जालंधर| विधानसभा में विरोधी दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा की तरफ से संत बलबीर सिंह सीचेवाल के ‘सीचेवाल मॉडल’ पर दिए बयान को लेकर खूब हंगामा हो रहा है। वहीं, शुक्रवार को राज्यसभा सदस्य बलबीर सिंह सीचेवाल ने दावा किया कि ‘सीचेवाल मॉडल’ कहीं फेल नहीं हुआ, बल्कि इंजीनियरों द्वारा बनाया गया ‘थापर मॉडल’ हर जगह असफल रहा है। संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने कहा कि साल 1999 से उनके अपने गांव सीचेवाल में यह मॉडल सफलतापूर्वक कार्यरत है। जब भी किसी गांव में कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो वहां के स्थानीय लोग सबसे पहले समाधान खोजते हैं, न कि किसी इंजीनियर को बुलाते हैं। संत सीचेवाल ने कहा कि पंजाब के लगभग 250 गांवों में यह मॉडल पूरी सफलता के साथ चल रहा है । इसके विपरीत, थापर मॉडल पूरी तरह विफल साबित हुआ है। संगरूर की विधायक नरिंदर कौर भराज के क्षेत्र का दौरा करने का हवाला देते हुए कहा कि वहां लाखों रुपये खर्च कर थापर मॉडल के तहत गंदे पानी की निकासी का प्रबंध किया गया था, लेकिन यह बुरी तरह से फेल हो गया। वहां के लोग परेशान हैं और विभाग के इंजीनियरों ने स्वयं स्वीकार किया कि वे पानी की निकासी सही ढंग से नहीं कर सके। देश की 2525 किलोमीटर लंबी राष्ट्रीय नदी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए 1657 गांवों में सीचेवाल मॉडल को लागू करने का फैसला केंद्र सरकार द्वारा किया गया था। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में पांच राज्यों के पंच-सरपंचों के सम्मेलन के दौरान सिर्फ सीचेवाल मॉडल की प्रदर्शनी को 7 केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति में प्रस्तुत किया गया। उस समय उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत भी मौजूद थे। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर, हरियाणा और मध्य प्रदेश के जबलपुर क्षेत्र की नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए भी सीचेवाल मॉडल को रोल मॉडल माना गया। जालंधर| विधानसभा में विरोधी दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा की तरफ से संत बलबीर सिंह सीचेवाल के ‘सीचेवाल मॉडल’ पर दिए बयान को लेकर खूब हंगामा हो रहा है। वहीं, शुक्रवार को राज्यसभा सदस्य बलबीर सिंह सीचेवाल ने दावा किया कि ‘सीचेवाल मॉडल’ कहीं फेल नहीं हुआ, बल्कि इंजीनियरों द्वारा बनाया गया ‘थापर मॉडल’ हर जगह असफल रहा है। संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने कहा कि साल 1999 से उनके अपने गांव सीचेवाल में यह मॉडल सफलतापूर्वक कार्यरत है। जब भी किसी गांव में कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो वहां के स्थानीय लोग सबसे पहले समाधान खोजते हैं, न कि किसी इंजीनियर को बुलाते हैं। संत सीचेवाल ने कहा कि पंजाब के लगभग 250 गांवों में यह मॉडल पूरी सफलता के साथ चल रहा है । इसके विपरीत, थापर मॉडल पूरी तरह विफल साबित हुआ है। संगरूर की विधायक नरिंदर कौर भराज के क्षेत्र का दौरा करने का हवाला देते हुए कहा कि वहां लाखों रुपये खर्च कर थापर मॉडल के तहत गंदे पानी की निकासी का प्रबंध किया गया था, लेकिन यह बुरी तरह से फेल हो गया। वहां के लोग परेशान हैं और विभाग के इंजीनियरों ने स्वयं स्वीकार किया कि वे पानी की निकासी सही ढंग से नहीं कर सके। देश की 2525 किलोमीटर लंबी राष्ट्रीय नदी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए 1657 गांवों में सीचेवाल मॉडल को लागू करने का फैसला केंद्र सरकार द्वारा किया गया था। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में पांच राज्यों के पंच-सरपंचों के सम्मेलन के दौरान सिर्फ सीचेवाल मॉडल की प्रदर्शनी को 7 केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति में प्रस्तुत किया गया। उस समय उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत भी मौजूद थे। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर, हरियाणा और मध्य प्रदेश के जबलपुर क्षेत्र की नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए भी सीचेवाल मॉडल को रोल मॉडल माना गया। पंजाब | दैनिक भास्कर
