भास्कर न्यूज | जालंधर सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा के तीसरे दिन यानी सात नवंबर को डूबते सूर्य और आठ नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। सिर्फ छठ पूजा ही ऐसा महापर्व है, जिसमें डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान सूर्य की उपासना करती हैं। भगवान सूर्य पंचदेवों में शामिल हैं। हर शुभ काम की शुरुआत पंचदेवों की पूजा के साथ होती है। सूर्य देव को रोज सुबह अर्घ्य चढ़ाने और मंत्र का जप करने से भक्त की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, नकारात्मक विचार खत्म होते हैं और स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। मॉडल हाउस के पंडित विजय शास्त्री ने बताया कि छठ पूजा सूर्य उपासना का पर्व है। छठी माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी मानी गई हैं। इस वजह से संतान के सौभाग्य, लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना से छठ पूजा का व्रत किया जाता है। देवी सीता, कुंती और द्रौपदी ने भी छठ पूजा का व्रत किया था। सूर्य का आभार जताने के लिए लोग सूर्य पूजा करते आ रहे हैं। सूर्य को कृषि का आधार माना जाता है, क्योंकि सूर्य ही मौसम में परिवर्तन लाता है। सूर्य के कारण ही बादल जल बरसाने में सक्षम होता है। सूर्य अनाज को पकाता है। इसलिए सूर्य का आभार व्यक्त करने के लिए प्राचीन काल से लोग पूजा करते आ रहे हैं। वेदों में भी सूर्य को सबसे प्रमुख देवता के रूप में मान्यता है। भास्कर न्यूज | जालंधर सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा के तीसरे दिन यानी सात नवंबर को डूबते सूर्य और आठ नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। सिर्फ छठ पूजा ही ऐसा महापर्व है, जिसमें डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान सूर्य की उपासना करती हैं। भगवान सूर्य पंचदेवों में शामिल हैं। हर शुभ काम की शुरुआत पंचदेवों की पूजा के साथ होती है। सूर्य देव को रोज सुबह अर्घ्य चढ़ाने और मंत्र का जप करने से भक्त की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, नकारात्मक विचार खत्म होते हैं और स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। मॉडल हाउस के पंडित विजय शास्त्री ने बताया कि छठ पूजा सूर्य उपासना का पर्व है। छठी माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी मानी गई हैं। इस वजह से संतान के सौभाग्य, लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना से छठ पूजा का व्रत किया जाता है। देवी सीता, कुंती और द्रौपदी ने भी छठ पूजा का व्रत किया था। सूर्य का आभार जताने के लिए लोग सूर्य पूजा करते आ रहे हैं। सूर्य को कृषि का आधार माना जाता है, क्योंकि सूर्य ही मौसम में परिवर्तन लाता है। सूर्य के कारण ही बादल जल बरसाने में सक्षम होता है। सूर्य अनाज को पकाता है। इसलिए सूर्य का आभार व्यक्त करने के लिए प्राचीन काल से लोग पूजा करते आ रहे हैं। वेदों में भी सूर्य को सबसे प्रमुख देवता के रूप में मान्यता है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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