शिरोमणि संत रविदास की जयंती मनाई जा रही है। वाराणसी में उनके गांव बेगमपुरा की भव्यता दिख रही है। यह पूरा गांव मिनी पंजाब बना हुआ है 2 Km के एरिया में 5 लाख रैदासी ठहरे हुए हैं। बुधवार को संत रविदास की प्रतिमा पर भक्तों ने कनाडाई नोटों की माला पहनाई। वहीं आसपा सांसद चंद्रशेखर भी संत रविदास के दरबार में पहुंचे। पार्लियामेंट में मेरे विरोध के बाद छुट्टी घोषित हुई
आसपा सांसद चंद्रशेखर ने कहा- पार्लियामेंट में मेरे विरोध करने के बाद कल रात में रविदास जयंती पर सरकार ने छुट्टी घोषित की। जबकि मैंने सीएम और पीएम को पत्र भी लिखा था कि संत रविदास जयंती का अवकाश होना चाहिए। जहां शोभायात्रा-नगर कीर्तन निकलता हो वहां परमिशन मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा- जब मुख्यमंत्री पर सवाल खड़े हुए तब लीपापोती करते हुए अवकाश घोषित किया गया। ये सब यूपी के सीएम जान बूझकर कर रहे हैं। संत रविदास के अनुयायियों का अपमान कर रहे हैं। हम लोग इसे भूलेंगे नहीं। सनातन नहीं युवाओं के लिए बने बोर्ड
सनातन बोर्ड बनने के सवाल पर सांसद ने कहा- नौजवानों के लिए भी बोर्ड बना दो कि उन्हें रोजगार मिल जाए। महिलाओं के लिए भी बोर्ड बना दो कि रेप जैसी घटनाएं बंद हो जाए। गरीबों के लिए भी एक बोर्ड बना दो जिसमें गरीबों के पेट तक रोटी पहुंच जाए। जब ये बन जाए तब किसी बोर्ड की बात करना। पहले 2 तस्वीरें देखिए… रविदास जयंती के अवसर पर उनकी जन्मस्थली वाराणसी के सीर गोवर्धन में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं आते हैं। आने वाले सभी लोग यहां आयोजित होने वाले भव्य कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं और संत रविदास के दरबार में मत्था टेकते हैं। खास बात यह है कि श्रद्धालुओं के साथ देश की शीर्ष राजनीतिक हस्तियां भी यहां पर अपनी हाजिरी लगाने जरूर आती हैं। इस वर्ष अनुमान लगाया जा रहा कि 10 लाख श्रद्धालु इस वर्ष शामिल होंगे। 5000 सेवादार मंदिर में दे रहे सेवा
हरियाणा, पंजाब, बिहार, झारखंड व अन्य राज्यों से लगभग 5000 की संख्या में पहुंचे सेवादार यहां 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं की सेवा करते रहे। बताया जा रहा है कि यहां पर 6 से अधिक भट्ठियों पर रोटियां पकाई गई हैं। करीब 20 लाख से अधिक रोटियां भक्तों के लिए बनाई जा रही है। लगभग 15 क्विंटल से अधिक नमक की खपत होगा। शामिल इसमें सेवादार खाने की व्यवस्था, सुरक्षा की व्यवस्था, दर्शन करने की व्यवस्था, ट्रैफिक व्यवस्था के साथ-साथ अन्य व्यवस्थाओं को देखते हैं। देश के अलग-अलग से पहुंचा है अनाज
श्रद्धालुओं की सेवा के लिए पंजाब से 1000 क्विंटल अनाज, मिर्जापुर और मध्य प्रदेश से 50 क्विंटल लकड़ी वाराणसी पहुंच चुकी है। रविदास मंदिर आने वाले भक्त लंगर जरूर कहते हैं इसलिए मंदिर प्रशासन द्वारा पांच जगह पर लंगर चलाया जा रहा है जिसमें तीन बड़े लंगर पंडाल बनाए गए हैं उसमें करीब 5000 लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है इस लंगर को संचालित करने के लिए एक पंडाल में 30 सेवादारों की तैनाती की गई है। महिलाएं गाना गाते हुए बनवा रही भोजन
लंगर में कुल चार प्रकार के व्यंजन पर उसे जाते हैं जिसमें छोला,दाल, सब्जी,मीठा चावल परोसा जाता है इसको तैयार करने के लिए कुल 1000 सेवादार 18 घंटे काम करते हैं। इसमें सबसे बड़ा योगदान महिलाओं का होता है जो लगातार बड़े तवे पर रोटी बनाती हैं। महिलाओं से हमने बात की उन्होंने बताया कि हम गुरु साहब की सेवा में यहां पहुंचे हैं। हमने यह भी देखा कि वह गाना गाते हुए सब्जी काट रही हैं, वहीं कुछ महिलाएं लगातार रोटी तैयार कर रही है इस लंगर की खास बात यह भी है कि यहां गरमा गरम भोजन ही दिया जाता है। विदेशों से अभी और पहुंचेंगे अनुयायी
संत रविदास मंदिर के पास संत के सपनों का गांव सज गया है। मंदिर प्रबंधन ने बताया कि अभी एनआरआई अनुयायी और पहुंचेंगे। उनके ठहरने की व्यवस्था कर ली गई है। बताया कि अमेरिका, लंदन, ऑस्ट्रेलिया, दुबई, कनाडा, फ्रांस, थाईलैंड से भी अनुयायी पहुंचे हैं। इन्हीं देशों से और अनुयायी सोमवार को पहुंच जाएंगे। 12 फरवरी को लाखों की तादात में अनुयायी मत्था टेकेंगे। किसने बनवाया था वाराणसी में संत रविदास का मंदिर?
रैदासियों के गुरु डेरा संत सरवन दास जी महाराज ने इस मौजूदा मंदिर का निर्माण कराया था। 1965 के आषाढ़ मास में इसकी नींव रखी गई थी और 7 साल बाद यानी 1972 में यह संत रविदास का यह मंदिर बनकर तैयार हुआ। मंदिर में 130 किलो सोने की पालकी संत रविदास मंदिर में 130 किलो सोने की पालकी रखी हुई है। पालकी को यूरोप के शिष्यों ने बनवाया था। इस पालकी को साल में एक बार जयंती के दिन ही मंदिर में निकाला जाता है। मंदिर के शिखर का कलश और छत्र तक सब कुछ सोने का है। एक भक्त ने संगत कर मंदिर में 35 किलो सोने का छत्र लगवाया था। मंदिर का निर्माण 1965 में हुआ था। यहां पहला स्वर्ण कलश 1994 में संत गरीब दास ने संगत के सहयोग से चढ़ाया था। बाद में भक्तों के सहयोग से 32 स्वर्ण कलश लगाए गए। सोने का है 35 किलोग्राम का दीपक
मंदिर में 2012 में 35 किलो का सोने का स्वर्ण दीपक चढ़ाया गया। इसमें अखंड ज्योति जलती है। दीपक में एक बार में पांच किलो घी भरा जाता है। आ चुके हैं अब तक वीवीआईपी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पूर्व सीएम मायावती, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत कई बड़े राजनेता यहां हाजिरी लगा चुके हैं। 600 साल पुराने पेड़ का रहस्य बरकरार
संत रविदास मंदिर के करीब इमली का पेड़ है. कहा जाता है कि इसी इमली के पेड़ के नीचे संत रविदास बैठकर सत्संग किया करते थे. आज यही लोगों की भीड़ उमड़ती है और भक्त अपनी मनोकामना लेकर यहां आते हैं और मत्था टेकते हैं। संत रविदास के जयंती के मौके पर यहां भक्तों की भीड़ होती है। इस पेड़ की देखरेख भी मंदिर ट्रस्ट ही करता है। ट्रस्ट से जुड़े सेवादार लालचंद पंजाब ने बताया कि 14 वीं शताब्दी में संत रविदास यही बैठकर सत्संग करते थे। शिरोमणि संत रविदास की जयंती मनाई जा रही है। वाराणसी में उनके गांव बेगमपुरा की भव्यता दिख रही है। यह पूरा गांव मिनी पंजाब बना हुआ है 2 Km के एरिया में 5 लाख रैदासी ठहरे हुए हैं। बुधवार को संत रविदास की प्रतिमा पर भक्तों ने कनाडाई नोटों की माला पहनाई। वहीं आसपा सांसद चंद्रशेखर भी संत रविदास के दरबार में पहुंचे। पार्लियामेंट में मेरे विरोध के बाद छुट्टी घोषित हुई
आसपा सांसद चंद्रशेखर ने कहा- पार्लियामेंट में मेरे विरोध करने के बाद कल रात में रविदास जयंती पर सरकार ने छुट्टी घोषित की। जबकि मैंने सीएम और पीएम को पत्र भी लिखा था कि संत रविदास जयंती का अवकाश होना चाहिए। जहां शोभायात्रा-नगर कीर्तन निकलता हो वहां परमिशन मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा- जब मुख्यमंत्री पर सवाल खड़े हुए तब लीपापोती करते हुए अवकाश घोषित किया गया। ये सब यूपी के सीएम जान बूझकर कर रहे हैं। संत रविदास के अनुयायियों का अपमान कर रहे हैं। हम लोग इसे भूलेंगे नहीं। सनातन नहीं युवाओं के लिए बने बोर्ड
सनातन बोर्ड बनने के सवाल पर सांसद ने कहा- नौजवानों के लिए भी बोर्ड बना दो कि उन्हें रोजगार मिल जाए। महिलाओं के लिए भी बोर्ड बना दो कि रेप जैसी घटनाएं बंद हो जाए। गरीबों के लिए भी एक बोर्ड बना दो जिसमें गरीबों के पेट तक रोटी पहुंच जाए। जब ये बन जाए तब किसी बोर्ड की बात करना। पहले 2 तस्वीरें देखिए… रविदास जयंती के अवसर पर उनकी जन्मस्थली वाराणसी के सीर गोवर्धन में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं आते हैं। आने वाले सभी लोग यहां आयोजित होने वाले भव्य कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं और संत रविदास के दरबार में मत्था टेकते हैं। खास बात यह है कि श्रद्धालुओं के साथ देश की शीर्ष राजनीतिक हस्तियां भी यहां पर अपनी हाजिरी लगाने जरूर आती हैं। इस वर्ष अनुमान लगाया जा रहा कि 10 लाख श्रद्धालु इस वर्ष शामिल होंगे। 5000 सेवादार मंदिर में दे रहे सेवा
हरियाणा, पंजाब, बिहार, झारखंड व अन्य राज्यों से लगभग 5000 की संख्या में पहुंचे सेवादार यहां 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं की सेवा करते रहे। बताया जा रहा है कि यहां पर 6 से अधिक भट्ठियों पर रोटियां पकाई गई हैं। करीब 20 लाख से अधिक रोटियां भक्तों के लिए बनाई जा रही है। लगभग 15 क्विंटल से अधिक नमक की खपत होगा। शामिल इसमें सेवादार खाने की व्यवस्था, सुरक्षा की व्यवस्था, दर्शन करने की व्यवस्था, ट्रैफिक व्यवस्था के साथ-साथ अन्य व्यवस्थाओं को देखते हैं। देश के अलग-अलग से पहुंचा है अनाज
श्रद्धालुओं की सेवा के लिए पंजाब से 1000 क्विंटल अनाज, मिर्जापुर और मध्य प्रदेश से 50 क्विंटल लकड़ी वाराणसी पहुंच चुकी है। रविदास मंदिर आने वाले भक्त लंगर जरूर कहते हैं इसलिए मंदिर प्रशासन द्वारा पांच जगह पर लंगर चलाया जा रहा है जिसमें तीन बड़े लंगर पंडाल बनाए गए हैं उसमें करीब 5000 लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है इस लंगर को संचालित करने के लिए एक पंडाल में 30 सेवादारों की तैनाती की गई है। महिलाएं गाना गाते हुए बनवा रही भोजन
लंगर में कुल चार प्रकार के व्यंजन पर उसे जाते हैं जिसमें छोला,दाल, सब्जी,मीठा चावल परोसा जाता है इसको तैयार करने के लिए कुल 1000 सेवादार 18 घंटे काम करते हैं। इसमें सबसे बड़ा योगदान महिलाओं का होता है जो लगातार बड़े तवे पर रोटी बनाती हैं। महिलाओं से हमने बात की उन्होंने बताया कि हम गुरु साहब की सेवा में यहां पहुंचे हैं। हमने यह भी देखा कि वह गाना गाते हुए सब्जी काट रही हैं, वहीं कुछ महिलाएं लगातार रोटी तैयार कर रही है इस लंगर की खास बात यह भी है कि यहां गरमा गरम भोजन ही दिया जाता है। विदेशों से अभी और पहुंचेंगे अनुयायी
संत रविदास मंदिर के पास संत के सपनों का गांव सज गया है। मंदिर प्रबंधन ने बताया कि अभी एनआरआई अनुयायी और पहुंचेंगे। उनके ठहरने की व्यवस्था कर ली गई है। बताया कि अमेरिका, लंदन, ऑस्ट्रेलिया, दुबई, कनाडा, फ्रांस, थाईलैंड से भी अनुयायी पहुंचे हैं। इन्हीं देशों से और अनुयायी सोमवार को पहुंच जाएंगे। 12 फरवरी को लाखों की तादात में अनुयायी मत्था टेकेंगे। किसने बनवाया था वाराणसी में संत रविदास का मंदिर?
रैदासियों के गुरु डेरा संत सरवन दास जी महाराज ने इस मौजूदा मंदिर का निर्माण कराया था। 1965 के आषाढ़ मास में इसकी नींव रखी गई थी और 7 साल बाद यानी 1972 में यह संत रविदास का यह मंदिर बनकर तैयार हुआ। मंदिर में 130 किलो सोने की पालकी संत रविदास मंदिर में 130 किलो सोने की पालकी रखी हुई है। पालकी को यूरोप के शिष्यों ने बनवाया था। इस पालकी को साल में एक बार जयंती के दिन ही मंदिर में निकाला जाता है। मंदिर के शिखर का कलश और छत्र तक सब कुछ सोने का है। एक भक्त ने संगत कर मंदिर में 35 किलो सोने का छत्र लगवाया था। मंदिर का निर्माण 1965 में हुआ था। यहां पहला स्वर्ण कलश 1994 में संत गरीब दास ने संगत के सहयोग से चढ़ाया था। बाद में भक्तों के सहयोग से 32 स्वर्ण कलश लगाए गए। सोने का है 35 किलोग्राम का दीपक
मंदिर में 2012 में 35 किलो का सोने का स्वर्ण दीपक चढ़ाया गया। इसमें अखंड ज्योति जलती है। दीपक में एक बार में पांच किलो घी भरा जाता है। आ चुके हैं अब तक वीवीआईपी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पूर्व सीएम मायावती, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत कई बड़े राजनेता यहां हाजिरी लगा चुके हैं। 600 साल पुराने पेड़ का रहस्य बरकरार
संत रविदास मंदिर के करीब इमली का पेड़ है. कहा जाता है कि इसी इमली के पेड़ के नीचे संत रविदास बैठकर सत्संग किया करते थे. आज यही लोगों की भीड़ उमड़ती है और भक्त अपनी मनोकामना लेकर यहां आते हैं और मत्था टेकते हैं। संत रविदास के जयंती के मौके पर यहां भक्तों की भीड़ होती है। इस पेड़ की देखरेख भी मंदिर ट्रस्ट ही करता है। ट्रस्ट से जुड़े सेवादार लालचंद पंजाब ने बताया कि 14 वीं शताब्दी में संत रविदास यही बैठकर सत्संग करते थे। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
संत रविदास धाम बना मिनी पंजाब:5 लाख से अधिक पंजाबी पहुंचे, भक्तों ने पहनाई कनाडाई नोटों की माला
