<p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra Shiv Sena UBT Candidates List 2024:</strong> <a title=”महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव” href=”https://www.abplive.com/topic/maharashtra-assembly-election-2024″ data-type=”interlinkingkeywords”>महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव</a> के लिए शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट ने उम्मीदवारों की एक और सूची जारी कर दी है. इसमें पार्टी ने तीन प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया है. इस लिस्ट में शिवसेना यूबीटी ने वर्सोवा से हरून खान, घाटकोपर पश्चिम से संजय भालेराव और विले पार्ले से संदिप नाईक को टिकट दिया है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra Shiv Sena UBT Candidates List 2024:</strong> <a title=”महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव” href=”https://www.abplive.com/topic/maharashtra-assembly-election-2024″ data-type=”interlinkingkeywords”>महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव</a> के लिए शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट ने उम्मीदवारों की एक और सूची जारी कर दी है. इसमें पार्टी ने तीन प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया है. इस लिस्ट में शिवसेना यूबीटी ने वर्सोवा से हरून खान, घाटकोपर पश्चिम से संजय भालेराव और विले पार्ले से संदिप नाईक को टिकट दिया है.</p> महाराष्ट्र बस्ती: गरीब महिला के घर पर चला बुलडोजर, सपा नेता बोले- ‘प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा’
Related Posts
Amardeep became councillor in Solan Municipal Corporation, Neerja in Sujanpur Nagar Palika, Geeta in Nerchowk
Neerja Thakur from Municipal Council (NP) Sujanpur and Geeta Devi from Municipal Council Nerchowk became councillors. 51.08% voting took place…
जनजाति समाज में सिकल सेल रोग पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जताई चिंता, स्वास्थ्यकर्मियों के लिए कही ये बात
जनजाति समाज में सिकल सेल रोग पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जताई चिंता, स्वास्थ्यकर्मियों के लिए कही ये बात <p style=”text-align: justify;”><strong>Chhattisgarh News:</strong> राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में विकसित छत्तीसगढ़ का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होगा. उन्होंने कहा कि समग्र विकास के लिए नागरिकों का अच्छा स्वास्थ्य महत्वपूर्ण होता है. आज राष्ट्रपति पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति स्वास्थ्य विज्ञान एवं आयुष विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं. उन्होंने 25 विद्यार्थियों को 33 स्वर्ण पदक और 6 विद्यार्थियों को सुपर स्पेशलिस्ट की उपाधि प्रदान की.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राष्ट्रपति ने कहा कि अच्छा स्वास्थ्य लोगों की उत्पादकता और रचनात्मकता को बढ़ाने में सहायक होता है. उन्होंने जनजाति समाज में सिकल सेल एनीमिया की समस्या पर चिंता जताई. राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन के लिए प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कर्मी अग्रिम पंक्ति में होते हैं. आप सामान्य लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जागरूक बना सकते हैं. आम नागरिकों को सरकार के प्रयासों से अवगत करा सकते हैं. आप नीति निर्माता और सम्माननीय जनता के बीच सेतु का कार्य कर सकते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गांव में स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाना चुनौती- राष्ट्रपति</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जाने से देश की बहुत बड़ी जनसंख्या की वास्तविक समस्याओं से अवगत हो पाएंगे. मैं चाहती हूं कि सभी विद्यार्थियों को समय-समय पर गांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ करना चाहिए. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि छत्तीसगढ़ की अधिकांश जनता गांव में रहती हैं. उन लोगों तक उचित स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाना चुनौती पूर्ण कार्य है. इस संदर्भ में पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति स्वास्थ्य विज्ञान एवं आयुष विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका है. राज्य में चिकित्सा शिक्षण, प्रशिक्षण और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है. स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान इस विश्वविद्यालय के प्रमुख लक्ष्यों में से एक है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राष्ट्रपति मुर्मू ने ये भी कहा कि खुशी की बात है कि विश्वविद्यालय और इससे संबद्ध कॉलेजों में आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ आयुष की शिक्षा भी दी जाती है. बहुत सारे कॉलेजों में नर्सिंग के कोर्स कराए जा रहे हैं. इस प्रकार यह विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य कर्मियों की उपलब्धता बढ़ाने और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. अभी भी मलेरिया, फाइलेरिया और टीबी जैसे संक्रामक बीमारियों का पूरी तरह से उन्मूलन नहीं हुआ है. भारत सरकार इन रोगों को समाप्त करने के लिए आगे बढ़ी है. उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह आपके जीवन में मील का पत्थर है. यह सफलता आपकी प्रतिभा, लगन और परिश्रम के साथ-साथ आपके माता-पिता, परिवारजनों, शिक्षक के सहयोग और मार्गदर्शन का महत्वपूर्ण योगदान है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि भविष्य की रूपरेखा बनाते समय ध्यान रखना है कि आपकी इस शिक्षा में समाज का भी योगदान है. समाज ने आपकी शिक्षा में जो निवेश किया है वह समाज को लौटाना आपका कर्तव्य है. द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आपमें स्थानीय समस्याओं की बेहतर समझ है. आप राज्य के स्वास्थ्य समस्याओं पर रिसर्च करें और समाधान खोजने का प्रयास करें. राष्ट्रपति ने महान राष्ट्रवादी विचारों एवं भारतीय राजनीति की सम्मानित विभूतियों में से एक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर स्थापित विश्वविद्यालय में आकर खुशी जताई. उन्होंने कहा कि बताते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि उपाधि प्राप्त करने वाले अधिकांश हमारी बेटियां हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह प्रदर्शन बेटियों के वर्चस्व को रेखांकित करता है. राष्ट्रपति ने कहा कि दो दिनों के छत्तीसगढ़ प्रवास में मुझे दो इंजीनियरिंग और दो मेडिकल संस्थानों के विद्यार्थियों को संबोधित करने का अवसर मिला. इस दौरान मैंने विद्यार्थियों और शोधार्थियों में ललक को महसूस की. ऐसे युवाओं में मेरी भारत की झलक दिखती है और नया भारत मजबूती के साथ विश्व में अपना उचित स्थान पाने के लिए आगे बढ़ रहा है. राज्यपाल रमेन डेका ने विद्यार्थियों और अभिभावकों को बधाई देते हुए कहा कि यह दिन अथक प्रयासों, त्याग और समर्पण का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि यह न केवल विद्यार्थियों के लिए शैक्षणिक उपलब्धि है बल्कि मानव सेवा के मार्ग पर एक उत्कृष्ट शुरुआत है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>चिकित्सक बनने की यात्रा कठिन- राज्यपाल</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्यपाल डेका ने कहा कि चिकित्सक बनने की यात्रा कठिन है, जिसमें छात्र देर रात तक पढ़ाई, क्लिनिकल प्रशिक्षण और लैब के अनगिनत घंटे बिताते हैं. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के लिए चिकित्सा का क्षेत्र केवल ज्ञान और कौशल नहीं, बल्कि ईमानदारी, सहानुभूति और दूसरों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता से परिभाषित होता है. उन्होंने कहा कि चिकित्सा का क्षेत्र लगातार विकासशील है, जिसमें नए-नए रोग, स्वास्थ्य असमानताएं और तकनीकी परिवर्तन जैसे कई चुनौतियां शामिल हैं. राज्यपाल ने विद्यार्थियों से कहा कि चुनौतियां चिकित्सा के क्षेत्र में नवाचार और सुधार का अवसर प्रदान करती हैं. उन्होंने कहा कि चिकित्सक के रूप में ऐसे क्षणों का सामना करना पड़ेगा जब मरीज उनके अथक प्रयासों के बावजूद ठीक नहीं हो पाएंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>परंतु इस दौरान भी उनका करुणामय दृष्टिकोण सबसे महत्वपूर्ण होगा. उन्होंने कहा कि चिकित्सा के इस पेशे में सफलता के साथ विनम्रता बनाए रखना आवश्यक है और मानवता की सेवा के प्रति सच्ची निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी दीक्षांत समारोह को संबोधित किया. उन्होंने 33 मेधावी छात्रों को स्वर्ण पदक और 6 छात्रों को सुपर स्पेशलिटी की उपाधि मिलने पर बधाई दी. कहा कि चिकित्सा का क्षेत्र मानवता की सेवा का प्रतीक है. सभी स्नातक छात्रों को समाज और देश के प्रति जिम्मेदारी सेवा भाव से निभाने की सलाह दी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में भी शिक्षा-CM </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्यमंत्री ने आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी जैसे पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की बढ़ती लोकप्रियता का भी जिक्र किया. खुशी जताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय इन पद्धतियों में भी शिक्षा प्रदान कर रहा है. मुख्यमंत्री साय ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के संदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि इस विश्वविद्यालय का नामकरण उनके सिद्धांतों और समाज के हर तबके तक सेवा पहुंचाने की प्रेरणा देता है. उन्होंने महामारी, विज्ञान रोग नियंत्रण एवं अनुसंधान संस्थान और शिक्षकों के प्रशिक्षण संस्थान को देश के चिकित्सा क्षेत्र में मील का पत्थर बताया. पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति स्वास्थ्य विज्ञान एवं आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रदीप कुमार पात्रा ने संस्थान का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. कुलपति ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह और शाल भेंट किया. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें-</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”NIT रायपुर के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, होनहार छात्रों को किया सम्मानित” href=”https://www.abplive.com/states/chhattisgarh/president-draupadi-murmu-attend-nit-raipur-convocation-ceremony-chhattisgarh-2811440″ target=”_self”>NIT रायपुर के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, होनहार छात्रों को किया सम्मानित</a></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”> </p>
लुधियाना पहुंचेंगे अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह:सिख जत्थेबंदियों के साथ करेंगे बैठक, SGPC चुनाव को लेकर होगी चर्चा
लुधियाना पहुंचेंगे अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह:सिख जत्थेबंदियों के साथ करेंगे बैठक, SGPC चुनाव को लेकर होगी चर्चा खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह आज लुधियाना में जालंधर बाईपास के नजदीक पहुंच रहे हैं। वे एक निजी पैलेस में सिख जत्थेबंदियों के साथ बैठक करेंगे। जेल से चुनाव जीतने के बाद अमृतपाल की नजर अब SGPC में एंट्री करने पर है। जानकारी के मुताबिक शहर में आज होने वाली बैठक SGPC चुनाव को लेकर होगी। तरसेम सिंह ने चुनाव की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। SGPC चुनाव 2011 से लंबित हैं। इस बार 2024 में SGPC का बजट 1 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा रखा गया है। इससे पहले अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने पंजाब सरकार पर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पंजाब के मंत्री हार से बौखला गए हैं। इसलिए अमृतपाल के समर्थकों को झूठे मामलों में फंसा रहे हैं। SGPC कमेटी क्या है? एसजीपीसी (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) भारत में सिखों का एक संगठन है जो गुरुद्वारों के रख-रखाव के लिए जिम्मेदार है। इसका अधिकार क्षेत्र देश के कई राज्यों तक फैला हुआ है। SGPC के चुनावों में 18 वर्ष से अधिक आयु के सिख पुरुष और महिलाएं मतदाता होते हैं जो सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 के प्रावधानों के तहत मतदाता के रूप में पंजीकृत होते हैं। SGPC का संचालन एसजीपीसी के अध्यक्ष द्वारा किया जाता है। एसजीपीसी गुरुद्वारों की सुरक्षा, वित्त, सुविधा रखरखाव और धार्मिक पहलुओं का प्रबंधन करती है और सिख गुरुओं के हथियार, कपड़े, किताबें और लेखन सहित पुरातात्विक रूप से दुर्लभ और पवित्र कलाकृतियों को भी संभालती है। SGPC का गठन 16 नवंबर 1920 को हुआ था 15 नवंबर 1920 को अमृतसर में श्री अकाल तख्त साहिब के पास सभी विचारधाराओं के सिखों की एक आम बैठक बुलाई गई थी। सिखों ने अपनी तय बैठक की और 16 नवंबर को 175 सदस्यों की एक बड़ी समिति का चुनाव किया और इसे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ( SGPC) का नाम दिया। इस कमेटी की जरूरत क्यों पड़ी? इस कमेटी के गठन का उद्देश्य गुरुद्वारों की व्यवस्था में सुधार लाना था। बहुत कम लोग जानते हैं कि एसजीपीसी ने जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ भी लंबी लड़ाई लड़ी है। आजादी से पहले जाति व्यवस्था अपने चरम पर थी और गुरुद्वारों में भी दलितों के साथ भेदभाव होता था। एसजीपीसी की पहली बैठक 12 दिसंबर 1920 को अकाल तख्त पर हुई थी। जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ एसजीपीसी एसजीपीसी के गठन के 2 साल बाद 14 मार्च 1927 को जनरल हाउस में एक बड़ा प्रस्ताव पारित करके दलितों और अन्य सिखों के बीच की खाई को कम करने की कोशिश की गई थी। इस प्रस्ताव के तहत सिख धर्म अपनाने वाले दलित समुदाय के लोगों को भी बराबरी का दर्जा दिया जाएगा। अगर कोई सिख के साथ जाति के आधार पर भेदभाव करता है तो पूरा सिख समुदाय उसके लिए लड़ेगा। इसके अलावा साल 1953 में गुरुद्वारा एक्ट में संशोधन किया गया और एसजीपीसी की 20 सीटें दलित सिखों के लिए आरक्षित कर दी गईं। अभी तक एसजीपीसी के ज्यादातर सदस्य वो हैं जो राजनीति में सक्रिय हैं और अकाली दल से जुड़े हैं। बीबी जागीर कौर SGPC की पहली महिला अध्यक्ष बनीं
इस कमेटी के लिए केवल निर्वाचित सदस्य ही वोट कर सकते हैं। वर्ष 1999 में पहली बार किसी महिला को एसजीपीसी का अध्यक्ष चुना गया था। कमेटी की पहली महिला अध्यक्ष का नाम बीबी जागीर कौर था। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का इतिहास गौरवशाली और बलिदानों से भरा रहा है। इन 100 सालों में एसजीपीसी ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं।