ट्रैक पर रेगुलेटर खोलकर सिलेंडर रखा, ताकि आग लग जाए:कानपुर में ATS ने खंगाले सबूत; LPG और बीयर कैन पर फिंगर प्रिंट मिले

ट्रैक पर रेगुलेटर खोलकर सिलेंडर रखा, ताकि आग लग जाए:कानपुर में ATS ने खंगाले सबूत; LPG और बीयर कैन पर फिंगर प्रिंट मिले

कानपुर में प्रेमपुर स्टेशन के पास ट्रैक पर 5 Kg सिलेंडर रखकर बड़ी साजिश को अंजाम दिया गया। JTTN गुड्स ट्रेन के लोको पायलट ने सिलेंडर देखते ही इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को 10 फीट पहले ही रोक लिया। खास बात है कि सिलेंडर पर रेगुलेटर लगा था। ऑन-ऑफ करने वाली नॉब खुली थी। मतलब-ट्रैक पर सिलेंडर रखा गया तो उसकी गैस खोल दी गई थी। जांच एजेंसी मान रही है कि साजिश करने वालों ने रेगुलेटर को इसलिए खुला छोड़ा गया, ताकि ट्रेन के गुजरने पर पहिए से निकलने वाली चिंगारी से आग भड़क जाए। तेज धमाका हो, ट्रेन में आग लग जाए। मगर, ड्राइवर के इमरजेंसी ब्रेक लगाने से बड़ा हादसा टल गया। शायद सिलेंडर रखने वालों को यह भी नहीं पता था कि ट्रैक पर मालगाड़ी आने वाली है। 2 बड़े सवाल, जिनके जवाब एजेंसियां ढूंढ रहीं… फोरेंसिक टीम को फिंगर प्रिंट मिले, यही अहम साक्ष्य
IB, ATS, RPF, GRP और कानपुर पुलिस इनपुट जुटा रही हैं। हालांकि, फोरेंसिक रिपोर्ट का अहम रोल है। कानपुर मुख्यालय से करीब 45 किमी दूर सरसौल प्रेमपुर स्टेशन क्राइम स्पॉट है, जहां साजिश रची गई। फोरेंसिक टीम को मौके से 5 Kg का LPG सिलेंडर, बीयर कैन, पानी की बोतल, चिप्स की पैकेट मिली। टीम को इन सबूतों पर फिंगर प्रिंट मिले हैं। फिंगर प्रिंट को संदिग्ध माने जा रहे लोगों से मिलान कराया जाएगा। दैनिक भास्कर ने सभी जांच एजेंसियों से अलग-अलग बात की। जो थ्योरी समझ में आई, वो कुछ ऐसी है कि LPG सिलेंडर को पटरी पर रखा गया। साजिश करने वालों ने ट्रेन की टाइमिंग के अनुसार ही सिलेंडर प्लांट किया। मगर ट्रेन समय पर नहीं आई। रेगुलेटर खोल दिया गया था। ताकि एक चिंगारी और बड़ा धमाका हो सके। लेकिन, मालगाड़ी जब तक पहुंची, सिलेंडर खाली हो चुका था। सिलेंडर 5 Kg का ही क्यों रखा गया? एजेंसियां मान रही हैं कि बड़ा सिलेंडर लाने-ले जाने में मुश्किल होता है। प्रेमपुर स्टेशन से सिर्फ 200 मीटर दूर पर सिलेंडर प्लांट किया गया। ट्रैक पर जहां सिलेंडर रखा गया, फोरेंसिक टीम ने उससे आगे 200 मीटर और पीछे की तरफ 200 मीटर तक मिट्‌टी में फुट प्रिंट ढूंढे हैं। कितने फुट प्रिंट मिले हैं? यह टीम ने अभी नहीं बताया है। डॉग स्क्वायड ट्रैक के साथ करीब 150 मीटर तक चला। फिर भटक गया। इससे यह तो साफ है कि साजिश रचने वाले इस ट्रैक के साथ-साथ आए होंगे। पटरी पर सिलेंडर मिलने के बाद दोनों तरफ 500-500 मीटर गैंगमैन से ट्रैक की जांच करवाई गई। देखा गया कि ट्रैक पर कहां-कहां चोट के निशान हैं, पेंड्रोल क्लिप निकालने की कोशिश तो नहीं हुई? दरअसल, माना जा रहा है कि लूप लाइन के ट्रैक को इसलिए चुना गया, क्योंकि पटरी को मजबूती देने के लिए पत्थरों का सपोर्ट दिया जाता है। लूप लाइन कच्ची मिट्‌टी के ठीक बगल में होती है। उसको कमजोर करना ज्यादा आसान है। साजिश रचने वालों ने इस बार भी हाईवे किनारे से गुजर रहे ट्रैक को चुना है। यहां जांच एजेंसियों की पुरानी थ्योरी है कि सिलेंडर रखने के बाद भागना आसान हो जाता है। इस स्पॉट के पास से एक छोटा रास्ता भी जा रहा है, जोकि आगे रेलवे क्वार्टर पर खत्म होता है। FIR में क्या लिखा, पढ़िए…
रेल पथ अधिकारी विश्राम मीना ने FIR दर्ज कराई। उसमें लिखा गया- 22 सितंबर, 2024 को लगभग 6:02 बजे की-मैन राम आसरे ने सूचना दी की डीएन/लूप लाइन किमी संख्या 990/28-26 के बीच एक गैस का छोटा सिलेंडर दाहिनी तरफ पर लुढ़काकर रखा है। इसी समय ASM द्वारा मेमो दिया गया। मैं तुरंत साइट पर पहुंचा। देखा कि सिलेंडर रखा है। चूंकि ट्रेन को चलाना था, इसलिए सिलेंडर को उठाकर पॉइंट मैन राज कुमार यादव और मालगाड़ी के ड्राइवर की उपस्थिति में टैंक से बाहर रखवाया। टैंक को क्लियर किया। मालगाड़ी समय 6:22 बजे रवाना हुई। ऐसा प्रतीत होता है कि किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा सिलेंडर रखा गया होगा। सिलेंडर को फोरेंसिक टीम जांच के लिए ले गई। हर बार हाईवे किनारे के रेलवे ट्रैक ही चुने
कानपुर में 38 दिन के भीतर 3 बार ट्रेन को पलटाने की साजिश रची गई। खास बात है कि तीनों बार हाईवे के किनारे ही रेलवे ट्रैक को चुना गया। इससे पीछे जांच एजेंसियों का मानना है कि साजिश करने वाले आसानी से भागने की प्लानिंग के साथ ऐसा कर रहे हैं। सबसे पहले 16 अगस्त, 2024 को गोविंदपुर स्टेशन के पास गुजैनी पुल के नीचे साबरमती एक्सप्रेस को पलटाने की साजिश रची गई। ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया, इससे ट्रेन डिरेल हो गई, लेकिन बड़ा हादसा होने से टल गया। दूसरी बार शिवराजपुर टोल के पास रेलवे ट्रैक पर एलपीजी सिलेंडर और विस्फोटक रखकर कालिंदी एक्सप्रेस ट्रेन को पलटाने की साजिश रची गई। गनीमत रही कि सिलेंडर फटा नहीं और बड़ा हादसा होने से टल गया। यह साजिश भी कानपुर से एक्सप्रेस-वे को जाने वाले हाईवे से चंद कदम की दूरी पर रची गई। तीसरी साजिश रविवार को भोर में कानपुर सरसौल के प्रेमपुर स्टेशन से 200 मीटर की दूरी पर हुई। इस बार भी कानपुर प्रयागराज हाईवे से दो किमी. अंदर स्टेशन पर साजिश रची गई। इससे माना जा रहा है कि साजिश करने वाला आसानी से भाग सके। इस वजह से हाईवे से जुड़े या चंद कदम की दूरी वाले रेलवे ट्रैक को ही निशाना बनाया जा रहा है। साजिश पर ADG रेलवे ने क्या-कुछ कहा, ये भी पढ़िए… कानपुर में साबरमती और फिर कालिंदी, अब प्रेमपुर स्टेशन के साथ लगातार ट्रेन पटरियों पर साजिश पर क्या कहना है?
एडीजी रेलवे प्रकाश डी ने कहा- आज कानपुर में महाराजपुर थाना क्षेत्र के दायरे में आने वाले प्रेमपुर रेलवे स्टेशन के लूप लाइन पर 5 किलो का सिलेंडर रखा हुआ मिला है। सिलेंडर जब मिला, तब खाली था। उसे हटाकर फोरेंसिक ने जांच की है। फिंगर प्रिंट लिए गए। डॉग स्क्वायड किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है। पब्लिक से अपील है कि रेल पटरी के पास कोई संदिग्ध गतिविधि देखकर हमें फोन करें, ताकि कार्रवाई हो सके। क्या ये कोई साजिश है?
इतने बड़े सिलेंडर से ट्रेन हादसा होगा या नहीं, यह इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट बताएगा। इतना जरूर है कि वह लोग ट्रेन को नुकसान पहुंचाना चाहते थे। घटना जीआरपी क्षेत्र की है। वही एफआईआर दर्ज करेगी, लेकिन इसकी जांच संयुक्त रूप से चल रही है। रेलवे ट्रैक की मॉनिटरिंग कैसे करेंगे?
बहुत कठिन टास्क है कि रेलवे ट्रैक की मॉनिटरिंग की जा सके। न ही इतना बल है और न ही इतनी टेक्नोलॉजी है। यह कोई ऑर्गनाइज्ड गैंग नहीं है। इसे पकड़ना आवश्यक है, धैर्य के साथ सभी एजेंसियां जांच कर रही हैं। साबरमती और कालिंदी एक्सप्रेस की जांच चल रही है, जैसे कुछ महत्वपूर्ण फाइंडिंग आएगी उसे मीडिया से साझा किया जाएगा। क्या कोई शरारत भी हो सकती है?
देखिए शरारत है, या एडवेंचर है या फिर कोई सबोटाज करना चाहता है, या फिर कोई रैडिकल है। जब हम किसी नतीजे पर पहुंचेंगे, तभी कुछ साफ हो सकेगा। अब आपको पहले दिन की कवरेज पढ़वाते हैं… कानपुर में पटरी पर रखा गैस सिलेंडर, ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर रोकी ट्रेन; फोरेंसिक टीम ने सीन रिक्रिएट किया कानपुर में एक बार फिर ट्रेन पलटाने की साजिश की गई। यहां पटरी पर गैस सिलेंडर रखा गया। शुक्र था कि ड्राइवर की पहले ही नजर पड़ गई। उसने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिए। ठीक 10 फीट पहले गुड्स ट्रेन रुक गई। घटना रविवार सुबह 5.50 बजे की कानपुर से 35 किमी दूर प्रेमपुर रेलवे स्टेशन की है। प्रेमपुर दिल्ली-हावड़ा रूट पर कानपुर और प्रयागराज के बीच है। मालगाड़ी कानपुर से प्रयागराज जा रही थी। प्रेमपुर में गुड्स ट्रेन का स्टाप था। ट्रेन की स्पीड धीमी थी। लोको पायलट ने ट्रैक पर सिलेंडर रखा देखा तो घबरा गया। तुरंत इमरजेंसी ब्रेक मारे। पढ़िए पूरी खबर… कानपुर में प्रेमपुर स्टेशन के पास ट्रैक पर 5 Kg सिलेंडर रखकर बड़ी साजिश को अंजाम दिया गया। JTTN गुड्स ट्रेन के लोको पायलट ने सिलेंडर देखते ही इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को 10 फीट पहले ही रोक लिया। खास बात है कि सिलेंडर पर रेगुलेटर लगा था। ऑन-ऑफ करने वाली नॉब खुली थी। मतलब-ट्रैक पर सिलेंडर रखा गया तो उसकी गैस खोल दी गई थी। जांच एजेंसी मान रही है कि साजिश करने वालों ने रेगुलेटर को इसलिए खुला छोड़ा गया, ताकि ट्रेन के गुजरने पर पहिए से निकलने वाली चिंगारी से आग भड़क जाए। तेज धमाका हो, ट्रेन में आग लग जाए। मगर, ड्राइवर के इमरजेंसी ब्रेक लगाने से बड़ा हादसा टल गया। शायद सिलेंडर रखने वालों को यह भी नहीं पता था कि ट्रैक पर मालगाड़ी आने वाली है। 2 बड़े सवाल, जिनके जवाब एजेंसियां ढूंढ रहीं… फोरेंसिक टीम को फिंगर प्रिंट मिले, यही अहम साक्ष्य
IB, ATS, RPF, GRP और कानपुर पुलिस इनपुट जुटा रही हैं। हालांकि, फोरेंसिक रिपोर्ट का अहम रोल है। कानपुर मुख्यालय से करीब 45 किमी दूर सरसौल प्रेमपुर स्टेशन क्राइम स्पॉट है, जहां साजिश रची गई। फोरेंसिक टीम को मौके से 5 Kg का LPG सिलेंडर, बीयर कैन, पानी की बोतल, चिप्स की पैकेट मिली। टीम को इन सबूतों पर फिंगर प्रिंट मिले हैं। फिंगर प्रिंट को संदिग्ध माने जा रहे लोगों से मिलान कराया जाएगा। दैनिक भास्कर ने सभी जांच एजेंसियों से अलग-अलग बात की। जो थ्योरी समझ में आई, वो कुछ ऐसी है कि LPG सिलेंडर को पटरी पर रखा गया। साजिश करने वालों ने ट्रेन की टाइमिंग के अनुसार ही सिलेंडर प्लांट किया। मगर ट्रेन समय पर नहीं आई। रेगुलेटर खोल दिया गया था। ताकि एक चिंगारी और बड़ा धमाका हो सके। लेकिन, मालगाड़ी जब तक पहुंची, सिलेंडर खाली हो चुका था। सिलेंडर 5 Kg का ही क्यों रखा गया? एजेंसियां मान रही हैं कि बड़ा सिलेंडर लाने-ले जाने में मुश्किल होता है। प्रेमपुर स्टेशन से सिर्फ 200 मीटर दूर पर सिलेंडर प्लांट किया गया। ट्रैक पर जहां सिलेंडर रखा गया, फोरेंसिक टीम ने उससे आगे 200 मीटर और पीछे की तरफ 200 मीटर तक मिट्‌टी में फुट प्रिंट ढूंढे हैं। कितने फुट प्रिंट मिले हैं? यह टीम ने अभी नहीं बताया है। डॉग स्क्वायड ट्रैक के साथ करीब 150 मीटर तक चला। फिर भटक गया। इससे यह तो साफ है कि साजिश रचने वाले इस ट्रैक के साथ-साथ आए होंगे। पटरी पर सिलेंडर मिलने के बाद दोनों तरफ 500-500 मीटर गैंगमैन से ट्रैक की जांच करवाई गई। देखा गया कि ट्रैक पर कहां-कहां चोट के निशान हैं, पेंड्रोल क्लिप निकालने की कोशिश तो नहीं हुई? दरअसल, माना जा रहा है कि लूप लाइन के ट्रैक को इसलिए चुना गया, क्योंकि पटरी को मजबूती देने के लिए पत्थरों का सपोर्ट दिया जाता है। लूप लाइन कच्ची मिट्‌टी के ठीक बगल में होती है। उसको कमजोर करना ज्यादा आसान है। साजिश रचने वालों ने इस बार भी हाईवे किनारे से गुजर रहे ट्रैक को चुना है। यहां जांच एजेंसियों की पुरानी थ्योरी है कि सिलेंडर रखने के बाद भागना आसान हो जाता है। इस स्पॉट के पास से एक छोटा रास्ता भी जा रहा है, जोकि आगे रेलवे क्वार्टर पर खत्म होता है। FIR में क्या लिखा, पढ़िए…
रेल पथ अधिकारी विश्राम मीना ने FIR दर्ज कराई। उसमें लिखा गया- 22 सितंबर, 2024 को लगभग 6:02 बजे की-मैन राम आसरे ने सूचना दी की डीएन/लूप लाइन किमी संख्या 990/28-26 के बीच एक गैस का छोटा सिलेंडर दाहिनी तरफ पर लुढ़काकर रखा है। इसी समय ASM द्वारा मेमो दिया गया। मैं तुरंत साइट पर पहुंचा। देखा कि सिलेंडर रखा है। चूंकि ट्रेन को चलाना था, इसलिए सिलेंडर को उठाकर पॉइंट मैन राज कुमार यादव और मालगाड़ी के ड्राइवर की उपस्थिति में टैंक से बाहर रखवाया। टैंक को क्लियर किया। मालगाड़ी समय 6:22 बजे रवाना हुई। ऐसा प्रतीत होता है कि किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा सिलेंडर रखा गया होगा। सिलेंडर को फोरेंसिक टीम जांच के लिए ले गई। हर बार हाईवे किनारे के रेलवे ट्रैक ही चुने
कानपुर में 38 दिन के भीतर 3 बार ट्रेन को पलटाने की साजिश रची गई। खास बात है कि तीनों बार हाईवे के किनारे ही रेलवे ट्रैक को चुना गया। इससे पीछे जांच एजेंसियों का मानना है कि साजिश करने वाले आसानी से भागने की प्लानिंग के साथ ऐसा कर रहे हैं। सबसे पहले 16 अगस्त, 2024 को गोविंदपुर स्टेशन के पास गुजैनी पुल के नीचे साबरमती एक्सप्रेस को पलटाने की साजिश रची गई। ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया, इससे ट्रेन डिरेल हो गई, लेकिन बड़ा हादसा होने से टल गया। दूसरी बार शिवराजपुर टोल के पास रेलवे ट्रैक पर एलपीजी सिलेंडर और विस्फोटक रखकर कालिंदी एक्सप्रेस ट्रेन को पलटाने की साजिश रची गई। गनीमत रही कि सिलेंडर फटा नहीं और बड़ा हादसा होने से टल गया। यह साजिश भी कानपुर से एक्सप्रेस-वे को जाने वाले हाईवे से चंद कदम की दूरी पर रची गई। तीसरी साजिश रविवार को भोर में कानपुर सरसौल के प्रेमपुर स्टेशन से 200 मीटर की दूरी पर हुई। इस बार भी कानपुर प्रयागराज हाईवे से दो किमी. अंदर स्टेशन पर साजिश रची गई। इससे माना जा रहा है कि साजिश करने वाला आसानी से भाग सके। इस वजह से हाईवे से जुड़े या चंद कदम की दूरी वाले रेलवे ट्रैक को ही निशाना बनाया जा रहा है। साजिश पर ADG रेलवे ने क्या-कुछ कहा, ये भी पढ़िए… कानपुर में साबरमती और फिर कालिंदी, अब प्रेमपुर स्टेशन के साथ लगातार ट्रेन पटरियों पर साजिश पर क्या कहना है?
एडीजी रेलवे प्रकाश डी ने कहा- आज कानपुर में महाराजपुर थाना क्षेत्र के दायरे में आने वाले प्रेमपुर रेलवे स्टेशन के लूप लाइन पर 5 किलो का सिलेंडर रखा हुआ मिला है। सिलेंडर जब मिला, तब खाली था। उसे हटाकर फोरेंसिक ने जांच की है। फिंगर प्रिंट लिए गए। डॉग स्क्वायड किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है। पब्लिक से अपील है कि रेल पटरी के पास कोई संदिग्ध गतिविधि देखकर हमें फोन करें, ताकि कार्रवाई हो सके। क्या ये कोई साजिश है?
इतने बड़े सिलेंडर से ट्रेन हादसा होगा या नहीं, यह इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट बताएगा। इतना जरूर है कि वह लोग ट्रेन को नुकसान पहुंचाना चाहते थे। घटना जीआरपी क्षेत्र की है। वही एफआईआर दर्ज करेगी, लेकिन इसकी जांच संयुक्त रूप से चल रही है। रेलवे ट्रैक की मॉनिटरिंग कैसे करेंगे?
बहुत कठिन टास्क है कि रेलवे ट्रैक की मॉनिटरिंग की जा सके। न ही इतना बल है और न ही इतनी टेक्नोलॉजी है। यह कोई ऑर्गनाइज्ड गैंग नहीं है। इसे पकड़ना आवश्यक है, धैर्य के साथ सभी एजेंसियां जांच कर रही हैं। साबरमती और कालिंदी एक्सप्रेस की जांच चल रही है, जैसे कुछ महत्वपूर्ण फाइंडिंग आएगी उसे मीडिया से साझा किया जाएगा। क्या कोई शरारत भी हो सकती है?
देखिए शरारत है, या एडवेंचर है या फिर कोई सबोटाज करना चाहता है, या फिर कोई रैडिकल है। जब हम किसी नतीजे पर पहुंचेंगे, तभी कुछ साफ हो सकेगा। अब आपको पहले दिन की कवरेज पढ़वाते हैं… कानपुर में पटरी पर रखा गैस सिलेंडर, ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर रोकी ट्रेन; फोरेंसिक टीम ने सीन रिक्रिएट किया कानपुर में एक बार फिर ट्रेन पलटाने की साजिश की गई। यहां पटरी पर गैस सिलेंडर रखा गया। शुक्र था कि ड्राइवर की पहले ही नजर पड़ गई। उसने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिए। ठीक 10 फीट पहले गुड्स ट्रेन रुक गई। घटना रविवार सुबह 5.50 बजे की कानपुर से 35 किमी दूर प्रेमपुर रेलवे स्टेशन की है। प्रेमपुर दिल्ली-हावड़ा रूट पर कानपुर और प्रयागराज के बीच है। मालगाड़ी कानपुर से प्रयागराज जा रही थी। प्रेमपुर में गुड्स ट्रेन का स्टाप था। ट्रेन की स्पीड धीमी थी। लोको पायलट ने ट्रैक पर सिलेंडर रखा देखा तो घबरा गया। तुरंत इमरजेंसी ब्रेक मारे। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर