इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के संभल की जामा मस्जिद के सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की उस सिविल रिवीजन याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सर्वे पर रोक की मांग की गई थी। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने सोमवार को यह आदेश दिया। संभल में हिंदू पक्ष के लोगों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर फैसले का स्वागत किया। के पक्ष में गया। मस्जिद प्रबंध कमेटी यानि मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। मुस्लिम पक्ष की दलीलें, सबूत और बहस आखिर कहां फेल साबित हुई। मस्जिद कमेटी अब सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है, ताकि सर्वे को रुकवाया जा सके। इस पर प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता
मुस्लिम पक्ष के वकीलों की सबसे बड़ी दलील, आधार और कोर्ट के पुराने फैसले का हवाला 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर रहा, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि सिविल वाद 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट से बाधित नहीं होता है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि याची मस्जिद कमेटी ने खुद ही 1904 और 1958 के कानून का सहारा लिया है। इसके तहत ढांचा ASI से संरक्षित है। ऐसे में 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट कहां से लागू माना जाएगा। कोर्ट ने कहा- इस एक्ट के तहत वाद की पोषणीयता पर आपत्ति नहीं कर सकते। यहीं से मुस्लिम पक्ष के सबूत और दलीलें कमजोर साबित हुईं। शास्त्रीय और ऐतिहासिक प्रमाणों का भी उल्लेख किया
हाईकोर्ट ने तीन मुख्य बिंदुओं पर विस्तृत विचार किया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। एक दूसरे के जवाब में हलफनामा दाखिल करने के कई मौके दिए। अब फैसले में कोर्ट ने कहा सर्वे 19 नवंबर से 24 नवंबर 2024 तक चली। यह दो नहीं एक ही कार्यवाही थी। हाईकोर्ट ने शास्त्रीय और ऐतिहासिक प्रमाणों का भी उल्लेख किया। कोर्ट ने कहा- कथित संभल मस्जिद 1920 से ही ASI से संरक्षित है। इस पर कोई विवाद नहीं है। ब्रिटिश सरकार के समय स्टेट सचिव के बीच करार से ASI को आधिपत्य दिया गया है। उसी को मरम्मत संरक्षण का अधिकार दिया गया है। याची अधिवक्ता एसएफए नकवी की आपत्ति थी कि वाद दाखिल करने की धारा 80 की नोटिस की दो माह की अवधि पूरी नहीं हुई और पहले ही अदालत ने 19 नवंबर 24 को वाद पंजीकृत कर लिया। उसी दिन सर्वे कमीशन जारी कर दिया। ऐसी कोई अर्जेंसी नहीं थी। विपक्षी हरिशंकर जैन ने प्रतिवाद किया कि कथित मस्जिद से धार्मिक चिह्न मिटाए जा रहे थे। इसलिए ढांचे के संरक्षण की जरूरत थी। राज्य सरकार के मुख्य स्थाई अधिवक्ता राजेश्वर त्रिपाठी ने कहा- धारा 80 की नोटिस अवधि से पहले वाद पंजीकृत होने पर सरकार को आपत्ति नहीं है। एएसजीआई शशि प्रकाश सिंह और मनोज सिंह ने कहा कि ASI रिपोर्ट में कहा गया है कि दीवालों पर रंगीन मोटी पेंट की परत है, जिसने मूल ढांचे के निर्माण को ढंक दिया है। एडवोकेट कमिश्नर भेजने में नियमों की अनदेखी की : मस्जिद कमेटी
कोर्ट ने धारा 80 पर विचार कर कहा- कोर्ट को नोटिस अवधि की छूट देने का अधिकार है। मस्जिद कमेटी प्राइवेट व्यक्ति है, उसे आपत्ति का अधिकार नहीं है। मस्जिद कमेटी ने आपत्ति की कि एडवोकेट कमिश्नर भेजने में नियमों की अनदेखी की गई। कोर्ट ने कहा- विचारण अदालत को सबूत के लिए कमीशन भेजकर रिपोर्ट मंगाने का अधिकार है। सर्वे आदेश नियमानुसार पारित किया गया है। पहले दिन कुंदरकी चुनाव के कारण पुलिस नहीं उपलब्ध थी
सर्वे में चार दिन के गैप पर कोर्ट ने कहा- सरकार ने स्थिति स्पष्ट की है। 19 नवंबर को भीड़ ने सर्वे पूरा नहीं करने दिया। कुंदरकी चुनाव के कारण पुलिस नहीं उपलब्ध थी। 24 नवंबर को सर्वे पूरा हुआ। इसे दो सर्वे नहीं कहा जा सकता। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस अहम फैसले से अब कथित शाही जामा मस्जिद के सर्वे का रास्ता साफ हो गया। साथ ही अदालती सुनवाई जारी रखने का भी आदेश जारी हो गया। सपा विधायक बोले- मंजूर नहीं हाईकोर्ट का निर्णय, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे समाजवादी पार्टी के विधायक इकबाल महमूद ने इस फैसले को नकारते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। विधायक महमूद ने कहा कि देश में वर्शिप एक्ट लागू है। इस एक्ट के अनुसार बाबरी को छोड़कर ऐसे मामलों को कोई अदालत स्वीकार नहीं कर सकती। विधायक ने निचली अदालत की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि एक ही दिन में याचिका स्वीकार की गई। उसी दिन सर्वे के लिए कमीशन भेजा गया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह जल्दबाजी किसी दबाव में की गई। विधायक ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला मंजूर नहीं है। ————————– ये खबर भी पढ़िए- मानव शर्मा सुसाइड- बॉयफ्रेंड की शादी पर रोई थी निकिता: सगाई के बाद दूसरे से गिफ्ट लेती रही, आगरा पुलिस की 500 पन्नों की चार्जशीट आज से 84 दिन पहले आगरा में TCS मैनेजर मानव शर्मा ने लाइव सुसाइड किया था। आगरा पुलिस ने मामले में कोर्ट में 500 पेज की चार्जशीट दाखिल की है। पुलिस ने निकिता के प्रेमी मोहित नरवानी से पूछताछ की तो उसने चौंकाने वाला खुलासा किया। इस दौरान गर्लफ्रेंड ट्रांसफर करने जैसी कहानी भी सामने आई है। मोहित ने पुलिस को बताया- निकिता के पहले बॉयफ्रेंड अभिषेक जैन की शादी हो गई तो उन दोनों की बातें बंद हो गईं। इसके बाद अभिषेक ने ही निकिता से मेरी मुलाकात कराई। हम दोनों की लंबी बातें होने लगीं। हमारे बीच फिजिकल रिलेशन भी रहे। पढ़िए, निकिता और उसके दो एक्स बॉयफ्रेंड का कबूलनामा… इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के संभल की जामा मस्जिद के सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की उस सिविल रिवीजन याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सर्वे पर रोक की मांग की गई थी। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने सोमवार को यह आदेश दिया। संभल में हिंदू पक्ष के लोगों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर फैसले का स्वागत किया। के पक्ष में गया। मस्जिद प्रबंध कमेटी यानि मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। मुस्लिम पक्ष की दलीलें, सबूत और बहस आखिर कहां फेल साबित हुई। मस्जिद कमेटी अब सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है, ताकि सर्वे को रुकवाया जा सके। इस पर प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता
मुस्लिम पक्ष के वकीलों की सबसे बड़ी दलील, आधार और कोर्ट के पुराने फैसले का हवाला 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर रहा, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि सिविल वाद 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट से बाधित नहीं होता है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि याची मस्जिद कमेटी ने खुद ही 1904 और 1958 के कानून का सहारा लिया है। इसके तहत ढांचा ASI से संरक्षित है। ऐसे में 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट कहां से लागू माना जाएगा। कोर्ट ने कहा- इस एक्ट के तहत वाद की पोषणीयता पर आपत्ति नहीं कर सकते। यहीं से मुस्लिम पक्ष के सबूत और दलीलें कमजोर साबित हुईं। शास्त्रीय और ऐतिहासिक प्रमाणों का भी उल्लेख किया
हाईकोर्ट ने तीन मुख्य बिंदुओं पर विस्तृत विचार किया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। एक दूसरे के जवाब में हलफनामा दाखिल करने के कई मौके दिए। अब फैसले में कोर्ट ने कहा सर्वे 19 नवंबर से 24 नवंबर 2024 तक चली। यह दो नहीं एक ही कार्यवाही थी। हाईकोर्ट ने शास्त्रीय और ऐतिहासिक प्रमाणों का भी उल्लेख किया। कोर्ट ने कहा- कथित संभल मस्जिद 1920 से ही ASI से संरक्षित है। इस पर कोई विवाद नहीं है। ब्रिटिश सरकार के समय स्टेट सचिव के बीच करार से ASI को आधिपत्य दिया गया है। उसी को मरम्मत संरक्षण का अधिकार दिया गया है। याची अधिवक्ता एसएफए नकवी की आपत्ति थी कि वाद दाखिल करने की धारा 80 की नोटिस की दो माह की अवधि पूरी नहीं हुई और पहले ही अदालत ने 19 नवंबर 24 को वाद पंजीकृत कर लिया। उसी दिन सर्वे कमीशन जारी कर दिया। ऐसी कोई अर्जेंसी नहीं थी। विपक्षी हरिशंकर जैन ने प्रतिवाद किया कि कथित मस्जिद से धार्मिक चिह्न मिटाए जा रहे थे। इसलिए ढांचे के संरक्षण की जरूरत थी। राज्य सरकार के मुख्य स्थाई अधिवक्ता राजेश्वर त्रिपाठी ने कहा- धारा 80 की नोटिस अवधि से पहले वाद पंजीकृत होने पर सरकार को आपत्ति नहीं है। एएसजीआई शशि प्रकाश सिंह और मनोज सिंह ने कहा कि ASI रिपोर्ट में कहा गया है कि दीवालों पर रंगीन मोटी पेंट की परत है, जिसने मूल ढांचे के निर्माण को ढंक दिया है। एडवोकेट कमिश्नर भेजने में नियमों की अनदेखी की : मस्जिद कमेटी
कोर्ट ने धारा 80 पर विचार कर कहा- कोर्ट को नोटिस अवधि की छूट देने का अधिकार है। मस्जिद कमेटी प्राइवेट व्यक्ति है, उसे आपत्ति का अधिकार नहीं है। मस्जिद कमेटी ने आपत्ति की कि एडवोकेट कमिश्नर भेजने में नियमों की अनदेखी की गई। कोर्ट ने कहा- विचारण अदालत को सबूत के लिए कमीशन भेजकर रिपोर्ट मंगाने का अधिकार है। सर्वे आदेश नियमानुसार पारित किया गया है। पहले दिन कुंदरकी चुनाव के कारण पुलिस नहीं उपलब्ध थी
सर्वे में चार दिन के गैप पर कोर्ट ने कहा- सरकार ने स्थिति स्पष्ट की है। 19 नवंबर को भीड़ ने सर्वे पूरा नहीं करने दिया। कुंदरकी चुनाव के कारण पुलिस नहीं उपलब्ध थी। 24 नवंबर को सर्वे पूरा हुआ। इसे दो सर्वे नहीं कहा जा सकता। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस अहम फैसले से अब कथित शाही जामा मस्जिद के सर्वे का रास्ता साफ हो गया। साथ ही अदालती सुनवाई जारी रखने का भी आदेश जारी हो गया। सपा विधायक बोले- मंजूर नहीं हाईकोर्ट का निर्णय, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे समाजवादी पार्टी के विधायक इकबाल महमूद ने इस फैसले को नकारते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। विधायक महमूद ने कहा कि देश में वर्शिप एक्ट लागू है। इस एक्ट के अनुसार बाबरी को छोड़कर ऐसे मामलों को कोई अदालत स्वीकार नहीं कर सकती। विधायक ने निचली अदालत की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि एक ही दिन में याचिका स्वीकार की गई। उसी दिन सर्वे के लिए कमीशन भेजा गया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह जल्दबाजी किसी दबाव में की गई। विधायक ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला मंजूर नहीं है। ————————– ये खबर भी पढ़िए- मानव शर्मा सुसाइड- बॉयफ्रेंड की शादी पर रोई थी निकिता: सगाई के बाद दूसरे से गिफ्ट लेती रही, आगरा पुलिस की 500 पन्नों की चार्जशीट आज से 84 दिन पहले आगरा में TCS मैनेजर मानव शर्मा ने लाइव सुसाइड किया था। आगरा पुलिस ने मामले में कोर्ट में 500 पेज की चार्जशीट दाखिल की है। पुलिस ने निकिता के प्रेमी मोहित नरवानी से पूछताछ की तो उसने चौंकाने वाला खुलासा किया। इस दौरान गर्लफ्रेंड ट्रांसफर करने जैसी कहानी भी सामने आई है। मोहित ने पुलिस को बताया- निकिता के पहले बॉयफ्रेंड अभिषेक जैन की शादी हो गई तो उन दोनों की बातें बंद हो गईं। इसके बाद अभिषेक ने ही निकिता से मेरी मुलाकात कराई। हम दोनों की लंबी बातें होने लगीं। हमारे बीच फिजिकल रिलेशन भी रहे। पढ़िए, निकिता और उसके दो एक्स बॉयफ्रेंड का कबूलनामा… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
संभल जामा मस्जिद केस-कहां फेल हुईं मुस्लिम पक्ष की दलीलें:मस्जिद कमेटी ने 1904 और 1958 के कानून का सहारा लिया, कोर्ट बोला- वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता
