यूपी के प्रयागराज में लगे कुंभ मेला क्षेत्र के ‘डमरू द्वार’ से ‘समुद्र मंथन द्वार’ के बीच सभी 13 अखाड़ों के कैंप है। इन्हीं में अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े का कैंप भी है। इस अखाड़े के संत पहलवान हैं। यहां की दिनचर्या में व्यायाम, दंड-बैठक शामिल है। इनकी खुराक दूध, बादाम और घी है। कैंप के संत डॉ. महेशदास ने दैनिक भास्कर को बताया- संत पहलवान रोज सुबह 8-10 किमी दौड़ते हैं। जब अखाड़ों की स्थापना सनातन धर्म की रक्षा के लिए हुई, तब से यह परंपरा चली आ रही है। पहलवानों के अखाड़ों के नाम से प्रसिद्ध इस अखाड़े में अब पहलवानी के साथ पढ़ाई पर भी जोर है। इसी कैंप के संत राजेंद्रदास कहते हैं हम सभी आयोध्या श्री हनुमानगढ़ी से जुड़े हैं। सभी संत रोज सुबह-शाम हनुमानजी की आराधना करते हैं। कुश्ती जीतने पर 11 से 21 हजार रुपए इनाम
श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े संतों के गुरु इंद्रदेवादास महाराज हैं। 14 जनवरी को अमृत स्नान के बाद कुश्ती की प्रतियोगिता होगी। वो प्रतियोगिता जीतने वाले पहलवान को नगद राशि देते हैं। कुश्ती जीतने पर पहलवानों को 11 से 21 हजार रु. तक का इनाम मिलता हैं। शिवलिंग, त्रिशूल व मुकुट वाले प्रवेश द्वार
महाकुंभ में अखाड़ों के शिविरों को अनूठे और अलग-अलग थीम पर सजाया गया है। सबसे ज्यादा आकर्षण पंडालों के प्रवेश द्वार बटोर रहे हैं। इनमें कोई शिवलिंग, त्रिशूल तो कोई मुकुट आदि का प्रदर्शन कर शिविर की शोभा बढ़ा रहे हैं। इन प्रवेश द्वारों को तैयार करने में 10 से 15 दिन का समय लगा है और लागत लाखों रुपए है। यह प्रवेश द्वार न सिर्फ देखने में सुंदर हैं, बल्कि यह संस्था की पहचान और उस तक श्रद्धालुओं के पहुंचने का भी माध्यम बन रहे हैं। महाकुंभ से जुड़ी अन्य खबरें…
महाकुंभ में कैसे आएं..कहां ठहरें, पार्किंग कहां है:स्टेशन से 24 हजार कदम पैदल चलना होगा; विशेष स्नान के दिन 10 किमी पहले रोका जाएगा 40 साल से सिर्फ चाय पर जिंदा बाबा:कोई 14 साल से एक पैर पर खड़ा; महाकुंभ में 10 अजब बाबाओं की गजब कहानियां 41 साल से कल्पवास कर रहे साधक की कहानी:महोबा के दिनेश स्वरूप ने छोड़ी नौकरी, अब 51 दंडी स्वामियों की करते हैं सेवा 45 दिन की ट्रेनिंग के बाद बनते हैं ‘अघोरी’:हर अखाड़े में इनकी डिमांड, 1 हजार दिन की कमाई; काली बनते हैं मुसलमान ………………………….. महाकुंभ से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… महाकुंभ में महिलाओं को फ्री में मिलेंगे सेनेटरी पैड:वात्सल्य सेवा समिति की ओर से खुला पैड कार्नर, लेडीज स्टॉफ की लगी ड्यूटी महाकुंभ मेले में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल होने के लिए आ रही हैं। इसमें उनकी सुविधा के लिए वात्सल्य सेवा समिति की ओर से विशेष पहल की गई है। विभिन्न सेक्टरों में फ्री सेनेटरी पैड कार्नर स्थापित किया जा रहा है। यहां महिला लेडीज स्टॉफ भी तैनात किया जाएगा। वह आकर कभी भी सेनेटरी पैड का फ्री में प्राप्त कर सकेंगी। पूरी खबर पढ़ें… यूपी के प्रयागराज में लगे कुंभ मेला क्षेत्र के ‘डमरू द्वार’ से ‘समुद्र मंथन द्वार’ के बीच सभी 13 अखाड़ों के कैंप है। इन्हीं में अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े का कैंप भी है। इस अखाड़े के संत पहलवान हैं। यहां की दिनचर्या में व्यायाम, दंड-बैठक शामिल है। इनकी खुराक दूध, बादाम और घी है। कैंप के संत डॉ. महेशदास ने दैनिक भास्कर को बताया- संत पहलवान रोज सुबह 8-10 किमी दौड़ते हैं। जब अखाड़ों की स्थापना सनातन धर्म की रक्षा के लिए हुई, तब से यह परंपरा चली आ रही है। पहलवानों के अखाड़ों के नाम से प्रसिद्ध इस अखाड़े में अब पहलवानी के साथ पढ़ाई पर भी जोर है। इसी कैंप के संत राजेंद्रदास कहते हैं हम सभी आयोध्या श्री हनुमानगढ़ी से जुड़े हैं। सभी संत रोज सुबह-शाम हनुमानजी की आराधना करते हैं। कुश्ती जीतने पर 11 से 21 हजार रुपए इनाम
श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े संतों के गुरु इंद्रदेवादास महाराज हैं। 14 जनवरी को अमृत स्नान के बाद कुश्ती की प्रतियोगिता होगी। वो प्रतियोगिता जीतने वाले पहलवान को नगद राशि देते हैं। कुश्ती जीतने पर पहलवानों को 11 से 21 हजार रु. तक का इनाम मिलता हैं। शिवलिंग, त्रिशूल व मुकुट वाले प्रवेश द्वार
महाकुंभ में अखाड़ों के शिविरों को अनूठे और अलग-अलग थीम पर सजाया गया है। सबसे ज्यादा आकर्षण पंडालों के प्रवेश द्वार बटोर रहे हैं। इनमें कोई शिवलिंग, त्रिशूल तो कोई मुकुट आदि का प्रदर्शन कर शिविर की शोभा बढ़ा रहे हैं। इन प्रवेश द्वारों को तैयार करने में 10 से 15 दिन का समय लगा है और लागत लाखों रुपए है। यह प्रवेश द्वार न सिर्फ देखने में सुंदर हैं, बल्कि यह संस्था की पहचान और उस तक श्रद्धालुओं के पहुंचने का भी माध्यम बन रहे हैं। महाकुंभ से जुड़ी अन्य खबरें…
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