शिमला जिले के रोहडू क्षेत्र में बागवान को अपना बगीचा ठेके पर देना महंगा पड़ गया है। ठेकेदार बगीचे की फसल को बेचकर बागवान को पैसे दिए बगैर ही फरार हो गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। थाना रोहड़ू में दी शिकायत में छत्तर सिंह ठाकुर ने बताया है कि गौरव कुमार नामक व्यक्ति को सेब का बगीचा 11 लाख रुपए में ठेके दिया। आरोपी ने फसल बेचने के बाद पूरी रकम देने का वादा किया। 100 पेटियां सीजन खत्म होने के बाद उन्हें देने की बात कही। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया है। 6,6 लाख में बेच दिए बगीचे के दो स्लॉट बागवान का आरोप है कि ठेकेदार ने बगीचे से लगभग 6,6 लाख के दो स्लॉट बेच दिए हैं। लेकिन बावजूद उसके उन्हें उसने एक भी रुपया नहीं दिया है और उनकी सेब पेटियां बिना वापस किए भाग गया है। शिमला जिले के रोहडू क्षेत्र में बागवान को अपना बगीचा ठेके पर देना महंगा पड़ गया है। ठेकेदार बगीचे की फसल को बेचकर बागवान को पैसे दिए बगैर ही फरार हो गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। थाना रोहड़ू में दी शिकायत में छत्तर सिंह ठाकुर ने बताया है कि गौरव कुमार नामक व्यक्ति को सेब का बगीचा 11 लाख रुपए में ठेके दिया। आरोपी ने फसल बेचने के बाद पूरी रकम देने का वादा किया। 100 पेटियां सीजन खत्म होने के बाद उन्हें देने की बात कही। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया है। 6,6 लाख में बेच दिए बगीचे के दो स्लॉट बागवान का आरोप है कि ठेकेदार ने बगीचे से लगभग 6,6 लाख के दो स्लॉट बेच दिए हैं। लेकिन बावजूद उसके उन्हें उसने एक भी रुपया नहीं दिया है और उनकी सेब पेटियां बिना वापस किए भाग गया है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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सेवानिवृत्त BSF को निधन के बाद किया गया सम्मानित:किन्नौर में डीआईजी BSF के पद पर थे तैनात, माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाला सबसे उम्रदराज भारतीय भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन (IMF) ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) के सेवानिवृत्त उप महानिरीक्षक (DIG) स्वर्गीय शरब चंदूब नेगी को उनके असाधारण प्रदर्शन के लिए मरणोपरांत प्रतिष्ठित नैन सिंह-किशन सिंह लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया है। 8 मार्च 1950 को हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में जन्मे नेगी की पर्वतारोहण में विरासत अद्वितीय है। 56 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट पर चढ़े एक पर्वतारोही के रूप मे उनका अभियान उन्हें दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों तक ले गया। विशेष रूप से 2006 में बीएसएफ अभियान के हिस्से के रूप में माउंट एवरेस्ट पर उन्होंने चढ़ाई की, एक ऐसी उपलब्धि जिसने उनका नाम पर्वतारोहण इतिहास के पन्नों में दर्ज करा दिया। 56 साल की उम्र में, नेगी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले सबसे उम्र दराज भारतीय बन गए। 2010 में हुए थे सेवानिवृत्त नेगी के अन्य उल्लेखनीय अभियानों में 1996 में माउंट सासेर कांगड़ी-IV, 2005 में माउंट सतोपंथ और माउंट चंद्र भागा श्रृंखला (1994) शामिल हैं। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के नेसंग गांव से ताल्लुक रखने वाले नेगी ने 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान बीएसएफ बटालियन की कमान भी संभाली थी। 33 साल की सेवा के बाद वह 2010 में सेवानिवृत्त हुए। 2012 से 2020 तक हिमाचल प्रदेश एवरेस्टर एसोसिएशन (HPE) के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहने वाले नेगी ने क्षेत्र में पर्वतारोहण और साहसिक खेलों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 3 पर्वतरोहियों को बचाने में निभाई थी भूमिका नेगी 2012 और 2020 के बीच, उन्होंने हिपा, शिमला के सहयोग से किन्नौर के युवाओं के लिए आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण और पर्वतीय बचाव, प्राथमिक चिकित्सा और अग्निशमन प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने सहित कई पहलों का समन्वय किया। 2006 में, नेगी ने एक और दुर्लभ उपलब्धि हासिल की, जब BSF एवरेस्ट अभियान के दौरान, उन्होंने 23,520 फीट की ऊंचाई से 3 पर्वत रोहियों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शरब चंदूब की 29 सितंबर, 2020 को किन्नौर जिले में मौत हो गई, जब वे स्वेच्छा से चीन सीमा के लिए एक छोटा रास्ता खोजने के लिए एक टोही मिशन का नेतृत्व कर रहे थे। शरब चंदूब नेगी के निधन से पर्वतारोहण समुदाय में एक खालीपन आ गया, लेकिन उनकी विरासत साहसी लोगों की नई पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
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अंबेडकर की पुण्यतिथि पर नहीं पहुंचे हिमाचल के राज्यपाल:नगर निगम के निमंत्रण पत्र पर जताई नाराजगी, कांग्रेस पर कसा तंज देश आज संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की 68 वीं पुण्यतिथि मना रहा है। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में भी नगर निगम की तरफ से चौड़ा मैदान में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। नगर निगम ने इस कार्यक्रम के लिए राज्यपाल व सरकार को निमंत्रण भेजा। नगर निगम द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सीएम सुक्खू शामिल हुए । लेकिन राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने प्रदेश के प्रथम नागरिक को सामान्य निमंत्रण दिए जाने पर नाराजगी जाहिर की है। राज्यपाल ने इस दौरान कांग्रेस व विपक्ष के संसद में संविधान की प्रति लहराने पर तंज कसते हुए कहा कि आज संविधान दिवस तो मना रहे हैं लेकिन कुछ लोग बिना वजह के संविधान को हवा में लहराते रहते हैं उनका क्या? राजभवन में ही दी श्रद्धांजलि
राज्यपाल ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि मेयर या किसी अन्य अधिकारी ने उनसे संपर्क नहीं किया। पिछली बार जयंती पर मैं वहां अपने आप गया, इस बार भी जाना था लेकिन उन्हें सामान्य कार्ड भेजा गया तो ऐसे में कैसे जाता। ऐसी स्थिति उन्होंने डॉ. भीम राव अंबेडकर को राजभवन में ही श्रद्धांजलि दी है। राज्यपाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने डॉ. भीम राव अंबेडकर से जुड़े स्थानों को पंच तीर्थ बनाकर खरीदा है, मैं उसी भारत सरकार का प्रतिनिधि हूं। राज्यपाल बोले- राजभवन में नहीं कोई बिल पेंडिंग
वहीं राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि राजभवन में सरकार का कोई बिल पेंडिग नहीं हैं। राज्यपाल ने कहा है कि सरकार को यदि ऐसा लगता है कि बिल कोई राजभवन में पेंडिंग है तो उसे वह स्पष्ट करें। उन्होंने आगे कहा कि जो बिल आए थे उन्हें उन्होंने क्वेरी के साथ भेजा है, जबकि विश्वविद्यालय से जुड़े बिल के संदर्भ में मेरा दायित्व है। क्योंकि राज्यपाल विश्वविद्यालय के कुलाधिपति होते हैं ऐसे में सरकार वहां कुछ जबर्दस्ती कार्य कर रही है, उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। राज्यपाल ने कहा कि सरकार विश्वविद्यालयों को वेतन के अलावा कुछ नहीं देती है। ऐसे में विश्वविद्यालय कैसे खर्चा चला पाता है। राज्यपाल और सरकार में पहले भी कई बार हो चुका है टकराव
बता दें कि राज्यपाल और सरकार के बीच पहले भी कई बार टकराव हो चुका है। हाल ही में चीन का भारत की सीमाओं पर अतिक्रमण को लेकर राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल ने तीखी टिप्पणी की थी। कैबिनेट मंत्री जगत सिंह नेगी ने चीन द्वारा भारत की सीमाओं में अतिक्रमण करने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि ऐसा करने का साहस किसी में नहीं है। राज्यपाल ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि मंत्री को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है यह काम भारत सरकार का है, राज्य सरकार का नहीं। भारत सरकार स्वयं सीमाओं को देखने का काम कर रही है। अगर राज्य सरकार के पास ऐसी सूचना है तो केंद्र सरकार को बताना चाहिए।