सहारनपुर के नानौता थाना क्षेत्र के लंढौरा गांव में एक महिला के साथ मारपीट और उसकी बेटी के साथ अभद्रता के मामले में पुलिस की लापरवाही पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। SC-ST एक्ट की विशेष कोर्ट के न्यायाधीश मोहम्मद अहमद खान ने थाना प्रभारी सचिन पूनिया को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए उनके खिलाफ धारा 4(3) एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम में संज्ञान लिया है। साथ ही, एसएसपी को आदेश दिया है कि वह थाना प्रभारी के खिलाफ एक माह में प्रशासनिक और विभागीय जांच कर रिपोर्ट पेश करें। महिला ने तीन माह तक लगाए थाने के चक्कर लंढौरा गांव की रहने वाली एक महिला ने गांव के ही रामू पर 3 दिसंबर 2024 को मारपीट और उसकी बेटी के साथ अभद्रता करने का आरोप लगाया था। पीड़िता ने इसकी शिकायत पुलिस से की, जिसके बाद उसका मेडिकल परीक्षण कराया गया। मेडिकल रिपोर्ट में महिला को चार गंभीर चोटें आने की पुष्टि हुई थी, लेकिन पुलिस ने इसे आपसी विवाद बताकर मामला दर्ज नहीं किया। महिला तीन माह तक इंसाफ के लिए पुलिस अधिकारियों के पास जाती रही, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कोर्ट के आदेश पर दर्ज होगा मुकदमा थक हारकर महिला ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पाया कि पीड़िता को गंभीर चोटें आई थीं, जिसका अस्पताल में इलाज भी हुआ था। इसके बावजूद पुलिस ने मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया। कोर्ट ने थाना प्रभारी सचिन पूनिया की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए एसएसपी को उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही, कोर्ट ने एसएसपी को एक माह में जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। डीजीपी को भी भेजी गई आदेश की प्रति एससी-एसटी एक्ट की विशेष कोर्ट ने थाना प्रभारी पर कार्रवाई की संस्तुति करते हुए आदेश की प्रति पुलिस महानिदेशक (DGP) को भी भेज दी है। कोर्ट ने पुलिस को रामू के खिलाफ उचित धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल इस मामले ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने SC-ST एक्ट के तहत मामला दर्ज करने में तीन महीने की देरी की, जिससे पीड़िता को न्याय पाने के लिए कोर्ट की शरण में जाना पड़ा। अब कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है। सहारनपुर के नानौता थाना क्षेत्र के लंढौरा गांव में एक महिला के साथ मारपीट और उसकी बेटी के साथ अभद्रता के मामले में पुलिस की लापरवाही पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। SC-ST एक्ट की विशेष कोर्ट के न्यायाधीश मोहम्मद अहमद खान ने थाना प्रभारी सचिन पूनिया को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए उनके खिलाफ धारा 4(3) एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम में संज्ञान लिया है। साथ ही, एसएसपी को आदेश दिया है कि वह थाना प्रभारी के खिलाफ एक माह में प्रशासनिक और विभागीय जांच कर रिपोर्ट पेश करें। महिला ने तीन माह तक लगाए थाने के चक्कर लंढौरा गांव की रहने वाली एक महिला ने गांव के ही रामू पर 3 दिसंबर 2024 को मारपीट और उसकी बेटी के साथ अभद्रता करने का आरोप लगाया था। पीड़िता ने इसकी शिकायत पुलिस से की, जिसके बाद उसका मेडिकल परीक्षण कराया गया। मेडिकल रिपोर्ट में महिला को चार गंभीर चोटें आने की पुष्टि हुई थी, लेकिन पुलिस ने इसे आपसी विवाद बताकर मामला दर्ज नहीं किया। महिला तीन माह तक इंसाफ के लिए पुलिस अधिकारियों के पास जाती रही, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कोर्ट के आदेश पर दर्ज होगा मुकदमा थक हारकर महिला ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पाया कि पीड़िता को गंभीर चोटें आई थीं, जिसका अस्पताल में इलाज भी हुआ था। इसके बावजूद पुलिस ने मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया। कोर्ट ने थाना प्रभारी सचिन पूनिया की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए एसएसपी को उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही, कोर्ट ने एसएसपी को एक माह में जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। डीजीपी को भी भेजी गई आदेश की प्रति एससी-एसटी एक्ट की विशेष कोर्ट ने थाना प्रभारी पर कार्रवाई की संस्तुति करते हुए आदेश की प्रति पुलिस महानिदेशक (DGP) को भी भेज दी है। कोर्ट ने पुलिस को रामू के खिलाफ उचित धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल इस मामले ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने SC-ST एक्ट के तहत मामला दर्ज करने में तीन महीने की देरी की, जिससे पीड़िता को न्याय पाने के लिए कोर्ट की शरण में जाना पड़ा। अब कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
सहारनपुर कोर्ट ने इंस्पेक्टर पर कार्रवाई करने के दिए आदेश:तीन माह बाद भी SC-ST एक्ट में मुकदमा दर्ज नहीं, एसएसपी से एक माह में मांगी रिपोर्ट
