स्कंद पुराण के संभल माहात्म्य में 68 तीर्थ और 19 कूप (कुआं) का जिक्र है। इनमें से अब तक 35 तीर्थ और 19 कूप मिल चुके हैं। इन तीर्थ और कूपों को पुराने स्वरूप में लौटाने की तैयारी चल रही है। जिन जगहों पर तीर्थ और कूप मिले हैं, उनके आसपास खुदाई हुई। कुओं और तीर्तों को पुराने स्वरूप में लौटाने की तैयारी है। संभल में बचे 33 तीर्थ की तलाश डीएम-एसपी कर रहे हैं। खुद संभल के डीएम राजेंद्र पेंसिया कहते हैं- पुराण पढ़ने के बाद कूपों के बारे में पता चला। एक तीर्थ स्थल के लिए सरकार से सवा करोड़ रुपए आ चुके हैं। बाकी के लिए सरकार को डिमांड भेजी जा रही है। इसके पीछे मकसद है, संभल की प्राचीन धरोहर वापस लौटे। भूजल रिचार्ज और जल स्रोत के साधन बढ़ें। पढ़िए कैसे संभल में मिले कूपों को संवारा जा रहा है? पुराण में संभल के कूपों के बारे में क्या कहा गया है… DM राजेंद्र पेंसिया बताते हैं- संभल माहात्म्य में जिन प्राचीन 19 कूपों का जिक्र है, वो सभी मिल चुके हैं। इसके अलावा 68 में से 34 तीर्थों को खोजा जा चुका है। 35वें तीर्थ के बारे में भी जानकारी मिल चुकी है। इसमें यमघट तीर्थ और चतुर्मुख कूप का जीर्णोद्धार कार्य भी यूपी सरकार की ‘वंदन’ योजना के तहत शुरू कर दिया गया है। यमघट तीर्थ पर नगर पालिका परिषद संभल ने एक बोर्ड लगवाया है। इसमें लिखा है- यम तीर्थ में स्नान और यमराज की पूजा करके जो हरि मंदिर में दर्शन करते हैं, खेत, वस्त्र, सरसों का तेल आदि दान करते हैं, वो स्वर्ग जाते हैं। यम दूतों से कष्ट नहीं पाते। स्कंदपुराण के संभल माहात्म्य के सातवें अध्याय में इस बात का जिक्र है। DM राजेंद्र पेंसिया बताते हैं- प्राचीन समय में मंदिरों के आसपास कूप (कुएं) जरूर होते थे, ताकि वहां आने वाले श्रद्धालुओं को पीने के पानी की दिक्कत न हो। लोग उसी से जल लेकर शिवलिंग पर अभिषेक कर सकें। पुराने दौर में यही कूप भूजल रिचार्ज और जल वितरण का स्रोत भी होते थे। यूपी सरकार के नगर विकास विभाग ने ‘वंदन’ योजना चलाई है। ये योजना ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पौराणिक धरोहरों के जीर्णोद्धार के लिए ही बनाई गई है। मुख्य रूप से तीर्थ स्थल तालाब के रूप में हैं। तालाबों का संरक्षण करना हम सबका दायित्व भी है। इसलिए इस योजना से ही तीर्थों और कूपों का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। अब जानिए 19 कूपों का धार्मिक महत्व
संभल तीर्थ परिक्रमा नाम की किताब में लिखा है कि यहां मौजूद 19 कूपों में स्नान की धार्मिक मान्यताएं क्या हैं? चतुर्मुख कूप: ये कूप ब्रह्मा ने बनवाया है। यहां ब्रह्माजी निवास करते हैं। कूप में स्नान करने से ब्रह्माजी प्रसन्न होते हैं। पूर्व जन्म का ध्यान आता है। मोक्ष मिलता है। अशोक कूप: यहां स्नान करने से पितृ, 10 पुश्त आगे एवं 10 पुश्त पीछे के लोग तृप्त होते हैं। शोक दूर होता है। रसोदक कूप: यहां 6 महीने जलपान करने से मनुष्य ज्ञानवान होता है। मनोकामना पूरी होती है। मलहानि तीर्थ कूप: यहां स्नान करने से पाप नष्ट होते हैं। भोलेश्वर महादेव और माता खंजनी देवी का पूजन करने से 4 युग के पाप नष्ट होते हैं। मार्ग शीर्ष शुक्ल तृतीया, चतुर्थी, चर्तुदशी एवं दुर्गाष्टमी को स्नान करने से मनचाही चीज मिलती है। हृषीकेश महाकूप: इस कूप में स्नान से भगवान प्रसन्न होते हैं। पारासरेश्वर कूप: यहां स्नान से बुद्धि तेज होती है और मुक्ति मिलती है। यहां पारासर को सिद्धि मिली थी। श्रकर्म मोचन तीर्थ कूप: इस कूप में स्नान से पाप नष्ट होते हैं। कार्यबंधन से मनुष्य मुक्त होता है। विमल कूप: इसे ब्रह्मा ने बनाया था। महासिद्धि दाता है। स्नान से मन की इच्छा पूरी होती है। मृत्यु कूप: इसमें स्नान और दर्शन मात्र से पाप नष्ट होते हैं। महादेव प्रसन्न होते हैं। बलि कूप: इसमें स्नान से क्लेश दूर होता है। सम्मान मिलता है। यज्ञ कूप: इसमें स्नान से वान्ध्यपन नष्ट होता है। यमदग्नि कूप: इस कूप में स्नान से नीच कर्म मनुष्य भी मोक्ष युक्त हो जाता है और दर्शन मात्र से समस्त यज्ञों का फल पाता है। वायु कूप: यहां स्नान से दमा रोग नष्ट हो जाते हैं। विष्णु कूप: इस कूप में स्नान से विष्णु प्रसन्न रहते हैं। शौनक कूप: कूप में स्नान से मनुष्य दिव्य ज्ञान युक्त होता है। यहां शौनक ऋषि ने तप किया था। कृष्णा कूप: यहां स्नान से पशु योनि से मुक्ति मिलती है और भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं। सप्त सागर कूप: ये ब्रह्मा द्वारा निर्मित है। देवताओं द्वारा सप्त सागर के जल से युक्त है। इसमें स्नान से जन्म-जन्मांतर के कष्ट दूर हो जाते हैं। धररगी और राह कूप: यहां स्नान पृथ्वीदान के फल से युक्त है। यहां वाराह अवतार प्रतिमा की अर्चना होती है। संभल में तीर्थ-कुएं खोजने की शुरुआत कैसे हुई?
संभल के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों से पुलिस-प्रशासन को बड़े पैमाने पर बिजली चोरी होने की शिकायतें मिल रही थीं। DM राजेंद्र पेंसिया और SP कृष्ण बिश्नोई ने प्लान बनाया कि वो फोर्स लेकर इन इलाकों में छापामार कार्रवाई की। 14 दिसंबर, 2024 को दोनों अफसर संभल के मोहल्ला दीपा सराय पहुंचे। यहां जाकर उन्हें पता चला कि सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क के घर से करीब 250 मीटर दूरी पर एक मंदिर है, जो लंबे समय से बंद पड़ा है। दोनों अफसर तत्काल वहां पहुंच गए। अपनी मौजूदगी में उन्होंने मंदिर खुलवाया। दरअसल, साल-1978 में यहां हुए दंगे के बाद हिंदू इस इलाके को छोड़कर चले गए थे। जिसके बाद ये मंदिर बंद हो गया था। मंदिर खुला तो ये भी जानकारी हुई कि बराबर में ही एक प्राचीन कुआं है। फिर प्रशासन ने इस कुएं की खुदाई कराई। उसके बाद से संभल में लगातार प्राचीन कुओं और तीर्थों को खोजने व खोदने का काम जारी है। अब स्कंद पुराण की शिव के पुत्र कार्तिकेय के नाम पर स्कंद पुराण, इसी में संभल माहात्म्य का जिक्र
शिव के पुत्र कार्तिकेय के नाम पर स्कंद पुराण, इसी में संभल माहात्म्य का जिक्र है। महर्षि वेदव्यास रचित 18 पुराणों में स्कंद पुराण भी है। पुराणों की सूचि में स्कंद पुराण को तेहरवां स्थान प्राप्त है। यह पुराण श्लोकों की दृष्टि से सभी पुराणों में बड़ा है। भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने इसमें शिवतत्व का विस्तृत वर्णन किया है, इसलिए इस पुराण का नाम स्कंद पुराण है। स्कंद का अर्थ क्षरण अर्थात विनाश संहार के देवता है। भगवान शिव के पुत्र का नाम ही स्कंद (कार्तिकेय) है। तारकासुर का वध करने के लिए कार्तिकेय का जन्म हुआ था। भगवान स्कंद (कार्तिकेय) ने स्कंदपुराण’ कहा है। स्कंद पुराण में ही ‘संभल माहात्म्य’ का जिक्र है। 27 अध्याय वाले इस माहात्म्य में 68 तीर्थ, 19 कूपों, 36 बस्तियों और 52 सरायों का जिक्र है। जिसके अंदर प्राचीन शहर संभल के बारे में लिखा हुआ है। ‘भगवान विश्वकर्मा ने खुद बनाई थी संभल नगरी’
संभल माहात्म्य का हिंदी अनुवाद वाणीशरण शर्मा ने किया। फिर देववाणी परिषद दिल्ली के महासचिव डॉ. रमाकांत शुक्ल ने 153 पेज की किताब का साल-1982 में प्रकाशन कराया। इसमें लिखा है- भगवान विष्णु के कल्कि अवतार की भूमि होने के कारण सृष्टि के आरंभ में ही भगवान विश्वकर्मा ने 68 तीर्थ और 19 पुण्य कूपों सहित संभल का निर्माण किया था। सतयुग में इसका नाम सत्यव्रत था। त्रेता में महदिगिरि, द्वापर में पिंडगल, कलियुग में संभल नाम से इसकी प्रसिद्धि है। पूरा संभल ही हरि मंदिर है। इसके तीनों कोनों पर तीन शिवलिंग स्थापित हैं। दक्षिण में संभलेश्वर, पूर्व में चंद्रेश्वर और उत्तर में भुवनेश्वर हैं। 12 कोस के अंदर वाले क्षेत्र में 68 तीर्थ और 19 कूप हैं। इनके ठीक बीच में हरि मंदिर है। वर्तमान में दावा किया जा रहा है कि जामा मस्जिद इस जगह पर है। रामेश्वरम्: यहां भी 22 कुंडों में स्नान के बाद करते हैं ज्योतिर्लिंग के दर्शन
तमिलनाडु के रामेश्वरम् में रामनाथ स्वामी ज्योतिर्लिंग, भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसे भगवान श्रीराम ने समुद्र की रेत से बनाया था। कहा जाता है कि इस शिवलिंग का निर्माण उस समय हुआ था, जब श्रीराम लंका के राजा रावण से युद्ध करने की तैयारी कर रहे थे। तब भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए श्रीराम ने इस शिवलिंग का निर्माण कर उस पर जल चढ़ाया था। इस शिवलिंग के चारों तरफ 22 कुंड हैं। यहां आने वाले भक्त पहले 22 कुंडों के जल से स्नान करते हैं, फिर शिवलिंग के दर्शन करते हैं। कहते हैं कि भगवान श्रीराम ने अपने बाणों से इन कुंडों का निर्माण किया था। समुद्र के खारे पानी के किनारे पर स्थापित इन कुंडों में मीठा जल निकलता है। हर कुंड के जल से स्नान करने की अलग-अलग महत्ता है। मान्यता के अनुसार- कुंडों के पानी से स्नान करने से शरीर के कई रोगों से छुटकारा भी मिलता है। ———————— ये भी पढ़ें… संभल में हरि मंदिर के चारों तरफ 68 तीर्थ-19 कुएं, 350 साल पहले लिखी किताब में जिक्र, प्रशासन इन्हीं मंदिरों को खोज रहा संभल में विवाद सिर्फ जामा मस्जिद को लेकर था। अब प्राचीन कल्कि मंदिर से लेकर 68 तीर्थ और 19 कुओं (कूप) का सर्वे भी शुरू हो गया। इसे लेकर लोगों के मन में दो बड़े सवाल हैं। सर्वे क्यों हो रहा है? सर्वे के बाद क्या होगा? दरअसल, संभल का जिला प्रशासन चाहता है कि तीर्थ और कुएं फिर से अपने अस्तित्व में आएं। कुओं के जरिए वाटर हार्वेस्टिंग हो और भूजल रीचार्ज हो। उत्तर प्रदेश का राज्य पुरातत्व विभाग (State Archaeological Directorate) इन सभी जगहों की कार्बन डेटिंग भी कर रहा है, ताकि पता चल सके कि ये कुएं और मूर्तियां कितने पुराने हैं। पढ़ें पूरी खबर… स्कंद पुराण के संभल माहात्म्य में 68 तीर्थ और 19 कूप (कुआं) का जिक्र है। इनमें से अब तक 35 तीर्थ और 19 कूप मिल चुके हैं। इन तीर्थ और कूपों को पुराने स्वरूप में लौटाने की तैयारी चल रही है। जिन जगहों पर तीर्थ और कूप मिले हैं, उनके आसपास खुदाई हुई। कुओं और तीर्तों को पुराने स्वरूप में लौटाने की तैयारी है। संभल में बचे 33 तीर्थ की तलाश डीएम-एसपी कर रहे हैं। खुद संभल के डीएम राजेंद्र पेंसिया कहते हैं- पुराण पढ़ने के बाद कूपों के बारे में पता चला। एक तीर्थ स्थल के लिए सरकार से सवा करोड़ रुपए आ चुके हैं। बाकी के लिए सरकार को डिमांड भेजी जा रही है। इसके पीछे मकसद है, संभल की प्राचीन धरोहर वापस लौटे। भूजल रिचार्ज और जल स्रोत के साधन बढ़ें। पढ़िए कैसे संभल में मिले कूपों को संवारा जा रहा है? पुराण में संभल के कूपों के बारे में क्या कहा गया है… DM राजेंद्र पेंसिया बताते हैं- संभल माहात्म्य में जिन प्राचीन 19 कूपों का जिक्र है, वो सभी मिल चुके हैं। इसके अलावा 68 में से 34 तीर्थों को खोजा जा चुका है। 35वें तीर्थ के बारे में भी जानकारी मिल चुकी है। इसमें यमघट तीर्थ और चतुर्मुख कूप का जीर्णोद्धार कार्य भी यूपी सरकार की ‘वंदन’ योजना के तहत शुरू कर दिया गया है। यमघट तीर्थ पर नगर पालिका परिषद संभल ने एक बोर्ड लगवाया है। इसमें लिखा है- यम तीर्थ में स्नान और यमराज की पूजा करके जो हरि मंदिर में दर्शन करते हैं, खेत, वस्त्र, सरसों का तेल आदि दान करते हैं, वो स्वर्ग जाते हैं। यम दूतों से कष्ट नहीं पाते। स्कंदपुराण के संभल माहात्म्य के सातवें अध्याय में इस बात का जिक्र है। DM राजेंद्र पेंसिया बताते हैं- प्राचीन समय में मंदिरों के आसपास कूप (कुएं) जरूर होते थे, ताकि वहां आने वाले श्रद्धालुओं को पीने के पानी की दिक्कत न हो। लोग उसी से जल लेकर शिवलिंग पर अभिषेक कर सकें। पुराने दौर में यही कूप भूजल रिचार्ज और जल वितरण का स्रोत भी होते थे। यूपी सरकार के नगर विकास विभाग ने ‘वंदन’ योजना चलाई है। ये योजना ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पौराणिक धरोहरों के जीर्णोद्धार के लिए ही बनाई गई है। मुख्य रूप से तीर्थ स्थल तालाब के रूप में हैं। तालाबों का संरक्षण करना हम सबका दायित्व भी है। इसलिए इस योजना से ही तीर्थों और कूपों का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। अब जानिए 19 कूपों का धार्मिक महत्व
संभल तीर्थ परिक्रमा नाम की किताब में लिखा है कि यहां मौजूद 19 कूपों में स्नान की धार्मिक मान्यताएं क्या हैं? चतुर्मुख कूप: ये कूप ब्रह्मा ने बनवाया है। यहां ब्रह्माजी निवास करते हैं। कूप में स्नान करने से ब्रह्माजी प्रसन्न होते हैं। पूर्व जन्म का ध्यान आता है। मोक्ष मिलता है। अशोक कूप: यहां स्नान करने से पितृ, 10 पुश्त आगे एवं 10 पुश्त पीछे के लोग तृप्त होते हैं। शोक दूर होता है। रसोदक कूप: यहां 6 महीने जलपान करने से मनुष्य ज्ञानवान होता है। मनोकामना पूरी होती है। मलहानि तीर्थ कूप: यहां स्नान करने से पाप नष्ट होते हैं। भोलेश्वर महादेव और माता खंजनी देवी का पूजन करने से 4 युग के पाप नष्ट होते हैं। मार्ग शीर्ष शुक्ल तृतीया, चतुर्थी, चर्तुदशी एवं दुर्गाष्टमी को स्नान करने से मनचाही चीज मिलती है। हृषीकेश महाकूप: इस कूप में स्नान से भगवान प्रसन्न होते हैं। पारासरेश्वर कूप: यहां स्नान से बुद्धि तेज होती है और मुक्ति मिलती है। यहां पारासर को सिद्धि मिली थी। श्रकर्म मोचन तीर्थ कूप: इस कूप में स्नान से पाप नष्ट होते हैं। कार्यबंधन से मनुष्य मुक्त होता है। विमल कूप: इसे ब्रह्मा ने बनाया था। महासिद्धि दाता है। स्नान से मन की इच्छा पूरी होती है। मृत्यु कूप: इसमें स्नान और दर्शन मात्र से पाप नष्ट होते हैं। महादेव प्रसन्न होते हैं। बलि कूप: इसमें स्नान से क्लेश दूर होता है। सम्मान मिलता है। यज्ञ कूप: इसमें स्नान से वान्ध्यपन नष्ट होता है। यमदग्नि कूप: इस कूप में स्नान से नीच कर्म मनुष्य भी मोक्ष युक्त हो जाता है और दर्शन मात्र से समस्त यज्ञों का फल पाता है। वायु कूप: यहां स्नान से दमा रोग नष्ट हो जाते हैं। विष्णु कूप: इस कूप में स्नान से विष्णु प्रसन्न रहते हैं। शौनक कूप: कूप में स्नान से मनुष्य दिव्य ज्ञान युक्त होता है। यहां शौनक ऋषि ने तप किया था। कृष्णा कूप: यहां स्नान से पशु योनि से मुक्ति मिलती है और भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं। सप्त सागर कूप: ये ब्रह्मा द्वारा निर्मित है। देवताओं द्वारा सप्त सागर के जल से युक्त है। इसमें स्नान से जन्म-जन्मांतर के कष्ट दूर हो जाते हैं। धररगी और राह कूप: यहां स्नान पृथ्वीदान के फल से युक्त है। यहां वाराह अवतार प्रतिमा की अर्चना होती है। संभल में तीर्थ-कुएं खोजने की शुरुआत कैसे हुई?
संभल के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों से पुलिस-प्रशासन को बड़े पैमाने पर बिजली चोरी होने की शिकायतें मिल रही थीं। DM राजेंद्र पेंसिया और SP कृष्ण बिश्नोई ने प्लान बनाया कि वो फोर्स लेकर इन इलाकों में छापामार कार्रवाई की। 14 दिसंबर, 2024 को दोनों अफसर संभल के मोहल्ला दीपा सराय पहुंचे। यहां जाकर उन्हें पता चला कि सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क के घर से करीब 250 मीटर दूरी पर एक मंदिर है, जो लंबे समय से बंद पड़ा है। दोनों अफसर तत्काल वहां पहुंच गए। अपनी मौजूदगी में उन्होंने मंदिर खुलवाया। दरअसल, साल-1978 में यहां हुए दंगे के बाद हिंदू इस इलाके को छोड़कर चले गए थे। जिसके बाद ये मंदिर बंद हो गया था। मंदिर खुला तो ये भी जानकारी हुई कि बराबर में ही एक प्राचीन कुआं है। फिर प्रशासन ने इस कुएं की खुदाई कराई। उसके बाद से संभल में लगातार प्राचीन कुओं और तीर्थों को खोजने व खोदने का काम जारी है। अब स्कंद पुराण की शिव के पुत्र कार्तिकेय के नाम पर स्कंद पुराण, इसी में संभल माहात्म्य का जिक्र
शिव के पुत्र कार्तिकेय के नाम पर स्कंद पुराण, इसी में संभल माहात्म्य का जिक्र है। महर्षि वेदव्यास रचित 18 पुराणों में स्कंद पुराण भी है। पुराणों की सूचि में स्कंद पुराण को तेहरवां स्थान प्राप्त है। यह पुराण श्लोकों की दृष्टि से सभी पुराणों में बड़ा है। भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने इसमें शिवतत्व का विस्तृत वर्णन किया है, इसलिए इस पुराण का नाम स्कंद पुराण है। स्कंद का अर्थ क्षरण अर्थात विनाश संहार के देवता है। भगवान शिव के पुत्र का नाम ही स्कंद (कार्तिकेय) है। तारकासुर का वध करने के लिए कार्तिकेय का जन्म हुआ था। भगवान स्कंद (कार्तिकेय) ने स्कंदपुराण’ कहा है। स्कंद पुराण में ही ‘संभल माहात्म्य’ का जिक्र है। 27 अध्याय वाले इस माहात्म्य में 68 तीर्थ, 19 कूपों, 36 बस्तियों और 52 सरायों का जिक्र है। जिसके अंदर प्राचीन शहर संभल के बारे में लिखा हुआ है। ‘भगवान विश्वकर्मा ने खुद बनाई थी संभल नगरी’
संभल माहात्म्य का हिंदी अनुवाद वाणीशरण शर्मा ने किया। फिर देववाणी परिषद दिल्ली के महासचिव डॉ. रमाकांत शुक्ल ने 153 पेज की किताब का साल-1982 में प्रकाशन कराया। इसमें लिखा है- भगवान विष्णु के कल्कि अवतार की भूमि होने के कारण सृष्टि के आरंभ में ही भगवान विश्वकर्मा ने 68 तीर्थ और 19 पुण्य कूपों सहित संभल का निर्माण किया था। सतयुग में इसका नाम सत्यव्रत था। त्रेता में महदिगिरि, द्वापर में पिंडगल, कलियुग में संभल नाम से इसकी प्रसिद्धि है। पूरा संभल ही हरि मंदिर है। इसके तीनों कोनों पर तीन शिवलिंग स्थापित हैं। दक्षिण में संभलेश्वर, पूर्व में चंद्रेश्वर और उत्तर में भुवनेश्वर हैं। 12 कोस के अंदर वाले क्षेत्र में 68 तीर्थ और 19 कूप हैं। इनके ठीक बीच में हरि मंदिर है। वर्तमान में दावा किया जा रहा है कि जामा मस्जिद इस जगह पर है। रामेश्वरम्: यहां भी 22 कुंडों में स्नान के बाद करते हैं ज्योतिर्लिंग के दर्शन
तमिलनाडु के रामेश्वरम् में रामनाथ स्वामी ज्योतिर्लिंग, भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसे भगवान श्रीराम ने समुद्र की रेत से बनाया था। कहा जाता है कि इस शिवलिंग का निर्माण उस समय हुआ था, जब श्रीराम लंका के राजा रावण से युद्ध करने की तैयारी कर रहे थे। तब भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए श्रीराम ने इस शिवलिंग का निर्माण कर उस पर जल चढ़ाया था। इस शिवलिंग के चारों तरफ 22 कुंड हैं। यहां आने वाले भक्त पहले 22 कुंडों के जल से स्नान करते हैं, फिर शिवलिंग के दर्शन करते हैं। कहते हैं कि भगवान श्रीराम ने अपने बाणों से इन कुंडों का निर्माण किया था। समुद्र के खारे पानी के किनारे पर स्थापित इन कुंडों में मीठा जल निकलता है। हर कुंड के जल से स्नान करने की अलग-अलग महत्ता है। मान्यता के अनुसार- कुंडों के पानी से स्नान करने से शरीर के कई रोगों से छुटकारा भी मिलता है। ———————— ये भी पढ़ें… संभल में हरि मंदिर के चारों तरफ 68 तीर्थ-19 कुएं, 350 साल पहले लिखी किताब में जिक्र, प्रशासन इन्हीं मंदिरों को खोज रहा संभल में विवाद सिर्फ जामा मस्जिद को लेकर था। अब प्राचीन कल्कि मंदिर से लेकर 68 तीर्थ और 19 कुओं (कूप) का सर्वे भी शुरू हो गया। इसे लेकर लोगों के मन में दो बड़े सवाल हैं। सर्वे क्यों हो रहा है? सर्वे के बाद क्या होगा? दरअसल, संभल का जिला प्रशासन चाहता है कि तीर्थ और कुएं फिर से अपने अस्तित्व में आएं। कुओं के जरिए वाटर हार्वेस्टिंग हो और भूजल रीचार्ज हो। उत्तर प्रदेश का राज्य पुरातत्व विभाग (State Archaeological Directorate) इन सभी जगहों की कार्बन डेटिंग भी कर रहा है, ताकि पता चल सके कि ये कुएं और मूर्तियां कितने पुराने हैं। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर