सहारनपुर के सराफ दंपती के सुसाइड की इनसाइड स्टोरी:जिस पर भरोसा किया उसका बेटा 7 करोड़ लेकर दुबई भागा; दिव्यांग बेटे ने पिता को मुखाग्नि दी

सहारनपुर के सराफ दंपती के सुसाइड की इनसाइड स्टोरी:जिस पर भरोसा किया उसका बेटा 7 करोड़ लेकर दुबई भागा; दिव्यांग बेटे ने पिता को मुखाग्नि दी

सहारनपुर में सराफा कारोबारी सौरभ बब्बर का अंतिम संस्कार हुआ। लोग श्मशान भूमि पहुंचे, मगर इनमें ज्यादातर लोग ऐसे थे, जिनके मन में एक ही सवाल था, वो ये कि दंपती ने क्या सिर्फ कर्ज की वजह से सुसाइड किया? ये रकम बढ़ते हुए 10-15 करोड़ कैसे पहुंच गई? इन सवालों के जवाब के लिए दैनिक भास्कर ने सौरभ बब्बर के दोस्त, रिश्तेदार और कारोबारी साझेदारों से बात की। जो कुछ सामने आया, उसके मुताबिक सौरभ का सराफा कारोबार था। साथ ही वह गोल्ड कमेटी भी चलाता था। सहारनपुर के करीब 1 हजार लोगों का सोना और करोड़ों की रकम सौरभ के पास जमा थी। वह 5 कमेटी पूरी भी कर चुके थे। मतलब लोगों के सोने के जेवर और जमा पैसा वापस भी कर चुके थे। मगर फिर धोखा, जिल्लत और कर्ज के दलदल में ऐसे धंसे कि उबर ही न सके। 7 करोड़ का सोना बुक किया, सराफा कारोबारी के बेटे ने धोखा दिया
गोल्ड कमेटी को चलाने में सौरभ का सपोर्ट सहारनपुर का एक बड़ा सराफा कारोबारी कर रहा था। सौरभ ने गोल्ड कमेटी में शामिल करीब 100 लोगों को सोना देने के लिए बड़े सराफा कारोबारी से करीब 6 से 7 करोड़ का सोना बुक किया। यहां एक नई कहानी सामने आई कि सौरभ जिस सराफा के पास लोगों का पैसा डिपॉजिट कर रहा था। उसका बेटा करीब 20 दिन पहले 7 करोड़ रुपए लेकर दुबई चला गया। सराफा कारोबारी ने सौरभ को गोल्ड और उसका डिपॉजिट पैसा वापस करने से फिलहाल मना कर दिया। सौरभ ने 11 अगस्त की मांगी थी मोहलत, 12 को लाश मिली
इसके बाद सौरभ बेहद दबाव में आ गया। लोग उससे सोना और पैसा मांग रहे थे। मगर वह कुछ भी वापस देने की स्थिति में नहीं था। बातचीत में एक बात और सामने आई कि सौरभ ने ज्यादातर लोगों को 11 अगस्त का समय दिया था। उसने कहा था कि वह सबका सोना और पैसा वापस कर देगा। मगर सौरभ काफी कोशिश के बाद भी कहीं से पैसों का इंतजाम नहीं कर पाया। घर छोड़ने से पहले बेटी से कहा- भाई का ख्याल रखना
वायदे से 2 दिन पहले ही सौरभ पत्नी मोना को साथ लेकर बाइक से हरिद्वार पहुंचा। उससे पहले अपनी 12 साल की बेटी श्रद्धा और 8 साल के दिव्यांग बेटे संयम को नाना-नानी के घर छोड़ दिया। बच्चों को नाना-नानी के घर छोड़ने से पहले उसने और मोना ने बच्चों को बहुत प्यार किया। उनका माथा चूमा। फिर ये कहकर निकल गए वो एक-दो दिन में वापस आ जाएंगे। बेटी को कहा- भाई का ख्याल रखना। वहीं सास-ससुर से कहा- बच्चों को किसी बात की कमी न हो। खूब अच्छे से पढ़ाना। लेकिन ससुराल के लोग ये बात समझ नहीं सके कि वो उनकी आखिरी विदाई थी। अब बेटा संयम अपने मां-पिता को याद करके मायूस है, वह एक पैर से दिव्यांग है। मुखाग्नि देने के लिए उसको श्मशान लाया गया। उस बच्चे को देखकर हर किसी की आंखें नम थीं। सौरभ बब्बर के पिता देशराज बब्बर ने कहा- मेरे बेटे की जो आखिरी इच्छा थी, उसे पूरा करूंगा। हमारा घर ज्यादा दूर नहीं है, जब भी बच्चों को देखना होगा तो चला जाऊंगा। कस्टमर अनिल बोले- हमने सोना मांगा, उन्होंने कहा- कुछ दिन में लेना
सौरभ की दुकान के बाहर हमें अनिल कुमार मिले। उन्होंने कहा- सौरभ गोल्ड की कमेटी चलाते थे। हमने सोना दिया था, जिसकी वैल्यू करीब 70 हजार थी। सौरभ ने कुछ पैसा हमें दिया था, सोना के लिए कहा था कि कुछ दिन बाद ले लेना। आज सुबह फोन आया कि उन्होंने हरिद्वार में सुसाइड कर लिया। गोलू सैलरी नहीं लेता, तो कहते- कर्ज उतर जाएगा, मगर जिंदा रहना पड़ेगा
सौरभ की दुकान पर काम करने वाले नौकर गोलू को दोनों पति-पत्नी की स्थिति का पता था। उसको पता था कि भैया-भाभी परेशान हैं। उन पर काफी कर्ज है। यही कारण था कि वो उनसे अपनी सैलरी भी नहीं मांगता था। लेकिन सौरभ भैया यह कहकर वेतन देते कि ये जिंदगी के उतार-चढ़ाव हैं। सब ठीक हो जाएगा। तुझे अपना घर चलाना है। कर्ज तो उतर जाएगा लेकिन उसके लिए जिंदा भी रहना पड़ेगा। विनय बोले- वो 9 अगस्त को आया और 1 लाख रुपए दे गया
श्री साईं परिवार समिति के सदस्य विनय ने कहा- हमारी समिति धार्मिक कार्यक्रम करती रहती है। समिति से जुड़े सदस्य 5 हजार रुपए प्रतिमाह देते हैं। 9 अगस्त को सौरभ ने आकर उन्हें समिति के एक लाख रुपए दिए। जबकि 1.45 लाख रुपए देने थे। इसके बाद वो चला गया था। लेकिन उन्हें क्या पता था कि सौरभ ऐसा कदम उठा लेगा। लोग कहते मिले कि सोना भी गया… पैसा भी
सौरभ के घर के बाहर कई लोग ऐसे मिले, जिन्होंने बताया कि वे सोना लेकर कम ब्याज पर पैसा देते थे। वो सौरभ से हमेशा पैसा लेते रहते थे। अब सोना भी गया और पैसा भी। वहीं कई लोग ये भी कहते हुए दिखे कि कमेटी के जिन लोगों को पेमेंट करना था। वो रोजाना सुबह-शाम उसके दरवाजे के चक्कर काटते थे। कई लोग मिले, जिनकी कमेटी पूरे हुए कई महीने हो गए थे। उन्हें न तो सोना मिला और न ही पेमेंट। जिस कारण वो उन्हें भी ब्याज दे रहा था। लेकिन सभी लोग ये जरूर कहते हुए दिखाई दिए कि इतने लोगों का पैसा कहां गया? क्योंकि जैसे कि लोगों को जानकारी थी कि वो कई सालों से ये काम कर रहा था। सौरभ ने कभी किसी को परेशान नहीं किया। मगर स्थिति तब बिगड़ी जब सहारनपुर के एक बड़े सराफा कारोबारी ने 6 से 7 करोड़ रुपए देने से मना कर दिया। मरने से पहले एक ऑडियो सामने आया
सौरभ का ऑडियो भी पुलिस के हाथ लगा है, जो सुसाइड से पहले का बताया जा रहा है। ऑडियो में सौरभ की आवाज सुनाई दे रही है, वो कह रहा है- गोलू ये सबको दिखा देना, हम लोग हरिद्वार में है और अब मरने जा रहे हैं। ठीक है…। गोलू सौरभ की दुकान पर काम करने वाला नौकर है। बेटे-बहू के सुसाइड की खबर पाकर सौरभ और मोना के परिजन हरिद्वार रवाना हो गए। सौरभ के मां-बाप ने रविवार को सहारनपुर में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। सहारनपुर पुलिस के इनपुट में हरिद्वार पुलिस ने सर्च ऑपरेशन चलाया तो सौरभ और बहू मोना की लाश मिली। अब पूरी घटना तफ्तीश से समझिए… 10 करोड़ कर्ज में दबे कारोबारी पति-पत्नी गंगा में कूदे, मरने से पहले सेल्फी ली, बाइक से 80KM हरिद्वार पहुंचे, सहारनपुर में बच्चों को छोड़ा सहारनपुर में सराफा कारोबारी और उनकी पत्नी ने गंगा में कूदकर जान दे दी। सुसाइड करने के लिए दोनों शनिवार रात बाइक से 80 किमी दूर हरिद्वार पहुंचे। गंगनहर के पुल पर एक-दूसरे का हाथ पकड़ा, सेल्फी ली और गंगा में छलांग लगा दी। कारोबारी ने अपने सभी वॉट्सऐप ग्रुप में सुसाइड नोट भेजा। जिसमें लिखा था- मैं कर्ज के दलदल में इस कदर फंस गया हूं कि बाहर ही नहीं निकला पा रहा।पूरी खबर पढ़िए… सहारनपुर में सराफा कारोबारी सौरभ बब्बर का अंतिम संस्कार हुआ। लोग श्मशान भूमि पहुंचे, मगर इनमें ज्यादातर लोग ऐसे थे, जिनके मन में एक ही सवाल था, वो ये कि दंपती ने क्या सिर्फ कर्ज की वजह से सुसाइड किया? ये रकम बढ़ते हुए 10-15 करोड़ कैसे पहुंच गई? इन सवालों के जवाब के लिए दैनिक भास्कर ने सौरभ बब्बर के दोस्त, रिश्तेदार और कारोबारी साझेदारों से बात की। जो कुछ सामने आया, उसके मुताबिक सौरभ का सराफा कारोबार था। साथ ही वह गोल्ड कमेटी भी चलाता था। सहारनपुर के करीब 1 हजार लोगों का सोना और करोड़ों की रकम सौरभ के पास जमा थी। वह 5 कमेटी पूरी भी कर चुके थे। मतलब लोगों के सोने के जेवर और जमा पैसा वापस भी कर चुके थे। मगर फिर धोखा, जिल्लत और कर्ज के दलदल में ऐसे धंसे कि उबर ही न सके। 7 करोड़ का सोना बुक किया, सराफा कारोबारी के बेटे ने धोखा दिया
गोल्ड कमेटी को चलाने में सौरभ का सपोर्ट सहारनपुर का एक बड़ा सराफा कारोबारी कर रहा था। सौरभ ने गोल्ड कमेटी में शामिल करीब 100 लोगों को सोना देने के लिए बड़े सराफा कारोबारी से करीब 6 से 7 करोड़ का सोना बुक किया। यहां एक नई कहानी सामने आई कि सौरभ जिस सराफा के पास लोगों का पैसा डिपॉजिट कर रहा था। उसका बेटा करीब 20 दिन पहले 7 करोड़ रुपए लेकर दुबई चला गया। सराफा कारोबारी ने सौरभ को गोल्ड और उसका डिपॉजिट पैसा वापस करने से फिलहाल मना कर दिया। सौरभ ने 11 अगस्त की मांगी थी मोहलत, 12 को लाश मिली
इसके बाद सौरभ बेहद दबाव में आ गया। लोग उससे सोना और पैसा मांग रहे थे। मगर वह कुछ भी वापस देने की स्थिति में नहीं था। बातचीत में एक बात और सामने आई कि सौरभ ने ज्यादातर लोगों को 11 अगस्त का समय दिया था। उसने कहा था कि वह सबका सोना और पैसा वापस कर देगा। मगर सौरभ काफी कोशिश के बाद भी कहीं से पैसों का इंतजाम नहीं कर पाया। घर छोड़ने से पहले बेटी से कहा- भाई का ख्याल रखना
वायदे से 2 दिन पहले ही सौरभ पत्नी मोना को साथ लेकर बाइक से हरिद्वार पहुंचा। उससे पहले अपनी 12 साल की बेटी श्रद्धा और 8 साल के दिव्यांग बेटे संयम को नाना-नानी के घर छोड़ दिया। बच्चों को नाना-नानी के घर छोड़ने से पहले उसने और मोना ने बच्चों को बहुत प्यार किया। उनका माथा चूमा। फिर ये कहकर निकल गए वो एक-दो दिन में वापस आ जाएंगे। बेटी को कहा- भाई का ख्याल रखना। वहीं सास-ससुर से कहा- बच्चों को किसी बात की कमी न हो। खूब अच्छे से पढ़ाना। लेकिन ससुराल के लोग ये बात समझ नहीं सके कि वो उनकी आखिरी विदाई थी। अब बेटा संयम अपने मां-पिता को याद करके मायूस है, वह एक पैर से दिव्यांग है। मुखाग्नि देने के लिए उसको श्मशान लाया गया। उस बच्चे को देखकर हर किसी की आंखें नम थीं। सौरभ बब्बर के पिता देशराज बब्बर ने कहा- मेरे बेटे की जो आखिरी इच्छा थी, उसे पूरा करूंगा। हमारा घर ज्यादा दूर नहीं है, जब भी बच्चों को देखना होगा तो चला जाऊंगा। कस्टमर अनिल बोले- हमने सोना मांगा, उन्होंने कहा- कुछ दिन में लेना
सौरभ की दुकान के बाहर हमें अनिल कुमार मिले। उन्होंने कहा- सौरभ गोल्ड की कमेटी चलाते थे। हमने सोना दिया था, जिसकी वैल्यू करीब 70 हजार थी। सौरभ ने कुछ पैसा हमें दिया था, सोना के लिए कहा था कि कुछ दिन बाद ले लेना। आज सुबह फोन आया कि उन्होंने हरिद्वार में सुसाइड कर लिया। गोलू सैलरी नहीं लेता, तो कहते- कर्ज उतर जाएगा, मगर जिंदा रहना पड़ेगा
सौरभ की दुकान पर काम करने वाले नौकर गोलू को दोनों पति-पत्नी की स्थिति का पता था। उसको पता था कि भैया-भाभी परेशान हैं। उन पर काफी कर्ज है। यही कारण था कि वो उनसे अपनी सैलरी भी नहीं मांगता था। लेकिन सौरभ भैया यह कहकर वेतन देते कि ये जिंदगी के उतार-चढ़ाव हैं। सब ठीक हो जाएगा। तुझे अपना घर चलाना है। कर्ज तो उतर जाएगा लेकिन उसके लिए जिंदा भी रहना पड़ेगा। विनय बोले- वो 9 अगस्त को आया और 1 लाख रुपए दे गया
श्री साईं परिवार समिति के सदस्य विनय ने कहा- हमारी समिति धार्मिक कार्यक्रम करती रहती है। समिति से जुड़े सदस्य 5 हजार रुपए प्रतिमाह देते हैं। 9 अगस्त को सौरभ ने आकर उन्हें समिति के एक लाख रुपए दिए। जबकि 1.45 लाख रुपए देने थे। इसके बाद वो चला गया था। लेकिन उन्हें क्या पता था कि सौरभ ऐसा कदम उठा लेगा। लोग कहते मिले कि सोना भी गया… पैसा भी
सौरभ के घर के बाहर कई लोग ऐसे मिले, जिन्होंने बताया कि वे सोना लेकर कम ब्याज पर पैसा देते थे। वो सौरभ से हमेशा पैसा लेते रहते थे। अब सोना भी गया और पैसा भी। वहीं कई लोग ये भी कहते हुए दिखे कि कमेटी के जिन लोगों को पेमेंट करना था। वो रोजाना सुबह-शाम उसके दरवाजे के चक्कर काटते थे। कई लोग मिले, जिनकी कमेटी पूरे हुए कई महीने हो गए थे। उन्हें न तो सोना मिला और न ही पेमेंट। जिस कारण वो उन्हें भी ब्याज दे रहा था। लेकिन सभी लोग ये जरूर कहते हुए दिखाई दिए कि इतने लोगों का पैसा कहां गया? क्योंकि जैसे कि लोगों को जानकारी थी कि वो कई सालों से ये काम कर रहा था। सौरभ ने कभी किसी को परेशान नहीं किया। मगर स्थिति तब बिगड़ी जब सहारनपुर के एक बड़े सराफा कारोबारी ने 6 से 7 करोड़ रुपए देने से मना कर दिया। मरने से पहले एक ऑडियो सामने आया
सौरभ का ऑडियो भी पुलिस के हाथ लगा है, जो सुसाइड से पहले का बताया जा रहा है। ऑडियो में सौरभ की आवाज सुनाई दे रही है, वो कह रहा है- गोलू ये सबको दिखा देना, हम लोग हरिद्वार में है और अब मरने जा रहे हैं। ठीक है…। गोलू सौरभ की दुकान पर काम करने वाला नौकर है। बेटे-बहू के सुसाइड की खबर पाकर सौरभ और मोना के परिजन हरिद्वार रवाना हो गए। सौरभ के मां-बाप ने रविवार को सहारनपुर में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। सहारनपुर पुलिस के इनपुट में हरिद्वार पुलिस ने सर्च ऑपरेशन चलाया तो सौरभ और बहू मोना की लाश मिली। अब पूरी घटना तफ्तीश से समझिए… 10 करोड़ कर्ज में दबे कारोबारी पति-पत्नी गंगा में कूदे, मरने से पहले सेल्फी ली, बाइक से 80KM हरिद्वार पहुंचे, सहारनपुर में बच्चों को छोड़ा सहारनपुर में सराफा कारोबारी और उनकी पत्नी ने गंगा में कूदकर जान दे दी। सुसाइड करने के लिए दोनों शनिवार रात बाइक से 80 किमी दूर हरिद्वार पहुंचे। गंगनहर के पुल पर एक-दूसरे का हाथ पकड़ा, सेल्फी ली और गंगा में छलांग लगा दी। कारोबारी ने अपने सभी वॉट्सऐप ग्रुप में सुसाइड नोट भेजा। जिसमें लिखा था- मैं कर्ज के दलदल में इस कदर फंस गया हूं कि बाहर ही नहीं निकला पा रहा।पूरी खबर पढ़िए…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर