<p style=”text-align: justify;”><strong>UP News: </strong>समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान के परिवार को आज इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. रामपुर नगर पालिका परिषद की सफाई मशीन को चोरी कराकर उसे जौहर यूनिवर्सिटी में मिट्टी में दफन किए जाने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम के साथ ही पूर्व चेयरमैन अजहर खान की जमानत अर्जियों को खारिज कर दिया है. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पूर्व मंत्री आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम के खिलाफ कई क्रिमिनल केस दर्ज हैं. इनकी क्रिमिनल हिस्ट्री है. कई मामलों में इन्हें सजा भी मिली हुई है. ऐसे में जमानत दिए जाने पर यह केस के ट्रायल को प्रभावित कर सकते हैं. सबूतों से छेड़छाड़ कर गवाहों पर दबाव बना सकते हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने दो सितंबर को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था. मामले की सुनवाई जस्टिस समित गोपाल की सिंगल बेंच में हो रही थी. आजम खान और उनके बेटे की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल में बहस की थी. कपिल सिब्बल में दलील दी थी कि रामपुर नगर पालिका परिषद ने यह लिखित तौर पर दिया है कि उनके यहां 2014 में पांच सफाई मशीने खरीदी गई थी और वह सभी नगर पालिका के पास सुरक्षित हैं. कोई भी मशीन गायब नहीं हुई है. इसके अलावा एफआईआर आठ साल बाद दर्ज किए जाने को लेकर भी सवाल उठाए गए थे. हालांकि कोर्ट ने कपिल सिब्बल की दलीलों को मंजूर नहीं किया. हाई कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट को केस का निपटारा जल्द खत्म करने को भी निर्देशित किया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>गौरतलब है कि साल 2014 में आजम खान जब यूपी की तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री थे, उस वक्त उनके गृह नगर रामपुर की नगर पालिका परिषद ने सड़कों की सफाई की पांच मशीने खरीदी थी. जिस कंपनी से यह पांचो मशीन खरीदी गई थी, उस कंपनी ने नगर पालिका को पांच मशीने खरीदने के एवज में एक मशीन गिफ्ट की थी. नगर पालिका परिषद में उस वक्त आजम खान के बेहद करीबी अजहर खान चेयरमैन थे. आरोप है कि अजहर खान ने गिफ्ट में मिली सफाई मशीन आजम खान के दबाव में उनकी जौहर यूनिवर्सिटी को बिना किसी औपचारिकता के चुपचाप दे दी थी. यह मशीन तबसे जौहर यूनिवर्सिटी द्वारा इस्तेमाल की जा रही थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2022 में दर्ज हुई थी एफआईआर</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस मामले में रामपुर के वाकर अली खान ने 19 सितंबर 2022 को रामपुर कोतवाली में आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम, नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन अजहर खान समेत अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. रामपुर पुलिस ने उसी दिन जौहर यूनिवर्सिटी में छापेमारी कर मशीन के कटे हुए टुकड़ों को बरामद किया. सफाई मशीन के टुकड़ों को मिट्टी में आठ फिट की गहराई में छिपाकर रखा गया था. केस दर्ज होने पर रामपुर नगर पालिका परिषद ने यह लिख कर दिया था कि उनके यहां सिर्फ पांच मशीने ही खरीदी गई थी और वह सभी मशीने सुरक्षित हैं. कोई भी मशीन गायब नहीं है. हालांकि पुलिस की पड़ताल में यह साफ हुआ था कि छठी मशीन कंपनी ने नगर पालिका परिषद को गिफ्ट की थी. यही मशीन आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी से बरामद हुई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आजम खान और अब्दुल्ला आजम की है क्रिमिनल हिस्ट्री- HC</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जस्टिस समित गोपाल की सिंगल बेंच ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम समेत अन्य की जमानत अर्जी खारिज करते हुए तीखी टिप्पणी भी की है. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की क्रिमिनल हिस्ट्री है. दोनों के खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. इन्हें कई मामलों में सजा भी मिली हुई है.इन्हें जमानत दिए जाने से केस का ट्रायल प्रभावित हो सकता है. हाई कोर्ट ने इसके साथ ही ट्रायल कोर्ट से मामले का निपटारा जल्द करने को भी कहा है. जमानत अर्जियों पर आजम परिवार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश की थीं, जबकि यूपी सरकार की तरफ से एडिशनल एडवोकेट जनरल पीसी श्रीवास्तव और एडिशनल गवर्नमेंट एडवोकेट जेके उपाध्याय ने पक्ष रखा था. शिकायतकर्ता वाकर अली खान की तरफ से उनके अधिवक्ता शरद शर्मा ने बहस की थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/meerut-bloody-conflict-between-two-brothers-in-due-to-property-dispute-police-many-people-detained-ann-2788402″>छत से बरस रहे थे पत्थर और नीचे से चल रही थीं ताबड़तोड गोलियां, दो भाईयों के बीच हुआ खूनी संघर्ष</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>UP News: </strong>समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान के परिवार को आज इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. रामपुर नगर पालिका परिषद की सफाई मशीन को चोरी कराकर उसे जौहर यूनिवर्सिटी में मिट्टी में दफन किए जाने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम के साथ ही पूर्व चेयरमैन अजहर खान की जमानत अर्जियों को खारिज कर दिया है. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पूर्व मंत्री आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम के खिलाफ कई क्रिमिनल केस दर्ज हैं. इनकी क्रिमिनल हिस्ट्री है. कई मामलों में इन्हें सजा भी मिली हुई है. ऐसे में जमानत दिए जाने पर यह केस के ट्रायल को प्रभावित कर सकते हैं. सबूतों से छेड़छाड़ कर गवाहों पर दबाव बना सकते हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने दो सितंबर को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था. मामले की सुनवाई जस्टिस समित गोपाल की सिंगल बेंच में हो रही थी. आजम खान और उनके बेटे की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल में बहस की थी. कपिल सिब्बल में दलील दी थी कि रामपुर नगर पालिका परिषद ने यह लिखित तौर पर दिया है कि उनके यहां 2014 में पांच सफाई मशीने खरीदी गई थी और वह सभी नगर पालिका के पास सुरक्षित हैं. कोई भी मशीन गायब नहीं हुई है. इसके अलावा एफआईआर आठ साल बाद दर्ज किए जाने को लेकर भी सवाल उठाए गए थे. हालांकि कोर्ट ने कपिल सिब्बल की दलीलों को मंजूर नहीं किया. हाई कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट को केस का निपटारा जल्द खत्म करने को भी निर्देशित किया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>गौरतलब है कि साल 2014 में आजम खान जब यूपी की तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री थे, उस वक्त उनके गृह नगर रामपुर की नगर पालिका परिषद ने सड़कों की सफाई की पांच मशीने खरीदी थी. जिस कंपनी से यह पांचो मशीन खरीदी गई थी, उस कंपनी ने नगर पालिका को पांच मशीने खरीदने के एवज में एक मशीन गिफ्ट की थी. नगर पालिका परिषद में उस वक्त आजम खान के बेहद करीबी अजहर खान चेयरमैन थे. आरोप है कि अजहर खान ने गिफ्ट में मिली सफाई मशीन आजम खान के दबाव में उनकी जौहर यूनिवर्सिटी को बिना किसी औपचारिकता के चुपचाप दे दी थी. यह मशीन तबसे जौहर यूनिवर्सिटी द्वारा इस्तेमाल की जा रही थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2022 में दर्ज हुई थी एफआईआर</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस मामले में रामपुर के वाकर अली खान ने 19 सितंबर 2022 को रामपुर कोतवाली में आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम, नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन अजहर खान समेत अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. रामपुर पुलिस ने उसी दिन जौहर यूनिवर्सिटी में छापेमारी कर मशीन के कटे हुए टुकड़ों को बरामद किया. सफाई मशीन के टुकड़ों को मिट्टी में आठ फिट की गहराई में छिपाकर रखा गया था. केस दर्ज होने पर रामपुर नगर पालिका परिषद ने यह लिख कर दिया था कि उनके यहां सिर्फ पांच मशीने ही खरीदी गई थी और वह सभी मशीने सुरक्षित हैं. कोई भी मशीन गायब नहीं है. हालांकि पुलिस की पड़ताल में यह साफ हुआ था कि छठी मशीन कंपनी ने नगर पालिका परिषद को गिफ्ट की थी. यही मशीन आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी से बरामद हुई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आजम खान और अब्दुल्ला आजम की है क्रिमिनल हिस्ट्री- HC</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जस्टिस समित गोपाल की सिंगल बेंच ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम समेत अन्य की जमानत अर्जी खारिज करते हुए तीखी टिप्पणी भी की है. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की क्रिमिनल हिस्ट्री है. दोनों के खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. इन्हें कई मामलों में सजा भी मिली हुई है.इन्हें जमानत दिए जाने से केस का ट्रायल प्रभावित हो सकता है. हाई कोर्ट ने इसके साथ ही ट्रायल कोर्ट से मामले का निपटारा जल्द करने को भी कहा है. जमानत अर्जियों पर आजम परिवार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश की थीं, जबकि यूपी सरकार की तरफ से एडिशनल एडवोकेट जनरल पीसी श्रीवास्तव और एडिशनल गवर्नमेंट एडवोकेट जेके उपाध्याय ने पक्ष रखा था. शिकायतकर्ता वाकर अली खान की तरफ से उनके अधिवक्ता शरद शर्मा ने बहस की थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/meerut-bloody-conflict-between-two-brothers-in-due-to-property-dispute-police-many-people-detained-ann-2788402″>छत से बरस रहे थे पत्थर और नीचे से चल रही थीं ताबड़तोड गोलियां, दो भाईयों के बीच हुआ खूनी संघर्ष</a></strong></p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड मंत्री पद की शपथ लेने के बाद गोपाल राय और कैलाश गहलोत की पहली प्रतिक्रिया, जानें क्या कहा?