<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News: </strong>साल 2020 में दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में छात्र कार्यकर्ता सफूरा जरगर ने कड़कड़डूमा कोर्ट में खुद के खिलाफ चल रहे UAPA के तहत दर्ज मामले में बरी करने की अर्जी दी है. इस केस की जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल कर रही है. सफूरा फिलहाल जमानत पर हैं. सुनवाई के दौरान उनके वकील ने कहा कि सरकार के खिलाफ आवाज उठाना आतंकवाद नहीं है और न ही यह कोई अपराध है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सरकार को नागरिकों से नहीं, बल्कि नागरिकों को सरकार से जवाब चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली की कड़कड़डुमा कोर्ट में वकील ने दाखिल चार्जशीट का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया है कि यह साजिश राज्य को अस्थिर करने के उद्देश्य रची गई थी. जो नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन से अलग थी. वही वकील ने कोर्ट में दलील देते हुए यह भी कहा कि राजनीतिक विरोध और अभियान को अवैध कृति नहीं कहा जा सकता . यह अवैध तब होता है जब उद्देश्य केवल विनाश हो ना कि विरोध. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वकील ने दिल्ली पुलिस की जांच पर उठाए सवाल..</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आरोपी साफूरा जरगर के वकील ने कहा कि दिल्ली पुलिस को यह बताना होगा कि जरगर की मंशा केवल विरोध नहीं बल्कि हिंसा फैलाने की साजिश थी. उन्होंने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि चार्जशीट में मौत आगजनी और संपत्ति को नुकसान जैसे आरोप लगाए ,लेकिन इनमें किसी के पीछे जरगर के व्यक्तिगत भूमिका या उद्देश्य को लेकर कोई ठोस सबूत नहीं पेश किए गए. हालाकि कोर्ट में वकील ने दलील देते हुए यह कहा सिर्फ यह कहना कि वह प्रदर्शन में भाग ले रही थी ,या आयोजन कर रही थी पर्याप्त नहीं दिल्ली पुलिस को यह साबित करना होगा कि उनका उद्देश्य सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ना और अव्यवस्था फैलाना था. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मामले में कोर्ट की कल भी सुनवाई</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली पुलिस ने इस मामले में एक एफआईआर दर्ज किया जिसमें भारतीय दंड संहिता 1860 और UAPA 1967 के तहत गंभीर आरोप लगाए गए हैं. इस मामले में जिन एन आरोपियों के नाम दिल्ली पुलिस ने शामिल किए हैं वह हैं ताहिर हुसैन, खालिद सैफई, उमर खालिद, इशरत जहां, मीर हैदर, गुलफिशा फातिमा ,शिफा उर रहमान, आसिफ इकबाल तन्हा, शादाब अहमद, तस्लीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान, अतहर खान, शारजील इमाम, फैजान खान और नताशा नरवाल.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News: </strong>साल 2020 में दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में छात्र कार्यकर्ता सफूरा जरगर ने कड़कड़डूमा कोर्ट में खुद के खिलाफ चल रहे UAPA के तहत दर्ज मामले में बरी करने की अर्जी दी है. इस केस की जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल कर रही है. सफूरा फिलहाल जमानत पर हैं. सुनवाई के दौरान उनके वकील ने कहा कि सरकार के खिलाफ आवाज उठाना आतंकवाद नहीं है और न ही यह कोई अपराध है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सरकार को नागरिकों से नहीं, बल्कि नागरिकों को सरकार से जवाब चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली की कड़कड़डुमा कोर्ट में वकील ने दाखिल चार्जशीट का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया है कि यह साजिश राज्य को अस्थिर करने के उद्देश्य रची गई थी. जो नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन से अलग थी. वही वकील ने कोर्ट में दलील देते हुए यह भी कहा कि राजनीतिक विरोध और अभियान को अवैध कृति नहीं कहा जा सकता . यह अवैध तब होता है जब उद्देश्य केवल विनाश हो ना कि विरोध. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वकील ने दिल्ली पुलिस की जांच पर उठाए सवाल..</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आरोपी साफूरा जरगर के वकील ने कहा कि दिल्ली पुलिस को यह बताना होगा कि जरगर की मंशा केवल विरोध नहीं बल्कि हिंसा फैलाने की साजिश थी. उन्होंने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि चार्जशीट में मौत आगजनी और संपत्ति को नुकसान जैसे आरोप लगाए ,लेकिन इनमें किसी के पीछे जरगर के व्यक्तिगत भूमिका या उद्देश्य को लेकर कोई ठोस सबूत नहीं पेश किए गए. हालाकि कोर्ट में वकील ने दलील देते हुए यह कहा सिर्फ यह कहना कि वह प्रदर्शन में भाग ले रही थी ,या आयोजन कर रही थी पर्याप्त नहीं दिल्ली पुलिस को यह साबित करना होगा कि उनका उद्देश्य सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ना और अव्यवस्था फैलाना था. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मामले में कोर्ट की कल भी सुनवाई</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली पुलिस ने इस मामले में एक एफआईआर दर्ज किया जिसमें भारतीय दंड संहिता 1860 और UAPA 1967 के तहत गंभीर आरोप लगाए गए हैं. इस मामले में जिन एन आरोपियों के नाम दिल्ली पुलिस ने शामिल किए हैं वह हैं ताहिर हुसैन, खालिद सैफई, उमर खालिद, इशरत जहां, मीर हैदर, गुलफिशा फातिमा ,शिफा उर रहमान, आसिफ इकबाल तन्हा, शादाब अहमद, तस्लीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान, अतहर खान, शारजील इमाम, फैजान खान और नताशा नरवाल.</p> दिल्ली NCR शिमला में दृष्टिबाधित बेरोजगारों के सब्र का बांध टूटा, सरकार के खिलाफ किया चक्का जाम
सफूरा जरगर ने कड़कड़डुमा कोर्ट में खुद को बताया निर्दोष, कहा- ‘आवाज उठाना आतंकवाद…’
