हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित संजौली मस्जिद विवाद में आज जिला अदालत अपना फैसला सुना सकती है। इस केस में बहस पूरी हो गई है। पिछली सुनवाई में वक्फ बोर्ड के जवाब के बाद कोर्ट ने फैसला रिजर्व रख दिया था। दरअसल, ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन ने नगर निगम आयुक्त शिमला के 5 अक्टूबर के आदेशों को जिला कोर्ट में चुनौती दे रखी है। इसमें दलील दी गई कि मोहमद लतीफ नाम के जिस व्यक्ति ने मस्जिद तोड़ने की सहमति दी है, वह इसके लिए अधिकृत नहीं है। इस पर कोर्ट ने वक्फ बोर्ड से मोहमद लतीफ को लेकर जवाब मांगा था, जो कि पिछली सुनवाई में वक्फ बोर्ड ने कोर्ट को दे दिया है। वक्फ बोर्ड ने संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहमद लतीफ को लेकर साल 2006 का वह डॉक्यूमेंट कोर्ट में दिखाया, जिसमें मोहमद लतीफ को संजौली मस्जिद कमेटी का अध्यक्ष बनाने की बात कही गई थी। 5 अक्टूबर को आया था नगर निगम आयुक्त कोर्ट का फैसला मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी ने संजौली मस्जिद की तीन मंजिलों को गिराने के निगम आयुक्त के आदेशों को चुनौती दे रखी है। संजौली मस्जिद मामले में MC आयुक्त कोर्ट ने बीते 5 अक्टूबर को फैसला सुनाया था। कोर्ट ने मस्जिद की 3 अवैध मंजिल हटाने के आदेश दिए थे। इसके बाद मस्जिद कमेटी ने अवैध हिस्से को हटाने का काम भी शुरू कर दिया है। मस्जिद की एटिक यानी छत को हटाने का काम पूरा हो गया है। अब टॉप की मंजिल की दीवारों को तोड़ा जाना है। इस बीच मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी ने कोर्ट में मामले को चुनौती दी है। संजौली मस्जिद कमेटी अपने खर्चे पर ऊपर की 3 मंजिल तुड़वाने का काम कर रही है। हाईकोर्ट ने 8 सप्ताह में मामले को निपटाने के आदेश दिए शिमला MC आयुक्त की कोर्ट में यह केस 2010 से चल रहा है। इसे देखते हुए लोकल रेजिडेंट ने 21 अक्टूबर को एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की और जल्दी फैसला सुनाने के लिए MC आयुक्त को निर्देश देने का आग्रह किया। इस पर हिमाचल हाईकोर्ट ने MC आयुक्त को 8 सप्ताह के भीतर केस निपटाने के आदेश दिए। इन आदेशों के अनुसार, MC आयुक्त को 20 दिसंबर तक संजौली मस्जिद का केस निपटाना है। संजौली मस्जिद से पूरे प्रदेश में हुआ था विवाद संजौली मस्जिद के कारण पूरे प्रदेश में बवाल मचा था। शिमला के बाद सोलन, मंडी, कुल्लू और सिरमौर जिला में भी जगह-जगह मस्जिद मामले में हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किए और अवैध रूप से बनी मस्जिदों को गिराने की मांग उठाई। इससे पूरे प्रदेश में माहौल तनावपूर्ण हो गया था। इस बीच बीते 12 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी ने खुद नगर निगम आयुक्त से मिलकर अवैध रूप से बनी ऊपर की मंजिल को हटाने की पेशकश की। इसके बाद हिंदू संगठन शांत हुए। निगम आयुक्त के मस्जिद की तीन मंजिल तोड़ने के आदेशों के बाद यह मामला पूरी तरह शांत हो गया। हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित संजौली मस्जिद विवाद में आज जिला अदालत अपना फैसला सुना सकती है। इस केस में बहस पूरी हो गई है। पिछली सुनवाई में वक्फ बोर्ड के जवाब के बाद कोर्ट ने फैसला रिजर्व रख दिया था। दरअसल, ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन ने नगर निगम आयुक्त शिमला के 5 अक्टूबर के आदेशों को जिला कोर्ट में चुनौती दे रखी है। इसमें दलील दी गई कि मोहमद लतीफ नाम के जिस व्यक्ति ने मस्जिद तोड़ने की सहमति दी है, वह इसके लिए अधिकृत नहीं है। इस पर कोर्ट ने वक्फ बोर्ड से मोहमद लतीफ को लेकर जवाब मांगा था, जो कि पिछली सुनवाई में वक्फ बोर्ड ने कोर्ट को दे दिया है। वक्फ बोर्ड ने संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहमद लतीफ को लेकर साल 2006 का वह डॉक्यूमेंट कोर्ट में दिखाया, जिसमें मोहमद लतीफ को संजौली मस्जिद कमेटी का अध्यक्ष बनाने की बात कही गई थी। 5 अक्टूबर को आया था नगर निगम आयुक्त कोर्ट का फैसला मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी ने संजौली मस्जिद की तीन मंजिलों को गिराने के निगम आयुक्त के आदेशों को चुनौती दे रखी है। संजौली मस्जिद मामले में MC आयुक्त कोर्ट ने बीते 5 अक्टूबर को फैसला सुनाया था। कोर्ट ने मस्जिद की 3 अवैध मंजिल हटाने के आदेश दिए थे। इसके बाद मस्जिद कमेटी ने अवैध हिस्से को हटाने का काम भी शुरू कर दिया है। मस्जिद की एटिक यानी छत को हटाने का काम पूरा हो गया है। अब टॉप की मंजिल की दीवारों को तोड़ा जाना है। इस बीच मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी ने कोर्ट में मामले को चुनौती दी है। संजौली मस्जिद कमेटी अपने खर्चे पर ऊपर की 3 मंजिल तुड़वाने का काम कर रही है। हाईकोर्ट ने 8 सप्ताह में मामले को निपटाने के आदेश दिए शिमला MC आयुक्त की कोर्ट में यह केस 2010 से चल रहा है। इसे देखते हुए लोकल रेजिडेंट ने 21 अक्टूबर को एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की और जल्दी फैसला सुनाने के लिए MC आयुक्त को निर्देश देने का आग्रह किया। इस पर हिमाचल हाईकोर्ट ने MC आयुक्त को 8 सप्ताह के भीतर केस निपटाने के आदेश दिए। इन आदेशों के अनुसार, MC आयुक्त को 20 दिसंबर तक संजौली मस्जिद का केस निपटाना है। संजौली मस्जिद से पूरे प्रदेश में हुआ था विवाद संजौली मस्जिद के कारण पूरे प्रदेश में बवाल मचा था। शिमला के बाद सोलन, मंडी, कुल्लू और सिरमौर जिला में भी जगह-जगह मस्जिद मामले में हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किए और अवैध रूप से बनी मस्जिदों को गिराने की मांग उठाई। इससे पूरे प्रदेश में माहौल तनावपूर्ण हो गया था। इस बीच बीते 12 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी ने खुद नगर निगम आयुक्त से मिलकर अवैध रूप से बनी ऊपर की मंजिल को हटाने की पेशकश की। इसके बाद हिंदू संगठन शांत हुए। निगम आयुक्त के मस्जिद की तीन मंजिल तोड़ने के आदेशों के बाद यह मामला पूरी तरह शांत हो गया। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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कंगना रनोट पर राजस्व मंत्री का हमला:बोले- जब आपदा आईं, तब नहीं पहुंची, 6 दिन बाद घड़ियाली आंसू बहाकर चली गई हिमाचल प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र में सोमवार को राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने मंडी से सांसद कंगना रनोट पर तीखा हमला बोला। जगत नेगी ने कहा कि, प्रदेश में जब आपदा आई तब कंगना रनोट ने कहा कि उन्हें अधिकारियों ने सलाह दी है कि अभी येलो अलर्ट है। इसलिए प्रदेश मत आना। यदि वो आती तो मेकअप धुल जाता। जगत नेगी ने कहा, कंगना हिमाचल तब पहुंची, जब यहां सब कुछ ठीक हो गया था और घड़ियाली आंसू बहाकर वापस चली गई। उन्होंने कहा कि 31 जुलाई की रात आपदा में मंडी संसदीय क्षेत्र के 54 लोग लापता हो गए थे। राज्य सरकार दिन रात रेस्क्यू में जुटी रही। यह सब कंगना रनोट के संसदीय क्षेत्र में हुआ। बीजेपी सांसद कंगना सब कुछ सामान्य होने के बाद घटनास्थल पर पहुंचती हैं। आपदा पर चर्चा का जवाब दे रहे थे जगत नेगी राजस्व मंत्री जगत नेगी विधानसभा के मानसून सत्र में सोमवार को आपदा पर 4 दिन चली चर्चा का जवाब दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने कंगना को भी निशाने पर लिया। जगत नेगी ने कहा, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने आपदा को लेकर सदन में चर्चा की शुरुआत की। इस पर 30 विधायकों ने अपनी-अपनी बात रखी है। मगर, आज नेता प्रतिपक्ष सदन से गायब हैं और सबको साथ लेकर चले गए। 31 जुलाई की रात आपदा, 6 अगस्त को पहुंची थी कंगना बता दें कि, प्रदेश में बीते 31 जुलाई की आधी रात मंडी संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत रामपुर के समेज, कुल्लू के बाघीपुल, मंडी की चौहारघाटी, श्रीकंड के रास्ते में सिंघगाड़ में बादल फटने के बाद भारी तबाही हुई थी। 3 जगह 54 लोग बाढ़ में बह गए और लैंडस्लाइड में दब गए थे। तब कंगना रनोट ने दिल्ली में मीडिया से बातचीत में कहा कि अधिकारियों ने उन्हें अभी हिमाचल नहीं आने की सलाह दी गई है। इसके बाद कंगना का सोशल मीडिया में जबरदस्त विरोध भी हुआ। PWD मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी तंज कसा था। आपदा के छठें दिन प्रदेश आई कंगना कंगना रनोट प्रदेश में आपदा के छठें दिन आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पहुंची। सबसे पहले वह रामपुर के समेज गई, जहां 36 लोग बाढ़ में बह गए थे। इसके बाद वह बाघीपुल और चौहारघाटी भी पहुंची। इस पर राज्य के राजस्व मंत्री ने तंज कसा है।
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धर्मशाला में 18 को भाजपा का जन आक्रोश आंदोलन:प्रदेश महामंत्री बोले-10 गारंटियां झूठ का पुलिंदा, सरकार मना रही जनता को ठगने का जश्न हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के दो वर्ष पूर्ण होने पर भाजपा 18 दिसंबर को विरोध दिवस के रूप में मनाएगी। कांगड़ा के मुख्यालय धर्मशाला में भाजपा विरोध प्रदर्शन कर जन आक्रोश आंदोलन करेगी। यह जन आक्रोश आंदोलन तपोवन में आरंभ होने वाले शीतकालीन सत्र के पहले दिन होगा। इस जन आक्रोश आंदोलन की गूंज विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी खूब सुनाई देगी। तपोवन में 18 से 21 दिसंबर तक विधानसभा का शीतकालीन सत्र आयोजित होगा। विधानसभा का शीतकालीन सत्र इस दौरान धर्मशाला में होने वाले भाजपा के जन आक्रोश आंदोलन को लेकर प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर को जिम्मेदारी सौंपी गई है। 10 गारंटियां झूठ का पुलिंदा है- कपूर त्रिलोक कपूर ने कहा कि कांग्रेस द्वारा जनता को दी गई 10 गारंटियां झूठ का पुलिंदा है। कपूर ने कांग्रेस और प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया और धर्मशाला में आयोजित पत्रकार वार्ता में सरकार पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि जब से प्रदेश में कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई है, तब से जनता पर सिर्फ महंगाई का बोझ डालने का कार्य कर रही है। पहले डीजल को 7 रुपए बढ़ाया और डिपो में दाल भी महंगी कर दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की विधानसभा चुनावों में 10 गारंटियां झूठ का पुलिंदा साबित हो रही हैं। युवाओं और महिलाओं के साथ किया धोखा गारंटियों के नाम पर प्रदेश की जनता को धोखा दिया गया। बेरोजगार युवकों को एक लाख सरकारी नौकरियां और 5 लाख रोजगार देने का झूठा वादा किया। 22 लाख बहनों को 1500 महीना देने की झूठी गारंटी दी। किसानों और बेरोजगारों को झूठे वादे करके ठगा गया। सुक्खू सरकार के यह दो वर्ष पूरी तरह से नाकामियों और विफलताओं से भरा हुए वर्ष रहे। इन दो वर्षों में कांग्रेस की सारी गारंटियां फैल हो गई और सरकार इस दो साल के पूर्ण होने का जश्न मनाने की तैयारी कर रही है। यह दो साल विकास के मामले में काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। दो सालों में 27 हजार 465 करोड़ का लिया कर्ज त्रिलोक कपूर ने कहा कि हिमाचल में निर्मित होने वाले सीमेंट की पिछले दो वर्षों में चार बार कीमतें बढ़ाई गई। इन 2 सालों में 100 रुपए के लगभग कीमत बढ़ी, जिसके चलते 445 रुपए से कम सीमेंट की बोरी नहीं मिल रही है। टीसीपी में नक्शे पास करवाने की फीस पहले तीन हज़ार रुपए थी। जिसे अब बढ़ा कर 16 हज़ार रुपए कर दिया है। हिमाचल सरकार अब तक के दो साल के कार्यकाल में राज्य सरकार 27 हजार 465 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज ले चुकी है। बावजूद इसके इस सरकार के पास राज्य में विकास कार्य कार्य कराने के लिए बजट नहीं है। प्रदेश की जनता पर बढ़ाया टैक्स का बोझ उन्होंने कहा कि बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य हर जगह टैक्स का बोझ है। पिछली भाजपा सरकार द्वारा दी जाने वाली बिजली सब्सिडी बंद कर दी गई है। ग्रामीण आबादी पर पानी के शुल्क का बोझ डाला गया है। क्या कांग्रेस सरकार बिलासपुर में 11 दिसंबर को जनता को ठगने का जश्न मनाने जा रही है। यही झूठी गारंटियां कांग्रेस सरकार के पतन का कारण बनेंगी। यही नहीं कांगड़ा के साथ भी भेदभाव किया गया। सेंट्रल यूनिवर्सिटी का निर्माण जो कि 30 करोड़ रुपए जमा नहीं करवाए जा रहे। कांगड़ा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक में वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी के नाम पर किन मित्रों को खुश किया जा रहा। कपूर ने कहा कि हिमाचल में भी कांग्रेस पार्टी ने जनता को केवल धोखा देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि न महिलाओं को 1500 रुपए मिले, न युवाओं को नौकरियां मिली। प्रदेश के लोगों को बस मिला तो केवल धोखा ही धोखा।
हिमाचल में स्ट्रीट वेंडर्स पॉलिसी बनाने के लिए कमेटी गठित:उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान अध्यक्ष होंगे; तहबाजारियों पर नकेल कसेगी
हिमाचल में स्ट्रीट वेंडर्स पॉलिसी बनाने के लिए कमेटी गठित:उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान अध्यक्ष होंगे; तहबाजारियों पर नकेल कसेगी मस्जिद विवाद के बीच उठी स्ट्रीट वेंडर्स पॉलिसी की मांग को लेकर शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने स्ट्रीट वेंडर्स पॉलिसी के लिए कमेटी का गठन कर दिया। कमेटी प्रदेश भर में तहबाजारी करने वाले बाहरी और हिमाचली लोगों के लिए पॉलिसी बनाएगी। उन्होंने कमेटी के अध्यक्ष और उसके सदस्यों के नामों की घोषणा कर दी है। विधानसभा सचिवालय के जारी नोटिफिकेशन के अनुसार उद्योग मंत्री हर्षवर्धन सिंह चौहान कमेटी के अध्यक्ष होंगे। उनके अलावा कमेटी में मंत्री अनिरुद्ध सिंह, विक्रमादित्य सिंह और भाजपा विधायक अनिल शर्मा ,सतपाल सिंह सती, रणधीर शर्मा और शिमला शहर से कांग्रेस विधायक हरीश जनारथा को शामिल किया। यह कमेटी प्रदेश में बाहरी एवं प्रदेश के स्थानीय लोगों के लिए स्ट्रीट वेंडर्स पॉलिसी बनाकर उसकी रिपोर्ट सरकार को देगी। समिति के सचिव की जिम्मेदारी शहरी विकास विभाग के सचिव पर रहेगी। कहां से उठी मांग…?
संजौली से सुलगी मस्जिद विवाद की चिंगारी पूरे प्रदेश में फैली हुई है, जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। इस दौरान हिन्दू संगठनों ने समुदाय विशेष के बाहरी लोगों पर हिमाचल प्रदेश में हर कही बैठ कर कारोबार करने और आपराधिक घटनाओं को अंजाम देकर माहौल खराब करने के आरोप लगा रहे हैं। मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने विधानसभा के मानसून सत्र में स्ट्रीट वेंडर्स पॉलिसी की मांग की । उन्होंने कहा कि बिना वैरिफिकेशन के बाहरी लोग शिमला में आकर बैठ रहे हैं और यहां आपराधिक गतिविधियों में शामिल है। इनकी कोई पहचान नहीं है। प्रदेश का माहौल खराब कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी आरोप लगा रहे है कि बाहर से आने वाले लोग आपराधिक गतिविधियां करके शिमला सहित हिमाचल प्रदेश में माहौल खराब कर रहे है। प्रदर्शन के माध्यम से लोग बाहरी लोगों की प्रॉपर वैरिफिकेशन व उनके बेकग्राऊंड की प्रॉपर जांच के बाद हिमाचल में उनको कारोबार करने की अनुमति देने की मांग कर रहे हैं। मामला विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान उठा और इस दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्ट्रीट वेंडर्स पॉलिसी को लेकर कमेटी गठित करने बात कही थी। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष व सीएम इसका फैसला करेंगे। इसमें दोनों दलों के विधायकों शामिल किया जाएगा। जो स्ट्रीट वेंडर्स पॉलिसी के लिए विचार करेगी। शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष ने कमेटी का गठन कर दिया है जो स्ट्रीट वेंडर्स पॉलिसी को लेकर रिपोर्ट तैयार करेगी। पॉलिसी बनाकर अवैध तहबाजारियों पर कसेगी नकेल
हिमाचल प्रदेश में प्रदेश सरकार अवैध तहबाजारियों पर पॉलिसी बनाकर नकेल कसेगी। प्रदेश में राजधानी शिमला सहित कई बड़े शहर तहबाजारियों की समस्या से जूझ रहे है। तहबाजारी प्रदेश के अलग-अलग शहरों में बिना अनुमति व लाइसेंस के बगैर अपनी दुकानें सजाते हैं। जिसके कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अब पॉलिसी बनने के बाद लाइसेंस लेने वाले तहबाजारी ही अपनी दुकान सजा पाएंगे।