मैंने शुभम से कहा था शादी कर लो, मैं मरने से पहले बहू का मुंह तो देख लूं। मुझे क्या पता था कि वो खुद हमें छोड़कर चला जाएगा। मैं उसके कमरे की तरफ जाती हूं, तो यकीन नहीं होता कि वो अब नहीं है। ये कहते हुए कानपुर में शुभम की 85 साल की दादी विमला द्विवेदी परेशान हो जाती हैं। उनके पोते की कश्मीर आतंकी हमले में जान चल गई। रात में शुभम की बॉडी कानपुर के पैतृक आवास पर पहुंची है। यहां पूरे राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया जाएगा। शुभम द्विवेदी (31) की 2 महीने पहले एशान्या से शादी हुई थी। 17 अप्रैल को एशान्या और परिवार के 11 सदस्यों के साथ शुभम कश्मीर घूमने गए थे। उन्हें 23 अप्रैल को घर लौटना था। मगर पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल दोपहर 2:45 बजे आतंकियों ने हमला कर दिया, जिसमें आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी। अब शुभम के घर पर कैसा माहौल है? गमगीन परिवार का दर्द बांटने के लिए दैनिक भास्कर की टीम कानपुर में शुभम के पैतृक गांव हाथीपुर पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… घर पर दादी पोते की तस्वीर देखती मिलीं
हम कानपुर से महराजपुर इलाके के हाथीपुर गांव पहुंचे। दुकानदार से पूछा कि यहां शुभम का घर कहां हैं? जिनकी जम्मू आतंकी हमले में मौत हो गई है। दुकानदार ने इशारा कर बताया कि यहां से 2Km और आगे जाना होगा। वहां आज बहुत लोग जमा हैं, सुबह से पुलिस और पॉलिटिकल लोगों का आना-जाना लगा हुआ है। हम शुभम के घर पहुंचे, गेट के अंदर दाखिल होते ही एक बुजुर्ग महिला गुमसुम बैठी दिखीं। लोगों ने बताया कि यही शुभम की दादी हैं। घर पर रिश्तेदारों और मोहल्ले वालों की भीड़ थी। दादी बार-बार कुर्सी से उठकर घर के अंदर जाती और एक कमरे के अंदर झांककर लौट आती थीं। घर वालों से पूछने पर पता चला कि यही शुभम का कमरा है। दादी बोलीं- पोता तो लौटा नहीं सकते
शुभम की दादी विमला देवी ने बताया- मेरा पोता तो चला गया, अब वो तो मिलना नहीं है। हम क्या करें, क्या कहें और क्या ही सुनें। हमारा तो सब कुछ चला गया। कुछ तो जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए। एक मेरा ही बेटा नहीं, इतने लोग मारे गए हैं, सबकी माताएं तड़पती होंगी। अगर सरकार जम्मू-कश्मीर को आतंकियों से सुरक्षित नहीं कर पा रही है। तो वहां जाने वाले बाहरी लोगों को रोक देना चाहिए। ‘अब मैं रो भी नहीं पा रही हूं’
शुभम की दादी विमला देवी ने बताया- मेरे तो इकलौते नाती को आतंकियों ने मार दिया है। शुभम तो पूरे परिवार भर का दुलारा था, ये बुआ बैठी हैं, ये चाची बैठी हैं, सब रिश्तेदार हैं। शुभम को अपने बेटे से ज्यादा चाची और परिवार के सभी लोग मानते थे। 2 महीने 10 दिन हुए हैं उसकी शादी हुए, बड़ी उमंग से शादी किया था। कहते थे बेटा शादी कर लो, जब हम मर जाएंगे तो करोगे क्या…? नहीं, दादी ऐसा न कहो दादी, पता नहीं किसकी नजर लग गई, दो महीने दस दिन हुए शादी के और उसे भगवान ने हमसे छीन लिया। चाचा बोले-सुरक्षा में चूक के चलते मेरा परिवार उजड़ गया
शुभम के चाचा मनोज द्विवेदी ने बताया-पिछले काफी दिनों से जब से धारा-370 हटी है तो ऐसा माहौल बना है, विश्वास जगा है आम जनमानस में कि अब वहां पर शांति है। अब वहां पर कोई आतंकी घटना नहीं होती है। ऐसा लग रहा था कि सरकार ने पूरी स्थिति को पूरी तरह से नियंत्रण में कर लिया है। संभवत: काफी दिनों से लोग खूब आ-जा भी रहे हैं। मिलने जुलने वाले भी कई लाेग गए तो बच्चों ने भी जम्मू जाने का प्लान कर दिया। जम्मू-कश्मीर को तो धरती का स्वर्ग कहा जाता है। वहां कौन नहीं जाना चाहता है। परिवार ने इसलिए प्लान बनाया कि अब वहां कोई खतरा नहीं है। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ और कहीं न कहीं सुरक्षा में चूक के चलते आतंकियों ने हमला कर दिया। ऐसी घटना घटी कि हमारे परिवार पर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। किसी पिता या चाचा पर इससे बड़ा कोई दुख नहीं है। जम्मू कश्मीर से आतंकवाद को पूरी तरह से खत्म कर देना चाहिए। सरकार से हमारी मांग है कि सरकार को इतनी कड़ी सजा देनी चाहिए कि फिर कभी आतंकवादी ऐसा दुस्साहस नहीं करें। सरकार जितना भी कठोर कदम उठा सकती है उठाना चाहिए। चाची बोलीं- मेरा पैर टूटने की वजह से हम लोग बचे
शुभम की चाची अंजना द्विवेदी ने बताया- शुभम के साथ मेरे पति मनोज और बच्चों के साथ जम्मू ट्रिप पर जाना था। लेकिन, मेरा पैर टूट गया था और बच्चों के वायरल हो गया था।
इस वजह से मेरा जम्मू कश्मीर जाने का प्लान कैंसिल हो गया था। हो सकता है कि अगर मेरा पैर नहीं टूटता और बच्चों को वायरल नहीं होता तो हम लोग भी जाते। आतंकी वारदात में इसका नुकसान परिवार को और बड़े स्तर पर चुकाना पड़ता। हम बच जरूर गए हैं, लेकिन जिंदा लाश बनकर पूरी जिंदगी कटेगी। मैं शुभम को अपने बच्चों से ज्यादा प्यार करती थी। वो मुझे अपनी मां से ज्यादा मानता था। ————————————- ये खबर भी पढ़ें… हमारा इकलौता बेटा चला गया:आतंकी हमले में मारे गए शुभम के चाचा बोले-आतंकियों से बदला ले मोदी सरकार मेरा भतीजा शुभम और बहू वहीं पहलगाम में ही घुड़सवारी करते हुए गए थे। बहू के सामने ही आतंकियों ने शुभम को गोली मार दी। जिससे बहू ने आतंकियों से कहा कि- मुझे भी गोली मार दो, तो आतंकियों ने कहा कि तुम्हें नहीं मारेंगे, तुम जाकर सरकार को बताओ इसीलिए तुमको छोड़ रहे हैं। आतंकी हमले में मारे गए शुभम के चाचा ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज द्विवेदी से दैनिक भास्कर ने बात की तो फफक कर रोने लगे, उन्होंने बताया कि उनसे परिवार के लोग लगातार संपर्क में हैं। पढ़ें पूरी खबर… मैंने शुभम से कहा था शादी कर लो, मैं मरने से पहले बहू का मुंह तो देख लूं। मुझे क्या पता था कि वो खुद हमें छोड़कर चला जाएगा। मैं उसके कमरे की तरफ जाती हूं, तो यकीन नहीं होता कि वो अब नहीं है। ये कहते हुए कानपुर में शुभम की 85 साल की दादी विमला द्विवेदी परेशान हो जाती हैं। उनके पोते की कश्मीर आतंकी हमले में जान चल गई। रात में शुभम की बॉडी कानपुर के पैतृक आवास पर पहुंची है। यहां पूरे राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया जाएगा। शुभम द्विवेदी (31) की 2 महीने पहले एशान्या से शादी हुई थी। 17 अप्रैल को एशान्या और परिवार के 11 सदस्यों के साथ शुभम कश्मीर घूमने गए थे। उन्हें 23 अप्रैल को घर लौटना था। मगर पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल दोपहर 2:45 बजे आतंकियों ने हमला कर दिया, जिसमें आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी। अब शुभम के घर पर कैसा माहौल है? गमगीन परिवार का दर्द बांटने के लिए दैनिक भास्कर की टीम कानपुर में शुभम के पैतृक गांव हाथीपुर पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… घर पर दादी पोते की तस्वीर देखती मिलीं
हम कानपुर से महराजपुर इलाके के हाथीपुर गांव पहुंचे। दुकानदार से पूछा कि यहां शुभम का घर कहां हैं? जिनकी जम्मू आतंकी हमले में मौत हो गई है। दुकानदार ने इशारा कर बताया कि यहां से 2Km और आगे जाना होगा। वहां आज बहुत लोग जमा हैं, सुबह से पुलिस और पॉलिटिकल लोगों का आना-जाना लगा हुआ है। हम शुभम के घर पहुंचे, गेट के अंदर दाखिल होते ही एक बुजुर्ग महिला गुमसुम बैठी दिखीं। लोगों ने बताया कि यही शुभम की दादी हैं। घर पर रिश्तेदारों और मोहल्ले वालों की भीड़ थी। दादी बार-बार कुर्सी से उठकर घर के अंदर जाती और एक कमरे के अंदर झांककर लौट आती थीं। घर वालों से पूछने पर पता चला कि यही शुभम का कमरा है। दादी बोलीं- पोता तो लौटा नहीं सकते
शुभम की दादी विमला देवी ने बताया- मेरा पोता तो चला गया, अब वो तो मिलना नहीं है। हम क्या करें, क्या कहें और क्या ही सुनें। हमारा तो सब कुछ चला गया। कुछ तो जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए। एक मेरा ही बेटा नहीं, इतने लोग मारे गए हैं, सबकी माताएं तड़पती होंगी। अगर सरकार जम्मू-कश्मीर को आतंकियों से सुरक्षित नहीं कर पा रही है। तो वहां जाने वाले बाहरी लोगों को रोक देना चाहिए। ‘अब मैं रो भी नहीं पा रही हूं’
शुभम की दादी विमला देवी ने बताया- मेरे तो इकलौते नाती को आतंकियों ने मार दिया है। शुभम तो पूरे परिवार भर का दुलारा था, ये बुआ बैठी हैं, ये चाची बैठी हैं, सब रिश्तेदार हैं। शुभम को अपने बेटे से ज्यादा चाची और परिवार के सभी लोग मानते थे। 2 महीने 10 दिन हुए हैं उसकी शादी हुए, बड़ी उमंग से शादी किया था। कहते थे बेटा शादी कर लो, जब हम मर जाएंगे तो करोगे क्या…? नहीं, दादी ऐसा न कहो दादी, पता नहीं किसकी नजर लग गई, दो महीने दस दिन हुए शादी के और उसे भगवान ने हमसे छीन लिया। चाचा बोले-सुरक्षा में चूक के चलते मेरा परिवार उजड़ गया
शुभम के चाचा मनोज द्विवेदी ने बताया-पिछले काफी दिनों से जब से धारा-370 हटी है तो ऐसा माहौल बना है, विश्वास जगा है आम जनमानस में कि अब वहां पर शांति है। अब वहां पर कोई आतंकी घटना नहीं होती है। ऐसा लग रहा था कि सरकार ने पूरी स्थिति को पूरी तरह से नियंत्रण में कर लिया है। संभवत: काफी दिनों से लोग खूब आ-जा भी रहे हैं। मिलने जुलने वाले भी कई लाेग गए तो बच्चों ने भी जम्मू जाने का प्लान कर दिया। जम्मू-कश्मीर को तो धरती का स्वर्ग कहा जाता है। वहां कौन नहीं जाना चाहता है। परिवार ने इसलिए प्लान बनाया कि अब वहां कोई खतरा नहीं है। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ और कहीं न कहीं सुरक्षा में चूक के चलते आतंकियों ने हमला कर दिया। ऐसी घटना घटी कि हमारे परिवार पर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। किसी पिता या चाचा पर इससे बड़ा कोई दुख नहीं है। जम्मू कश्मीर से आतंकवाद को पूरी तरह से खत्म कर देना चाहिए। सरकार से हमारी मांग है कि सरकार को इतनी कड़ी सजा देनी चाहिए कि फिर कभी आतंकवादी ऐसा दुस्साहस नहीं करें। सरकार जितना भी कठोर कदम उठा सकती है उठाना चाहिए। चाची बोलीं- मेरा पैर टूटने की वजह से हम लोग बचे
शुभम की चाची अंजना द्विवेदी ने बताया- शुभम के साथ मेरे पति मनोज और बच्चों के साथ जम्मू ट्रिप पर जाना था। लेकिन, मेरा पैर टूट गया था और बच्चों के वायरल हो गया था।
इस वजह से मेरा जम्मू कश्मीर जाने का प्लान कैंसिल हो गया था। हो सकता है कि अगर मेरा पैर नहीं टूटता और बच्चों को वायरल नहीं होता तो हम लोग भी जाते। आतंकी वारदात में इसका नुकसान परिवार को और बड़े स्तर पर चुकाना पड़ता। हम बच जरूर गए हैं, लेकिन जिंदा लाश बनकर पूरी जिंदगी कटेगी। मैं शुभम को अपने बच्चों से ज्यादा प्यार करती थी। वो मुझे अपनी मां से ज्यादा मानता था। ————————————- ये खबर भी पढ़ें… हमारा इकलौता बेटा चला गया:आतंकी हमले में मारे गए शुभम के चाचा बोले-आतंकियों से बदला ले मोदी सरकार मेरा भतीजा शुभम और बहू वहीं पहलगाम में ही घुड़सवारी करते हुए गए थे। बहू के सामने ही आतंकियों ने शुभम को गोली मार दी। जिससे बहू ने आतंकियों से कहा कि- मुझे भी गोली मार दो, तो आतंकियों ने कहा कि तुम्हें नहीं मारेंगे, तुम जाकर सरकार को बताओ इसीलिए तुमको छोड़ रहे हैं। आतंकी हमले में मारे गए शुभम के चाचा ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज द्विवेदी से दैनिक भास्कर ने बात की तो फफक कर रोने लगे, उन्होंने बताया कि उनसे परिवार के लोग लगातार संपर्क में हैं। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
शुभम की दादी बार-बार उसके कमरे में झांक रही:बोलीं-मैंने कहा था शादी कर लो मरने से पहले बहू का मुंह देखना चाहती हूं; वो खुद चला गया
