लखनऊ के शुभांशु शुक्ला 8 जून को NASA और Axiom Space के कंबाइंड मिशन पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की उड़ान भरेंगे। मिशन में उनके साथ 4 लोग जा रहे हैं। मिशन का नाम-Axiom 4 है। अंतरिक्ष में वे 14 दिन रहेंगे। इंडियन एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन और एस्ट्रोनॉट शुभांशु ऐसा करने वाले के दूसरे अंतरिक्ष यात्री होंगे, उनसे पहले राकेश शर्मा ये कारनामा कर चुके हैं। वह 40 साल पहले अंतरिक्ष गए थे। एस्ट्रोनॉट शुभांशु लखनऊ में अलीगंज के रहने वाले हैं। उनकी पढ़ाई-लिखाई यहां के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में हुई है। शुभांशु पिछले 3 महीने से नासा में ट्रेनिंग ले रहे हैं। लेकिन यहां माता-पिता बेटे की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा से पहले थोड़ा इमोशनल हो रहे हैं। भास्कर रिपोर्टर यात्रा से पहले शुभांशु के घर पहुंचे, यहां उनके माता-पिता और बहन से अंतरिक्ष यात्रा को लेकर बात की। इस दौरान मां और बहन भावुक हो गईं। मां को बेटे पर फख्र है, लेकिन उनके चेहरे पर फिक्र की लकीरें भी दिखीं। आंख से आंसू तक छलक आए। बहन ने शुभांशु के बचपन की बातों को शेयर किया। वहीं, पिता ने शुभांशु के तेज दिमाग की बात की। मां आशा शुक्ला कहती हैं कि बेटे के अंतरिक्ष यात्रा में जाने की जितनी खुशी है, उतना ही अंदर से मन घबरा भी रहा है। मुझे सबसे ज्यादा शुभांशु के खाने की चिंता सता रही है। उसने कई साल से घर का खाना नहीं खाया। बहन शुचि बताती हैं, बचपन में मैं और शुभांशु टॉम एंड जेरी (कार्टून कैरेक्टर) थे। एस्ट्रोनॉट शुभांशु के माता-पिता और बहन और क्या-क्या बताया.. पढ़िए भास्कर रिपोर्टर के खास बातचीत… पहले जानते हैं एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला को Axiom-4 मिशन में ये 4 लोग जा रहे हैं अब पढ़िए शुभांशु के मम्मी-पापा और बहन से हुई बातचीत के मुख्य अंश… NDA में फॉर्म भरा, ये बताया तक नहीं था, जब सिलेक्शन हुआ तब पता चला एस्ट्रोनॉट शुभांशु के पिता एसडी शुक्ला को अपने बेटे पर गर्व है। वह कहते हैं- बचपन से ही शुभांशु में कुछ अलग करने का जज्बा था। वह सामान्य बच्चों जैसा नहीं था। बहुत गंभीर, शांत और अपने सपनों को लेकर साफ सोच रखने वाला लड़का। अनुशासित और हर काम के लिए आत्मनिर्भर। उन्होंने अपने बेटे की आज के मुकाम की शुरुआत की कहानी बताई। वह कहते हैं- उसने जब NDA का फॉर्म भरा तो हम लोगों को कोई जानकारी नहीं दी। हमें तो तब पता चला, जब उसका NDA में सिलेक्शन हो गया। उसने एग्जाम पास किया। मेडिकल और SSB इंटरव्यू दिया। जब लखनऊ लौटा, तब ये सब मुझे बताया। ट्रेनिंग के बाद बेटे को MIG-21 मिला, दोस्त भी खोया पिता एसडी शुक्ला कहते हैं- जब शुभांशु की ट्रेनिंग पूरी हुई, तब उनको MIG-21 दिया गया था। उस दौरान अक्सर MIG-21 के क्रैश करने की सूचना आती थी। शुभांशु ने MIG-21 क्रैश में अपना एक दोस्त भी खो दिया। उस समय डर लगा था। मन में शंका रहती थी, लेकिन भगवान पर विश्वास था कि सब ठीक रहेगा। भास्कर रिपोर्टर ने शुभांशु के पिता से मिशन की चुनौतियों पर चर्चा की तो वह थोड़े इमोशनल हो गए। बोले- हां, डर तो लगता है। कोई भी मां-बाप अपने बच्चे को इतनी बड़ी चुनौती में भेजते समय पूरी तरह निश्चिंत नहीं रह सकते। लेकिन, हमने कभी उसकी राह में रुकावट नहीं डाली। हम जानते हैं कि वह जो कर रहा है, उसमें न केवल उसका सपना जुड़ा है, बल्कि देश का भविष्य भी है। 4-5 साल से घर का खाना नहीं खा पा रहा शुभांशु की मां आशा शुक्ला को अपने बेटे के खाने की चिंता है। वह कहती हैं- शुभांशु बचपन से ही बहुत शांत, समझदार और अनुशासित बच्चा था। वह कभी जिद या शरारत नहीं करता था। वह जो ठान लेता था, उसे पूरा करके ही मानता था। शुभांशु को घर का खाना बहुत पसंद था, खासकर मठरी। 4-5 साल से वह घर का खाना नहीं खा पा रहा है। जब भी बात होती है, तो मैं पूछती हूं कि क्या खाया बेटे? इस पर वह कुछ जवाब नहीं देता। वह खाने की बात को मुस्कुराकर टाल देता है। हम दोनों बचपन में खूब लड़ते थे शुभांशु शुक्ला की बड़ी बहन शुचि मिश्रा कहती हैं- शुभांशु मेरे लिए सिर्फ एक भाई नहीं, बल्कि सबसे अच्छा दोस्त भी है। हम दोनों का रिश्ता हमेशा से टॉम एंड जेरी जैसा रहा। हम लड़ते थे, लेकिन ज्यादा देर तक एक-दूसरे से नाराज नहीं रह पाते थे। शुचि बताती हैं- शुभांशु बचपन से ही बहुत फोकस्ड और गंभीर था। उसे बचपन से ही अलग और बड़ा करने की चाह थी। शुभांशु और बच्चों से अलग था। उसमें कुछ बात खास थी। हर चीज को बहुत सोच-समझकर करता था। शांत रहता था, लेकिन अपने कामों से सबको चौंका देता था। शुभांशु के घर में लगी तस्वीरें देखिए- अब मिशन के बारे में जानिए… ड्रैगन कैप्सूल में चारों एस्ट्रोनॉट उड़ान भरेंगे
इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में ये एस्ट्रोनॉट उड़ान भरेंगे। इस मिशन को फाल्कन-9 रॉकेट से फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। लॉन्च की तारीख फिलहाल 8 जून है, पहले 29 मई थी। लेकिन फाइनल अप्रूवल, मौसम और मिशन की तैयारियों के अनुसार घोषित होगी। अंतरिक्ष में रिसर्च और टेक्नोलॉजी पर काम करेगा मिशन Axiom-4 के मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में साइंटिस्ट रिसर्च और टेक्नोलॉजी पर काम करना है। यह मिशन प्राइवेट स्पेस ट्रैवल को प्रोत्साहित करने और भविष्य में एक कॉमर्शियल स्पेस स्टेशन (Axiom Station) स्थापित करने की दिशा में एक्सिओम स्पेस की योजना का हिस्सा है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन क्या है?
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी के चारों ओर घूमने वाला एक बड़ा अंतरिक्ष यान है। इसमें एस्ट्रोनॉट रहते हैं और माइक्रो ग्रेविटी में एक्सपेरिमेंट करते हैं। यह 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रैवल करता है। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर लेता है। 5 स्पेस एजेंसीज ने मिलकर इसे बनाया है। स्टेशन का पहला पीस नवंबर 1998 में लॉन्च किया गया था। …और अब अंत में शुभांशु के मम्मी-पापा का संदेश ——————- यह खबर भी पढ़िए… इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाने से पहले क्वारैंटाइन हुए शुभांशु शुक्ला:बोले- पूरा भरोसा कि मिशन सफल होगा; 8 जून को एक्सिओम मिशन के तहत ISS जाएंगे लखनऊ के शुभांशु शुक्ला 8 जून को NASA और Axiom Space के कंबाइंड मिशन पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की उड़ान भरेंगे। मिशन में उनके साथ 4 लोग जा रहे हैं। मिशन का नाम-Axiom 4 है। अंतरिक्ष में वे 14 दिन रहेंगे। इंडियन एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन और एस्ट्रोनॉट शुभांशु ऐसा करने वाले के दूसरे अंतरिक्ष यात्री होंगे, उनसे पहले राकेश शर्मा ये कारनामा कर चुके हैं। वह 40 साल पहले अंतरिक्ष गए थे। एस्ट्रोनॉट शुभांशु लखनऊ में अलीगंज के रहने वाले हैं। उनकी पढ़ाई-लिखाई यहां के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में हुई है। शुभांशु पिछले 3 महीने से नासा में ट्रेनिंग ले रहे हैं। लेकिन यहां माता-पिता बेटे की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा से पहले थोड़ा इमोशनल हो रहे हैं। भास्कर रिपोर्टर यात्रा से पहले शुभांशु के घर पहुंचे, यहां उनके माता-पिता और बहन से अंतरिक्ष यात्रा को लेकर बात की। इस दौरान मां और बहन भावुक हो गईं। मां को बेटे पर फख्र है, लेकिन उनके चेहरे पर फिक्र की लकीरें भी दिखीं। आंख से आंसू तक छलक आए। बहन ने शुभांशु के बचपन की बातों को शेयर किया। वहीं, पिता ने शुभांशु के तेज दिमाग की बात की। मां आशा शुक्ला कहती हैं कि बेटे के अंतरिक्ष यात्रा में जाने की जितनी खुशी है, उतना ही अंदर से मन घबरा भी रहा है। मुझे सबसे ज्यादा शुभांशु के खाने की चिंता सता रही है। उसने कई साल से घर का खाना नहीं खाया। बहन शुचि बताती हैं, बचपन में मैं और शुभांशु टॉम एंड जेरी (कार्टून कैरेक्टर) थे। एस्ट्रोनॉट शुभांशु के माता-पिता और बहन और क्या-क्या बताया.. पढ़िए भास्कर रिपोर्टर के खास बातचीत… पहले जानते हैं एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला को Axiom-4 मिशन में ये 4 लोग जा रहे हैं अब पढ़िए शुभांशु के मम्मी-पापा और बहन से हुई बातचीत के मुख्य अंश… NDA में फॉर्म भरा, ये बताया तक नहीं था, जब सिलेक्शन हुआ तब पता चला एस्ट्रोनॉट शुभांशु के पिता एसडी शुक्ला को अपने बेटे पर गर्व है। वह कहते हैं- बचपन से ही शुभांशु में कुछ अलग करने का जज्बा था। वह सामान्य बच्चों जैसा नहीं था। बहुत गंभीर, शांत और अपने सपनों को लेकर साफ सोच रखने वाला लड़का। अनुशासित और हर काम के लिए आत्मनिर्भर। उन्होंने अपने बेटे की आज के मुकाम की शुरुआत की कहानी बताई। वह कहते हैं- उसने जब NDA का फॉर्म भरा तो हम लोगों को कोई जानकारी नहीं दी। हमें तो तब पता चला, जब उसका NDA में सिलेक्शन हो गया। उसने एग्जाम पास किया। मेडिकल और SSB इंटरव्यू दिया। जब लखनऊ लौटा, तब ये सब मुझे बताया। ट्रेनिंग के बाद बेटे को MIG-21 मिला, दोस्त भी खोया पिता एसडी शुक्ला कहते हैं- जब शुभांशु की ट्रेनिंग पूरी हुई, तब उनको MIG-21 दिया गया था। उस दौरान अक्सर MIG-21 के क्रैश करने की सूचना आती थी। शुभांशु ने MIG-21 क्रैश में अपना एक दोस्त भी खो दिया। उस समय डर लगा था। मन में शंका रहती थी, लेकिन भगवान पर विश्वास था कि सब ठीक रहेगा। भास्कर रिपोर्टर ने शुभांशु के पिता से मिशन की चुनौतियों पर चर्चा की तो वह थोड़े इमोशनल हो गए। बोले- हां, डर तो लगता है। कोई भी मां-बाप अपने बच्चे को इतनी बड़ी चुनौती में भेजते समय पूरी तरह निश्चिंत नहीं रह सकते। लेकिन, हमने कभी उसकी राह में रुकावट नहीं डाली। हम जानते हैं कि वह जो कर रहा है, उसमें न केवल उसका सपना जुड़ा है, बल्कि देश का भविष्य भी है। 4-5 साल से घर का खाना नहीं खा पा रहा शुभांशु की मां आशा शुक्ला को अपने बेटे के खाने की चिंता है। वह कहती हैं- शुभांशु बचपन से ही बहुत शांत, समझदार और अनुशासित बच्चा था। वह कभी जिद या शरारत नहीं करता था। वह जो ठान लेता था, उसे पूरा करके ही मानता था। शुभांशु को घर का खाना बहुत पसंद था, खासकर मठरी। 4-5 साल से वह घर का खाना नहीं खा पा रहा है। जब भी बात होती है, तो मैं पूछती हूं कि क्या खाया बेटे? इस पर वह कुछ जवाब नहीं देता। वह खाने की बात को मुस्कुराकर टाल देता है। हम दोनों बचपन में खूब लड़ते थे शुभांशु शुक्ला की बड़ी बहन शुचि मिश्रा कहती हैं- शुभांशु मेरे लिए सिर्फ एक भाई नहीं, बल्कि सबसे अच्छा दोस्त भी है। हम दोनों का रिश्ता हमेशा से टॉम एंड जेरी जैसा रहा। हम लड़ते थे, लेकिन ज्यादा देर तक एक-दूसरे से नाराज नहीं रह पाते थे। शुचि बताती हैं- शुभांशु बचपन से ही बहुत फोकस्ड और गंभीर था। उसे बचपन से ही अलग और बड़ा करने की चाह थी। शुभांशु और बच्चों से अलग था। उसमें कुछ बात खास थी। हर चीज को बहुत सोच-समझकर करता था। शांत रहता था, लेकिन अपने कामों से सबको चौंका देता था। शुभांशु के घर में लगी तस्वीरें देखिए- अब मिशन के बारे में जानिए… ड्रैगन कैप्सूल में चारों एस्ट्रोनॉट उड़ान भरेंगे
इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में ये एस्ट्रोनॉट उड़ान भरेंगे। इस मिशन को फाल्कन-9 रॉकेट से फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। लॉन्च की तारीख फिलहाल 8 जून है, पहले 29 मई थी। लेकिन फाइनल अप्रूवल, मौसम और मिशन की तैयारियों के अनुसार घोषित होगी। अंतरिक्ष में रिसर्च और टेक्नोलॉजी पर काम करेगा मिशन Axiom-4 के मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में साइंटिस्ट रिसर्च और टेक्नोलॉजी पर काम करना है। यह मिशन प्राइवेट स्पेस ट्रैवल को प्रोत्साहित करने और भविष्य में एक कॉमर्शियल स्पेस स्टेशन (Axiom Station) स्थापित करने की दिशा में एक्सिओम स्पेस की योजना का हिस्सा है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन क्या है?
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी के चारों ओर घूमने वाला एक बड़ा अंतरिक्ष यान है। इसमें एस्ट्रोनॉट रहते हैं और माइक्रो ग्रेविटी में एक्सपेरिमेंट करते हैं। यह 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रैवल करता है। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर लेता है। 5 स्पेस एजेंसीज ने मिलकर इसे बनाया है। स्टेशन का पहला पीस नवंबर 1998 में लॉन्च किया गया था। …और अब अंत में शुभांशु के मम्मी-पापा का संदेश ——————- यह खबर भी पढ़िए… इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाने से पहले क्वारैंटाइन हुए शुभांशु शुक्ला:बोले- पूरा भरोसा कि मिशन सफल होगा; 8 जून को एक्सिओम मिशन के तहत ISS जाएंगे उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
शुभांशु अंतरिक्ष के लिए रेडी, मां को खाने की टेंशन:लखनऊ में बहन बोलीं- बचपन में कहते थे मैं तारों के पास घूमने जाऊंगा
