ब्रजवासियों के आग्रह और NRI ग्रीन सोसाइटी के अध्यक्ष द्वारा माफी मांगने के बाद एक बार फिर संत प्रेमानंद महाराज ने अपनी रात्रिकालीन पदयात्रा शुरू कर दी है। आज रात दो बजे संत प्रेमानंद महाराज उसी रास्ते से पदयात्रा करते हुए निकले जिससे वह 6 फरवरी से पहले निकलते थे। संत प्रेमानंद महाराज ने पदयात्रा शुरू की तो भक्तों के चेहरे पर खुशी छा गई और उन्होंने रंगोली बनाकर स्वागत किया। 14 दिन से बदले हुए रास्ते से जा रहे थे संत प्रेमानंद महाराज 4 फरवरी को NRI ग्रीन सोसाइटी के लोगों ने संत प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा के दौरान बजने वाले ढोल और आतिशबाजी का विरोध किया तो कुछ लोगों ने कहा कि यह उनकी पदयात्रा का विरोध है। मामला बढ़ा तो संत प्रेमानंद महाराज ने 6 फरवरी से अपनी पदयात्रा स्थगित कर दी। जिसके बाद वह श्री कृष्ण शरणम् सोसाइटी से रात 2 बजे की जगह सुबह 4 बजे पदयात्रा न करके गाड़ी से केली कुंज आश्रम जाने लगे। इसके लिए उन्होंने अपना रास्ता भी बदल दिया था। पहले देखिए यात्रा की फोटो भक्त हुए उत्साहित 14 दिन आज रात 2 बजे संत प्रेमानंद महाराज एक बार फिर जैसे ही श्री कृष्ण शरणम् सोसाइटी से बाहर पदयात्रा करते हुए निकले तो भक्त उत्साहित हो गए और राधा-रानी की जय जयकार कर उठे। इतना ही नहीं उन्होंने पहले की तरह पूरे रास्ते में रंगोली भी सजाई। भक्तों का कहना था कि महाराज जी तो राधा रानी की सेवा करते हैं ब्रजवासी तो उनके प्राण हैं। फिर लोगों ने क्यों विरोध किया था। किसी ने जलाए दीपक तो किसी ने बनाई रंगोली संत प्रेमानंद महाराज ने एक बार फिर रात्रि कालीन पदयात्रा शुरू की तो भक्तों में उत्साह देखने लायक था। संत प्रेमानंद महाराज जैसे ही श्री कृष्णम सोसाइटी से बाहर निकले भक्तों ने उनके स्वागत में फूलों से रंगोली सजा दी। इतना ही नहीं कई भक्तों ने उनके दोबारा पदयात्रा शुरू करने की खुशी में दीपक जलाए। ऐसा लग रहा था जैसे दीपावली मनाई जा रही हो। पदयात्रा शुरू होने से खुश दिखे दुकानदार संत प्रेमानंद महाराज ने पदयात्रा शुरू की तो दुकानदार भी खुश दिखे। फूल,तस्वीर,चाय,नाश्ता,ढाबा चलाने वाले दुकानदारों का कहना था पदयात्रा स्थगित होने से उनका रोजी रोजगार ठप हो गया था। यात्रा दोबारा शुरू हुई है तो अब उनका रोजगार भी चलने लगेगा। फूल बेचने वाले सूरज ने बताया कि आज कई दिन बाद अच्छी मात्रा में फूल बिके हैं। चाय का ठेला लगाने वाले राज ने बताया कि वह महाराज जी के भक्त हैं। महाराज जी की पदयात्रा पर आने से रोजगार तो चलेगा ही सबसे महत्वपूर्ण उनके दर्शन हो जाएंगे। NRI ग्रीन सोसाइटी के बाहर भी हुआ स्वागत संत प्रेमानंद महाराज पुराने रास्ते से पदयात्रा करते हुए जब NRI ग्रीन सोसाइटी के बाहर पहुंचे तो वहां भी भक्त उनका स्वागत करते नजर आए। यहां सोसाइटी के लोगों ने उनके स्वागत में रंगोली बजाई और राधा नाम का संकीर्तन किया। यह वही सोसाइटी है जिसके निवासियों ने रात्रि कालीन पदयात्रा के दौरान बजने वाले ढोल और आतिशबाजी का विरोध किया था। ये खबर भी पढ़िए… मां को गीता सुनाते-सुनाते बनीं संन्यासिनी, VIDEO; मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ी; जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर जय अंबानंद गिरि की कहानी मैं 5 भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर थी। मां पढ़ी-लिखी नहीं थीं। बचपन में मां अपने बगल में मुझे बैठाकर गीता और भागवत पुराण आदि सुनाने को कहती थीं। पढ़ाई के बाद एक इंटरनेशनल कंपनी में मैनेजर बन गई, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया और संन्यास की तरफ बढ़ गई। यह कहना है श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर जय अंबानंद गिरि का। पढ़िए पूरी खबर ब्रजवासियों के आग्रह और NRI ग्रीन सोसाइटी के अध्यक्ष द्वारा माफी मांगने के बाद एक बार फिर संत प्रेमानंद महाराज ने अपनी रात्रिकालीन पदयात्रा शुरू कर दी है। आज रात दो बजे संत प्रेमानंद महाराज उसी रास्ते से पदयात्रा करते हुए निकले जिससे वह 6 फरवरी से पहले निकलते थे। संत प्रेमानंद महाराज ने पदयात्रा शुरू की तो भक्तों के चेहरे पर खुशी छा गई और उन्होंने रंगोली बनाकर स्वागत किया। 14 दिन से बदले हुए रास्ते से जा रहे थे संत प्रेमानंद महाराज 4 फरवरी को NRI ग्रीन सोसाइटी के लोगों ने संत प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा के दौरान बजने वाले ढोल और आतिशबाजी का विरोध किया तो कुछ लोगों ने कहा कि यह उनकी पदयात्रा का विरोध है। मामला बढ़ा तो संत प्रेमानंद महाराज ने 6 फरवरी से अपनी पदयात्रा स्थगित कर दी। जिसके बाद वह श्री कृष्ण शरणम् सोसाइटी से रात 2 बजे की जगह सुबह 4 बजे पदयात्रा न करके गाड़ी से केली कुंज आश्रम जाने लगे। इसके लिए उन्होंने अपना रास्ता भी बदल दिया था। पहले देखिए यात्रा की फोटो भक्त हुए उत्साहित 14 दिन आज रात 2 बजे संत प्रेमानंद महाराज एक बार फिर जैसे ही श्री कृष्ण शरणम् सोसाइटी से बाहर पदयात्रा करते हुए निकले तो भक्त उत्साहित हो गए और राधा-रानी की जय जयकार कर उठे। इतना ही नहीं उन्होंने पहले की तरह पूरे रास्ते में रंगोली भी सजाई। भक्तों का कहना था कि महाराज जी तो राधा रानी की सेवा करते हैं ब्रजवासी तो उनके प्राण हैं। फिर लोगों ने क्यों विरोध किया था। किसी ने जलाए दीपक तो किसी ने बनाई रंगोली संत प्रेमानंद महाराज ने एक बार फिर रात्रि कालीन पदयात्रा शुरू की तो भक्तों में उत्साह देखने लायक था। संत प्रेमानंद महाराज जैसे ही श्री कृष्णम सोसाइटी से बाहर निकले भक्तों ने उनके स्वागत में फूलों से रंगोली सजा दी। इतना ही नहीं कई भक्तों ने उनके दोबारा पदयात्रा शुरू करने की खुशी में दीपक जलाए। ऐसा लग रहा था जैसे दीपावली मनाई जा रही हो। पदयात्रा शुरू होने से खुश दिखे दुकानदार संत प्रेमानंद महाराज ने पदयात्रा शुरू की तो दुकानदार भी खुश दिखे। फूल,तस्वीर,चाय,नाश्ता,ढाबा चलाने वाले दुकानदारों का कहना था पदयात्रा स्थगित होने से उनका रोजी रोजगार ठप हो गया था। यात्रा दोबारा शुरू हुई है तो अब उनका रोजगार भी चलने लगेगा। फूल बेचने वाले सूरज ने बताया कि आज कई दिन बाद अच्छी मात्रा में फूल बिके हैं। चाय का ठेला लगाने वाले राज ने बताया कि वह महाराज जी के भक्त हैं। महाराज जी की पदयात्रा पर आने से रोजगार तो चलेगा ही सबसे महत्वपूर्ण उनके दर्शन हो जाएंगे। NRI ग्रीन सोसाइटी के बाहर भी हुआ स्वागत संत प्रेमानंद महाराज पुराने रास्ते से पदयात्रा करते हुए जब NRI ग्रीन सोसाइटी के बाहर पहुंचे तो वहां भी भक्त उनका स्वागत करते नजर आए। यहां सोसाइटी के लोगों ने उनके स्वागत में रंगोली बजाई और राधा नाम का संकीर्तन किया। यह वही सोसाइटी है जिसके निवासियों ने रात्रि कालीन पदयात्रा के दौरान बजने वाले ढोल और आतिशबाजी का विरोध किया था। ये खबर भी पढ़िए… मां को गीता सुनाते-सुनाते बनीं संन्यासिनी, VIDEO; मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ी; जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर जय अंबानंद गिरि की कहानी मैं 5 भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर थी। मां पढ़ी-लिखी नहीं थीं। बचपन में मां अपने बगल में मुझे बैठाकर गीता और भागवत पुराण आदि सुनाने को कहती थीं। पढ़ाई के बाद एक इंटरनेशनल कंपनी में मैनेजर बन गई, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया और संन्यास की तरफ बढ़ गई। यह कहना है श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर जय अंबानंद गिरि का। पढ़िए पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
संत प्रेमानंद महाराज ने शुरू की पदयात्रा:हजारों भक्तों के साथ सोसायटी के लोग रहे मौजूद,रंगोली बनाकर किया स्वागत
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