलूस निकाला और नारेबाजी की। उसी शाम दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी आए सीएम योगी ने भी बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिया था कि कॉलेज परिसर में कोई नई परंपरा कायम नहीं होनी चाहिए। ———————————– यह खबर भी पढ़िए… AI इंजीनियर की खुदकुशी, पत्नी-सास समेत 4 पर FIR:1.20 घंटे के वीडियो में आपबीती, कहा- आरोपी छूटें तो अस्थियां गटर में बहा देना बेंगलुरु में AI इंजीनियर अतुल सुभाष की खुदकुशी मामले में चार लोगों पर FIR दर्ज की गई है। FIR में अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साले अनुराग सिंघानिया और चाचा ससुर सुशील सिंघानिया का नाम है। अतुल के भाई बिकास कुमार ने बेंगलुरु के मराठाहल्ली पुलिस स्टेशन में शिकायत की थी। इसी के आधार पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना), धारा 3(5) (जब दो या ज्यादा लोग शामिल हों तो सामूहिक जिम्मेदारी बनती है) का केस दर्ज किया है। पढ़ें पूरी खबर… वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज कैंपस में मस्जिद के गेट पर ताला लगा दिया गया है। एक ताला मस्जिद की देख-रेख करने वाली कमेटी ने पहले लगाया था। बुधवार को गेट पर दूसरा ताला लगा मिला। इससे मुस्लिम पक्ष नाराज है। मामले की गंभीरता को देखते हुए मस्जिद के पूरब और दक्षिणी गेट पर पुलिस और पीएसी तैनात कर दी गई है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के पदाधिकारियों ने कमिश्नर मोहित अग्रवाल से मुलाकात की। लेटर भी दिया है। इसमें कहा कि मस्जिद पर लगे ताले को हटाया जाए। मुस्लिमों को नमाज पढ़नी है। हमें सुरक्षा भी दी जाए। फिलहाल, मस्जिद पर ताला किसने लगाया, इस पर न तो कॉलेज प्रशासन साफ बोल रहा है। न ही प्रशासन। कॉलेज के प्राचार्य डीके सिंह ने बताया कि मुझे इस बारे में कुछ पता नहीं। ऐसा लग रहा है कि दूसरा ताला पुलिस ने लगवाया है। विस्तार से जानिए पूरा मामला… छात्रों ने किया था प्रदर्शन, पुलिस जीप पर चढ़ गए थे
कॉलेज में मस्जिद और मजार के विवाद को लेकर छात्रों ने 6 दिसंबर को प्रदर्शन किया था। इसमें कई पूर्व छात्र जो अधिवक्ता हैं, शामिल हुए थे। इन लोगों ने कॉलेज परिसर में जबरन घुसने की कोशिश की, जिससे शांतिपूर्ण प्रदर्शन उग्र हो गया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को पकड़कर जीप में डाला, तो छात्र गुस्सा गए। जीप को घेर लिया। कुछ लोग जीप पर चढ़ गए। नारेबाजी करने लगे। यहां से मामला बिगड़ गया। पुलिस जीप पर चढ़कर हंगामा करने की तस्वीरों के वायरल होने पर कुछ लोगों ने इसे X पर पीएम और पीएमओ के साथ ही CM योगी को टैग कर दिया। पुलिस ने मामले में यूपी कॉलेज के प्रबंध समिति अध्यक्ष डीपी सिंह की कार को घेरकर उन्हें बंधक बनाने, हंगामा करने के मामले में एक छात्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। ACP बोले- हमें जानकारी नहीं
ACP कैंट विदुष सक्सेना ने बताया- हो सकता है कि दूसरा ताला कॉलेज की तरफ से लगाया गया हो। इसके बारे में हमें जानकारी नहीं है। उधर, पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण पीएमओ भी पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है। स्टेट की इंटेलिजेंस की एक टीम वाराणसी आई थी। टीम ने कॉलेज प्रबंधन, पुलिस और जिला प्रशासन से मस्जिद और मजार को लेकर वार्ता की। दस्तावेज देखने के बाद अपनी एक रिपोर्ट तैयार की और उसे पीएमओ को भेजी। अब जानिए कैसे शुरू हुआ विवाद?
25 नवंबर को सीएम योगी यूपी कालेज के 115वें संस्थापन समारोह में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि यूपी कॉलेज को यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाएंगे। उनके जाने के बाद सुन्नी सेंट्रल बोर्ड की यूपी कालेज की संपत्ति को लेकर 2018 में जारी नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल हुई। 29 नवंबर को 500 से अधिक नमाजी यूपी कॉलेज पहुंचे। मस्जिद में नमाज अदा की। इससे पहले वहां 5-10 लोग ही नमाज अदा करने आते थे। कॉलेज कैंपस में धर्म विशेष से जुड़े लोगों की भारी संख्या में मौजूदगी को लेकर कालेज एडमिनिस्ट्रेशन ने पुलिस प्रशासन से गहरी आपत्ति जताते हुए माहौल बिगड़ने की आशंका जताई। 3 दिसंबर को कालेज के छात्रों ने मस्जिद से 50 मीटर दूर हनुमान चालीसा का पाठ करके पुलिस प्रशासन को चेतावनी दी थी कि मुस्लिम पक्ष नमाज अदा करने आएगा, तो वह भी हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। विरोध-प्रदर्शन के बीच पुलिस ने परिसर में होने वाली नमाज को सुरक्षा और परीक्षा का हवाला देते हुए बंद करवा दिया था। 3 दिसंबर से ही कैंपस के अंदर नमाजी नमाज अदा करने नहीं जा रहे हैं। 4 दिसंबर को लिखा था पत्र मस्जिद, मस्जिद और मजार विवाद के कारण कॉलेज में चप्पे-चप्पे पर फोर्स तैनात कर दी गई। 4 दिसंबर को कॉलेज को एक और पत्र वक्फ बोर्ड का मिला। जिसमें कहा गया कि 2018 के दावे से संबंधित नोटिस को 2021 में ही खारिज कर दिया गया है। मस्जिद को कॉलेज परिसर से हटाने, नमाज अदा नहीं किए जाने की मांग को लेकर 6 दिसंबर को छात्रों ने कॉलेज परिसर के बाहर प्रदर्शन किया। जुलूस निकाला और नारेबाजी की। उसी शाम दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी आए सीएम योगी ने भी बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिया था कि कॉलेज परिसर में कोई नई परंपरा कायम नहीं होनी चाहिए। ———————————– यह खबर भी पढ़िए… AI इंजीनियर की खुदकुशी, पत्नी-सास समेत 4 पर FIR:1.20 घंटे के वीडियो में आपबीती, कहा- आरोपी छूटें तो अस्थियां गटर में बहा देना बेंगलुरु में AI इंजीनियर अतुल सुभाष की खुदकुशी मामले में चार लोगों पर FIR दर्ज की गई है। FIR में अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साले अनुराग सिंघानिया और चाचा ससुर सुशील सिंघानिया का नाम है। अतुल के भाई बिकास कुमार ने बेंगलुरु के मराठाहल्ली पुलिस स्टेशन में शिकायत की थी। इसी के आधार पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना), धारा 3(5) (जब दो या ज्यादा लोग शामिल हों तो सामूहिक जिम्मेदारी बनती है) का केस दर्ज किया है। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर