यूपी के अलीगढ़ में सपा के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन को सिर्फ काला झंडा दिखाने की तैयारी थी। लेकिन, ऐनवक्त पर बात बिगड़ गई। सांसद के काफिले पर करणी सेना के एक-दो कार्यकर्ता टायर फेंकने लगे। देखा-देखी दूसरे भी ऐसा करने लगे। जिस पंक्चर वाले की दुकान से टायर उठाकर फेंके गए, अब वह मुसीबत में पड़ गया है। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है। सांसद पर हमला करने वाले लोग करणी सेना और किसान संगठनों से जुड़े हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सांसद के दौरे का लेटर पढ़कर अलर्ट हुए इन लोगों ने तीन पॉइंट पर काफिले को घेर कर काला झंडा दिखाने की स्ट्रैटजी तैयार की। एक जगह का पता चलने पर सांसद के काफिले ने रास्ता बदल दिया, लेकिन बाकी दो जगह फंस गए। मामला हाईप्रोफाइल होने के बाद अलीगढ़ पुलिस हरकत में आई। उसने करीब डेढ़ घंटे तक करणी सेना कार्यकर्ताओं को बैठाकर कानून का पाठ पढ़ाया। बैकफुट पर आए प्रदर्शनकारियों ने दैनिक भास्कर से कहा कि वो इस मुद्दे को यहीं खत्म करते हैं। अलीगढ़ में अब रामजीलाल सुमन का कोई विरोध नहीं करेंगे। पढ़िए जहां हमला हुआ, वहां के लोग क्या कहते हैं? विरोध का पूरा प्लान क्या था? काफिले पर टायर फेंकने वाले आरोपियों का प्रोफाइल क्या है? कैसे बनाई पूरी प्लानिंग? वॉट्सऐप पर आए लेटर से रातोंरात बनी रणनीति
26 अप्रैल की रात सोशल मीडिया पर सपा सांसद रामजीलाल सुमन के आगरा से बुलंदशहर जाने का प्रोग्राम वायरल हुआ। इसे देखकर करणी सेना कार्यकर्ता हरकत में आ गए। तय हुआ कि अलीगढ़ में आगरा रोड पर जो फ्लाईओवर है, उसके नीचे 100-150 कार्यकर्ता काफिले का विरोध करेंगे। शायद सपा को इसकी भनक लग गई और सांसद का काफिला कमालपुर बाईपास से नहीं निकला। इसके बाद आनन-फानन में करणी सेना के कुछ लोग खेरेश्वर चौराहे पहुंच गए। यहां उन्होंने काले झंडे दिखाए। कार्यकर्ताओं को देख सांसद के काफिले की गाड़ियां हड़बड़ाहट में बेकाबू होकर टकरा गईं। यहां से काफिला जैसे-तैसे बुलंदशहर की तरफ निकला। इस चौराहे को पार करते ही काफिले की आगे फिर से घेराबंदी शुरू हो गई। नेशनल हाईवे पर गभाना टोल प्लाजा पर अलीगढ़ और बुलंदशहर जिले की पुलिस पहले से तैनात थी। इसलिए करणी सेना के कार्यकर्ता टोल प्लाजा पर नहीं गए। वे वहां से करीब 250 मीटर पहले गांव सोमना के मोड़ पर इकट्ठा हो गए। यहां उन्होंने टायर फेंककर प्रोटेस्ट किया। पूरा पुलिस अमला गभाना टोल प्लाजा पर मुस्तैद था, उससे पहले ये सब घटनाक्रम हो गया। इस घटनाक्रम के वक्त सोमना गांव के मोड़ पर एक भी पुलिसवाला तैनात नहीं था। एलआईयू भी इस बात से बेखबर थी। इसी लापरवाही के आरोप में क्षेत्र के इंचार्ज दरोगा को सस्पेंड किया गया है। टायर पंक्चर लगाने वाले को पुलिस ने उठाया
गभाना टोल प्लाजा से करीब 250 मीटर पहले अलीगढ़ की तरफ गांव सोमना का मोड़ है। इस पर 20-30 दुकानें हैं। बाएं मोड़ पर शिवा फैमिली ढाबा है। इसके एक कॉर्नर पर टायर पंक्चर की दुकान है। इसे पिपलौठ गांव में रहने वाला बिजेंद्र चलाता है। बिजेंद्र की दुकान के बाहर हर वक्त 15-20 पुराने और खराब टायर रखे रहते हैं। आमतौर इस तरह के टायर हर पंक्चर की दुकान के बाहर रखे मिल जाएंगे। ये इस बात का प्रतीक होती है कि यहां टायर पंक्चर की दुकान है। यह वाहन चालक को दूर से ही दिखाई दे सके। 27 अप्रैल को प्रदर्शनकारियों ने बिजेंद्र की दुकान के बाहर रखे टायर उठाए थे। वही टायर सांसद के काफिले पर फेंकने शुरू कर दिए। दैनिक भास्कर 29 अप्रैल को घटनास्थल पर पहुंचा, तो बिजेंद्र की दुकान बंद मिली। पता चला कि 28 अप्रैल की रात पुलिस ने उसको उठा लिया। गभाना थाने के अंदर उससे पूछताछ चल रही है। इससे पहले भी 27 अप्रैल को बिजेंद्र से पूछताछ हो चुकी है। हालांकि अभी तक न तो उसे क्लीनचिट दी गई है, न ही गिरफ्तारी दिखाई गई है। ढाबा मालिक बोले- प्रदर्शनकारी 20 मिनट पहले इकट्ठा हुए और टायर बरसाए
हमने बिजेंद्र के बराबर में स्थित शिवा फैमिली ढाबा के संचालक से बात की। उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर ऑफ कैमरा बताया- उस रोज सांसद के आने से करीब 15-20 मिनट पहले ही करणी सेना के कार्यकर्ता हमारे ढाबे के सामने इकट्ठा होना शुरू हुए थे। हमें ये पता नहीं था कि वो लोग इकट्ठा क्यों हो रहे? सांसद का काफिला जब आया तो उन लोगों ने टायर उठा-उठाकर फेंकने शुरू कर दिए। जब ये सारा घटनाक्रम हुआ, तब टायर पंक्चर बनाने वाला बिजेंद्र अपनी दुकान पर नहीं था। वो सब्जी लेने गभाना कस्बे गया था। ढाबा संचालक कहते हैं- इस मामले में पुलिस बेवजह बिजेंद्र को परेशान कर रही है, क्योंकि उसका कोई रोल नहीं था। हमारे ढाबे पर हर वक्त टेबल-कुर्सी पड़ी रहती हैं। अगर प्रदर्शनकारी उन्हीं कुर्सियों को फेंकना शुरू कर देते तो फिर पुलिस हमें भी पकड़कर ले जाती। पुलिस-प्रदर्शनकारियों के डर से कुछ नहीं बोले दुकानदार
हमने सोमना गांव के मोड़ पर दुकान चलाने वाले कई और लोगों से बातचीत करने का प्रयास किया। लेकिन, कोई भी ऑन कैमरा बात करने को तैयार नहीं हुआ। उनमें डर था कि अगर वो कुछ भी बोल देंगे तो परेशानी झेलनी पड़ेगी। पुलिस आकर पूछताछ कर सकती है। साथ ही करणी सेना वाले भी नजदीकी गांवों के रहने वाले हैं। इसलिए स्थानीय दुकानदार उस दिन के घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। बताया जाता है कि 28 अप्रैल को इस पूरे प्रकरण में अलीगढ़ के SSP संजीव सुमन ने एक बैठक बुलाई थी। इसमें करणी सेना के लोग भी मौजूद थे। SSP ने उनसे शांति बनाए रखने की अपील की। कहा कि अब इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी न करें। करणी सेना के जिला संयोजक बोले- हमने रामजीलाल की चुनौती स्वीकारी, अब कोई विरोध नहीं
श्री राजपूत करणी सेना के जिला संयोजक कृष्णा ठाकुर ने फोन पर बताया- हमने रामजीलाल सुमन का एक स्टेटमेंट सोशल मीडिया पर सुना। इसमें वो कह रहे थे कि मैं करणी सेना वालों से दो-दो हाथ करने को तैयार हूं। हमने उनकी चुनौती स्वीकार कर ली। हमने तय कर लिया था कि रामजीलाल सुमन को अलीगढ़ से आगे नहीं बढ़ने देंगे। आखिरकार हमने उन्हें बुलंदशहर नहीं जाने दिया। उन्हें अलीगढ़ से ही आगरा लौटना पड़ा। इसलिए अब हम इस मुद्दे को यहीं पर खत्म करते हैं। अब भविष्य में रामजीलाल सुमन का अलीगढ़ में कोई विरोध नहीं होगा। हमने पूछा- क्या विरोध नहीं करने का फैसला राष्ट्रीय करणी सेना का था या फिर जिला स्तर का? इस पर कृष्णा ठाकुर ने कहा- राष्ट्रीय स्तर का मामला राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी देखेंगे। हम सिर्फ अलीगढ़ जनपद का कह रहे हैं कि अब भविष्य में रामजीलाल सुमन का कोई विरोध यहां नहीं होगा। अब पूरा घटनाक्रम समझिए
27 अप्रैल को सपा सांसद रामजीलाल सुमन का काफिला आगरा से बुलंदशहर जिले के गांव सुनहेरा जा रहा था। दरअसल, सुनहेरा गांव में पिछले दिनों एक थार गाड़ी ने 4 दलितों को रौंद दिया था। इस मामले में वे पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे। अलीगढ़ जिले में गभाना टोल प्लाजा से करीब 250 मीटर पहले सोमना गांव के मोड़ पर श्री राजपूत करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने सांसद के काफिले पर हमला कर दिया। उन्होंने गाड़ियों पर टायर फेंके। इससे कई गाड़ियां बेकाबू हुईं और आपस में टकरा गईं। इस मामले में सब-इंस्पेक्टर सुधीर कुमार ने 10-15 अज्ञात लोगों के खिलाफ थाना गभाना में FIR दर्ज कराई है। पुलिस ने उसी दिन कृष्णा ठाकुर, सुमित ठाकुर, सुधीर ठाकुर, भूपेंद्र और सचिन को गिरफ्तार किया। लेकिन, सभी को SDM कोर्ट से तुरंत जमानत मिल गई। इस पूरे विवाद की शुरुआत कहां से हुई?
21 मार्च को सपा सांसद रामजीलाल सुमन ने राज्यसभा में कहा था- भाजपा वालों का तकिया कलाम हो गया है कि मुसलमानों में बाबर का डीएनए है। फिर हिंदुओं में किसका डीएनए है? बाबर को कौन लाया? बाबर को भारत में इब्राहिम लोदी को हराने के लिए राणा सांगा लाया था। मुसलमान बाबर की औलाद है तो तुम (हिंदू) गद्दार राणा सांगा की औलाद हो। यह हिंदुस्तान में तय हो जाना चाहिए। बाबर की आलोचना करते हैं, राणा सांगा की नहीं। देश की आजादी की लड़ाई में इन्होंने अंग्रेजों की गुलामी की थी। हिंदुस्तान का मुसलमान बाबर को अपना आदर्श नहीं मानता। वो मोहम्मद साहब और सूफी परंपरा को आदर्श मानता है। ———————– ये खबर भी पढ़ें… 18 दिन बाद देखा बेटी का चेहरा, ड्राइवर बनकर किडनैप बच्ची को छुड़ाया; पहाड़ काटकर रास्ता बनाने वाले IPS की कहानी खाकी वर्दी में आज बात ऐसे अफसर की, जो काम के प्रति जुनून का सबसे बड़ा उदाहरण है। हम बात कर रहे हैं विजिलेंस में तैनात डीआईजी डॉ. अरविंद चतुर्वेदी की। अरविंद उस घराने से ताल्लुक रखते हैं जिनके बाबा (दादा) ने साहित्य की दुनिया में कामयाबी के झंडे गाड़े। पद्म विभूषण से सम्मानित हुए। उनके पिता गोरखपुर यूनिवर्सिटी के पहले टीचर के रूप में चयनित हुए। पढ़े पूरी खबर यूपी के अलीगढ़ में सपा के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन को सिर्फ काला झंडा दिखाने की तैयारी थी। लेकिन, ऐनवक्त पर बात बिगड़ गई। सांसद के काफिले पर करणी सेना के एक-दो कार्यकर्ता टायर फेंकने लगे। देखा-देखी दूसरे भी ऐसा करने लगे। जिस पंक्चर वाले की दुकान से टायर उठाकर फेंके गए, अब वह मुसीबत में पड़ गया है। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है। सांसद पर हमला करने वाले लोग करणी सेना और किसान संगठनों से जुड़े हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सांसद के दौरे का लेटर पढ़कर अलर्ट हुए इन लोगों ने तीन पॉइंट पर काफिले को घेर कर काला झंडा दिखाने की स्ट्रैटजी तैयार की। एक जगह का पता चलने पर सांसद के काफिले ने रास्ता बदल दिया, लेकिन बाकी दो जगह फंस गए। मामला हाईप्रोफाइल होने के बाद अलीगढ़ पुलिस हरकत में आई। उसने करीब डेढ़ घंटे तक करणी सेना कार्यकर्ताओं को बैठाकर कानून का पाठ पढ़ाया। बैकफुट पर आए प्रदर्शनकारियों ने दैनिक भास्कर से कहा कि वो इस मुद्दे को यहीं खत्म करते हैं। अलीगढ़ में अब रामजीलाल सुमन का कोई विरोध नहीं करेंगे। पढ़िए जहां हमला हुआ, वहां के लोग क्या कहते हैं? विरोध का पूरा प्लान क्या था? काफिले पर टायर फेंकने वाले आरोपियों का प्रोफाइल क्या है? कैसे बनाई पूरी प्लानिंग? वॉट्सऐप पर आए लेटर से रातोंरात बनी रणनीति
26 अप्रैल की रात सोशल मीडिया पर सपा सांसद रामजीलाल सुमन के आगरा से बुलंदशहर जाने का प्रोग्राम वायरल हुआ। इसे देखकर करणी सेना कार्यकर्ता हरकत में आ गए। तय हुआ कि अलीगढ़ में आगरा रोड पर जो फ्लाईओवर है, उसके नीचे 100-150 कार्यकर्ता काफिले का विरोध करेंगे। शायद सपा को इसकी भनक लग गई और सांसद का काफिला कमालपुर बाईपास से नहीं निकला। इसके बाद आनन-फानन में करणी सेना के कुछ लोग खेरेश्वर चौराहे पहुंच गए। यहां उन्होंने काले झंडे दिखाए। कार्यकर्ताओं को देख सांसद के काफिले की गाड़ियां हड़बड़ाहट में बेकाबू होकर टकरा गईं। यहां से काफिला जैसे-तैसे बुलंदशहर की तरफ निकला। इस चौराहे को पार करते ही काफिले की आगे फिर से घेराबंदी शुरू हो गई। नेशनल हाईवे पर गभाना टोल प्लाजा पर अलीगढ़ और बुलंदशहर जिले की पुलिस पहले से तैनात थी। इसलिए करणी सेना के कार्यकर्ता टोल प्लाजा पर नहीं गए। वे वहां से करीब 250 मीटर पहले गांव सोमना के मोड़ पर इकट्ठा हो गए। यहां उन्होंने टायर फेंककर प्रोटेस्ट किया। पूरा पुलिस अमला गभाना टोल प्लाजा पर मुस्तैद था, उससे पहले ये सब घटनाक्रम हो गया। इस घटनाक्रम के वक्त सोमना गांव के मोड़ पर एक भी पुलिसवाला तैनात नहीं था। एलआईयू भी इस बात से बेखबर थी। इसी लापरवाही के आरोप में क्षेत्र के इंचार्ज दरोगा को सस्पेंड किया गया है। टायर पंक्चर लगाने वाले को पुलिस ने उठाया
गभाना टोल प्लाजा से करीब 250 मीटर पहले अलीगढ़ की तरफ गांव सोमना का मोड़ है। इस पर 20-30 दुकानें हैं। बाएं मोड़ पर शिवा फैमिली ढाबा है। इसके एक कॉर्नर पर टायर पंक्चर की दुकान है। इसे पिपलौठ गांव में रहने वाला बिजेंद्र चलाता है। बिजेंद्र की दुकान के बाहर हर वक्त 15-20 पुराने और खराब टायर रखे रहते हैं। आमतौर इस तरह के टायर हर पंक्चर की दुकान के बाहर रखे मिल जाएंगे। ये इस बात का प्रतीक होती है कि यहां टायर पंक्चर की दुकान है। यह वाहन चालक को दूर से ही दिखाई दे सके। 27 अप्रैल को प्रदर्शनकारियों ने बिजेंद्र की दुकान के बाहर रखे टायर उठाए थे। वही टायर सांसद के काफिले पर फेंकने शुरू कर दिए। दैनिक भास्कर 29 अप्रैल को घटनास्थल पर पहुंचा, तो बिजेंद्र की दुकान बंद मिली। पता चला कि 28 अप्रैल की रात पुलिस ने उसको उठा लिया। गभाना थाने के अंदर उससे पूछताछ चल रही है। इससे पहले भी 27 अप्रैल को बिजेंद्र से पूछताछ हो चुकी है। हालांकि अभी तक न तो उसे क्लीनचिट दी गई है, न ही गिरफ्तारी दिखाई गई है। ढाबा मालिक बोले- प्रदर्शनकारी 20 मिनट पहले इकट्ठा हुए और टायर बरसाए
हमने बिजेंद्र के बराबर में स्थित शिवा फैमिली ढाबा के संचालक से बात की। उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर ऑफ कैमरा बताया- उस रोज सांसद के आने से करीब 15-20 मिनट पहले ही करणी सेना के कार्यकर्ता हमारे ढाबे के सामने इकट्ठा होना शुरू हुए थे। हमें ये पता नहीं था कि वो लोग इकट्ठा क्यों हो रहे? सांसद का काफिला जब आया तो उन लोगों ने टायर उठा-उठाकर फेंकने शुरू कर दिए। जब ये सारा घटनाक्रम हुआ, तब टायर पंक्चर बनाने वाला बिजेंद्र अपनी दुकान पर नहीं था। वो सब्जी लेने गभाना कस्बे गया था। ढाबा संचालक कहते हैं- इस मामले में पुलिस बेवजह बिजेंद्र को परेशान कर रही है, क्योंकि उसका कोई रोल नहीं था। हमारे ढाबे पर हर वक्त टेबल-कुर्सी पड़ी रहती हैं। अगर प्रदर्शनकारी उन्हीं कुर्सियों को फेंकना शुरू कर देते तो फिर पुलिस हमें भी पकड़कर ले जाती। पुलिस-प्रदर्शनकारियों के डर से कुछ नहीं बोले दुकानदार
हमने सोमना गांव के मोड़ पर दुकान चलाने वाले कई और लोगों से बातचीत करने का प्रयास किया। लेकिन, कोई भी ऑन कैमरा बात करने को तैयार नहीं हुआ। उनमें डर था कि अगर वो कुछ भी बोल देंगे तो परेशानी झेलनी पड़ेगी। पुलिस आकर पूछताछ कर सकती है। साथ ही करणी सेना वाले भी नजदीकी गांवों के रहने वाले हैं। इसलिए स्थानीय दुकानदार उस दिन के घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। बताया जाता है कि 28 अप्रैल को इस पूरे प्रकरण में अलीगढ़ के SSP संजीव सुमन ने एक बैठक बुलाई थी। इसमें करणी सेना के लोग भी मौजूद थे। SSP ने उनसे शांति बनाए रखने की अपील की। कहा कि अब इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी न करें। करणी सेना के जिला संयोजक बोले- हमने रामजीलाल की चुनौती स्वीकारी, अब कोई विरोध नहीं
श्री राजपूत करणी सेना के जिला संयोजक कृष्णा ठाकुर ने फोन पर बताया- हमने रामजीलाल सुमन का एक स्टेटमेंट सोशल मीडिया पर सुना। इसमें वो कह रहे थे कि मैं करणी सेना वालों से दो-दो हाथ करने को तैयार हूं। हमने उनकी चुनौती स्वीकार कर ली। हमने तय कर लिया था कि रामजीलाल सुमन को अलीगढ़ से आगे नहीं बढ़ने देंगे। आखिरकार हमने उन्हें बुलंदशहर नहीं जाने दिया। उन्हें अलीगढ़ से ही आगरा लौटना पड़ा। इसलिए अब हम इस मुद्दे को यहीं पर खत्म करते हैं। अब भविष्य में रामजीलाल सुमन का अलीगढ़ में कोई विरोध नहीं होगा। हमने पूछा- क्या विरोध नहीं करने का फैसला राष्ट्रीय करणी सेना का था या फिर जिला स्तर का? इस पर कृष्णा ठाकुर ने कहा- राष्ट्रीय स्तर का मामला राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी देखेंगे। हम सिर्फ अलीगढ़ जनपद का कह रहे हैं कि अब भविष्य में रामजीलाल सुमन का कोई विरोध यहां नहीं होगा। अब पूरा घटनाक्रम समझिए
27 अप्रैल को सपा सांसद रामजीलाल सुमन का काफिला आगरा से बुलंदशहर जिले के गांव सुनहेरा जा रहा था। दरअसल, सुनहेरा गांव में पिछले दिनों एक थार गाड़ी ने 4 दलितों को रौंद दिया था। इस मामले में वे पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे। अलीगढ़ जिले में गभाना टोल प्लाजा से करीब 250 मीटर पहले सोमना गांव के मोड़ पर श्री राजपूत करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने सांसद के काफिले पर हमला कर दिया। उन्होंने गाड़ियों पर टायर फेंके। इससे कई गाड़ियां बेकाबू हुईं और आपस में टकरा गईं। इस मामले में सब-इंस्पेक्टर सुधीर कुमार ने 10-15 अज्ञात लोगों के खिलाफ थाना गभाना में FIR दर्ज कराई है। पुलिस ने उसी दिन कृष्णा ठाकुर, सुमित ठाकुर, सुधीर ठाकुर, भूपेंद्र और सचिन को गिरफ्तार किया। लेकिन, सभी को SDM कोर्ट से तुरंत जमानत मिल गई। इस पूरे विवाद की शुरुआत कहां से हुई?
21 मार्च को सपा सांसद रामजीलाल सुमन ने राज्यसभा में कहा था- भाजपा वालों का तकिया कलाम हो गया है कि मुसलमानों में बाबर का डीएनए है। फिर हिंदुओं में किसका डीएनए है? बाबर को कौन लाया? बाबर को भारत में इब्राहिम लोदी को हराने के लिए राणा सांगा लाया था। मुसलमान बाबर की औलाद है तो तुम (हिंदू) गद्दार राणा सांगा की औलाद हो। यह हिंदुस्तान में तय हो जाना चाहिए। बाबर की आलोचना करते हैं, राणा सांगा की नहीं। देश की आजादी की लड़ाई में इन्होंने अंग्रेजों की गुलामी की थी। हिंदुस्तान का मुसलमान बाबर को अपना आदर्श नहीं मानता। वो मोहम्मद साहब और सूफी परंपरा को आदर्श मानता है। ———————– ये खबर भी पढ़ें… 18 दिन बाद देखा बेटी का चेहरा, ड्राइवर बनकर किडनैप बच्ची को छुड़ाया; पहाड़ काटकर रास्ता बनाने वाले IPS की कहानी खाकी वर्दी में आज बात ऐसे अफसर की, जो काम के प्रति जुनून का सबसे बड़ा उदाहरण है। हम बात कर रहे हैं विजिलेंस में तैनात डीआईजी डॉ. अरविंद चतुर्वेदी की। अरविंद उस घराने से ताल्लुक रखते हैं जिनके बाबा (दादा) ने साहित्य की दुनिया में कामयाबी के झंडे गाड़े। पद्म विभूषण से सम्मानित हुए। उनके पिता गोरखपुर यूनिवर्सिटी के पहले टीचर के रूप में चयनित हुए। पढ़े पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
सपा सांसद पर हमले में फंसा पंक्चर बनाने वाला:3 दिन से अलीगढ़ पुलिस की हिरासत में; ढाबा मालिक बोला- बेवजह परेशान कर रहे
