शिरोमणि अकाली दल की वरिष्ठ नेता और बठिंडा से सांसद हरसिमरत कौर बादल ने संसद के शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर दिल्ली में आयोजित सर्वदलीय बैठक में पंजाब और किसानों के मुद्दों पर केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया। हरसिमरत कौर बैठक में किसान, खाद और चंडीगढ़ पर चल रहे विवाद पर खुलकर बोली। हरसिमरत बादल ने बैठक में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से वंचित करने, डीएपी उर्वरक की कमी और चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकार को कमजोर करने जैसे मुद्दों को उठाया। उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। धान की फसल में नमी का बहाना बनाकर किसानों को मंडियों में परेशान किया गया। जिससे उन्हें अपनी फसल औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ी। उन्होंने केंद्र सरकार पर पंजाब को उर्वरक आवंटन में 1.28 लाख टन की कटौती करने का आरोप लगाया। नकली बीज और डीएपी उर्वरक की बिक्री पर लगाम लगाने में राज्य सरकार को विफल बताया। उन्होंने पंजाब के सेलर मालिकों की समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले साल के धान का स्टॉक राज्य से बाहर नहीं भेजा जा सका और अन्य राज्य सरकारें पंजाब से भेजे गए चावल को तुच्छ कारणों से अस्वीकार कर रही हैं। चंडीगढ़ के मुद्दे पर उठाई आपत्ति हरियाणा के लिए अलग विधानसभा के निर्माण हेतु चंडीगढ़ में भूमि आवंटन को लेकर उन्होंने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने इसे पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 का उल्लंघन बताया। केंद्र सरकार से मांग की है कि चंडीगढ़ पंजाब का अभिन्न हिस्सा है, और इसे तुरंत पंजाब को सौंपा जाए। हरियाणा को चंडीगढ़ में भूमि आवंटित करना पंजाब के अधिकारों को कमजोर करने की साजिश है। सिख बंदियों की रिहाई का मुद्दा हरसिमरत ने सिख बंदियों की रिहाई में देरी पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि 2019 में गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर केंद्र ने सिख बंदियों को रिहा करने का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ। बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर पिछले 12 वर्षों से निर्णय लंबित है, और उन्हें पैरोल पर रिहा करने से इनकार किया जा रहा है। केंद्र से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और ग्रामीण विकास निधि फंड को पंजाब सरकार को जल्द जारी करने की मांग की। अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए किसानों की अधिग्रहित भूमि के उचित मुआवजे की मांग भी रखी। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी में सीनेट चुनाव न कराने पर आपत्ति जताई और इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने का प्रयास बताया। शिरोमणि अकाली दल की वरिष्ठ नेता और बठिंडा से सांसद हरसिमरत कौर बादल ने संसद के शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर दिल्ली में आयोजित सर्वदलीय बैठक में पंजाब और किसानों के मुद्दों पर केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया। हरसिमरत कौर बैठक में किसान, खाद और चंडीगढ़ पर चल रहे विवाद पर खुलकर बोली। हरसिमरत बादल ने बैठक में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से वंचित करने, डीएपी उर्वरक की कमी और चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकार को कमजोर करने जैसे मुद्दों को उठाया। उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। धान की फसल में नमी का बहाना बनाकर किसानों को मंडियों में परेशान किया गया। जिससे उन्हें अपनी फसल औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ी। उन्होंने केंद्र सरकार पर पंजाब को उर्वरक आवंटन में 1.28 लाख टन की कटौती करने का आरोप लगाया। नकली बीज और डीएपी उर्वरक की बिक्री पर लगाम लगाने में राज्य सरकार को विफल बताया। उन्होंने पंजाब के सेलर मालिकों की समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले साल के धान का स्टॉक राज्य से बाहर नहीं भेजा जा सका और अन्य राज्य सरकारें पंजाब से भेजे गए चावल को तुच्छ कारणों से अस्वीकार कर रही हैं। चंडीगढ़ के मुद्दे पर उठाई आपत्ति हरियाणा के लिए अलग विधानसभा के निर्माण हेतु चंडीगढ़ में भूमि आवंटन को लेकर उन्होंने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने इसे पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 का उल्लंघन बताया। केंद्र सरकार से मांग की है कि चंडीगढ़ पंजाब का अभिन्न हिस्सा है, और इसे तुरंत पंजाब को सौंपा जाए। हरियाणा को चंडीगढ़ में भूमि आवंटित करना पंजाब के अधिकारों को कमजोर करने की साजिश है। सिख बंदियों की रिहाई का मुद्दा हरसिमरत ने सिख बंदियों की रिहाई में देरी पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि 2019 में गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर केंद्र ने सिख बंदियों को रिहा करने का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ। बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर पिछले 12 वर्षों से निर्णय लंबित है, और उन्हें पैरोल पर रिहा करने से इनकार किया जा रहा है। केंद्र से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और ग्रामीण विकास निधि फंड को पंजाब सरकार को जल्द जारी करने की मांग की। अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए किसानों की अधिग्रहित भूमि के उचित मुआवजे की मांग भी रखी। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी में सीनेट चुनाव न कराने पर आपत्ति जताई और इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने का प्रयास बताया। पंजाब | दैनिक भास्कर
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